Skip to playerSkip to main content
  • 2 days ago
Paw Patrol is a famous kids' cartoon perfect for toddlers and preschoolers.

Category

😹
Fun
Transcript
00:00बात सुजानगर नामक गाउं की है जहां पर शामू नाम का एक मच्छुवारा अपनी पत्नी भावना के साथ रहा करता था
00:12शामू के घर में उसकी एक बुढ़ी मा और दो बच्चे थे बेटी का नाम गोलू और बेटी का नाम कक्कू था
00:21शामू मच्छियां पकड़ कर बेचा करता था उसके घर का खर्चा बड़ी मुश्किल से चला करता था
00:27गाउं में एक ही तराब था जहां से बहुत सारी मच्छुवारे मच्छियां पकड़ते थे
00:34गर्मियों का मौसम शुरू हो गया था और गर्मियां बढ़ने की साथ साथ तलाब में मच्छियों की कमी होती जा रही थी
00:43शामू अपने घर आया और हताश होकर अपनी पत्नी भावना से बोला
00:49भावना तुम्हें पता है आज भी मुझे बहुत कम मच्छियां मिली थी तलाब में
00:55इसलिए कुछ जादा पैसे नहीं मिल पाए जो कुछ भी पैसे मिले हैं ये आटा और थोड़ी धनिया और मिर्ची लादी है
01:02बस अब तुम चटनी बना लो और आटे से रोटियां बना लो हम वही खा लेंगे
01:07सोच रहा हूँ कि कल थोड़ा जली जाओ तालाब पर शायद थोड़ी और मच्छियां मिल जाएं
01:13शामू की बुड़ी मा शामू की बात सुन रही थी और वो शामू से बोली
01:19अरे बेटा तु इतना परिशान की होता है भगवान ने चाहा तो सब ठीक हो जाएगा तू बस ऐसे ही मेनद करता रहे
01:30अभी तो कुछ भी ठीक नहीं हुआ मा पता नहीं आगे क्या होने वाला है
01:35अरे बेटा ऐसे मायूस नहीं होते भगवान सब के लिए है वो सब ठीक कर देंगे
01:45हाँ जी मुझे भी यही लगता है कि मा जी बिल्कुल ठीक कह रही है और अच्छे बुरे दिन तो जीवन का हिस्सा है
01:53आप साथा परिशान मत हो ये मैं जल्दी से खाना बना कर लगा देती हूँ
01:58सभी लोगों ने बैट कर खाना खाया फिर अगले दिन शामो थोड़ा जल्दी उटकर मचलिया पकड़ने के लिए निकल गया
02:06इसास में कि वो जल्दी जाएगा तो उसी मचलिया मिल जाएगी
02:23किशन शामो के पास आया और उसके पास आकर बोला
02:27शामो भाई कितनी भी जल्दी आजाओ मचलिया तालाब में कमी हैं तो ज़्यादा भला कहां से मिलेंगी
02:34मुझे तो ऐसा लग रहा है ये तालाब छोड़कर हमें कोई और तालाब देखना होगा मचली पकड़ने के लिए
02:40हाँ किशन वो तो ठीक है लेकिन तुझे तो पता है कि आजपास के सभी गाउं में बस एक ही तालाब है
02:48हाँ भाई वो भी ठीक है लेकिन अगर ऐसा ही रहा तो हमें मचलियां पकड़ना छोड़कर कोई और काम करना पड़ेगा
02:56ऐसा कहकर किशन अब वहां से चला गया श्यामू ने भी अपना जाल पानी में डाल दिया
03:03लेकिन उसके जाल में भी तीन चार मचलियां ही फसी थी वो बहुत नेराश था
03:10मायूसी के साथ वो बाजार गया और उन्हें बेजकर जो भी उसे पैसे मिले उससे अपने घर के लिए दाल चावल खरीद कर ले आया
03:20और अपनी पत्नी को थमाते हुई बोला आज भी बस इतना ही मिला है इसी से काम चलाना पड़ेगा
03:28तभी श्यामू की बेटी कक्कू बोली ये क्या पिताजी आज भी हमें बस रोखी सोखी ही खाने पड़ेगी अच्छा खारा खाए हुए कितने दिन बीद गए हैं
03:40उसकी मा कक्कू को बीच में रोखती हुई बोली कक्कू तुम आज कल बहुत बोलने लगी हो चलो चुपचाप से खाना खालो तुम्हें पढ़ाई भी तो करनी है अपने पिताजी से बात करने की तमीज खो चुगी हो तुम
