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  • 12 hours ago

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00:00शायद मैंने आपकी बातें मिसंडस्टेंड की हैं कि हम सब को सेल्फ एंप्लॉइड हो जाना चाहिए
00:05सेल्फ एंप्लॉइमेंट के लिए मैं इसलिए बोलता हूँ क्योंकि ऐसी जगहें बहुत कम हैं जहां आप सार्थक काम कर सको
00:12यह मत करना कि जहां काम कर रहे हो वहां गड़बड चल रहा है और आप उसमें साथ दे रहे हो
00:18रावन का तोपची बनने से अच्छा है राम की गिलहरी बन जाना
00:22जो सत्य के साथ नहीं है उसकी सेवा नहीं करनी है जो बाबा जी आजकल बहुत ऐसे काम करते हैं कि या तो कोई वह चिकित साल्ले बनाएंगे जहां मुफत इलाज होगा तो क्या वहां पे भी हम ना जाकर के इलाज करा है
00:34देखो बिटा बहुत थाधारन सा सिध्धानत है संसार का वें दे प्रोड़क्ट इस फ्री देन यू अर्ड़ प्रोड़क्ट
00:44नमस्ते अचार जी
00:45तो आपने बताया कि जैसे आपने अपनी जॉब में सिंगहासन को नमनी किया और यू लफ्ट जॉब तो अभी मेरे मन में द्वन्द आ रहा है
00:56लाइक मैं स्कूल में हूँ और मताब जिस तरीके से मैं संसा से फिर इस तरीके से जुड़ी हुई
01:04अपने अंदर मैंने बदलाव देखा बचों के प्रती भी और प्रेम भाव पैदा हुआ
01:10तो मुझे एक कॉंफ्लेक्ट यह आ रहा है कि मैनेजमेंट की अपनी एक्टिविटीज जो होती है नाजगाना यह सब वह एक जगए मैं होते हुए देखती हूं और दूसरी जगए मैं बच्चों के पास जा रही हूं कबीर साहब को लेके या उनको अबगत कर आती हूं
01:27रिगार्डिंग एंवायरमेंट, क्लामेट चेंज तो मुझे यह लग रहा है कि मैं जो कर रही हूं शायद करूना करतव्य है तभी मैं वहार रहना चाहती हूं क्योंकि मैंने बहुत जादा चेक्लिस भी बनाई यह देखने के लिए कि यहां पे कोई मेरी कामना तो नहीं ह
01:57मतब ऐसी जगा पे नहीं रहना चाहिए जहां पे सत्य को छोड़के दूसरी जगाओं को नमन किया जा रहा है तो मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं सही जगा पर हूं के नहीं
02:09आज सारी बात क्या हुई सबसे उपर क्या है तो मैंने का है सत्य इंप्लॉइड होने को
02:15self भी हम
02:20आप पढ़ते हो अंग्रेजी में छोटा self बड़ा self
02:23self employed माने
02:24सत्ते employed भी हो सकता है और
02:26हम employed भी हो सकता है
02:28उसमें बात यह नहीं होती कि
02:30आपके
02:31paycheck पर आपका sign है या किसी और का sign है
02:34बात यह नहीं होती
02:35बात यह होती है कि उस काम के माध्यम से
02:38सेवा किसकी हो रही है
02:39किसकी सेवा हो रही है
02:41यह देखना होता है बिलकुल हो सकता है
02:44कि आप self employed हो
02:45entrepreneur हो अपनी दुकान चलाते हो
02:48कुछ भी करते हो बड़ा व्यापार कर लिया है
02:50IPO ला रहे हो और आगे चले गए
02:52वो हो गए
02:56unicorn
02:58तो भी उससे क्या
03:00सावित होता है
03:01उससे क्या होता है
03:04हमारा reunion हुआ
03:10तो उसमें
03:14campus में भाकी जो सब
03:18धूम मची तो मची
03:19fantasy cars की parade भी निकली
