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  • 2 days ago
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Transcript
00:00हमारी साइकल है फराटेडार लेकर जाती हमको गाउं के उस पार ओहो निकला हूँ मैं करने दूध का व्यापार
00:11मन्सुक सुनीता चाची के घर के बाहर साइकल रुखता है और घंटी बजाता है
00:17काकी आजाओ दूध लेलो
00:19लाओ भई आजज़रा आधा लीटर दूध जाधा दे देना मेरी बिटिया को खीर खाने का मन है
00:26हाँ हाँ अभी लेलो बढ़ियासी खीर बनाकर खिलाना बिटिया को
00:30मन्सुक फिर साइकल लेकर दूसरे घर दूध देने चला जाता है
00:35अरे मनसुख भाई, ये लो, तुम्हारे दूद के पैसे, आज महीना पूरा हो गया ना?
00:41हाँ दीदी, लाओ दो, आपका हिसाब एकदम साफ रहता है, आप एकदम समय पर पैसे दे देती हो.
00:47अरे मनसुख भाईया, तुम गाउं में सबसे सस्ता दूद देते हो, और रोज समय पर भी आते हो, तो फिर हमारा तो फर्ज बनता है ना, कि तुम्हें समय से तुम्हारे पैसे दे?
00:58अरे, आपका धन्यवाद दे दी, अच्छा, मैं चलता हूँ, हाँ, इस दूद वाले की ज्यादा तारीख नहीं कर रही थी तुम्हारे तो और क्या, सची तो कह रही थी, मैंने कुछ गलत कहा क्या, अरे मनसुख इतना इमानदार है बिचारा, पहले हम शेहर से पैकेट वा
01:28अरे, बस-बस भागिवान, और ना बताओ, मैं समझ गया कि मनसुख बहुत बेचारा और इमानदार है, अब मुझे माफ करो, और जरा एक कप चाहे पिला दो
01:37हाँ, हाँ, अभी लाती हूँ, उधर मनसुख अपना सारा काम खत्म करके घर पहुँच जाता है, अरे, आप आ गए, आज देरी हो गई
01:46अरे, पूछो मत, साइकल का टायर रस्ते में पंचर हो गया था, उसे ठीक कराने में बहुत देर लग गई
01:53ओहो, तो आप एक मोटर गाड़ी क्यों नहीं खरीद लेते, इस साइकल पर काहे चलते हैं, जब ये इतनी खटा रहा है तो
02:00ताकी मैं भोला, सीधा और गरीब लग सकूँ
02:05क्या, क्या मतलब?
02:07अरे अगर मैं मोटर गाड़ी से चलने लगा, तो गाँवाले सोचेंगे नहीं कि इस गरीब दूध वाले के पास इतना पैसा आखिर आया कहां से?
02:16कहां से क्या, दूध बेचकर और कैसे?
02:19मनसुख उचकर खड़ा होता है और सीधा अपने तबेले में जाता है, जहां मीना ने जानवरों का ताजा दूध निकाल कर रखा था
02:28लेकिन सब को पता है कि सिर्फ दूध बेचकर कोई मोटर गाड़ी खरीदने के लायक नहीं हो जाता है
02:34मनसुख ताजा दूध निकाल कर उसमें अरारोट मिलाने लगता है
02:38अरे रुकिये, रुकिये, ये दूध तो हमारे इस्तेमाल का है, इसमें अरारोट क्यों मिला रहे हैं?
02:45अरे मूर्ख हौरत, कितनी बार तुमसे कहा है, मैं हमारे इस्तेमाल का दूध अलग रखा करो
03:04मीना दूद हटा कर ले जाती है
03:07और मनसुख हस्ता हुआ खुद से कहता है
03:10मनसुख की धोके बाजी की गाड़ी ऐसे ही मज़े से चल रही थी
03:29एक दिन उस गाड़ी में सवार होने के लिए कुछ और यात्री भी आ गए
03:34एक दिन मनसुख साइकल से दूद बेच कर वापस घर जा रहा था
03:39और फिर से उसकी साइकल पंचर हो गए
03:42अरे ये खटारा तो नाक में दम कर रखी है
03:46फिर से इसको बनवाना पड़ेगा
03:48मनसुख छोटु पंचर वाले की दुकान पर जाता है
03:51अरे भाईया फिर से आ गया अरे अब तो आप एक नई साइकल ले ही लो
03:56आपकी साइकल का पंचर बनाते बनाते हम थक गए भाई
03:59अरे कहां छोटु भाई घर में दाना पानी चल जाए वही बहुत है
04:06अब कहां नई साइकल खरी देंगे हम जैसे गरीब
04:09छोटु साइकल ठीक करने लगता है और मनसुख वही खड़ा रहता है
04:13बगल में एक भजिया वाले की दुकान थी
04:16अरे भाईया इसे ठीक करने में 15-20 मिनट लगेगा
04:19आप कब तक खड़े रहेंगे?
