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83 साल के हुए महानायक, देखें बिग बी के मिलेनियम स्टार बनने की कहानी

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00:00मस्कार मैं हूं नेहा बाथम और आप देख रहे हैं कहानी 2.0
00:17वो शक्सियत जिनकी आवाज वक्त को टहरने पर मजबूर कर देगी
00:21जी हां वो चेहरा जो पीडियों के दिलों में बसता है और वो नाम जो सदी के महनायक के रूप में अमर हो गया
00:29अमिता बच्चन
00:30अमिता बच्चन 83 साल के हो गए हैं लेकिन उनकी उर्जा, उनका जुनून और उनका करिश्मा
00:36आज मी उतना ही असरदार है जितना पहली बार परदे पर दिखा था
00:40आज कहानी एंग्री यंग मैं की
00:42मदिरा ले जाने को घर से चलता है पीने वाला
00:46किस पत से जाओं असमन जसमे है वो भोला भाला
00:55अलग अलग पत बतलाते सब
00:58अलग अलग पत बतलाते सब
01:01पर मैं ये बतलाता हूँ कि राह पकड़ तु एक चला चल पाजाएगा मनुशा
01:07एक बरस में एक बार ही जलती होली की ज्वाला
01:15और एक बार ही लगती बाजी जलते दीपों की माला
01:21दुनिया वालो किन्त किसी दिन आ मदिराले में देखो
01:25कि दिन को होली राद दिवाली रोज मनाती मदुशा
01:34मुसल्मान और हिंदू हैं दो एक मगर उनका प्याला
01:38एक मगर उनका मदिराले एक मगर उनकी हाला
01:42दोनों रहते एक नजब तक मंदिर मस्जिद में जाते
01:47बैर बढ़ाते मंदिर मस्जिद मेल कराती मनशे
01:51सदी के महानायक ने हर दौर में खुद को एक नए अंदाज में ढ़ाला
02:01कभी आंगरी यंग मैन, कभी भावुक पिता, कभी शो के होस तो कभी कविताओं की आवास
02:0683 की उम्र में भी उनका जजबा, उनका नुशासन और उनकी चमक आज के नौजवानों को मात देती है
02:12उनके घर के सामने जमा होती है, जारों की भीड़िये कहती है
02:16कि अमिताब बच्चन उम्र से नहीं, अपने कर्म और करिश्मे से सदी के महानायक बने
02:22पहराभी अमिताब सर्ची जो प्यार है, कब शुरू हुआ, कैसे शुरू हुआ, शायद ये बोलना बड़ा मुश्किल है
02:28हमारी दिये, सिर दिल नहीं है, दिल के धरकन है
02:33पुझे लगता है, जो प्यार होता है, क Amanda है क्यों होता है शैद पता नहींचलता है
02:52को ऐस掂ंसर मेरे ले ले इस सभी के ही नहीं, इस यूक के महानायक है
02:56मैं बच्वन से अमेजी का फेन रहा हूँ.
03:00वगवान सो उप्रही करता हूँ कि नेक्ष्ट जनम में इतने अच्छे कारिया करूँ कि मेरे उंके परिवार का कोई भी सदस्याप बना दे.
03:13Sir, we love you. Happy birthday, Amirji!
03:15Happy birthday, Amirji!
03:17Happy birthday, Amirji!
03:27इस परुप में हम बच्चन सार के लिए पूजा पाट, हावान, जिसे बच्चन साब को वो लोग आशिवा देते हैं, जिसे बच्चन साब सस्त रहे, मस्त रहे.
03:3883 साल की उम्र, लेकिन चोश आज भी 60 और 70 के दशक वाला है.
03:43हम जहां खड़े हो जाते हैं, लाइन वाइन से शुरू होती है.
03:47अच्छा?
03:48जब लोग आराम की सोचते हैं, अमिताब बच्चन आज भी कैमरे के सामने उसी उर्जा, उसी शिद्दत से खड़े नजर आते हैं.
03:59चाहे कौन बनेगा करोणपती के मंच पर उनकी आवाज की गूंज हो, या किसी नई फिल्म के सेट पर उनकी महनत,
04:26हर उम्र के कलाकारों के लिए पेड़ना बन चुके हैं.
04:42कभी जंजीर के एंगरी यंग मैन, तो कभी पीकू के भावनात्मक पिता, या फिर कलकी का अश्वस थामा.
04:49हर किरदार में आज भी उतनी ही सच्चाई से उतरते हैं, जैसे पहली फिल्म में उतरे थे.
