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  • 2 days ago
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Transcript
00:00मालती देवी के घर पर रोज रात के खानी को लेकर लड़ाई होती थी
00:08कि रात का खाना कौन बनाएगा
00:10मालती देवी की दोनों बहुएं एक नंबर की कामचोर और आलसी थी
00:14शाम होते ही दोनों को इतना आलस आता था कि रात का खाना बनाने में उनकी शामत आती थी
00:20रात के 8 बज गए थे
00:21मालती देवी को भूक लग गई थी
00:23दोनों में से किसी ने खाना नहीं लगाया
00:26रिया, ओ रिया बहू
00:28मालती देवी की छोटी बहू रिया अपने कम्रे से बाहर आती है
00:32जी माजी
00:33आज खाना नहीं बनेगा क्या
00:35आज तो अर्शना दीदी की बारी थी
00:37मैं रसोई में जाकर देखती हूँ उन्होंने क्या बनाया है
00:39रिया रसोई में जाती है तो वहाँ कोई नहीं था
00:42माजी रसोई में तो कोई नहीं है पाना भी नहीं बना
00:45जा जाकर अर्शना को बुलाला
00:47रिया अर्शना के कमरे में जाती है तो वो कान में हेटफोन लगा कर गाने सुन रही थी
00:52रिया जोर-जोर से चिलाती है
00:54दीदी, अर्शना दीदी
00:57क्या बात है रिया
00:58आपको माजी बुला रही है
01:00अर्शना बाहर मालती देवी के पास आती है
01:03मा जी आपने मुझे बुलाया
01:05अर्शना बहु अभी तक खाना क्यों नहीं बनाया
01:08रात के आट बज गए है
01:09राहुल और संदीप के आने का वक्त हो गया है
01:12मा जी रात का खाना मैं क्यों बनाओ
01:14कल रात का खाना मैंने बनाया था
01:16तो आज रात का खाना रिया बनाएगी ना
01:18मैं रात का खाना क्यों बनाऊगी
01:19मैंने सुबह का नाश्ता और दोपेर का खाना भी बनाया था
01:22मैं बहुत थक गई हो
01:24मैं तो अपने कमरे में आराम करने जा रही हो
01:26मा जी रोज रोज रात का खाना मैं नहीं बनाऊगी
01:28आप एक काम कीजे, पूरे महिने का एक चार्ट बना दीजे, कि कौन-कौन कब-कब खाना बनाएगा, पांच लोगों के परिवार में अब खाना बनाने के लिए चार्ट बनाना पड़ेगा, मा जी मैं संदीब जी को फोन करके बोल देती हूं कि वो खाना बाहर से ले आए, अ
01:58दस बज़े हैं तो बज़े हैं, लेकिन मैं तो खाना नहीं बनाने वाली, संदीब सबके लिए खाना पैक कराकर रात के दस बज़े घर आता है, भूक के मारे मालती देवी की आते कुल बुला रही थी, वो तो खाने पर तूट पड़ती है, मा जी थोड़ा इंतजार तो कर
02:28खाना दीदी ने बनाया, रात का खाना बनाने की जम्मेदारी मुझ पर आ जाएगी, मैं अपना फेवरेट टीवी सीरियल नहीं छोड़ने वाली, रिया ने अपने दाहिने हाथ की उंगली पर पट्टी बांद ली और उस पर लाल रंग लगा लिया, अर्चना ने रिया की
02:58मैं रात का खाना नहीं बनाऊंगी, कभी अर्चना के पास संधीब का फोन आता है, हलो, अर्चना, आज मेरे कुछ दोस रात के खाने पर घर आ रहे हैं, तुम कुछ अच्छा सा बना लेना
