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Transcript
00:00प्यारे दोस्तों, वीरेंदर सिंह ने अपनी 18 साल की बेटी किरण के साथ कैसे तालुक बनाया?
00:06वीरेंदर सिंह ने ऐसा क्या किया जिसे उसकी बेटी किरण उसके साथ तालुकात बनाने को मजबूर हो गई?
00:12वो ऐसे ढंक से नजदीकियां बढ़ा रहा था
00:15कि किरण बेहत परिशान हो जाती
00:17लेकिन फिर भी किरण विरेंदर के हर कदम में
00:20पुरा साथ निभा रही थी
00:21दोस्तों ये मामला है
00:23हिंदुस्तान के एक शहर का
00:26जहां विरेंदर सिंह नाम का एक आदमी
00:28अपनी पत्नी रेखा के साथ रहता था
00:30विरेंदर सिंह और उसकी पत्नी के बीच
00:33अकसर रोजाना तकरार हुआ करती थी
00:35क्योंकि उसकी पत्नी विरेंदर को कुछ
00:38काम काज करने को कहती थी
00:39लेकिन विरेंदर हफते में
00:41दो या तीन बार ही काम पर जाता था
00:43और उन पैसों को जुए में उड़ा देता
00:46वो अपनी पत्नी के साथ इतने बुरे तरीके से तालुकात बनाता था
00:50कि उसकी पत्नी की हालत खराब हो जाती थी
00:52इसलिए वो उसे अपने पास आने ही नहीं देती थी
00:55इस तरह ये सिलसला कई सालों तक चलता रहा
00:59जब भी वो अपनी पत्नी से अपनी ख्वाहिश जाहिर करता
01:02तो उसकी पत्नी उसे बहुत बुरा भला कहने लगती थी
01:05उसकी पत्नी उस पर हर वक्त नाराज रहती
01:07एक दिन उनके बीच जगड़ा हो गया
01:10वीरेंदर सिंग ने अपनी पत्नी को काफी पीट दिया
01:12उसकी पत्नी गुसे में अपने मायके चली गई
01:15इसी तरहे जब वीरेंदर सिंग की पत्नी मायके चली गई
01:18तो घर में वीरेंदर सिंग अकेला रह गया
01:21वो घर के बारे में सोचने लगा
01:23उसने सोचा यार कुछ कामकाज तो करना ही चाहिए
01:26तब उसने कई दिन तक मेहनत मजदूरी की उठा लिया
01:30अब आज के बाद आवारा नहीं फिरूँगा
01:32तब वीरेंदर सिंग अपनी पत्नी को मनाने के लिए उसके मायके गया
01:36वहाँ जाकर उसने अपनी पत्नी को समझाया
01:39कि चलो जो हो गया सो हो गया
01:41अब मैं सुधर गया हूँ
01:42अब घर चलो
01:43अब दोबारा ऐसा नहीं होगा
01:45अब जैसे तुम कहोगी वैसा ही होगा
01:48दोस्तों फिर भी उसकी पत्नी मानने को तयार नहीं हुई
01:51और मायके में ही रह जाती है
01:53वीरेंदर सिंग वहाँ से मायूस होकर वापस चला आया
01:56इसी तरह तीन से चार महीने गुजर गए
01:59फिर एक दिन वीरेंदर सिंग फिर से अपने ससुराल गया
02:03और अपनी पत्नी को घर आने के लिए जिद करने लगा
02:05कि चलो घर चलो
02:07अब दोबारा ऐसा नहीं होगा
02:09अब जैसे तुम कहोगी वैसा करूँगा
02:12लेकिन उसकी पत्नी ने उसके साथ रहने से
02:14बिलकुल साफ मना कर दिया
02:16और कहा कि तुम जाओ
02:18मुझे तुम से तलाक चाहिए
02:20मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूंगी
02:22और ना तुम्हारे पास वापस आउंगी
02:24तुम्हें जिसके साथ रहना है
02:26रहो, मुझे जिसके साथ रहना होगा, मैं रहूंगी, तुम अपना काम करो, तब वहां से चला आया, फिर चार से पांच महीने गुजर गए, वीरेंद्र सिंह अकेले पन से उप गया, और परेशान होने लगा, फिर दोस्तों, वो एक दिन उसने अपने दोस्त को बुलाया, �
02:56मुझे एक महीना दो, मैं तुम्हारे लिए एक अच्छा रिष्टा ढूंड कर लाऊंगा, दोस्तों, इतना कहकर उसका दोस्त चला जाता है, और पंदरह बीस दिन के अंदर, वो एक रिष्टा लेकर वापस आया, और वीरेंद्र सिंह से कहा, यार मैंने तुम्हारे लिए
