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  • 6 weeks ago
જ્ઞાની પુરુષ, જે પોતે નિરંતર મોક્ષમાં રહે છે અને આપણને મોક્ષનું દાન આપવા આવ્યા છે, જેમને વળતરમાં કંઈ જ જોઈતું નથી, તેવા કરુણાસાગર અક્રમ વિજ્ઞાની પરમ પૂજ્ય દાદા ભગવાનની પ્રસ્તુત પદ “વળતરની ઈચ્છા વિના” દ્વારા ભજના કરીએ.

Let’s get immersed in the devotion of the Enlightened One who Himself lives in Salvation and who has come to bestow the gift of Salvation on us, the One who doesn’t want anything in return, such a compassionate One, Param Pujya Dadabhagwan; through the devotional song ”Valatarni Ichchha Vina”.
Transcript
00:00वर्तर नी इच्छावीना लूटावे मुक्षज लक्ष्मी ओहो ओहो करुणा सागल वैग्नानिक स्वप्न दर्शी
00:22वस्तूत्वे स्वगुन धारी देहातित सजीवन मूर्ती संपुल्न केवडवल तक वर्तावे कारण गुप्ती
00:43वर्तर नी इच्छावीना लूटावे मुक्षज लक्ष्मी ओहो ओहो करुणा सागल वैग्नानिक स्वप्न दर्शी
01:03महिली सम्रूद्धी दर्शक आध्यात्मिक आतम लक्षी परमार्थेश पीवर्धक निश्कामिक दान महर्शी
01:22दादाने ओडखवाने खपशें अंतर नी दर्श्टी निश्कामिक दान महर्शी दा दाने ओडखवाने खपशें अंतर मी दर्श्टी
01:36निष्कामी इग्डान महर्षि दादाने ओडखवाने खपशे अंतर नीद्रष्टि
01:50निषब्दे अनुभाव गम्या असे अत्मो निसन्यस्ति
02:00वर्तर नीद्रष्टि निषब्दे अनुभाव गम्या असे अत्मो निसन्यस्ति
02:18वर्तर नी एच्छावीना लूटावे मुक्षज लक्ष्मी
02:27ओहो ओहो करुणा सागर वैग्नानिक स्वपना दर्शी
02:37परमार्ते सत संग देता पोतानी सिद्धी खर्ची
02:46जग ही ते गाड़ी काया जोताना ठंडी गर्मी
02:56जीवीने दाखलो देधो सर्वांगे धर्मी मर्मी
03:05सत केवर निश्चे वर्ती व्यवहरे पुर्णा दर्शी
03:15वर्तर निश्चे वर्ती वर्तर निश्चे वर्ती व्यवहरे पुर्णा दर्शी
03:34वर्तर निश्चा वीना लूतावे मुक्षज लक्ष्मी
03:43ओहो ओहो करुणा सागर वैग्नानिक स्वप्ना दर्शी
03:52दादानी दैनिक चर्या वातो सव खुल्लं खुल्ली
04:02पाडाने वेद भनाव्यां लगुतं थी गुरुतं गुणी
04:11श्वस्ति की एकज सेव्य अघट प्रेमी संपुल्नी
04:13निर्भेडी मात्या दर्शी आदानी दैनिक चर्या वातो सव खुल्लं खुल्ली
04:22पाडाने वेद भनाव्यां लगुतं थी गुरुतं गुणी
04:31श्वस्ति की एकज सेव्य अघट प्रेमी संपुल्नी
04:40निर्भेडी मात्या दर्शी आदाने वेद भनाव्यां लगुतं गुणी
04:50स्वस्ति की एकज सेव्य अघट प्रेमी संपुल्णी
04:58निर्भेरे मातु वत्स ते चर्णे जुकता मुक्ति
05:08वर्तर्नी एच्छाविना लूतावे मुक्षज लख्षि
05:17ओ हो हो करुणा सागर वैग्वानिक जवत्ना दर्जिन
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