03:22क्योंकि मेरा
03:24batch इस मामले में थोड़ा
03:26ज्यादा लगी है
03:2857 unicorns है मेरे batch से
03:30कईयों ने तो अपनी
03:33किसी ने Bentley किसी ने वो
03:35Rolls Royce पिक करवा करवा के
03:37मंगाई एरड्रॉप करवाई
03:39campus में
03:40अच्छा लगता अब दोस्तों से मिल रहे हैं
03:4225 साल बाद तो दिखना भी चाहिए कि
03:45तो पूरे वहाँ पे काफिले निकल रहे हैं
03:47इस सब हुआ
03:48उसके बाद मैं बैंगलोर गया अब ही गया था
03:54तो वहाँ पर
03:56audience में से किसी ने कहा कि
03:59का बूल गया था
04:04हाँ कि मैं आपके एक
04:07batchmate की मदर हूँ
04:09और मुझे शिकायत यह है कि
04:12मेरे बेटे को जुए की लत लग गई है
04:14और दूसरों को भी जुए खेलना सिखा रहा है
04:16मुझे पता नहीं कौन है मैं क्या जाना हूँ
04:18मैंने का हाँ यह तो
04:20गड़बड बात है
04:22और
04:25अलग से बात करेंगी
04:27क्योंकि मामला थोड़ा विक्तिगत है
04:28मेरे ही batchmate है
04:32जुए खेल रहा है
04:34औरों को जुगा खेलना सिखा रहा है
04:36और उसके आसपास एक दो लोग और बैठे हैं मेरे batch के
04:42मैं उनको देख रहा हूँ वो हस रहे हैं
04:43सामझ में ना है हस के और हैं मैं तो मंच पर था
04:46बात में बताया कि यह एक यूनिकॉर्ण वाले की मदर है
04:53वही जो वहाँ पर परेड चल रही थी campus में
04:57उसने betting app बनाई है बहुत बड़ी
05:01जिसका billion dollar में valuation है
05:03तो इनको नहीं समझ में आता है
05:07इनको तो यह वो तो अपनी दृष्टे से देख रही है
05:10और बिल्कुल ठीक देख रही है
05:11वो बुल रही है खुद भी जुआ खेलता है
05:12दूसरों को भी खेलवाता है
05:13तो क्या निकल गया यह IIT से पढ़के
05:16self-employed होना कोई अपने आप में जरूरी है कि अच्छी बात हो
05:20जरूरी है
05:23इतनी बार तो मैंने बूला है
05:30कि मुझे अगर मेरे जैसा कोई मिल गया होता
05:34मैं तो लग जाता उसकी सेवा में
05:37मुझे क्या जरूरी पड़ी थी फिर कि मैं खुद यह काम करूँ
05:40और दिन रात के पचड़े में फशूँ
05:42तो यह कोई
05:46क्राइटीरिया मानक नहीं होता है कि
05:50आप ओनर है या ओनर कोई और है
05:55क्राइटीरिया यह होता है कि
05:58वो ओनर है कि नहीं है
06:00मेरा ओनर होना ज़रूरी नहीं है
06:07उसका ओनर होना ज़रूरी है
06:08तो चुछने हो बत को
06:14सेल्फ इंप्लॉइमेंट
06:18के लिए मैं
06:20इसलिए बोलता हूँ
06:23क्योंकि ऐसी जगहें
06:24बहुत कम है
06:25जहां आप सार्थक काम कर सको
06:29चुकि ऐसी जगहें कम है
06:31तो मैं बोलता हूँ
06:32कोई और नहीं मिल रहा तो
06:33खुदी शुरू कर लो एकला चलो रहे
06:36पर इसका अर्थिया नहीं है कि
06:39मेरा काम है कि मैं entrepreneurship को
06:41प्रोच साहन दूँ
06:41ज्यादा तर जो entrepreneurship होती है वो तो
06:45ज्यादा तर नहीं, सारी की सारी
06:47जो नौकरी करते हैं
06:49लालची होते हैं, जो entrepreneur
06:51बनते हैं महा लालची होते हैं, यही तो है
06:53चोटी
06:55तनखा से मजा नहीं आ रहा
06:56और पैसे चाहिए