03:55शामू समझ रहा था कि भावना सिर्फ कक्कू को चुप करवाने के लिए ऐसा कह रही थी ताकि शामू ज़्यादा परिशान ना हूँ
04:05भावना ने जल्दी से दाल चावल बनाए और सभी ने खाना खाया उसके बाद श्यामू अब अपने मा के पास गया और उनके पैर दबाते हुए उनसे बुला
04:16मा कभी कभी तो मैं अपने गरीवी से बहुत परिशान हो जाता हूँ भगवान जाने मेरी गरीवी कब दूर होगी
04:24तू चिंदा मत कर बेटा तेरे पिताजी का और मेरा दोनों का अशिरवाद हमेशा तेरे साथ है
04:34आज नहीं तो कल सब अच्छा ही होगा बस तू निराशा को अपने गले से मत लगने दे
04:44हाँ मा बस तुम्हारी यही बाते हैं जो मुझे होसला देती हैं कि आज नहीं तो कल सब अच्छा हो जाएगा
04:51शामु अपनी मा की गोड में सर रखकर अहराम करने लगा बोड़ी मा भी शामु की सर पर हाथ फेरने लगी
05:03ऐसे ही कुछ दिन बीट कर एक दिन की बात है शामु जब घर आया तो उसकी पत्नी भावना ने उसे बताया
05:11अजी सुनते हैं मा जी की तबेत कुछ ठीक नहीं लग रही हमें उन्हें डॉक्टर को दिखाना होगा
05:18ये सुनकर शामु बहुत परिशान हो गया और बोला
05:22भावना तुम तो जानती हो कि मैं दो वक्त का खाना भी बड़ी ही मुश्किल से जुटा पा रहा हूँ
05:27अब मा का इलाज कैसे कराऊंगा
05:29अजी आप इतने चिंता मत करो
05:32मैं पडोसफली शीला दीदी से 500 रुपे मां कर लाई हूँ
05:36ये रहे 500 रुपे
05:37आप जाओ और मा जी का इलाज करवाओ
05:40बड़े बुड़ों का सर पर साया होना बहुत जरूरी होता है
05:44और मैं नहीं चाहती कि उन्हें कुछ भी हो
05:46शामू वो पैसे ले लिता है
05:48और अपनी मा का इलाज करवाता है
05:50इसके बाद दवाई लेकर शामू घर आता है
05:53और अपनी मा से कहता है
05:55मा ये लो दवाईया और समय पर खाना
05:58बेटा तुम लोगों को मेरे लिए
06:02इतना परेशान होने की जरूरत नहीं है
06:06मेरा जीवन तो लगभग पूरा हो चुका है
06:10मैंने सुना है
06:11कि भावना पडोस से उधार मांग कर ये पैसे लाई है
06:15मेरे इलाज के लिए
06:17तुम लोग मेरे लिए इतना परेशान मत हो बेटा
06:21परेशानी की क्या बात है मा
06:25तुम हमारे लिए बहुत महत्व रखती हो
06:27तुम्हारे जीवन से बड़ा
06:28हमारे लिए और कुछ भी नहीं है
06:30अब चलो जादा समस्दारी मत दिखाओ
06:32बलकि ये दवाईयां खाओ
06:34और जल्दी से ठीक हो जाओ
06:35शामो के माँ शामो के सर पर हाथ रख कर
06:38उसे आशिरवाद देती है
06:40और दवाई खा लेती है
06:41फिर शामो के माँ सो जाती है
06:43सुभा के लगबक ग्यारा बच चुके थे
06:46भावना कक्को से बोलती है
06:48कक्को बेटा
06:50दादी अब तक उठकर कमरी से बहार नहीं आई है
06:53जरा तु जाकर देख तो
06:54कि दादी अभी तक क्यों नहीं उठी है
06:56उन्हें जगा कर बाहर ले आ
06:58और बेटा तब तक मैं सब लोगों के लिए
07:01नाश्त तयार कर देती हूं
07:03ठीक है माँ
07:04मैं अभी जाकर दादी को लेकर आती हूं
07:07कक्को दादी के कमरे में जाती है
07:09तो देखती है
07:10कि दादी आँखे बंद करके सो रही है
07:12कक्को ने बहुत जगाने की कोशिश करती है
07:16लेकिन उसकी दादी नहीं जाकती
07:18उठो दादी मा
07:20बहुत देर हो गई है
07:21मा तुम्हें बुला रही है
07:23आपी तो बोलते हो