03:09संदीप फोन रख देता है, दोस्तों को भी आची आना था
03:12अब अर्चना को सब के लिए अकेले ही पकवान बनाने पड़ते हैं
03:17रिया रसोई में आकर कहती है, दीदी आज तो आपने बड़ा अच्छा गाना बनाये
03:21बड़ी अच्छी खुश्बू आ रही है
03:23रिया गाजर के हलवे की तरफ हाथ बढ़ाती है, अभी खाने को हाथ मत लगाना रिया
03:27पहले सारे गेस्ट खालेंगे उसके बाद किसी को खाने को मिलेगा
03:31यह क्या दीदी, जब मैं खाना बनाती हूँ तब तो मैं ऐसा नहीं करती
03:34अर्षना गुस्ते में वहाँ से चली जाती है, थोड़ी देर बाद जब संदीप अपने दोस्तों के साथ घर आता है तब
03:40संदीप, आज आप रात के खाने का हिसाब करीदो कि कौन रात का खाना बनाएगा
03:44मैं तो आज के बाद रात में रसोई में नहीं जाने वाली
03:46हाँ तो मैं भी रात में रसोई में नहीं जाने वाली
03:50रिया, ये सब क्या है, घर में महमान आए है और तुम हो की जगड़ा कर रही हो
03:55राहुल रिया को चुप कर आता है, अर्षना टेबल पर सब के लिए खाना लगाती है
04:00वाँ भाबी जी, क्या खाना बनाया आपने, मज़ा आ गया
04:04हाँ, ऐसा लग रहा है जैसे किसी रेस्टोरेंट में बैट कर खाना खा रहे हैं
04:09पनीर की सबजी और मिलेगी भाबी जी
04:12हाँ, लेजे न भाई साब, अर्षना सब को खाना खिलाती है
04:16सारे महमान खाना खाकर चले जाते हैं, फिर घर की औरते खाना खाने बैटती है
04:21संदीप जी, आपने रात के खाने का क्या सोचा है
04:24बेटा, रात का खाना बनाने के लिए काम वाली रख ले
04:27मैं रोज-रोज की किच-किच से तंग आ गई हूँ, कम से कम वक्त पर दो रोटी तो मिलेगी
04:32ठीक है मा
04:33संदीप रात का खाना बनाने के लिए काम वाली को बुलाता है
04:36पांच लोगों के हिसाब से एक महीने का दस हजार रुपया लगेगा
04:40दस हजार रुपय ये तो बहुत ज्यादा है
04:43इससे कम नहीं होगा साब, दाल, सबजी, रोटी सब बनानी पड़ेगी
04:47पांच लोगों तो बीस रोटीया तो बनानी पड़ेगी
04:50रख लेते हैं भाईया, महीने के पांच अजार आप दे देना और पांच अजार मैं दे दूँगा
04:55ठीक है राहुल
04:57काम वाली रख ली जाती है लेकिन पहले ही दिन से उसने अपने रंग दिखाने शुरू कर दिये
05:01वो आट बजे रात पे काम पर आई
05:03मंजू तुझे छे बजे आने के लिए कहा था
05:06तू दो घंटे लेट क्यों आई
05:07मालगिन मेरे बेटे की तब्वित खराब हो गई है
05:10उससे लेकर डॉक्टर के पास गई थी इसलिए लेट हो गई
05:12तो अलसे मैं टाइम पर आईगी
05:14ऐसा कहे कर वो रसोई में चली गई
05:16एक घंटे में उसने खाना बना लिया
05:18जाते समय उसने मालगिन मुझे पाँच हजार रुपे एडवांस दे दो
05:23बागी के पाँच हजार आप महीने के अंत में दे दे देना
05:26लेकिन आज तो तेरा पहला ही दिन है
