45 साल बाद अफगानिस्तान में आखिर कैसी “शांति” आई है? भारत दौरे पर आए अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने कहा — “अब अफगानिस्तान में स्थिरता है, और सभी देशों को इसका लाभ उठाना चाहिए।” क्या सच में अफगानिस्तान बदल चुका है? क्या भारत और अफगानिस्तान के बीच रिश्तों का नया अध्याय शुरू होने वाला है? देखिए इस वीडियो में मुत्ताकी के बयान के पीछे की पूरी कहानी — शांति या रणनीति — फैसला आप करें!
00:00वानस्तान इश्या का दिल है जब वहां पे कुशाई हों खुशी हों तो सारे इश्या में खुशे है जब वहां पे पसाद हो तो सारे इश्या में पसाद है जब वहां पे अभी पसाद नहीं है लड़ाई नहीं है जंग नहीं है तो ये जो हमारा जो मौकियत है उसे पाइद
00:30Is भी समय में झाहिए एक मुलकत के साथ, एक मुलकत के
00:36खातर दुसरे मुल्क के साथ पश्मण studied नहीं करता है चार साल साथ उन
00:42को पता है, जिसदे लोगrement आया हैं जितने लोगन को वियज़द यह हैं,rous mobil अवी
00:49अबितर कोई एक केस भी ऐसे नहीं आया है कि हकुमत हिंदुस्तान ने मुझे को शिकायत किया है कि भाई ये ये क्यों ऐसे हुआ तो जब इतना इत्मिनान मुझूद है वो इतना संजीदगी से काम बढ़ सकता है तो इसमें खुलाओ दिल होना चाहिए बड़ा दिल होना चा
01:19साला में इकबाल किहते हैं कि अफगानिस्तान इश्या का दिल है जब वहां पे कुशाई हों खुशी हों तो सारे इश्या में खुशी है जब वहां पे पसाद हों तो सारे इश्या में पसाद है अफगानिस्तान एक पैकर आब गिलस मिलत अफगान दर आन पैकर दिलस अज
01:49जब वहां पे अभी पसाद नहीं है लड़ाई नहीं है जंग नहीं है तो ये जो हमारा जो मौकियत है उसे पाइदा उठाना चाहिए
02:02सिंट्रल एश्या और जुनिबी एश्या के दर्माबें बेहतरीन निज़्दिक रास्ता है
02:07और हम इसके लिए बहुत बरफूर अमादगी और तयारिया हैं हमारे तरफ से तो इसी पाइदा उठाना चाहिए
02:17तो मेरे ख्याल में हमारे और पुर्वसी मौमालिक भी इसमे कम्योटी न करें
02:24सब एक दूस्री को आद देना चाहिए
02:27आवाम के लिए खिद्मत होना चाहिए
02:31गरीब लुगों के लिए इक्तिसाद, मजदुरी, कार, कारुबर होना चाहिए
02:37हमके और सारे जिमधार लुगों का
02:44और हमारा सियासत जो है इमारत इस्लीमिय अफगानस्तान का
02:49हम उस सियासत के लिए जो उसूल रखा है
02:52एक असर ये है कि हमाँरा सियासत मतवाजिन सियासत है
02:57मतवाजिन सियासत का मतलब यह है
03:01कि पच्छास साल से अफगानिस्तान बड़े बड़े कुवतों
03:06और अलाके के मुमालिके दर्मियन मकाबले का जो मैदान ता हम इससे बाद यह मैदान नहीं चाहता है
03:13हम वहाँ पे मस्बत रकाबत का
03:15वहाँ पे इक्तिसादी रकाबत का
03:18वहाँ पे मजाकिरात और मुपाहिमा और ट्रांजिट और इक्तिसाद और
03:24जिस चिज़ उनके लिए रकाबत होना चाहिए
03:27ताकि और के लिए भी पाइदा हो जाए हमारे लिए भी पाइदा हो जाए
03:31मतवाजिन स्यासत का मतलब यह है
03:34कि हम एक मुमलकत के साथ
03:37एक मुमलकत के खातर दुसरे मुलक के साथ दुश्मनी नहीं करता है
03:42हम एक बड़ा कुछ के खातर दुसरे बड़ा कुछ के साथ दुश्मनी नहीं करना चाहिए नहीं करना है नहीं करता है उन्हीं चाहता हूँ
03:54क्योंकि अफगानस्तान अभी चालिस साल लड़ाईयों में बहुत ज्याद तकालिप उसको पहुंचा लोग के लिए हम
04:05हम डाई मेलों तक हमारा शहीद हुआ है दस मेलों से जयाद हमारे लोग महाजर हुआ है
04:14बहुत सारे लोग जो है वो उसके किसका आतने, किसका पाउने, किसका आंकने
04:21ये इतना मुश्किलाच जो हमने बरदाश किया जालिमों के वज़े से
04:27हम भी हम ये चाहता है कि हम यसी लोगों के लिए
04:31तालिम के मैदान में, इक्तिसाद के मैदान में, रवाबित के मैदान में, अबनामाल के मैदान में काम करे
04:38और अल्हम्दलिल्ह इस चार साल हम इसमें बहुत अच्छा चकान्या भी हसिल किया
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