07:25कि अच्छी लोग जादेर तक नहीं सोती
07:28सुबह उठना अच्छा होता है
07:30दादी मा उठो ना
07:32दादी मा
07:34जब कक्को के बहुत उठाने पर भी
07:36उसकी दादी मा नहीं उठी
07:38तब वो अपनी मा से आकर कहती है
07:40मा दादी मा तो उठी नहीं रही
07:44मैंने उन्हें बहुत जगाया
07:46भावना ने माजे के कमरे में जाकर देगा तो उनका देहान्थ हो चुका था
07:52माजे, माजे
07:54शामू ने अपनी मा का अंतिम संसकार किया
07:58अब शामू जब भी अपने घर में बैठा होता
08:01तो अपनी मा के कमरे को देख कर बहुत दुखी होता
08:04एक दिन शामू भावना से बोला
08:07भावना मुझे इस कमरे को देख कर मा की बहुत याद आती है
08:13ऐसा करो कि इस कमरे को बंद कर दो
08:16हाँ जी आप सही कहते हैं
08:19मैं भी इस कमरे को बंद कर देती हूँ
08:22इस कमरे को देखती हूँ तो मा जी की बहुत याद सताती है
08:25फिर भावना उस कोठरी को बंद कर देती है
08:29शामू के मा के दिहान को अब लगभग एक महीने का समय बीच चुका था
08:34शामू के हालात अब भी सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे थे
08:38और वो परिस्थितियों से जोंज रहा था
08:41एक दिन शामू भावना से बोला
08:43भावना मुझे लगता है कि मुझे अब मचली बेचने का काम छोड़ देना चाहिए
08:48क्योंकि इससे तो अपना घर भी नहीं चल पा रहा है
08:51मुझे कुछ और काम करना चाहिए
08:54हाँ जी मैं भी आपको यहीं कहना चाहती थी
08:57अगली दिन शामू अपने लिए काम डूड़ने के लिए निकलता है
09:02वो कई जगा काम तलाशता है
09:04लेकिन उसे कोई काम कहीं नहीं मिलता
09:07वो अपने घर के तरफ निराश होकर लोट रहा था
09:10तब ही उसे किशन दिखाई देता है
09:13जो एक किराने की दुकान पर बैठा हुआ था
09:16किशन ने जैसे ही शामू को देखा तो उसे आवाज लगाई
09:21शामू भाई अरे ओ शामू भाई कहां जा रहे हो तुम
09:25क्या बताऊं किशन भाई मैं अपने लिए काम ढूड़ने गया था
09:30लेकिन मुझे कोई काम भी नहीं मिल रहा
09:32हाँ शामू भाई मचलियों में तब कोई फायदा नहीं रहा
09:36इसलिए मैंने भी मचलियों का काम छोड़कर सेट जी की दुकान पर काम कर लिया है
09:41अब मैं यही काम करता हूँ ठेक ठाक पैसे कमा लेता हूँ
09:45यह तो बहुत अच्छी बात है किशन भाई अच्छा अब मैं चलता हूँ
09:50उसके बाद शामू घर आ गया और अपनी पत्नी को सारी बाते बताई और बोला
09:55भावना मैंने बहुत कोशिश की लेकिन मुझे कोई भी काम नहीं मिला
10:00मुझे समझ नहीं आता कि आखिर मैं अब क्या करूँ
10:04हाँ जी मैं आपकी बात समझ सकती हूँ
10:07परन्तु इतना मायूस होने की कोई जरूरत नहीं है
10:10मेरे दिमाग में एक तरकीब है अगर आप कहें तो मैं आपको बताओ
10:15हाँ भावना बताओ
10:18अजी जब मैं अपने माई के में थी तो बहुत अच्छी समोसी बनाया करती थी
10:23सारे मोहले बालों को मेरे हाथ के समोसी बहुत पसंद थे
10:27अगर आप कहें तो मैं घर से समोसी बना कर दे दिया करूंगी
10:31और आप उन्हें तलकर बेश दिया करना
10:34वैसे भी हमारे पूरे गाओं के अंदर
10:37कोई समोसे की दुकान नहीं है
10:39आपके समोसे बहुत बिकेंगे
10:41बस हम ये कोशिश करने की देर है
10:44अगर आप कहें तो हम ये कोशिश कर सकते हैं
10:48बिकेंगे या नहीं ये तो मैं नहीं कह सकता भावना
