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अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने कहा कि अफगानिस्तान एशिया का दिल है। जब अफगानिस्तान में खुशी रहती है तो पूरे एशिया में खुशी रहती है। जब अफगानिस्तान में मसला होता है तो पूरे एशिया में मसला होता है। हम एक देश के लिए दूसरे देश से दुश्मनी नहीं करते। उन्होंने कई अन्य बातों को लेकर भी अपने विचार रखे।
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Transcript
00:00अवानस्तान इश्या का दिल है जब वहां पे कुशाई हों खुशी हों तो सारे इश्या में खुशे है जब वहां पे पसाद हों तो सारे इश्या में पसाद है जब वहां पे अभी पसाद नहीं है लड़ाई नहीं है जंग नहीं है तो ये जो हमारा जो मौकियत है उसे पा�
00:30आद्देना चाहिए हम एक
00:31मूम्लकत के साथ
00:33एक मूम्लकत के खातर दुसरे मुलक के
00:36साथ तुष्मनी नहीं करता है
00:37चार साल
00:39सातियों को पता है
00:40कि जितना लोग आया है
00:43जितने लोग उनको विजए दिया है
00:45आया है गिया है
00:47अबितर कोई एक केस भी ऐसे नहीं आया है
00:50कि हकुमत हिंदुस्तान ने मुझको शकायत किया है
00:53कि भाई ये क्यों ऐसे हुआ
00:55तो जब इतना इत्मिनान मुझूद है
00:58और इतना संजिदगी से काम बढ़ सकता है
01:02तो इसमें खुलाओ दिल होना चाहिए
01:05बड़ा दिल होना चाहिए
01:06और इसके लिए रास्ने कोलना चाहिए
01:10अफगानिस्तान आपको पता है कि
01:14जैसा अलाम इकबाल किहते है कि अफगानिस्तान इश्या का दिल है
01:20जब वहां पे कुशाई हों खुशी हों तो सारे इश्या में खुशी है
01:26जब वहां पे पसाद हो तो सारे इशाय में पसाद है
01:29अफगानिस्तान एक पैकरी आब गिलस्त
01:35मिल्लती अफगान दराण पैकर दिलस्त
01:39अज गुशादी उ गुशादी आसिया
01:42अज पसादी उ पसादी आसिया
01:45जब वहां पे अभी पसाद नहीं है लड़ाई नहीं है जंग नहीं है तो ये जो हमारा जो मौकियत है उसे पाइदा उठाना चाहिए
01:58सिंट्रल इश्या और जुनिवी इश्या के दर्माबें बेहतरीन निजदी करास्ता है
02:02और हम इसके लिए बहुत बरफूर अमादगी और तैयारिया हैं हमारे तरफ से तो इसी पाइदा उठाना चाहिए
02:12तो मेरे ख्याल में हमारे और पॉर्डूसी मौमालिक भी इसमे कमिटी न करें
02:18सब एक दूसरे को आद देना चाहिए
02:21आवाम के लिए खिदमत होना चाहिए
02:25गरीब लुगों के लिए इक्तिसाद, मज़़ूरी, कार, कारवार होना चाहिए
02:31यह जिम्मवारे हैं हमके और सारे जिमदार लुगों का
02:36और हमारा सियास्ट जो है इमारत इस्ताम या अफगानस्तान का
02:42हम उस स्यासत के लिए जो उसूल रखा है एक असर ये है कि हमारा स्यासत मतवाजिन स्यासत है
02:50मतवाजिन स्यासत का मतलब ये है कि पचास साल से अफगानिस्तान बड़े-बड़े कुवतों
02:58और अलाके के ममालिक के दर्मियान मकाबले का जो मैदान ता हम इससे बाद ये मैदान नहीं चाहता है
03:05हम वहाँ पे मस्बत रकाबत का
03:08वहाँ पे इक्तिसादी रकाबत का
03:10वहाँ पे मजाकिरात और मुपाहिमा और ट्रांजिट और इक्तिसाद और
03:16जिस चीज़ उनके लिए रकाबत होना चाहिए
03:19ताकि और के लिए भी पाइदा हो जाए हमारे लिए भी पाइदा हो जाए
03:22मतवाजिन स्यासत का मतलब यह है
03:26कि हम एक मुमलकत के साथ
03:28एक मुमलकत के खातर दुसरे मुलक के साथ तुश्मनी नहीं करता है
03:33हम एक बड़ा कुछ के खातर दुसरे बड़ा कुछ के साथ दुश्मनी नहीं करना चाहिए नहीं करना है नहीं करता है उन्हीं चाहता हूं क्योंकि अफगानस्तान अभी चालिस साल लड़ाईों में बहुत जाद तकालिप उसको पहुंचा लोग के लिए हम डाई मिलों तक ह
04:03हुआ है बहुत सारे लोग जो है वो उसके किसका आतने किसका पाउने किसका आंक ने ये इतना मुश्किला जो हमने बरदाश किया जालिमों के वज़े से अभी हम ये चाहता है कि हम यसी लोगों के लिए तालिम के मैदान में इक्तिसाद के मैदान में रवाबित के मैदान म
04:33झाल झाल
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