04:21जाइए सामने जाकर भजिये वाले की दुकान पर बैठ जाइए न
04:25अच्छा ठीक, जब काम हो जाए तो मुझे बुला ले न
04:29मनसुख भजिया वाले के पास जाकर कहता है
04:32लाओ भईया, जरा एक प्लेट भजिया खिलाओ
04:35हाँ भईया, अभी लो
04:37मनसुख के ठीक सामने दो आदमी बैठे हुए थे
04:40दोनों कुछ विचित्र से दिख रहे थे
04:43जैसे वसूली करने वाले गुंडे हों
04:45मनसुख जरा संभल कर बैठ जाता है
04:48अचानक से उन में से एक आदमी को जोर से खासी आने लगती है
04:52मनसुख जल्दी से उठकर अपनी साइकल में लगे कैन से थोड़ा दूद लेकर आता है
05:18लो भईया, इससे तुम्हें राहत मिलेगी
05:21वो आदमी जल्दी से दूद पी लेता है और उसकी खासी रुप जाती है
05:25अब जाकर आराम मिला, तुम्हारा धन्यवाद, कोई बात नहीं भईया
05:32इंसान ही इंसान के काम आता है न
05:34ये लो भईया आपकी भजिये, अच्छा मैं अभी पानी भर के लाता हूँ
05:39कहीं किसी और को जरुवत पड़ी, तो पहले से रहना चाहिए न
05:43जब भजिया वाला चला जाता है, तो मनसुख को अकेला पाकर
05:47वो गुंडे जैसा दिखने वाला आदमी मनसुख से कहता है
05:51ये सुनकर मनसुख सकपका जाता है, और घजिया उसके हाथ से गिर जाती है
06:01आज तक गाउं में कोई भी मनसुख के मिलावटी दूद का स्वाथ नहीं समझ पाया था
06:14और इस नए आदमी ने एक घूट पीकर ही समझ लिया, मनसुख बहुत घबरा जाता है
06:20देखो भाईया, इस बारे में किसी को कुछ मत बताना, चाहो तो मुझसे कुछ पैसे ले लो
06:27मेरे सालों का बना बनाया धंधा है, इसे चौपट मत करना
06:31अरे हम तुम्हारा धंधा चौपट करने नहीं आये हैं, बलकि हम तो तुम्हारे धंधे में चार चांद लगवा देंगे
06:39क्या मतलब है तुम्हारा, देखो भाई, मिलावट तो तुम कर ही रहे हो, तो हम तुम्हें मिलावट से कुछ अलग करने को नहीं कहते
06:49तुम बस अपने दूद में ये मिला देना
06:51वो गुंड़ा मनसुख के हाथ में एक पाउडर की पुडिया थमाता है
06:56ये क्या चीज़ है भाई, नहीं नहीं, ये नशेवशे का व्यापार नहीं करता मैं
07:01ये सब तुम अपने ही पास रखो
07:03अच्छा, मतलब सिर्फ दूद में अरारोट मिलाने का व्यापार ही करते हो
07:08चलो ठीक है, कोई बात नहीं
07:11हमने सोचा था, तुम भी चार पैसे ज्यादा कमा लो
07:14मगर ये तो अपना अपना भाग है
07:17क्या, अरे मैं तो मजाग कर रहा था
07:20मैं तयार हूँ भाई, अब सामने से आती लक्षमी को भला कौन मना कर सकता है
07:26लाओ लाओ, पुडिया इधर लाओ
07:28ये हुई न बात
07:30तो फिर ये लो, इस एक पैकेट को एक बड़े दूद के केन में मिलाना
07:37इससे कम या ज्यादा में नहीं
07:39तभी स्वाद में किसी को अंतर नहीं पता चलेगा
07:42और हाँ, इसे मिलाने के बाद तुम्हारे दूद की डिमांड गाओं में चार गुना हो जाएगे
07:47लोगों को ये बहुत अच्छा लगने लगेगा
07:49और चाह कर भी बिना इसे कोई पिये रही नहीं पाएगा
07:53एक पुडिया का एक हजार उपय हुआ
07:55अरे, ये तो बहुत ज्यादा है भाईया
07:58अच्छा, ज्यादा लग रहा है
08:00चलो कोई बात नहीं, मत खरीदो
08:02अभी ये भजिया वाला आएगा ना, तो इसे ही बेज देंगे
08:05ये तो खुशी-खुशी हजार उपय में खरीद लेगा
08:08अरे, अरे, नहीं, रुको, रुको, मैं देता हूँ न, पैसे
08:11ये लो, शबाश, चलो अगले हफ्ते मिलते हैं
08:16मनसुख की साथा ठीक हो गई थी
08:18और वो पुडिया लेकर वापस घर जाता है
08:21जब मनसुख दूद में पुडिया मिला रहा था
08:24तभी वहाँ पर मीना आ जाती है
08:26अरे, ये आप क्या कर रहे हैं जी?
