00:00देखा, पुरा घर चान कर आगी, तो यहां पर बैठी हुई है?
00:04आरे, पूरा घर चानने की क्या सवरत थी?
00:06तु मुझे आवास दे देती, मैं तुझे बता देती कि मैं यहीं हूँ.
00:10चल ठीक, इसी बहाने, मैंने तेरा घर भी देख लिया, और क्या है?
00:13वो तो आती ही रहती है, तो तुझे पता है, घर में क्या-क्या है?
00:18तू भी ना, अच्छा मजाग कर लिती है, लेकिन तू मेरी सहली है, इसलिए मैं बुरा नहीं मानती है.
00:24चला बता, क्या ख़बर लेकर आई है? तेरे पेट में दार धोरा होगा ना.
00:27तू मुझे कितने अच्छा से जानती है, सच मैं. आज बता है, जब मैं मंदिर जा रही थी, तब वो हमारी पिछली गली में जो शर्माजी की बहु अंचली है ना, वो मुझे देख गई थी.
00:39अच्छा, ये वही है ना, जिसके बारे में तूने कहा था कि इसको तो कुछ भी बनाना नहीं आता, मैंगी बनाने में भी आदा गंडा लगा देती है.
00:47आ, ये वही है, लेकिन कल तुम मैंने देखा, ये इतना सारा खाना कच्रे के डबे में डाल रही थी, मुझे ना देखकर बड़ा ही अफसुस हुआ, इतना सारा खाना को बर्बाद करता है बला.
00:58अच्छा, एक तो खाना बनाना आता नहीं, उपर से बर्बाद कर रही थी अनना को.
01:03आ, मुझे सो देखा नहीं गया, तो मैंने शर्माइन को कह दिया, देखिये तो अजरा आपकी बहु क्या कर रही है.
01:09हैं, फिर, शर्माइन ने क्या कहा?
01:12क्या कहती है, आज करती बहुरानी के आगे कुई कुछ बोल सकता है क्या?
01:17नए, लेकिन कुछ भी नहीं कहा?
01:20अरे, मेरे सामने तो कुछ नहीं कहा, उसकी बाद अंदर जाने की बाद बर्बतनों के फेंगने की आवास से आरही थी उनकी घर से.
01:26इसका मतलब तु कान लगा कर सुन रही थी उनकी आवास.
01:31अरे, मेरे कहा आदत है ये सब करने की? मैं तो वहां से जा रही थी बस.
01:38वहां से मंदिर का रास्ता दो मिनिट का है और तुझे इतनी देर लगी वहां से बस गुजरने में.
01:43तु ना ये बस छोड़. मुझे तेरी बड़ी चिंता हो रही है सच को हूँ तो.
01:48हर भे, मेरी क्यों चिंता हो रही है तुझे?
01:51संजना को अच्छे से खाना बनाना आता है. मैंने रिष्टा करने से पहले ही सब कुछ जाँच परक लिया था.
01:55वो सब तो ठीक है, खाना तो कोई भी पना लेता है. लेकिन आज करकी बहुए सुनती कहां है? कोई अच्छी सलावी दो तो मुझे और जवाब दे दिती है बस. और तु ठहरी गूंगी गाए. क्या ही कह पाएगी उसे?
02:08हाँ, वो बात तो सही है कि मैं बड़ी सीधी हूँ, किसे से कुछ कह नहीं पाती हूँ. मेरे मुझे तो मुझी आवाज तक नहीं निकलती.
02:16अरे मेरा तौलिया कहा है, मिल नहीं रहा है. आपको आज तक कुछ मिला भी है क्या जीवन में? ये तो शुक्र मनाओ, मैं सीधी सी पत्मी आपको मिल गई हूँ.
02:28ये किसके बारे में बात कर रही है तुम? ऐसे तो किसी को नहीं जानता मैं.
02:33आरा, तुम रुको अभी आती हूँ मैं.
03:03अरे, अब संजना आने वाली है, तो उसे ऐसा तो नहीं लगना चीए कि मैंने रसोय का उप्योग कर करके उसे पुराना सा बना दिया है.
03:11तुम इस रसोय का उप्योग करती भी थी?
03:14क्या का?
03:15कुछ नहीं, मैं बस पानी पीना आया था.
03:18पापा, आपको ममी के महनत दिखाएनी दे रही, कि वो कितना कर रही है नई बहु के लिए?
03:23कौन सास आजकल इतना करती है अपने बहु के लिए?
03:26अब बिटा फोल खाना है, तो पानी तो देना ही पड़ेगा बस, वहीं काम कर रही है तुम्हारी मा.