05:28मालती देवी अपने बड़े बेटे संदीब से पैसे मांग कर मंजु को दे दे देती है
05:36लेकिन पैसे लेकर वो तीन दिन काम पर नहीं आती है
05:40तीनों दिन खाना बनाने के लिए दोनों बहुँआ में फिर से जगड़ा होने लगता है
05:43मैंने कहा दियाना मैं रात को रसोई में नहीं जाओंगी
05:46मैं भी रात को रसोई में नहीं जाओंगी
05:48आप दोनों शांत हो जाओ
05:49मैं खाना बहुआर से मंगा देता हूँ
05:52राहुल मेरे लिए पनीर चिली और नूडल्स मंगा देना
05:55मेरे लिए कड़ाई पनीर और नान मंगा देना
05:57राहुल सब के लिए उनका मनपसंद खाना मंगाता है
06:00लेकिन उसके काफी पैसे खर्च हो जाते है
06:02आज तो बहुत पैसे लग गए
06:04रात का खाना बहुत महेंगा पढ़ रहा है
06:06काम वाली को 10,000 रुपे देने के बाद भी
06:09बहर से खाना मंगाना पढ़ रहा है
06:11तुम दोनों चिंता मत करो
06:12कल से रात का खाना मैं बनाऊंगी
06:14दो दिन तक रात को मालती देवी रसोई में जाकर सब के लिए खाना बनाती है
06:18तीसरे दिन जब मंजू काम पर आती है
06:21मंजू तु तीन दिन क्यों नहीं आई
06:22मालकिन मेरे बेटे को अस्पताल में भरती करना पड़ा
06:26मैं तीन दिन से अस्पताल में थी तो काम पर कैसे आती
06:28उस दिन मंजू ने खाना बनाय तो सबने राहत की सांस ले
06:31थैंक गॉड कि मंजू काम पर आ गई
06:33लेकिन मंजू कुछ दिन काम पर आने के बाद फिर गायब हो जाती है
06:37उसके ना आने पर रात को रसोई में कोई नहीं जाता
06:40मालती देवी कोई रात का खाना बनाना पड़ता
06:42इस तरह मंजू महीने के पंदरा दिन छुट्टियों पर ही रही
06:45और महीने के आखिर में आकर वो पूरे पैसे भी ले गए
06:48ये सब कुछ देखकर संदीप राहूल और मालती देवी ने कुछ डिसाइड किया
06:52दूसरे दिन मंजू काम पर नहीं आई
06:54माजी आज मंजू क्यों नहीं आई
06:56उसे मैंने काम से निकाल दिया है
06:58माजी आपने मंजू को काम से निकाल दिया तो रात का खाना कौन बनाएगा
07:01उसी समय संदीप और राहूल ओफिस से घर आ जाते है
07:05अरे आप दोनों इतनी जल्दी घर आ गए
07:07अभी तो शाम के छे बज़े है
07:08हाँ अपसे हम दोनों जल्दी ही घर आएंगे
07:12इतना खेकर दोनों भाई रसोई में चले जाते हैं
07:15संदीप सब के लिए चाय बनाने लगता है
07:16और राहूल सबजी काट रहा होता है
07:18चाय बनाने के बाद संदीप सब को चाय देता है
07:21भाईया ये चाय आपने बनाई है
07:23हाँ रिया
07:24राहूल का है
07:25वो रसोई में है
07:27रिया और अर्चन दोनों रसोई में जाती है
07:29तो देखती है कि राहुल सबजी बना रहा होता है
07:31राहुल यह आप क्या कर रहे हैं
07:34सबजी बना रहा हूँ
07:35लेकिन सबजी आप क्यों बना रहे हैं
07:37तो कौन बनाएगा
07:39मन्चु महिने में 15 दिन काम पर आकर महिने के पूरे 10,000 रुपए ले गई