10:50लेकिन ठीक है तुम मुझे समोसे बना कर दो और मैं उसे बेच कर देखता हूँ
10:55लेकिन भाबना उसमें भी एक सवाल है
10:57हमारे पास समोसे की दुकान खोलने के लिए तो पैसे ही नहीं है
11:01हम समोसे की दुकान कैसे खोलेंगे
11:03और तुम तो जानती हो, गाउं में कोई उधारी भी नहीं देता
11:06हाँ जी, ये आपने बिल्कुल पते की बात कही
11:10फिर भाबना थोड़ी देर सोचती है और चहकते हुई बोलती है
11:15अजी, आपको याद है, जब मैं दुलहन बनकर नई-नई घर में आई थी
11:21तो माजी ने मुझे अपना मंगल सूत्र उतार कर दिया था
11:25वो मंगल सूत्र अभी भी मेरे पास जैसा का तैसा रखा है
11:29ऐसा करते हैं, हम उसे बेच देते हैं और उसी से समोसे की दुकान शुरू कर दीती है
11:35नहीं नहीं भावना वो माजी की आखरी निशानी है
11:39हम उसे नहीं बेश सकते
11:40उस मंगल सूत्र में मा का अशिरवाद भी तो है
11:43वो तो ठीक है
11:46लेकिन इस वक्त सबसे ज़ादा जरूरी है
11:49आपके लिए एक दुकान खुलवाई जाए
11:51आखिर हमारे बेटे और बेटी के बारे में भी तो सोचना है
11:55और हो सकता है
11:56मा का अशिरवाद इसलिए अभी तक मेरे पास रखा हो
12:00कि वो आपके कहां मा जाए
12:02और इस तरह भावना जिद करके
12:05अपना मंगल सूत्र बेचने के लिए दे दिये
12:08श्यामू मंगल सुत्र बेच कर समोसे के लिए आलू की बोरी, तेल, मसाले, कढ़ाई, सारी चीजे खरीद कर ले आता है और भाबना से कहता है
12:20देखो भाबना, मैं सारा समाल ले आया हूँ, बस तुम मुझे समोसे बना कर दे दो, और मैं तल कर बेचता हूँ, तब तक मैं किराय का ठेला लेकर आता हूँ
12:29शामो ठेला लेने के लिए चला जाता है, इधर भाबना ने सारे चीजे किचन में जमाई और समोसे बनाने शुरू कर दिये
12:37शामो ने समोसे के दुकान लगाई और आवाज लगाने लगा
12:41समोसे ले लो समोसे गर्मा गरम समोसे एक बार खा कर देखो मेरे गर्मा गरम स्वादिष्ट समोसे
12:51बड़े मुश्किलों के बाद एका दुका ग्रहा की शामू के समोसे खाने आ रहे थी
12:58शामो को ये देखकर बहुत चिंता हो रही थी। शामो जब शाम को घर पहुचा तो भावना से बोला।
13:04भावणा जिस तरह से मेरे सम उसे की दुकान चल रही है
13:08वैसे तो लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है
13:10मेरे समसे कोई खा ही नहीं रहा
13:13बस एकका दुक्का ग्राह की आते हैं
13:15इस तड़ा घर का खर्चा कैसे चलेगा
13:17कोई बात नहीं जी
13:19हमें थोड़ा सबर करना चाहिए
13:21भगवान ने चाहा तो धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा
13:25लगभग एक हफता बीच चुका था
13:27और अभी भी शामो की दुकान का वही हाल था
13:30कि एका दुका ग्रहाखी आया करते थे
13:33एक दिन शामो शाम को घर आया और बोला
13:37भावना आज मुझे मा की बहुत याद आ रही है
13:41मैं मा की कोठरी में बैठता हूँ
13:43शामो ने कोठरी को ली और मा के पलंग पर जाकर बैठ गया
13:48उसके बाद शामो को नीद आ गई
13:50सपने में उसे अपनी मा नज़र आई
13:53जिसकी गोड में वो सोया हुआ था
13:56और शामो की मा उससे कह रही थी
13:59शामो बेटा मायूस मत हो
14:02मेरी आत्मा इसी कोठरी में रहती है
14:06तुम्हारे पिताजी के आशिरवात से
14:09मेरी आत्मा को बहुत सारी शक्तियां प्राप्थ है
14:12तुम ऐसा करो