06:59तो अपना काम करेंगे, अपना काम माने क्या होता है
07:01जिस दिन तुम शुरू करते हो
07:03उसी दिन तुमने प्लान में लिख रखा होता है
07:05exit
07:06exit किस दिन करूंगा, यह तुम्हें पहले दिन से
07:09पता होता है, क्योंकि आज कल कोई
07:11बिना funding के तो शुरू करता नहीं
07:13और जो funding करता है, माने पैसे लगाता है
07:15वो तुम्हारे उपर
07:17पूरा दबाव बना के रखता है, कि exit किस दिन होगी
07:20क्योंकि बिना exit के
07:22उसको अपने investment पे return नहीं मिलेगा
07:24तो अपना काम कैसे होगे
07:26आगर पहले ही exit की तयारी है
07:28अगर मेरा काम होता
07:32तो पहले ही दिन से exit की तयारी कैसे होती
07:34exit समझते हो न, कि ये काम
07:36मैं किसी को बेच दूँगा
07:38किसी एक को भी बेच सकते हो
07:42या public को बेच सकते हो, IPO अगरा से
07:44पर किसी को बेच दूँगा
07:45exit तो करूँगा
07:47अपना काम कहा है वो फिर
07:50अपना काम मैंने क्या
07:54मेरा कौन है, ये सपश्ट होना चाहिए न, देखो
07:56entrepreneurship में भी सवाल आ गया
07:57मैं कौन, मेरा कौन
07:59उसका काम
08:02करना है, उसका
08:04काम करने के लिए
08:06अगर खुद
08:08कुछ शुरू करना पड़े तो कर लो
08:09उसका काम करने के लिए कहीं और
08:12जाके किसी के साथ कुछ करना पड़े तो वो भी कर लो
08:14राम बन सकते हो तो राम बन जाओ
08:17राम नहीं बन सकते तो राम की गिलहरी बन जाओ
08:20हाँ
08:24ये मत करना कि जहां काम कर रहे हो
08:30वहाँ गड़बड चल रहा है और आप उसमें
08:32साथ दे रहे हो
08:33कि रावन का तोपची बनने से अच्छा है राम की गिलहरी बन जाना
08:45अज यह बिल्कुल समझ आया कि जो सत्य के साथ नहीं है उसकी सेवा नहीं करनी है
08:55यह चर्चा जब हम करते हैं किसी से तो एक तर्क बहुत मिलता है कि अगर उसकी सेवा नहीं कर रहे हो तो उससे सेवा लो भी मत
09:04जैसे उधारन के लिए कई ऐसे नेता हैं जिनके कॉलेजिज हैं विद्याले हैं और हॉस्पिटल्स हैं
09:12तो अब हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है तो क्या हम पढ़ाई भी ना करें या वहां से चिकित सा सेवा भी ना लें
09:19और आजकल तो बाबा जी भी ऐसे बहुत आ गए हैं जो कुछ आश्रम चला रहे हैं कुछ
09:26नेता जी ने वो कॉलेज किसलिए शुरू कर रहा है दान दक्षिना के लिए सबसे ज़्यादा जो पैसा बनता है वो तो एजुकेशन सेक्टर में ही बनता है ये इतने प्राइवेट कॉलेज किसलिए खुले हुए हैं दान करने के लिए बहुत पैसा बनता है इन में तो त
09:56देनी भी नी चाहिए
09:56तो ये क्या तरक है कि उनसे सेवा लो मत
09:59आप सेवा दे कहा है आप ले नहीं रहे हो सेवा दे रहे हो आप तो
10:02ये जो उल्टे पुल्टे कॉलेज खुले पड़े हैं सब
10:05ग्रेटर नोडा में ही देखो इंजिनरिंग के इतने कॉलेज है
10:08इसमें जाके तुम इतने इतने लाख दे आते हो
10:10वो इस लायक है कि उनको इतनी फीस दो
10:13और ज्जादातर के साथ पॉलिटीशन जुडे हुए
10:16तो ये क्या है कि उनसे सेवा लो भी मत कहा ले रहे हो सेवा ले कहा रहे हो
10:20कईयोंने अस्पताल भी खोले हुए है