07:48बागी के 15 दिन हमने बाहर से खाना मंगाया
07:51या फिर माने खाना बनाया
07:52हम इतने पैसे बरबाद नहीं कर सकते
07:56और नहीं बुढ़ापे में मा से काम कर वा सकते हैं
08:00इसलिए हम दोनों भाईयों ने ये डिसाइट किया है कि अब से रोज हम आफिस से जल्दी घर आएंगे और रात का खाना हम दोनों मिलकर बनाएंगे।
08:08लेकिन इससे आप लोगों की जॉब पर इफेक्ट पड़ेगा। हाँ इस तरह रोज रोज आप लोज आफिस से जल्दी घर आएंगे ये ठीक नहीं है।
08:38नहीं दीदी, आप अकेले खाना नहीं बनाएंगी, मैं आपकी मदद करूँगी। उस दिन से दोनों बहुएं मिलकर रात का खाना बनाने लगी। और मालती देवी के परिवार में रात की रसोई का जगड़ा खत्म हो गया।
08:50माला की शादी की उमर हो गई थी और उसके घरवालों ने उसके लिए रिश्टा ढूणना शुरू कर दिया था।
09:00लेकिन माला को एक लड़का पसंद था। माला अपने घर पर जब उस लड़के के बारे में बताती है तो सब हंसी खुशी राजी हो जाते हैं।
09:08मगर माला की होने वाली साज बहुत कंजूस मक्खी चूस किस्म की थी। इस बात से अंजान माला अपने ससुराल पहुँच जाती है।
09:17आए देखते हैं फिर कैसे होती है कंजूस साज की रसुई।
09:21ममी, पापा, मुझे आप दोनों से कुछ कहना है।
09:25हाँ, हाँ, बोलो न, माला क्या बात है।
09:27ममी, मुझे न, एक लड़का पसंद है और मैं उसी से शादी करना चाहती हूँ, तो आप लोग मेरे लिए रिष्टा ढूनना बंद कर दीजे।
09:36माला को लगा था, उसके माधा-पिता ये सुनकर गुस्सा हो जाएंगे, लेकिन इसका एकदम उल्टा होता है।
09:41अरे माला बेटा, अगर ऐसी ही बात थी, तो तुझे हमें पहले ही बता देना चाहिए था, हम लोगों को तेरी पसंद पर पूरा विश्वास है, वैसे उस लड़के का नाम क्या है?
09:53पापल लड़के का नाम मोहन है, वो यहीं पास के एक महले में रहता है और बैंक में नौकरी करता है, तो क्या आप लोग मेरे रिष्टे की बात करने उसके घर जाएंगे?
10:02जरूर बेटा, पहले हम उसके घर के बारे में थोड़ा पता करेंगे और फिर हम खुद वहां रिष्टे की बात करने जाएंगे, तो बिल्कुल चिंता मत कर।
10:32बेटा माला हमने मोहन के घर वालों के बारे में पता किया और हमें एक अजीब बात पता चली है। क्या? हो क्या ममी? हमने सुनाए कि मोहन की मा बहुत कंजूस है, उनकी कंजूसी के किस्से तो पूरे शेहर में मशूर हैं। भला तू वहां कैसे रह पाएगी बेटा? ये स�
11:02तो हम चले जाएंगे, लेकिन हमारे खयाल से तो ये तुम्हार लिए ठीक नहीं।
11:32आज ससुराल में मेरा पहला दिन है, सबसे पहले सबको बढ़िया चाय बना कर पिलाती हो और कुछ अच्छा सा नाश्ता खिलाती हो।
12:02नहीं पीते, अरे तुम्हें पता भी है, चाय पीने से कैंसर हो जाता है, तुम तो एक काम करो, पानी गरम कर दो।
12:08ये सुनकर माला तो हैरान ही रह जाती है, क्या पानी?