03:31इनना बस मेरी बुराइयां ही दिखती है.
03:34जो चीज सबसे ज़्यादा होगी वही दिखेगी ना पहले.
03:38है? क्या कहा?
03:40कुछ नहीं, मैंने कहा चाय बना रहा हूँ, तुम पीओगी, क्या?
03:44हाँ, बना देजे मेरे लिए.
03:45मा अपने संजिना से पूछा ना क्योंसे खाना बनाना आता है की नहीं, ऐसा ना हो कि आजकल की लड़कियों की तरह बस मॉमोस बनाती रह जाए.
03:54मताशो, तुम्हें पता है मॉमोस कैसे बनता है?
03:58मुझे नहीं पता, लेकिन मेरी बात है लगे ना पापा, मैं बाकी कामों में देखी कितनी होश्यार हूँ.
04:04आँ, बिटा, तुम भी अपनी मा उपर गई हो.
04:07क्या मतलब पापा?
04:08मेरा मतलब है तुम्हारी मा को ही देख लो कितनी होश्यार है
04:12अपनी बातों से ही इंसान को पका देती है
04:14खाने की ज़र्वरती नहीं पड़ती क्यों रेखा
04:16आप चाहे बनाए चिपचाप
04:19मैंने सबसे पहले यही पूछा था संजना से
04:22कि उसे अच्छे से रसोई संभालनी आती है कि नहीं
04:25अरे तुचिंता मत कर
04:26मोहित की बीवी के आने के पाद
04:28तु बड़ी ननत बन जाएगी
04:29संजना बहुत खयाल रखेगी तेरा
04:31अरे खुद ने कभी अपनी ननत का खयाल रखा है क्या
04:35क्या बक्बक किया जा रहा है आप
04:38कुछ नहीं यलो चाह पियो तुम
04:41कुछ तो उप्यो करो रसोई खा
04:43रेखा नताशा को काफी उमेदी थी संजना से
04:46इसलिए तु शादे के दूसरे दिन ही
04:48उन दोनोंने संजना को रसोई सौप दी
04:50और सुनाने लगी वो ग्यान
04:52जो उनोंने आज तक खुद कभी नहीं अपनाया था
04:54संजना देखो तुम्हारी बड़ी ननत होने के नाते
04:58मेरा फर्ज है कि मैं तुम्हे कुछ बाते समझाओ
05:00लेरी तो अब शादी हो गई है
05:02इसलिए अब ये सारा घर तुम्हारा ही है
05:04अब तुम्हे ही सब कुछ समालना है
05:26कि महमानों का ख्याल रखना ये सब कुछ भी एक बहु का करतवी होता है
05:29जी मा जी मैं ध्यान रखूंगे
05:32अब तुम सब कुछ समझ गई हो तो फिर आज से ही रसुई का काम शुरू कर दो, आज तुम्हारे जीजा जी भी आ रहे हैं मुझे लेने के लिए, इसलिए उनके लिए अच्छा सा खाना बनाना ठीक है, जी दी ठीक है, अब बताईए न क्या-क्या बनाना है, मैं बना दू�
06:02संजना तुम दोनों से काफी होश्यार है, चलो तुम दोनों यहां से, वो खुद ही बना देगी सब कुछ, अब बड़े है तो सब कुछ सिखाना तो पड़ता ही है जी, आप नहीं समझेंगे, अच्छा, तो बताओ रसुई में हिंग कहां पड़ी है, हिंग? रसुई में ह
06:32संजना बहुत ही समझदार और होनहार लड़की थी, उसने सारा खाना बड़े ही अच्छे तरीके से बनाया, और उसे टेबल पर सजा भी दिया था, नताशा के पती राहुल भी उसे लेने पहुच गये थे, वाह, इस गर में खाना बनता भी है क्या, मैं तो आज पहली बार
07:02यही यही बस मजा करते रहते
07:06वाह संजना, आपने खाना सुच में बहुत अच्छा बनाया है, मजा आ गया, मैंने काफी दिनों बाद इतना अच्छा खाना खाया, मोहे, तुम वाकरी में लगी हो
07:14थांक यू, आज पहली बार आपको किसी की तारिफ करते देख रहा हूँ
07:19ऐसा नहीं है, मेरी भी यह इतनी ही तारिफ करते हैं, है ना जी
07:22हाँ, मैं नताशा चाह अच्छी बना ले दी है, कभी-कभी
07:28मजाख कर रहे हैं, मजाख
07:30राहुल की संजना के लिए इतनी तरे सुनते ही, दोनों मा बेटी का मुँ तरसा गया था
07:36दोनों रसोई में जाती है और आपस में बात कने लगती है
07:38दामा जी कुछ ज़्यादा ही तारिफ नहीं करते इसकी
07:41यह तो हाई, ऐसे सब की यूँ ही तारिफ कने लगते है
07:44ऐसे कुछ खास था नहीं खाने में मा, नहीं?
