Skip to playerSkip to main content
  • 1 hour ago
झारखंड की सोहराई चित्रकला...इसको आज भी जिंदा रखे हुए हैं हजारीबाग की सुगिया देवी. इस कला की जड़े हज़ारों साल पुरानी हैं. इस कला की उत्पत्ति लगभग 7000 ईसा पूर्व के गुफा चित्रों से जुड़ी है. ये चित्रकारी झारखंड के आदिवासी समुदायों, कुर्मी, संथाल, मुंडा और उरांव जनजातियों की महिलाओं द्वारा पीढ़ियों से की जा रहा है.सोहराई केवल एक कला नहीं, बल्कि जीवन के उत्सव की अभिव्यक्ति है. फसल कटाई के बाद, जब धरती हरी-भरी हो जाती है, तो महिलाएँ अपने घरों की दीवारों को मिट्टी, गोबर और खनिज रंगों से सजाकर देवी-देवताओं और जानवरों के चित्र बनाती हैं...और जीवन के विभिन्न रंगों को उकेरती हैं.राजधानी रांची में स्थापना दिवस की तैयारी चल रही है. शहर को सजाया-संवारा जा रहा है. जिसक लिए सुगिया देवी और उनकी टीम सोहराई पेंटिंग बना रही हैं. 2020 में सोहराई-खोवर चित्रकला को जीआई टैग मिला चुका है.

Category

🗞
News
Transcript
00:00जहारखंड की सोहराई चित्रकला इसे आज भी जिन्दा रखे हुए हैं हजारी बाकी सुगिया देवी
00:12इस कला की जड़े हजारों साल पुरानी हैं इस कला की उत्पत्ती लगभग साथ हजार इसा पुरों के गुफा चित्रों से जुड़ी है
00:21ये चित्रकारी जहारखंड के आदिवासी समुदायों, कुर्मी, संथाल, मुंडा और उराओं जन्जातियों की महिलाओं द्वारा पीडियों से की जा रही है
00:45सोहराई केवल एक कला नहीं बलकि जीवन के उत्सों की अभी व्यक्ती है
00:51फसल कटाई के बाद जब धर्ती हरी भरी हो जाती है
00:55तो महिलाएं अपने घरों की दिवारों को मिटी, गोबर और खनीज रंगों से सजा कर देवी देवताओं और जानवरों के चित्र बनाती है
01:05और जीवन के विभिन रंगों को उकेरती है
01:08राजधानी राची में अस्थापना दिवस की तयारी चल रही है
01:29सहर को सजाया समारा जा रहा है
01:32जिसके लिए सुग्या देवी और उनकी टीम सोहराई पेंटिंग बना रही है
01:372020 में सोहराई खोवर चित्रकला को GI टैग मिल चुका है
01:43ब्यूरो रिपोर्ट ETV भारत
Be the first to comment
Add your comment

Recommended