14:14कि समोसे की बोर्यां यहां लाकर रखो
14:17और बाकी का सामान भी तुम देखना तुम्हारी दुकान बहुत चलेगी और तुम्हारे समोसे की बोरियों से आलू कभी खतम नहीं होने देगी तुम्हारी ये माँ
14:30शामु जैसे हैं जगा उसने भावना को सारी बाते बताई और भावना ने आलू की बोरी बचा हुआ सामान और पैसे सब कुछ ले जाकर कोठ्री में रग दिया
14:43अगले दिन शामू ने जब समोसे की दुखान लगाई तो एक दम से उसकी समोसे की दुखान पर समोसे खाने के लिए भीड उमर पड़ी
14:54शाम तक शामू के सारे समोसे खत्म हो गए शामू बहुत खुशी से घर आया और भावना से बोला
15:01और अब शामू ने अपने ठेले की जगा एक रेस्टरेंट बना लिया था जहाँ पर समोसे के साथ साथ जलईबी, मीठी, दही और बहुत सारी चीज़े मिलती थी
15:13शामू के समोसे की दुखान दिन पर दिन मशूर होती जा रही थी
15:17तुम्हें पता है भावना, आज मेरे सारे समोसे बिग गए, बलकि समोसे कम पड़ गए थे
15:23भावना भी ये सुनकर बहुत खुशो गए
15:26फिर वो लोग कोठरी में गए, तो देखा के कोठरी में आलू की बोरिया बरी की भरी पड़ी थी
15:33और समोसे तल्ले का तेल भी बिलकुल उत्रा ही था, जितना पहले था
15:39वो समझ गए कि इसके पीछे उनकी मा का अशिरवाद है
15:43लगभग एक महिना बीच चुका था
15:47शामू की दुकान दिन पर दिन बहुत अच्छी चलती जा रही थी
15:51शामू को पता नहीं था, लेकिन आते जाते किशन
15:55शामू की चलती हुई दुकान को देखकर बहुत जल भुन रहा था
15:59एक दिन किशन अपने मन में बोला
16:02बताओ भला, कल तक शामू के पास काम नहीं था
16:07और इसके घर पर खाने के भी लाले थे
16:09इसने समोसे की दुकान क्या खोली
16:11ये तो पैसे चाप रहा है
16:13इसकी समोसे की दुकान पर रोज इतनी भीड रहती है
16:16समझ नहीं आता, लोगों को इसके समोसे इतने क्यों पसंद आ रहे हैं
16:20चलो, आज मैं भी एक खाकर देखता हूँ
16:23किशन श्यामू की दुकान पर जाता है और श्यामू से कहता है
16:28अरे श्यामू भाई, मेरे लिए भी दो समोसे लगा देना
16:32हाँ हाँ किशन भाई, क्यों नहीं
16:35किशन नहीं श्यामू की समोसे खाए और मन ही मन बोला
16:40ऐसा भी कुछ खास नहीं है इन समोसों में
16:43जरूरी कोई जाद उटो न कर रहा है जिसकी वज़ा से इसके समोसे इतने बिक रहे हैं।
16:49और ऐसा सोच कर किशन महां से चला गया।
16:52अब किशन रोज शामो की समोसों को बिकते होई देखकर मन ही मन कुड़ता रहता।
16:59धीरी धीरी समय बिकने लगा और शामो की समोसे खूब बिकते रहे।
17:04लगभग छे महीने का समय बिक चुका था।
17:07शाम को पंचायक बठाए गई।
17:09मुख्या ने पंचायक में वीना मौसी को बुलाया और बोला।
17:13आसपास के गाउं के लोग भी उसके यहां समोसे और जलेबी और दूसरी तरह के पकवान खाने आया करते।
17:21लेकिन ये बात किशन को बिलकुल पसंद नहीं आ रही थी।
17:25एक दिन किशन शामो के घर के सामने से जा रहा था।
17:29तब ही उसने शामो को अपनी पतनी से बात करती सुना, तो वो खिड़की में छुपकर सुनने लगा।
17:35भावना, अगर इस कोठी में मा का अशिरवाद नहीं होता और इस कोठी में हमारी सारी चीजें रखने से वो खत्म नहीं होती, तो शायद आज इतना बड़ा बिजनिस, हम खड़ा नहीं कर पाते।
17:46हाँ जी सब मा का अशिरवाद और आपके पुने कर्मों का प्रताप है