07:47यह देखो, कितना खाना बचाया भी, किसे ने खाया भी नहीं जरा देखो तो
07:51अरे हाँ भई, सिर्फ खाना बनाने से क्या होता है?
07:55कितना बनाना चाहिए संजना को पता ही नहीं है
07:57इतना सारा खाना बच गया, आप कौन खाया कैसे?
08:00क्या हुआ दीदी माजी, आप दुनों यहाँ?
08:03संचिना, कितना खाना बच गया, देखो तो, तुमने नाप तोल के खाना नहीं बनाया था?
08:08मैंने नाप तोल के खाना बनाया था दीदी, लेकिन अब ऐसा तो नहीं कर सकती कि कौन कितना खायेगा, एक्जेट लिए पता चल जाया है?
08:16देखो संचिना, मैं तो रात का बचा हुआ खाना फिर से नहीं खाती हूँ, और नाहीं मुझे पसंद है कि खाना वर्बाद हूँ, इसलिए आगे से ध्यान रखना इस बात का.
08:23जी माजी, देखो आज तो मैं तुम्हारी परिशानी कम करने के लिए बचा हुआ खाना लेकर जा रही हूँ, सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए, नहीं तो मैं तो फ्रेश खाना ही बनाती हूँ, लेकिन अब मैं तुम्हें मायूस भी नहीं देख सकती, इसलिए लेकर ज
08:53तुम्हारे लिए इतना तो करी सकती हूँ
08:55लताशा सारा बच्चा हुआ खाना अपने साथ ले कर गई
08:58संजना अगले दिन फिर से रस्वे में अपना काम करने लगी
09:01और उसका मन था कि आज वो अपने पती के लिए कुछ स्पेशल खाना बनाए
09:05इसलिए आज वो अपने मन से खाना बना रही थी
09:07अरे संजना बहू आज सुबह से क्या कर रही हो
09:10माजी आज मुहित के लिए चाट बना रही हूँ
09:13चाट? आ वो सब तो ठीक है लेकिन तेरे पापा जी और मुझे तो चाट कुछ खास पसंद नहीं है
09:19हमारे लिए कुछ और ही बनाना पड़ेगा
09:21अच्छा आपको चाट नहीं पसंद
09:23मुझे लगा था इस गर में चाट सबको पसंद है
09:26ठीक है कोई बात नहीं मैं आपके लिए कुछ और बना दीती हूँ
09:29ठीक है लेकिन किस चिसकी चाट बना रही है वैसे तो बहू
09:32पालक पत्ता चाट बना रही हूं माजी
09:36ठीक है ठीक बस खाना बरबार नहीं होना चीए
09:40जी जी माजी संजना मोहित के लिए पालक पत्ता चाट बनाती है
09:43और अपने सास सुसर के लिए दाल चावल
09:45लेकिन जैसे ही सब लोग खाने की टेबल पर बैठे तो सब लोग पालक पता चाट पर तूट पड़े
09:50पापा जी दाल चावल
09:52अरो बहु पालक पता चाट देकर कौन ही दाल चावल खाएगा
09:56अच्छा लेकिन माजी ने तो कहा की
09:59एक और प्लेट लेकर आना पालक पता चाट बिटा
10:02एक और प्लेट
10:04मैं ज़्यादा खाती नहीं हूँ लेकिन अब खाना बरबाद करना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है
10:08माजी की कहने पर मैंने दाल चावल बना दिये थे
10:12अब ये कौन खाएगा
10:14माजी सुबह को गुस्सा करेंगी कि रात को बचा हुआ खाना नहीं खाएगी और फैक दिया तो बुभी उने पसंद नहीं
10:19क्या करूँ
10:20संजना के लिए एक तरफ कुआ था दूसरी तरफ खाई
10:23उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वो करे तो क्या करे
10:26इसलिए अगले दिन अपनी सास की डांट से बचने के लिए उससे खुदी दाल चावल खा लिए
10:31रात का बचा हुआ खाना तो मुझे भी पसंद नहीं है
10:35लेकिन आप और कोई आप्शन भी नहीं था
10:37आज तो मैं बहुत ही कम खाना बनाओगी
10:39जिससे सुबह को बचा हुआ खाना ना खाना पड़े
10:42एक काम करते हूँ गट्टे की सबजी और रोटी बना दीती हूँ