04:56बच्चन सिर्फ एक नाम नहीं, एक जज़बा है, जो सिखाता है कि उम्र सिर्फ एक गिंती है, अगर सपने अभी जिन्दा है.
05:1283 साल की उम्र में भी वो हर फ्रेम में नया उत्सा, नई प्रेड़ना और नई उर्जा लेकर आते हैं.
05:19तुमाराम, तुमाराम.
05:49नजाने ये लोग मुझे छुटा ना कर दे, क्या कर दे, मैं अपनी लाइने न भूल जाओ, कहीं रीटेक ना हो जाए, ये हमेशा एक डर रहता है.
05:57क्योंकि वो कभी मिस्टेक नहीं करते, कभी भी वो गलत काम नहीं करते या गलत, उनका टेक जो है वो गड़बर हो जाता है. पहले ही टेक में सब फस्क लाइए.
06:06अमिताब बच्चन, ये नाम सिर्फ पॉल्यूट की पहचान नहीं, बलकि भारती ये सिनेमा की आत्मा बन चुकी है. लेकिन इस नाम तक पहुचने का सफर उतना असान नहीं था.
06:2411 तुवर 1942, इलहाबाद, उत्तरप्रदेश
06:28हरिवन्ष राइबच्चन और तेजी बच्चन के घर जन्म हुआ एक बच्चे का, जिसका नाम रखा गया इनकलाब.
06:39एक दिन विख्यात साहितिकार सुमित्रा नंदन पंत ने कहा, ये अमिताव होंगे, यानि असिमित प्रतिभावाले अमिताव, तो नाम हो गया अमिताव.
06:49पिता कवी थे, माँ थीटर आर्टिस्ट, हरिवन्ष राइबच्चन अपने बच्चों को जात्कियों की मकरजाल में उल्जाना नहीं चाहते थे, इसलिए पहले उन्होंने अपने सरनेम को बदल कर बच्चन किया, और फिर अपने बच्चों के नाम में भी बच्चन जोड
07:19जात पात में विश्वास नहीं किया, और जब मुझे स्कूल में भर्ती करने का समय हुआ, तो जब उन से पूचा गया कि आपके बेटे का नाम किया है, तो नहीं का नाम आमिताब है, नहीं का नहीं सरने मताइए, तो पहली दफ़ाए उन्होंने अपना जो नॉन डिप्ल�
07:49जात का नाम कभी नहीं दिया, क्योंकि जैसे कि सब लोग जानते हैं, सरनेम से जात का पता चलता है, उन्होंने कभी विश्वास नहीं किया उसमें, तो मैं पहला वेक्ती था अपने परिवार का जिसमें, बच्चन नाम जो है वह, एक्वीड का नाम नाम नाम है, श्कूल क
08:19जो कि नैनिताल में है, बॉर्डिंग में, वहां जो एन्यूल ड्रामा होता था, उसमें मैं भाग लेता था, एक साल में भाग लिया तो मुझे बेस्ट आक्टर का, उसमें पुरिसकार मिला, और अगले सार फिर उसमें मैं, जो प्ले करने वाला था, उसमें भी ऐसी उमीद
08:49हम लोग माता पिता को बलाते थे, फाउंडर्स डे होता था, माता पिता सब दिली से आते थे, देखते थे हमारा कारिकरम, तो वो आकर के हमारे साथ हॉस्पिटल में बेटे और उस दौरान बेटे जब कि मैं सुन सकता था कि नीचे प्ले जो हो रहा है जिसमें मुझे भा�
09:19तो ज्यादा अच्छा कैसे हो सकता है, तो उनने का जो मन का ना हो इसका मतलब वो उपर वाले के मन का हो रहा है और वो तुमारे लिए कभी बुरा नहीं चाहेगे, इसलिए अच्छा हो रहा है
09:29अविता पच्चन का बच्चपन आम बच्चों की तरह ही गुजर रहा था, इलाबाद में वही लड़कपन, वही बदमाशियां, लेकिन जिन्दगी से लड़ने का सलिका उन्होंने अपनी मा से सीखा, बच्चपन से ही संखर्ष को उन्होंने साधना सीख लिया था
09:45वहां पर नमें विल पार बहुत था और किसी छीजे के सामने वह खार नहीं मानती थी छोटा से था बच्चों के साथ कहलें के अपने दोस्तों के साथ偉ल पर चार पांच बच्चों ने मिल करक अवों पीड दिया, पीड दिया हम रोते रोते
10:05यहां पर गर्मत आया करो रोते दो तो यह एक तरह से प्रेड़ना मिली मैं गया वहाँ बहुत जोश में गया मैंने सबको मारा पीटा चोटे-चोटे बच्चे इस अपने और वापस आ गया तो कहीं न कहीं यह था कि हार नहीं मानना चाहिए हमेशा प्रयतने करते रहना चाह
10:35दिल्ली उनिवर्शिटी के किरोडी मलकॉलिस से ग्रेश्वन के बाद उन्होंने कोलकाता में नौकरी शुरू की लेकिन जिस आवाज ने लाखों को मोह लिया वही आवाज उस वक्त आकाश वानी ने ठुकरा दी
10:48कहा गया आपकी आवाज रेडियो के लिए बहुत भारी है शायद किस्मत ने तै कर रखा था कि आवाज रेडियो नहीं इतिहास के लिए गुंजेगी
10:57इसे अपनी जेव में रखले पीटर अभ ये ताला में तेरी जेव से चावी निकाल करी खोलूंगा ये लाख
11:12University, looking for a job. I wasn't finding any jobs. Someone said, you know, you need to do an audition test with All India Radio.