12:12हाँ, सुबह सुबह गरम गरम पानी पीना सेहत के लिए अच्छा होता है ना, तो सब के लिए पानी गरम कर दो, और कल शादी में बहुत सी रोटियां बच गई थी, उन्हें गरम कर दो हम सब अचार से खा लेंगे।
12:24क्या, सच में? हाँ, और क्या, भला उन सब रोटियों को बरबाद थोड़ी करना है, इसलिए तो मैं उन सब को घर ले आई थी, जाओ सब के लिए नाश्ता तयार करो, जैसे मैंने कहा है, ठीक वैसे ही।
12:54कैसी सास है मेरी? भला अपनी बहु को ससुराल में पहले दिन कोई बासी रोटियों और गरम पानी पिलाता है, हद्ध हो गई, अब तो मैं अपनी पहली रसोई में क्या बनाऊंगी ये भी समझ नहीं आ रहा, माला जाकर अपनी सास से ही पूछ लेती है, माजी, आज मेरी प
13:24ये सब हमारे यान नहीं होता, और वैसे भी तूने सुबह पानी गरम किया तो था ना, उसी को पहली रसोई मान ले, आज खाना मैं बना दूंगी तू जाकर आराम कर, हाँ, अच्छा, ठीक है माजी, माला जाकर सो जाती है, जब वो दो पहर के खाने के लिए उठती है और �
13:54हम सब मिलकर अब दाल रोटी खा लेते हैं, माला को तो ये सब देखकर चकरी आने लगते हैं, और वो अपनी कमरे में वापस चली जाती है, वो अपनी मा को फोन लगाती है और उनसे कहती है, मा आपने तो एकदम सही कहा था, मेरी सास बहुत ही जादा कंजूस है, मुझे त
14:24यही करने लगती है, वो कभी घर में सबको बासी खाना खिलाने लगती, तो कभी बिना नमक शकर का खाना बनाती, जिसे पैसे कम खर्च होते, एक दिन तो हदी हो जाती है, जब माला कमजोर होनी की वज़ह से, अचानक से बेहोश होकर गिर जाती है, मा, मा, माला बेहोश हो
14:54उसे नीमबू पानी पिलाता है, लेकिन नीमबू पानी पीते ही माला उसे उगल देती है. ची, ये किसा नीमबू पानी है, ना इस पे चीनी है, ना नमक. क्या? हाँ बेटा, वो मैंने सोचा सिर्फ नीमबू डालूँगी तो फायदा होगा, इससे चीनी नमक भी बजगिया.
15:24पीने में और बचत? हाँ हाँ क्यों नहीं? जाओ बहू और जब तक तक तुम्हारा मन करें अपने माई के में मज़े करना. इसके बाद माला अपने माई के आ जाती है. उसे देखकर उसके ममी पापा खुश तो बहुत होते हैं. लेकिन सबसे पहले उसकी माई यही कहती है कि म
15:54अरे बेटा चल पहले मैं तुझे खाना खेलाती हूँ. हाँ बेटा और मैं बाजार से तेरी मन पसंद मिठाई लेकर आता हूँ. माला के ममी पापा उसकी खूब सेवा करते हैं और उसे खिलाते पिलाते हैं. शाम को माला अपने ससुराल जाने के लिए फिर से तयार हो जात
16:24देखती जो मा, कुछ दिन में अपने आप पता चल जाएगा. इतना कहेकर माला अपने ससुराल वापस पहुँच जाती है. अरे बहु, तु तो बड़ी चल्दी वापस घर आ गई, क्या बात है? माजी, मैं क्या सोच रही हूँ, क्यो ना हम कल घर में सत्य नाराइन भगव
16:54देखती है कि घर में अभी तक कथा की कोई तयारी नहीं हुई थी. वो माला से पूछती है. क्या बात है माला, तुमने प्रसाद वगएरा कुछ बनाया नहीं क्या? अरे नहीं माजी, यह आप कैसी बाते कर रही हैं, उससे तो बड़ा खर्चा हो जाएगा ना? मैं अभी ए
17:24भला हम क्या कथा मांग मांग कर कराएंगे. तो हो क्या माजी? और मैं क्या कहती हूँ? हम थाली प्लेट इस्तिमाल करने की बजाए केले के पतल का इस्तिमाल करेंगे. उससे बरतन धोने के साबुन की भी बचचत होगी और पानी की भी. हमें बरतन जो नहीं दुलने पड़
17:54पारी दक्षिना भी बचेगी। ये सब देखकर तो सास का सर ही चक्रा जाता है और वो सब कुछ समझ जाती है जो माला उसे समझाना चाहरी थी। बसकर बहू मैं सब समझ गई तू क्या कहना चाहरी है। रुग जा बसकर आज से रसोई तू ही संभालना। मैं बिल्कुल भी क
18:24अच्छा चखाना बनता था और सब खुशी से रहते थे। धीरे-धीरे माला की कंजूस सास को भी अकल आने लगी कि पहले वो कितना गलत करती थी।

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