17:52ये सब सुनकर किशन सारी बात समझ गया और अपने मन ही मन बोला
17:57अच्छा तो श्यामू की काम्यावी का ये राज है
18:01श्यामू अपनी मा की कोठी के कारण काम्याब हो रहा है
18:04तो ठीक है मैं इस कोठी में ही आग लगा देता हूँ
18:08ना कोठी रहेगी और ना ही श्यामू काम्याब होगा
18:11अगले दिन किशन ने रात को चूरी से
18:15श्यामू की कोठी में आग लगा दी और चुपचाप वहां से भाग गया
18:20शामू की पोठी धूं धूं करके जने लगी शामू अपनी दोनों बच्चोर पत्मीं के साथ बहर आ गया
18:27तब तक सारी गाउंबाले एकटा हो गये
18:31मुख्या जी शामू के पास आए और बोले
18:34अरे भाई शामू तुम्हारा सारा घर तो जल गया
18:39ऐसा करो अभी तुम मेरे घर चलो और फिर सुभा सोचना कि क्या करना है
18:44मुख्या जी शामू को लेकर अपनी साथ घर चला गया
18:48दूसे दिन मुख्या कही घूमने गया था
18:51जब वो वापस आया तो वो शामू से बोला
18:55अरे भाई शामू ये पता चल गया है कि तुमारे घर में आग किसने लगाई है
19:00आज शाम को पंचायत है तुम उस पंचायत में आओ
19:03मैं वहीं बताऊंगा कि आग किसने लगाई है
19:06हाँ वीडा मौसी जरा आप बताओ तो कि आपने क्या देखा था
19:11किसने शामू के घर में आग लगाई थी
19:13मुख्या जी अक्सर मेरे घर अगर कोई चीज खत्म हो जाती है
19:19तो मैं भावना के घर से ले आती हूँ
19:22कल रात भी मेरे घर पर आटा खत्म हो गया था
19:25मैं आटा लेने के लिए रात को शामू के घर जा रही थी
19:29कभी मैंने देखा कि एक आदमी अपने हाथों में पेट्रोल और मिट्टी का तेल लेकर उदर जा रहा था
19:37इससे पहले कि मैं उसे कुछ बोल पाती उसने मिट्टी का तेल श्यामू के घर पर छिड़क दिया
19:44और आग लगा कर भागने लगा मैं जोर से चिलना आई कौन है अरे कौन है
19:52मेरी अवाज सुनकर उस आदमी ने पलट कर देखा और मैंने उसका चहरा देख लिया मुख्या जी वो किशन ही था
20:03क्यों भाई किशन तुम्हें कुछ कहना हो तो बताओ
20:07किशन के पास कहने के लिए कुछ नहीं था वो शर्मिन्दा था क्योंकि उसका भेट सबके सामने खुल चुका था
20:15तब मुख्या बोला
20:17तो ठीक है किशन को इसकी सजा मिलनी चाहिए इसे पुलिस के हवाले कर देते हैं
20:23नहीं नहीं मुख्या जी मुझसे गलती हुई है मुझ पर दया कीजिए मुझे माफ कर दीजिए
20:30श्यामू मुझे माफ कर दो मेरे भी छोटे छोटे बच्चे हैं मेरी पतनी है अगर मैं जेल चला गया तो उनका खर्च कौन उठाएगा
20:39तुम माफी के लायक नहीं हो किशन तुम्हें तो जेल जाना ही पड़ेगा
20:44तभी श्यामू बोला
20:46नहीं मुख्या जी इसे पुलिस के हवाले मत कीजिए ये मेरा दोस्त है मैं मानता हूँ कि इसने गलती की है लेकिन कोई बात नहीं मैं इसे माफ करता हूँ
20:57और रही बात मेरे घर को जलाने की तो कोई बात नहीं मैं जल्दी ही वहाँ पर फिर से एक नया घर बना लूँगा और अपनी मा की कोठरी को वापस बना लूँगा
21:06और इस तरह शामू ने किशन को माफ कर दिया शामू ने अपने लिए पहले से भी जादा बड़ा घर बना लिया और जहां पर उसकी मा की कोठरी थी वहाँ पर फिर से कोठरी बना दे और फिर बाद में किशन को अपने यहां काम पर रख लिया
21:23इस तरह गरीब समोसे वाले ने अपने दोस्त को माफ किया और खुशी खुशी अपने जिन्दगी गुजारी
Be the first to comment
Add your comment

Recommended