10:25तो उस्पताल में क्या मुफ्त में इलाज हो रहा है
10:27सेवा थोड़ी कर रहे हो तुम्हारी भाई
10:31जी ये बात तो आपकी ठीक है कि हम उनको पैसा दे रहे हैं
10:34लेकिन इसका एक और मैं भी शुरू कर रहा था
10:36जो बाबा जी आजकल बहुत ऐसे काम करते हैं
10:39या तो कोई वो आशरम बनाएंगे
10:41या कोई चिकित साले बनाएंगे जहां मुफ्त इलाज होगा
10:44या कोई विद्याले गुरुकुल बनाएंगे जहां मुफ्त पढ़ाई होगी
10:47तो क्या वहाँ पे भी हम ना जाकर के इलाज कराएं
10:51देखो बिटा बहुत सधारन सा सिधानत है संसार का
10:58वेन प्रोड़क्ट इस फ्री देन यू आट अल्मोली
11:01बाबाजी तुम्हें कुछ मुस्ट में नहीं दे रहे हैं
11:06तुम वहाँ जाते हो बाबाजी से मुस्ट में पाते हो
11:09और फिर बाबा जी की चरण वंदना करते हो
11:13वहाँ पर तुम्हें कुछ मुस्ट में नहीं मिल रहा है
11:18हालना कि वहाँ जारया मत करो
11:20बाबा जी का स्पताल है
11:22पता नहीं वहाँ क्या तुमको खिला पिला दें
11:27जाना वहाँ नहीं चाहिए पर दूसरे कारण से
11:32बाबा जी कोई
11:35विज्ञान में तो विश्वास रखते नहीं है
11:38कि cutting edge medical research का
11:40कोई वो institution शुरू करेंगे
11:42वो जहां जाओगे वहां तुम्हें
11:44भसं भभूत राख पता नहीं क्या खेला दें
11:46चेकित्सागे नाम पर
11:48तो इसलिए नहीं जाना चाहिए
11:49लेकिन वो तुम्हें जो भी कुछ खिला रहे हो
11:52मुफ्त नहीं है
11:52समस्या यह है ना कि तुम्हें समझ में नहीं आता
11:56कि तुम लुट कहां रहे हो जैसे जिन्दगी भर
11:58तुम पर लोगोंने एहसान जताया है
12:00तुम किसी का भी एहसान बहुत जल्दी मान लेते हो
12:03जो तुम्हें कुछ नहीं दे रहा है वो तुम्हें सफलता पूर्वक जता जाता है कि तुम्हें बहुत कुछ दे रहा है
12:09और जो सचमुछ तुम्हें कुछ दे रहा होता है वहां तुम देखी नहीं पाते है कि वहां मुझे क्या मिल रहा है
12:15तनमन जो तोको दियो तासे नेहुनकीन जिससे सब कुछ मिल रहा होता है वहां नहीं दिखाई पड़ता कि सच मुछ तो यहां मुछ उपकार हो रहा है वो नहीं दिखाई पड़ता जहां कुछ नहीं दिख रहा है वहां पर है असान मान लेते हो क्यों मान रहे हो भाई असान
12:45यही तो बताएंगे देखो यह है यह गौशाला खोली है उसमें गाएं हैं और यह बैल शाला खोली है इसमें बैल बुद्धी वाले इंसान आते हैं और बाहर जाके मेरा यशोगान गाते हैं
13:02300, 400, 500 हो गया या भंडारा चला दिया है तो लोग आकर के खापी लेते हैं इतनी जल्दी उपकार मत मान लिया करो किसी कह व्यापार में तो यह बहुत पुरानी नीते होती है ना
13:28इसको मैनेजमेंट जब पढ़ाया जाता है तो इसको बोलते हैं लॉस लीडर कॉंसेप्ट लॉस लीडर जैसे मैकडोनल्स का अलू टिक्की बर्गर
13:3920 रुपए 20 रुपए अब पता नहीं कितने आप कितने काता है पता नहीं जितने का भी है
13:45जब मैं पढ़ायी कर रहा था उस समय 20 रुपए काता था अब बाकी बर्गर है वो 180 रुपए से शुरू होते थे यह लॉस लीडर कहलाते हैं
13:56तुम वो खाने के लिए घुसोगे और और भी कुछ खा लोगे
