00:00मातापिता के साथ बिताए हुए पल सभाल कर रखना क्योंकि यह पल याद तो आएंगे पर वापस नहीं आएगे.
00:06वसंत रितु में जंगल के बीचों बीच गुलाब का पौधा अपनी खूबसूर्ती पर इठला रहा था.
00:11पास ही चीड के पेड आपस में बाग कर रहे थे. एक चीड ने गुलाब को देख कर कहा, गुलाब के फूल कितने सुन्दर हैं, मुझे अफसोस है कि मैं ऐसा नहीं हूँ. दूसरे चीड ने जवाब दिया, मित्रक पुदास मत हो.
00:24हर किसी में सब कुछ नहीं होता. गुलाब ने उनकी बात सुनली और बोला, इस जंगल में सबसे सुन्दर मैं हूँ. सूरज मुखी ने आपत्ती जटाई, तुम ऐसा कैसे कह सकते हो.
00:34जंगल में और भी सुन्दर फूल हैं. गुलाब ने इतराते हुए कहा, सब मेरी ही तारीफ करते हैं. देखो यह नागफनी कितनी बदसूरत है. सिर्फ कांटे ही कांटे हैं. चीड ने कहा, तुम में भी तो कांटे हैं. फिर भी तुम सुन्दर हो, गुलाब को गुस्सा आ
01:04भगवान ने किसी को निरर्थक नहीं बनाया. गुलाब ने उसकी बात अंसुनी कर दी. मौसम बदला, गर्मी बढ़ी और गुलाब मुर्जाने लगा. एक दिन उसने देखा कि एक चिडिया नागफनी पर चोँच मार कर पानी पी रही थी. गुलाब ने चीड से पूछा,
01:34गुलाब का पूधा फिर से तरोताजा हो गया. उसने नागफनी से माफी मांगी. इसलिए कहते हैं कि हर किसी के पास अनुठे गुन हैं. धमंड न करें.
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