03:26पंदर सिंहा ने सुनी तो कहा कि कोई बात नहीं, यार हम उसकी शादी कर देंगे, लड़की अच्छी है ना, फिर उसका दोस्त कहता है, लड़की एक नंबर की है, चल कर देख लो, फिर दोनों उस औरत के घर गए, वहां जाकर देखते हैं कि लड़की 16 साल की बहुत सुन
03:56तंगर्श कर रही थी, लेकिन उसकी जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही थी, क्योंकि सबसे बड़ी परेशानी तो उसकी जवान होती बेटी थी, इसलिए शादी के बाद अब वो भी बहुत खुश थी, वीरेंदर सिंहा और सुमन दोनों के दिलों में खुशी की लहरें द
04:26पाया करता था, और सुमन भी चुपचाप उसका साथ देती थी, उसे भी उस रिष्टे में सुकून मिलने लगा था, क्योंकि उसका पती कई साल पहले दुनिया से चला गया था, इसलिए वो भी अकेली और तडपती हुई थी, ऐसे ही दोनों खुशी-खुशी अपनी जिन
04:56डॉक्टरों ने बताया कि जो बच्चा उसकी पत्नी के पेट में था, वो अब नहीं रहा, वो मर चुका है, तब वीरेंदर सिंग ने कहा, डॉक्टर साहब पैसे की चिंता मत करें, जो भी लगे मैं दूंगा, बच्चा तो चला गया, पर मेरी पत्नी की जान सबसे अहम है
05:26वीरेंदर सिंग को अपनी पत्नी सुमन की याद सताने लगी, वो उनके ख्यालों में डूबा रहता, दोस्तों, अब वो बेहत परेशान हो चुका था, क्योंकि उसकी दूसरी पत्नी भी उसके साथ नहीं रही, उसकी यादों ने उसे परेशान कर दिया था, अब वीरेंद
05:56खुशी जिन्दगी गुजार रहा था, इसलिए उसका मन कहीं नहीं लग रहा था, एक दिन अपनी पत्नी की यादों में खोया हुआ बैठा था, तब उसकी अठारह साल की लड़की किरन नहा कर बाहर आ रही थी, किरन उसके साथ उसके घर में ही रह रही थी, क्योंकि उसक
06:26सालने वाला कोई नहीं, वो हैरान था और सोच भी रहा था, कि घर में अकेले रहते रहते उसे यह भी समझ नहीं आया, कि किरन कितनी जल्दी बड़ी और समझदार हो गई है, वो अपने दिल को बार बार समझा रहा था, यार ये मेरी जिम्मेदारी है, सुमन की आखरी नि�
06:56उसने किरन को अपने पास बुलाया, उसे चारपाई पर अपने पास बिठाया, और उसके बालों पर हात फिर कर प्यार से बोला, किरन, तुम्हें तुम्हारी मां की याद आ रही होगी, जब भी मन भारी लगे, मेरे पास आ जाया करो, हम दोनों एक दूसरे का सहारा हैं, कि
07:26किरण सोचती थी, ये तो मेरे अपने हैं, जो मुझसे बहुत प्यार करते हैं, अगर मुझे दुलारते हैं, तो इसमें क्या गलत?
07:34पर विरेंदर के मन में तो कुछ और ही था, धीरे धीरे वो किरण के करीब आने लगा, वो रात दिन किरण के साथ तालुक बनाने के बारे में सोचता रहता, एक दिन विरेंदर सोच रहा था, कि किरण को अपने करीब कैसे लाया जाए, कैसे उस मिठाई का रस पिया जाए, फ
08:04इस से ज्यादा उसने कुछ नहीं बताया
08:07रात को किरण जब मोबाइल लेकर सोने गई
08:10तो जब उसने चलाया
08:11देखा कि उसमें फिल्में भरी हुई थी
08:14वो हैरान रह गई
08:15उसे समझते एक मिनट नहीं लगी
08:17और मोबाइल बंद किया चुपचाप रख दिया
08:19सुबह को उसने चुपचाप मोबाइल वीरेंदर को पकड़ा दिया
08:23वीरेंदर ने उसे बिठाया और बोला
08:25देख किरण आज नहीं तो कल
08:28ये सब तो तुझे सीखना ही पड़ेगा
08:30जब कहीं शादी होगी
08:31कहीं जाओगी तो ये काम आएगा
08:34पहले दिक्कते होंगी
08:36पर ध्यान से देख और सीख ले
08:38ये कोई गंदी बात नहीं
08:40हम तुम्हारी मम्मी के साथ भी यही करते थे
08:42किरण ने गुसे में मोबाइल फेंक दिया
08:45और अपने कमरे में चली गई
08:47लेकिन वीरेंदर ने हिम्मत नहीं हारी
08:49वो उसे धीरे धीरे वहीं फिल्म दिखाने लगा
08:52किरण बार बार जटकती
08:54दूर भागती
08:55पर ये सिलसिला रोज चलने लगा
08:57कब तक भागती किरण आखिर