08:29ये, ये है जल्दी से अमीर होने का शॉटकट
08:33बहुत हुआ रारोट मिलाना
08:35अब देखो, कितनी जल्दी हम अमीर होते हैं
08:38अरे वा, आप तो बहुत समझदार आदमी है
08:42कितना अच्छा हुआ जो मेरी माने आप से मेरी शादी करवाई
08:46अच्छा, काश मैं भी ऐसा ही कह सकता भागिवान
08:51जी, क्या, मैं समझी नहीं
08:55नहीं, नहीं, कुछ नहीं
08:57अच्छा, ठीक है, मैं खाना बना रही हूँ
08:59आप जल्दी से हाथ मुधो कर आ जाईए
09:01एक हफ़ता बीत गया
09:03और मनसुष के दूद की डिमान वाकई में वड़ गई थी
09:06उसे अच्छा, खासा मुनाफ़ा होने लगा था
09:09और उसका लालच भी अब दो गुना हो गया था
09:12मुझे कम से कम दस पुलिया दे दो
09:15मनसुष के आवाज लगाने पर अंदर से सुनीता काकी की जगह एक जवान लड़का आता है
09:42लाओ भाईया, दूद मुझे दे दो
09:44अरे, आप कौन है? आपको पहले तो कभी गाउं में नहीं देखा?
09:48अरे मनसुख, ये मेरा भतीजा है, अपने पिताजी के साथ यहाँ कुछ दिनों के लिए चुट्टी पर आया है
09:55अच्छा, चुट्टी पर? शेहर में क्या नोकरी करते हो भाईया? पुलिस में हो
10:01पुलिस का नाम सुनते ही मनसुख घबरा जाता है और उसके हाथ से बरतन छूट जाता है
10:07सारा दूद नीचे गिर जाता है
10:09अरे, अरे, ये क्या हो गया? ये दूद कैसे गिर गया?
10:13वो, वो, वो गलती से हाथ से बरतन फिसल गया था काकी
10:16कोई बात नहीं, दूसरा दूद दे दो
10:19वो, अरे, नहीं, आज तो दूद खतम हो गया है काकी
10:23मैं कल आता हूँ न, अच्छा, अब मैं चलता हूँ न
10:27इतना कहे कर, मनसुख जल्दी से वहाँ से भाग जाता है
10:30मनोज और सुनीता दोनों को मनसुख की ये हरकत बहुत अजीब लगती है
10:35ये इसे क्या हो गया, इसने ऐसा तो पहले कभी नहीं किया
10:39हूँ, होगी जरूर कोई बात, खेर चलिए, अंदर चलते हैं बुआ जी
10:44आज तो बाल-बाल बचा, कहें उस पुलिस वाले को सच का पता चल जाता
10:49तो आज तुम्हें गया काम से, बाकी की जिंदगी जेल के अंदर काटनी पड़ती
10:54अरे, क्या हुआ जी, आप ऐसे हाफ क्यों रहे हैं, फिर से कुट्टों ने दोड़ा दिया था, क्या
11:02अरे, चुप करो तुम, तुम्हारे ही बोलने की कमी है इस वक्त, जाओ यहां से, मेरे सर में दर्ध हो रहा है, उसे और मत बढ़ाओ
11:09क्या आप भी, मैं जब भी बोलती हूँ, पता नहीं कैसे आपके सिर में दर्ध होने लग जाता है
11:15अफो, तुम्हारे सामने आकर बैठना ही पाप है, मैं जा रहा हूँ यहां से
11:20मनसुख गुस्से में घर से बाहर जाने लगता है, और तभी वो देखता है कि सामने से मनोज चला आ रहा है
11:27अरे, दादारे, ये वापस यहां क्यों आ रहा है
11:30मनसुख जल्दी से वापस घर के अंदर भाग जाता है, देखा, नहीं रह पाए न मेरे बिना
11:36अरे, चुप करो तुम, जब देखो तब बक्वास, क्या मैं अंदर आ सकता हूँ
11:41जी, आप यहां, आईए, आईए, आईए, आँए, वो दूध गिर गिर गया था ना, तो बुआ जी ने कहा कि आपके घर आकर दूध ले जाऊँ
11:50बड़ा विश्वास है उन्हें आप पर मैंने कहा कि पास की किसी दुखान से जाकर दूध ले आउं लेकिन उन्होंने कहा कि मनसुक भाई के वहां से ही दूध लेकर आओ
11:58अरे ऐसी बात है क्या ये तो काकी का बड़पन है वरना मैं तो बस मामूली सा दूध वाला हूँ
12:07अच्छा ऐसा लगता तो नहीं है गाउं में तो आपके बहुत चर्चे हैं मैंने तो आज तक किसी आम दूध वाले का इतना नाम नहीं देखा है