14:0320 रुपए दिखा के कहा जाएगा अंदर तो आओ
14:08और फिर अंदर जाओगे तो कोग भी तो पीओगे
14:12और भी चीज़े लोगे और वो इतना सा होगा तो उससे पेट तो भरेगा नहीं
14:17खाना शुरू कर दो लेगा चले यार निकालो सौ कपता है कुछ दूसरी चीज़े अविद्ध्या इसलिए जरूरी है ताकि पता हो कि ये खेल चलता कैसे है
14:39जहां कहीं तुमसे कुछ नहीं लिया जा रहा है वहां समझे लो बहुत ज्यादा लिया जा रहा होगा
14:43वो बाबा जी तो गीता मुफ्ट पढ़ाते हैं आचारे जी ने क्यों कहा है कि कम से कम तीन रुपए का तनुदान कर दो
14:50300 रुपय का क्यों बुला है
14:52क्योंकि
14:54तुमसे 300 ही देने को कहा जारा है
14:57तुम्हें पता भी निए
14:58बाबा जी क्यां तुम लाखों दे आ रहे हो
15:00मुफ्त के चक्र में
15:01यहाँ बात सीधी है
15:03संस्था चलती है
15:05तुम्हारे लिए चलती है
15:07तुम्हारा ही पैसा लोट कर तुम तक ही जाता है
15:10एकदम ही गरीब हो
15:11तो भी 300 रुपया तो कर लोगे खर्च
15:14और आप ही लोगों से बात करते करते
15:19एक बार बात चुरूँ होती तो जिम कहता था
15:20अरे कम से कम 1000 तो कर लोगे
15:21फिर 500
15:23कम ही तो होता जा रहा है
15:27पर जितना भी होता जा रहा है उतना बता कर होता जा रहा है
15:32यह है क्योंकि भाई
15:36यहां कोई नेता आकर के पोटली नहीं रखने वाला कि चुपचाप
15:39नेता जी को वोट दिलवा देना
15:41अचारजी आपका प्रभाव हो गया है कुछ ऐसा कर दो
15:45चुनाओ तो लगातार चलते ही रहते है
15:47कि नेता जी के वोट पढ़ जाए
15:49और ऐसा तो नहीं कि अचारजी के बास नेता जी आते नहीं होंगे
15:52पर चुगी वहां से कोई पोटली नहीं लेनी है
15:56तो इसलिए आप लोग ही रुपया दोगे
15:57नहीं तो आपके लिए मुफ्त करा जा सकता है
16:03बोलो करने सब के लिए
16:04मुझे कुछ नहीं है
16:07सेट जी नेता जी दोनों से बड़ी पोटली आ जाएंगी
16:09लेकिन फिर गीता के नाम पे मैं कुछ और पढ़ा दूँगा आपको
16:13बोलो चाहिए
16:17और आप जाके मेरा गुड़गान भी करोगे
16:19कि आचारे जी तो मुफ्त गीता पढ़ा रहे है
16:21मुफ्त कुछ नहीं होता
16:24जहां कुछ मुफ्त दिया जा रहा हो
16:26बिल्कुल सतर रिखो जाओ कि बहुत बड़ी धांदली हो रही है कोई
16:29कोई उपकार नहीं कर रहा
16:33हाँ यहां पर जो खर्चा है
16:35वो सामने बता दिया जाता है कि है
16:37आरही बात
16:45एक और तो कहते हो कि
16:48निशकाम कर्म बड़ी मुश्किल बात है
16:50दुनिया में सब सकामी होते हैं
16:52कहते हो न
16:52खुद ही कहते हो
16:54खुद को भी बड़ा मुश्किल पढ़ता है
16:56किसी के लिए निश्काम कुछ भी कर देना पढ़ता है ना आपको मुश्किल
16:59और दूसरी और दूसरों का हैसान भी जल्दी मान लेते हो
17:02उसने तो मेरे पर बड़ा उपकार किया
17:04जब निश्काम करम इतना मुश्किल है तो उसने तुम पर उपकार कैसे किया होगा
17:07जरूर उसके काम में उसकी कामना है पर उसके दिखाई नहीं देती बताओ क्यों क्योंकि तुम्हें अपनी कामना या आश तक दिखाई नहीं दी
17:13इसलिए आत्मग्यान जरूरी है
17:18जब आत्मग्यान जरूरी होता है तो आदमी अपनी कामनाई पकड़ लेता है