09:0018 साल की जवान लड़की थी
09:02फिर उसने भी धीरे धीरे
09:04साथ बैठ कर वे फिल्मे देखनी शुरू कर दी
09:06धीरे धीरे किरण भी उन फिल्मों को देखने लगी
09:09एक दिन वीरेंदर ने उसे फिर अपने पास बुलाया
09:12दोनों साथ बैठ कर वहीं फिल्मे देखने लगे
09:14फिर अचानक वीरेंद्र ने किरण के हाथों में अपना हाथ रखा और धीरे धीरे सहलाने लगा
09:20उसके गालों पर हाथ फेड़ते हुए वो उसे छूमने की कोशिच भी करने लगा
09:25लेकिन किरण ने उसे रोकते हुए कहा
09:27ये आप क्या कर रहे हों हमें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए
09:31लेकिन वीरेंद्र नहीं माना उसने उसके साथ अपनी मनमानी की और उसके साथ तालुक बना लिया
09:36इसी तरह चलता रहा अब किरण भी वीरेंद्र का साथ निभाने लगी
09:41अगर वो उसका साथ ना देती तो और क्या करती
09:44अब तो किरण धीरे धीरे विरेंद्र के साथ पूरी तरह कनेक्ट हो गई थी
09:48दोनों का ये खेल कम से कम दो साल तक चलता रहा
09:52फिर जब किरण 19 साल की हुई एक दिन वो बाहर से पानी ला रही थी
09:56वही गाम की 3-4 ओरतें पानी भर रही थी
09:59उन्होंने उसे देख लिया कि किरण का पेट बड़ा और भरा भरा दिख रहा था
10:04उन्हें शक हुआ और उन्होंने किरण को अपने पास बुलाया
10:08जब किरण का पेट देखा तो पता चला कि वो कम से कम 6-7 महीने के हमल से है
10:13जब औरतें किरण का पेट देखके हैरान हुई
10:16तो उन्होंने उसे पूछा
10:18किरण ये कैसे हो गया
10:19किरण शर्मा गई
10:21कुछ नहीं बोली
10:22बात इतनी बड़ी की गाम के सरपंच भी आ गए
10:24सब मिल किरण से पूछने लगे
10:26लड़की ये सब तेरे साथ कौन कर रहा है
10:29कौन है
10:30कि वो डर गई और फूट फूट के रोने लगी
10:32सरपंच ने कहा
10:34ए लड़की ढरो मत
10:35क्या हुआ है वो बताओ
10:36तब ही सरपंच ने पुलिस को फोन किया
10:38पुलिस आ गई और किरण को साथ लेकर चली गई
10:41जब पुलिस वाले किरण को थाने लेकर आए
10:43तो बड़े ही तेवर से उसे डांटने लगे
10:45धमकाने लगे
10:47किरण डर के मारे फूट फूट के रोने लगी
10:49धीरे धीरे उसने सब कुछ बताना शुरू किया
10:52जो उसके साथ हुआ था
10:54उसने पुलिस वालों और गाम वालों को सब को बताया कि कैसे विरेंदर वीडियो लाते थे और उसे दिखाते थे
11:00बढ़िया से दोनों साथ बैठ कर वेसब करते थे जैसे फिल्मों में दिखाते हैं
11:05वैसा ही किरन का दर्द सुनकर सब लोग डर गए, दुखी हो गए
11:09वहां तक पुलिस वाले भी हैरान रह गए, जब ये बात पूरे गाम में फैली
11:14कि एक बाप ने अपनी ही बेटी के साथ ऐसा कुछ किया, तो सब के पैरों तले से जमीन खिसक गई
11:21लोगों को भरोसा ही नहीं हुआ कि कोई अपनी ही लड़की के साथ ऐसा कर सकता है
11:25उस घर का नाम और निशान सब के सामने दागदार हो गया
11:28फिर पुलिस ने वीरेंदर सिंग को पकड़ लिया गया और उसे जेल भेज दिया गया
11:33कोर्ट ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई ताकि कोई आगे ऐसी हरकत करने की हिम्मत भी न करे
11:39उसके बाद करन घर में अकेली रहने लगी
11:41कुछ दिनों बाद करन के पेट में अचानक दर्द हुआ
11:45उसने पडोस की आंटी को आवाज लगाई
11:47उसे अस्पताल में ले जाया गया
11:49उसने वहाँ एक बच्चे को जन्म दिया
11:51उसके बाद वो अपने बच्चे को लेकर घर में रहने लगी
11:54गाफ के सब लोग उसे ताने मारते थे चिड़ाते थे
11:58एक दिन उसने गाफ वालों से तंग आकर
12:00इस दुनिया को छोड़ने का फैसला किया
12:02उसने अपने बेटे को घर में ही छोड़ दिया
