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ये वीडियो संत सरिता सत्र - 28 जुलाई, 2024 के लाइव सत्र से लिया गया है|
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Transcript
00:00ये आप कुछ नहीं जानते कि आपको क्या चाहिए, आप दुनिया के बाजार में खड़े हुए हैं
00:03और आप कहें, नी मैं जानता तो कुछ नहीं हूँ, मैं खोजूँगा, मैं खोजना चाहता हूँ
00:09और ये बोलते बोलते आप घुझे जा रहे हैं मिठाई की दुकान में
00:11अनंत संभावनाई हो सकती थी खोज की
00:14उन सब संभावनाओं को निरस्ट करके घुझ गए हो मिठाई की दुकान में
00:18और खेरे हो मैं कुछ नहीं जानता मैं तो खोजूंगा
00:20और अब खोजूंगा कैसे अरे 200 मिठाईया हैं एक एक करके उनको सब को चखूंगा
00:25क्या जाने कहां राम मिल जाएं कौन भेस में आ जाए भगवान
00:29उठा जरा पकवान इसको भी चखा आए नहीं ये नहीं ठीक है
00:32कोई पूछे कर क्या रहे हो साधक हैं खोज रहें तलाश रहें प्रेयोग कर रहें हम मानेताओं के गुलाम नहीं है
00:39हम जब तक प्रयोग नहीं कर लेते मानते नहीं प्रयोग करवा भाई बर्फी उठा बिना प्रयोग के हम बर्फी नहीं मान जाएंगे लाव बर्फी चखाओ
00:47इस खोज का कोई मतलब है? ये खोज सरासर बैमानी है की नहीं है? है की नहीं है? इसमें कुछ खोज नहीं ऐसा ही नहीं
00:56वैसे ही हम भी जब अपनी दवाई अपने समाधान की तलाश में निकलते हैं तो पहले ही कदम पर खोज की तो हत्या कर देते हैं
01:07क्या बोल करके मेरी माननिताओं के अनुसार मिलेगा
01:10जो भी आप मान रहे हो उसके साथ आपका स्वार्थ जुड़ा है
01:14और स्वार्थ के पीछे पहचान होती है अस्मिता
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