नई दिल्ली, 14 अक्टूबर 2025: भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर दलित राजनीति को लेकर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि — कश्मीर में एक समय ऐसा था जब दलित समाज का कोई भी बेटा या बेटी चाहे जितना भी पढ़-लिख ले, IAS या IPS बनना तो दूर की बात, अगर कोई PhD भी कर लेता था, तो उसे सिर्फ सफाईकर्मी की नौकरी ही दी जाती थी। धारा 370 की आड़ में दलित समाज के स्वाभिमान के साथ जो कुछ हुआ, उसे 70 साल तक जिन लोगों ने बनाए रखा, आज वही लोग न्याय और समानता की बात करते हैं।” उन्होंने कहा कि देश की जनता भलीभांति जानती है कि दलित समाज का सच्चा हितचिंतक कौन है।
00:00राउल गांदी जी को ध्यान रखना चाहिए कि उनकी सरकार के दोरे हुकूमत में काश्मीर में नियम था कि बालमी की समाज का कोई भी बेटा या बेटी पढ़ लिख कर यहां IPS अफसर बनना तो छोड़िए PhD भी कर लेगा तो वो सिर्फ सफाई कर्मचारी बन सकता है
00:19बिहार में ये बताईए 2005 से पहले क्या जिला पंचायतों में शेडूल कास को आरक्षन था नितीशी की सरकार आने के बाद एनडिये की सरकार आने के बाद मेला है
00:31उससे पहले नहीं था, उत्तर प्रदेश में, समाजभादी पार्टी की सरकार ने, शिडूल कास के रिजर्वेशन इन प्रोमोशन को खतम कर दिया था, और खतम ही नहीं किया था, रेट्रोस्पेक्टिव, यानि हजारों की संख्या में तो जो दली समाज के लोग प्रोमोटे
01:01प्रोमोशन की सरकार के समय मिर्शीपूर में क्या हुआ था, उन्हें याद नहीं आ रहा है, दली समाज के बारे में, बोलते समय, राउल गांदी जी को ध्यान रखना चाहिए, कि उनकी सरकार के दोरे हकूमत में, काश्मीर में नियम था, कि बालमी की समाज का कोई भी बे�
01:31सफाई कर्मचारी बन सकता है, जो धारत 370 की आड में, दली समाज के स्वाविमान के साथ, जो कुछ होता था, जिन लोगों ने उसको 70 साल तक बना के रखा, वो जब आ जाके कहते हैं, तो मुझे लगता है कि देश की जंता को भली भात ये समझ में आता है, कि दली समाज का
02:01नितिशी की सरकार आने के बाद, इंडिये की सरकार आने के बाद मिला है, उससे पहले नहीं था, उत्तर प्रदेश में, समाजभादी पार्टी की सरकार ने, शिडूल कास के रिजर्वेशन इन प्रमोशन को खतम कर दिया था, और खतम ही नहीं किया था, रेट्रोस्पेक्�
02:31लेने के बाद, फिर कोलंबिया में घूम के आने के बाद, यानि एक लंबी वेकेशन बनाने के बाद, आज अचानक प्रकट हुए हैं, तो उसमें कोई सामानने सी बात है, वो जो बोलना है, वो आदतन बोलना है, यथार्त और तथ्यों से परे बोलना है.
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