12:04और जंगल में एक बड़े से पेड़ पर एक रसी लटकाई
12:07और जैसे ही वो रसी उसने अपने गले में पहनी
12:10गाम के एक आदमी सरवन ने देख लिया
12:13वो जोड़ से चिलाया और भागता हुआ किरण को लिपट गया
12:16और उसे बड़ी मुश्किल से बचाया
12:18उसे डांटने लगा उसकी डांट में महबबत थी
12:21वो किरण को अपने घर लेकर गया
12:23और उसके बेटे को भी खूब प्यार से रखा
12:25सरवन जिसकी उम्र 42 साल थी
12:28उसकी दो बेटियां थी
12:29जो अभी छोटी छोटी थी
12:31उसकी बीवी उसे छोड़ कर
12:33किसी दूसरे के साथ फरार हो गई थी
12:34सरवन ने किरण को भी अपने घर में
12:37खूब अच्छी तरह रखा
12:38एक दिन किरण की तबियत खराब हो गई
12:40सरवन ने पूरी राज जाकर गुजार दी
12:43कभी उसका सर दबाता
12:45कभी उसके सर पर पानी की पट्टी रखता
12:47साथ-ाठ महीने गुजर गए
12:49सरवन मेहनत मजदूरी करता
12:51और किरण घर में खाना बनाती थी
12:53सरवन ने एक दिन सरवन से कहा
12:56सरवन मैं किरण की शादी करना चाहता हूँ
12:59एक आदमी है जो उसके बेटे की भी देख भाल कर ले
13:01सरवन ने सरवन को बताया
13:04हाँ पडोस के गाव में एक लड़का है
13:06उसकी बीवी का देहांत हो गया था
13:08उसका कोई बच्चा भी नहीं है
13:10और उम्र भी सिर्फ बाईस साल है
13:12सरवन सुनते ही मायूस हो गया
13:14लेकिन किरण ने महसूस कर लिया
13:16क्योंकि जब सरवन सरवन से बात कर रहा था
13:19किरण भी घर में ही थी
13:20गाव में पंचायत बुलाई गई
13:21सब ने यही तैय कि किरण की शादी
13:24उस लड़के से कर दी जाए
13:26वो उसका हम उम्र है
13:27और जिन्दगी अच्छी गुजरेगी
13:29पंचायत में किरण को बुलाया गया
13:31किरण ने कहा
13:32हाँ मैं शादी करना चाहती हूं
13:34मैं भी शादी की ख्वाहिश रखती हूं
13:36लेकिन मैं उस गाम के लड़के से
13:38शादी नहीं करना चाहती
13:39सब एक दूसरे की तरफ हैरानी से देखने लगे
13:42किरण ने कहा
13:43मैं सरवन से शादी करना चाहती हूं
13:46सब लोग हैरान रह गए
13:47और सरवन के पैरों के नीचे से
13:49जमीन निकल गई
13:50सरपंच ने कहा
13:52ये तुम क्या कह रही हो
13:53सरवन तो वैसे भी तुम्हारे बाप की उम्रका है
13:56किरण ने कहा
13:57सरपंच साहब
13:58बाप की उम्रका तो है
14:00बाप तो नहीं है न
14:01मैं शादी अगर आप रजा मंद हो
14:03तो शादी करूँगी
14:05तो सिर्फ सरवन से ही करूँगी
14:06मैं तो कब की उसे अपना पती मान चुकी हूँ
14:09सरपंच ने कहा
14:10और गाम वालों ने भी सबने एक साथ कहा
14:13तुम सरवन से क्यों शादी करना चाहती हो
14:15किरण ने कहा
14:16वो बहुत भला आदमी है
14:18मेरी बहुत अच्छी तरह देख भाल करता है
14:20मेरी तरफ कभी उसने आँख उठा कर भी नहीं देखा
14:23मैं ऐसे साफ सुथरे अच्छे आदमी के साथ क्यों ना शादी करूं
14:27और वैसे भी दूसरा आदमी
14:29पता नहीं कोई मेरे बेटे को अपनाएगा या नहीं
14:32सरवन मेरे बेटे को बहुत प्यार से रखता है
14:34बिलकुल अपनी बेटियों की तरह
14:36मैं उसके घर में खुश हूँ
14:37और उसके घर में ही रहना चाहती हूँ
14:40उसके बाद किरण ने सरवन से शादी कर ली
14:42और दोनों खुशी खुशी रहने लगे
14:44किरण सरवन की दोनों बेटियों को भी
14:47अपने बेटे की तरह खुशी खुशी रखने लगी
14:49इस तरह दोनों अपने बच्चों के साथ
14:52अपनी हंसी खुशी जिन्दगी गुजारने लगे
14:54दोस्तों ये थी
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15:01और बैल आइकन का बटन भी दबाए
15:02शुक्रिया
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