17:21जब अपनी पकड़ लेता है दूसरों के भी दिखाई देती है
17:23जब दूसरों के दिखाई देते हैं कि उसकी तो कामना है
17:25तो आदमी उसका अहसान मानना बंद कर देता है
17:27कहता है अहसान अहसान कुछ नहीं कर रहे हो
17:29अपनी कामनाई पूरी कर रहे हो
17:30मुझको मोहरा बना करके
17:32अहसान मत जता हो
17:33आर ये बात समझ में
17:37वैसे हमारे पास न
17:39और भी परियाप्त कारण है
17:43ये अनुदान लगातार घटाने के
17:45ये थोड़ी से उससे अलग बात है
17:46हमारे पास अब प्रत्यक्ष प्रमान आ रहे हैं
17:49कि भारत गरीब होता जा रहा है
17:51भारत गरीब होता जा रहा है तो लोगों से अनुदान
17:55मांगना तो और कम करना पड़ेगा न
17:57कैसे पता गरीब होता जा रहा है
18:00हम पहले कहा करते थे
18:04कि कम से कम आप पांच हजार का मुदान करिये
18:06जब एक दम शुरुआत हुई थी
18:07तो लोग पांच हजार करते थे
18:08फिर हमने का तीन हजार
18:11जैसे हमने तीन हजार कहा लोग गरीब हो गए
18:13जो 5000 करते तो नहीं 3000 करना शुरू कर दिया गरीब हो गए बिचारे
18:17फिर हमने का 1000 तो बिचारे और गरीब हो गए
18:22भारत गरीब होता जा रहा है जैसे हमने 1000 करा तो 5000 वाले भी 1000 पर आ गए
18:27अब बिचारे 5000 वाले 300 पर आ गए है
18:31सोचो भारत की दुर्दशा
18:33आम जनता कितनी गरीब होती जा रही है
18:35और तीन सौ पर ही नहीं आ गए
18:37उन्हें ये भी पता चल गया है
18:38कि संस्था को चिठी लिखो, मेल लिखो, आवेधन करो
18:41तो फ्री में हो जाता है
18:43तो हम तो उनकी पीछे की कुंडली देखते हैं
18:46देखते हैं अच्छा बीस हजार रिशिकेश में आया था
18:48और करते करते अब
18:50तीन सौ पर आया है उसके बाद चिठी लिख रहा है
18:52कि मेरे पास तीन सौ भी नहीं है
18:54मुफ्ट में कर दो हम कर भी देते हैं
18:57अब गरीब होता जा रहा है देश तो बिचारों की मदद तो करनी पड़ेगी न
19:00कोई भीखी मांगे तो उसकी गरिमा भले ना हो अपनी तो रखनी पड़ेगी न
19:05पर बाबा जी महान है
19:16लूटो अचारे जी को महान बाबा जी है
19:27नजाने कितनों के दिमाग में तो आइडिया कौन्द गया होगा
19:32तीन सो चल रहा है क्या रेट
19:34यह तो पता ही नहीं था कि तीन सो हो गया है
19:39तुरंट अभी फोन में लाएंगे काउंसलर को
19:42कहेंगे मेरी छठी दादी भी मर गई
19:44कम खर दो
19:57आपका गणित बहुत उल्टा चलता है
20:06नजाने कहां सर जुका आते हो
20:09नजाने किसका एहसान मान आते हो
20:11ताद हो यह जग बोरा ना
20:16बोरे ही हो
20:24फिकायत में नहीं कह रहा प्यार में कह रहा हूँ
20:32क्यूट बोरे हो
20:34पर हो तो बोरे ही
20:36बहुत पागल हो
20:37एहसान या तो
20:40उसका या उसके बंदे का
20:45बाकी दुनिया को तो
20:46चढ़ने आए तो आँख दिखाओ
20:50और उठने आए तो हात बढ़ाओ
20:55जगत है ना इसके साथ यही दो रिष्टे ठीक हैं
21:01आके तुम पे चढ़े
21:02तो हड़का के भगा दो
21:05हाँ तुम्हारे सामने विनम्र होके कहे कि सहारा दो
21:09तो करुणा के नाते हाथ बढ़ा दो
21:11हाँ
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