12:15मनसुक थोड़ा घबराता है और फिर मीना से कहता है इन्हें चायवाई पिलाओ मैं इनके लिए दूध लेकर आता हूँ
12:37मनसुक सोच विचार में दूबा था और उधर मीना चाय बना कर ले आती है लीजिए गर्मा गर्म चाय और पनीर के पकॉड़े खाईए
12:53मनसुक तबेले से बाहर आकर बहाना बनाता है अरे आज इतनी गर्मी है ना जो भी बचा हुआ दूध था वो तो फट गया
13:02माफ करना आप इतनी दूरा है और दूध ही नहीं बचा अरे चलिए कोई बात नहीं आज हमारे नसीब में आपके यहां का दूध नहीं लिखा है तो कोई बात नहीं वैसे भावी जी ने बहुत कमाल की चाय और पकॉड़े बनाए है एकदम शुद्ध दूध और पनीर का स
13:32ज्यादा स्वाद नहीं देना था ची ची कैसी बातें करते हो मैं मान तो भगवान होता है न ओफो तुमसे बहस करना ही बेकार है गुस्से में मनसुख चला जाता है मनोज के डर से कुछ दिनों तक मनसुख किसी को भी दूध देने नहीं जाता और बिमारी का भाणा लगा �
14:02इसी तरह मनसुख और गुंडों का काम कुछ दिन तक ठप रहता है
14:14एक दिन अचानक से मनसुख देखता है कि मनोज सवेरे ही बैग लेकर स्टेशन की तरफ जा रहा था
14:21अरे आप वापस जा रहे हैं?
14:23हाँ भई मेरी आज शेहर की वापसी की ट्रेन है
14:26अगली बार आऊंगा तो अपनी तब्यत बढ़िया रखना तब तुम्हारे घर का शुद्ध दोध और पनीर जरूर खाऊंगा
14:34इतना कहकर मनोज चला गया और मनसुख खुशी से तबेले में गया
14:40चलो बला टेली अब फिर से काम पर लगता हूँ
14:44मीना पहले से ही खड़ी दूध में पुढिया वाला पाउडर मिला रही थी
14:47अरे ये क्या चल रहा है?
14:50वो मैंने सोचा आप बहुत दिनों से काम पर नहीं गए हैं
14:54तो आज आप से कहूंगे काम पर जाने को
14:56और ये पाउडर यहीं रखा था
14:58तो मैंने सोचा मैं ही मिला दू
15:00मनसुख ने देखा कि मीना के हाथ में एक पुढिया थी
15:04अरे तुम अपने काम से काम रखा करो
15:07ज्यादा मेरे काम में अपनी नाक मत गुसाया करो
15:09हटो अब
15:10मनसुख दूद की क्यान लेकर चला जाता है
15:13मीना चिड़ते हुए
15:14जमीन पे पड़ी चार और पुढिया उठाते हुए
15:17खुद से कहती है
15:18जब देखो तब चिलाते रहते हैं
15:21इनका काम असान करने पर भी चिलाते हैं
15:24पाँचो पुढिया दूद में डाल दी
15:25तो इन्हें तो आसानी हुई न
15:27कभी समझते ही नहीं
15:29जैसे ही मनसुख सुस्ताने बैठा
15:39उसके कॉलर पर मनोज ने हाथ रखा
15:42मनोज को देखकर मनसुख के हूश ही उड़ गए
15:45तुम तुम यहां
15:47अड़े दूद वाले
15:48नशे का तो ठीक है
15:50मगर इतना नशा कौन मिलाता है दूद में
15:52कि पहली घूट में ही आदमी का
15:54सरचकरा जाए
15:55क्या ये क्या बकवास है
15:58मैं नहीं जान था ये सब तुम क्या कह रहे हो
16:00और तुम्हारी तो ट्रेन थी न
16:02जी हां मगर मेरी ट्रेन
16:04कैंसिल हो गई है और आपकी
16:06ट्रेन का समय हो गया है
16:07चलिए अब आपकी ट्रेन सीधा हवालात में जाकर रुखेगी
16:11और रास्ते में आपके साथियों को भी सवार कर लेंगे
16:15मतलब मैं जैसे ही घर वापस गया
16:19बुआ जी ने मुझे एक गिलास दो दिया
16:22दोथ पीते ही बता चला कि उसमें कितना नशा था
16:25मनोज घसीट कर मनसुख को ठानी ले गया
16:51और पूरे गाउं को लालची चालाग दूध वाले का असली चहरा दिख गया
16:56मनसुख के साथ साथ उसके साथ ही भी पकड़े गए

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