00:00गोरखपूर की सहकारी चमितियों से किसान निरास लोट रहे हैं। वज़ाईया है कि उन्हें मन चाहा गेहूं का बीज नहीं मिल रहा। पिछले बरसों में जिन बीजों को लेकर के वह अपने खेत में गेहूं की फसल उगाये थे वह बीज उन्हें इस बार नहीं मिल रहे।
00:30पिज अच्छे होते थे लेकिन उनकी उपलवजता नहीं होने से उन्हें निरास होना पड़ रहा है।
01:00हमें ज़्यादा इसका पैदवार सही था है। डंठस की ढणे भी लंबाई भी सही है। अब आपका बंदना सुनने माता है कि इसका डंठस की ज़्यादा हाइट नहीं तो छोटा होता है।
01:12और इसलिए थोड़ा आदमी ले जाने में संकचा राजी है।
01:16तो क्या पैदावार में भी कोई संकट? पैदावार में भी संकटी है।
01:22जिसको हम भूए नहीं तो क्या आम बता है।
01:25जो भूते रहे हैं वह भी नहीं मिला यहां पर ही नहीं है।
01:29कौन सा भूते रहे हैं?
01:31300,000 घुदाम पर किस तरह के ग्युद्ट की उपलब देता है जिसको किसानों को आप दे रहे हैं।
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02:02This is a very good variety of different varieties.
02:11What do you think about a variety of different varieties?
02:15There was a variety of different varieties, like 266 or 343.
02:20The variety of varieties, the variety of varieties are more than 10 years.
02:26The variety of varieties are less than 1.5 years.
02:32The variety of varieties are less than 1.5 years.
02:37The variety of varieties are not sustainable.
02:41इसलिए नई विराइटियां नई इंप्रूब्ड विराइटियां उनकी विवापिल आई जाते हैं और उनकी बुवाई को जैसे वर्तवान में जो इस समय 187 कंड़ बंदना है यह लागवग पिछले 6-7 सालों से विराइटी अच्छी पैदावार दे रहते हैं
02:54किसानों का काना कि सरकारी केंडरों पर भी प्राइबेट केंडरों की तरह जुबिन प्रकार के बीज अगर रहते तो उनके सामने विकल्प चुनने का और अच्छी पैदावार पाने का उसर मिलता लेकिन चुनिंदा बीजों की वज़े से उन्हें जो मिलता है वही लेना प�
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