10:46बस थोड़ी सी बनाओंगी जिससे सुबह तक बची ही ना
10:48देखिए माजी आज कुछ भी नहीं बचा है
10:51ना कोई सबजी ना कोई रोटी सब कुछ खतम हो गया
10:54और कल फिर से सब कुछ फ्रैशी बनेगा
10:57वह इसलिए क्योंकि मैंने पेट भर के खाना ही नहीं खाया बहु
11:00यह आप क्या कह रही है माजी
11:02मैंने देखा कि गट्टे की सबजी तुमने बहुत ही कम बनाई है
11:05इसलिए मैंने ज़्यादा खाई नहीं
11:07माँ को गट्टे की सबजी बहुत ज़्यादा पसंद है
11:10मुझे तु लगा खाना बार बार बच जाता है
11:13इसलिए आज मैंने नाप तोल की सबजी बनाई थी
11:15जिससे बच ना जाया और खाना बरबाद नहो
11:17लकिन तुमने तो मुझे भूखा छोड़ दिया ना बाभू
11:20अब सोच रही हूं कि दूद पीकर ही सो जाओ
11:22दो कटोरी गट्टे की सबजी खाने के बाद भी तुमारा पेट नहीं बराया भाग्यवान
11:27अब रूखी सुखी काम ज्यादा जो मिला था खा लिया मैंने और क्या
11:31अब किस से शिकार करना जाओ कि मेरी बहु मुझे सबजी नहीं देती
11:34सारी माजी मुझे पता नहीं था आगली बार से मैं ध्यान रखूंगी
11:39संजना के लिए अब कुआ खाई और समंदर
11:42तीनों एक साथ आकर खड़े हो गयते जिस तरब भी पैर रखती उसे डूबना ही था
11:47और उपर से उसकी नहनत का फोन आ गया जो उसे गट्टे की सबजी उसकी माँ को ना देने के लिए डांटे जा रही थी
11:53यही तुमने ठीक नहीं किया संजना पता है माँ को गट्टे की सबजी कितनी पसंद है और तुमने बुखा रखा
11:58नई दीदी ऐसी बात नहीं है वो मैंने गट्टे की सबजी बस थोड़ी बनाई थी
12:03मुझे नहीं लगा था कि तुम ऐसी निकलोगी जो मेरी माँ को उसकी पसंद की कुई चीज में ना दे सको
12:07अरे दीदी आप गलत समझ रही है
12:10संजना के बहुत कहने पर भी नताशा कुछ समझने को तयारी नहीं थी
12:14उसने संजना को बहुत खरी खोटी सुना दे जिससे आज पहली बार संजना को बहुत बुरा फिल हुआ
12:19मैं जब से इस घर में आई हूँ तब से कुशिश कर रही हूँ कि माजी और दीदी को मुझसे कोई शिकायत ना हो
12:24और ये दोनों आए कि मुझे गलत साबित करने पर लगी लिकिन आब आउनी अब मुझे आज कल की लड़की क्या होती वो दिखाना है पड़ेगा जो ये मुझे बार बार कहती
12:32संजना ने आज फिर पनेर की सबजी बनाई और साथ में रोटियां भी सेक ली थी
12:37पनेर की सबजी की खुश्बू बाहर तक आ रही थी जिससे रेखा कि मुझे पानी आ गया
12:42वाँ वाँ इस तो पनेर की सबजी की इतनी अच्छे खुश्बू आ रही है मुझे से इंतजार ही नहीं हो रहा है
12:47इतना इंतजार करती हो खाने का, और खाना भी प्लेट बरके खाती हो, लेकिन मुझे बहु के लिए दो अच्छे शब्दा नहीं निकलती तुमारे, ये लो खाना आ गया, ये रही पनीर की सब्जी, मुहित आपके लिए और पापा जी आपके लिए, मेरे लिए अलग से बना
13:17अरो तुम उसकी चिंता ना करो, उसके लिए हमाना, लीजी माजी, गट्टे आप पेट भर कर खाईएगा, मैंने और भी बना कर रख्या है, रात को भी आपको गट्टे की सब्जी के साथ चावल मिलेंगे, क्या, संजिना ने चार दिन तक गट्टे का आटा बना कर रख द
13:47नताशना तुझे क्या ज़रूरत थी इतना सब बोलने के, आज के बाद संजिना को कुछ भी कहने की ज़रूरत नहीं है, समझे?
13:53आज पहली बार रे खाने मूं की खाई है, सही किया बहू, इन मा बेटी को सबग सिखाना ज़रूरी था
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