11:23Maybe you can, you know, be a news reader or a commentator. I did go there and try it in both the languages, English and Hindi, and I was rejected there.
11:33But that's fine. I mean, maybe my voice was not suitable for what they were looking for.
11:44Amitabh ने मुंबई का रुक किया. हाथ में कुछ तस्वीरें, दिल में उम्मीद और जेव में बहुत कम पैसे.
11:50उन्होंने अपनी पहली फिल्म साथ हिंदुस्तानी से शुरुवाद की.
11:55लेकिन कोई उन्हें पहचान नहीं पाया.
11:57फिल्म में आती रही, फ्लॉप होती रही.
11:59किसी ने कहा, आपके पास हीरो जैसा चेहरा नहीं है.
12:02किसी ने कहा, आपकी लंबाई कैमरे के लिए मुश्किल है.
12:05बॉक्सवाला क्या करता है?
12:10मुझे तो यह बताई, यह बॉक्सवाला होता क्या है पहले?
12:12यही यही शब्द पढ़ा मैंने आपके बारे में कि आप कूलकता में थे.
12:17शायद कोई मल्टिनाशनल कमपनी?
12:18जी नहीं, यह बॉक्सवाला करते हैं, मुझे मालूम नहीं क्यों बॉक्सवाला कहते हैं, लेकिन जी उनके हाँ नौकरी की थी.
12:33उनके हाँ साथ साल का वाशनल का जिसके बाद अमिज्जी?
12:36जी उसके बाद एक इस्तिहार निगला, फिल्म फैर और माधुरी का.
12:44माधुरी, देखशित नहीं, माधुरी जो मैगजीन थी, जी.
12:53उनका इश्तिहार निकलाता है कि वो ऐसो लोगों की तलाश में हैं, जो कि फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश करना चाहते हैं.
13:00और एक कॉंपटिशन था, उसमें बहुत से लोग अपलाई करते थे, फिर उसके बाद आपको एक अफसर मिलता था जहां आप जाकर के एक स्क्रीन टेस्स दें, अपनी एक्टिंग का नमूना दिखाया, और फिर उसके बाद अगर आप चुने गए तो आप
13:18को पाँच हजार रुपए मिलने वाले थे, और तकरीबन छे बहुत ही प्रक्यात जो की डिरेक्टर्स थे उस जमाने के, उनके साथ काम करने का आफसर मिलेगा, तो मुझे लगा कि ये बहुत अच्छी चीज है, उसमें फिर अपलाई किया मैंने, और प्रिलिम्नरी में ही �
13:48जिसने सब कुछ बदल दिया
13:501977 फिल्म जन्जीर
14:18जन्जीर ने एक ऐसा चेहरा दिया, जो आम आदमी की आवाज बन गया, विवस्था से घुसा और अन्याय के खिलाफ आग, सब कुछ अमिताब बच्चन के करदार में नजर आने लगा
14:34और नहीं मैं जूटी पर हूँ, इलाका तुम्हारा है और मैं अकेला हूँ
14:40मतलब का बात बोलू सहूँ
14:42सिनेमा ने पाया अपना हीरो, एंग्री यंग मैन, इसके बाद दीवार, शोले, टॉन, मुकदर का सिकंदर, तिर्शूल, अमर अकबर अन्थनी
15:01हर फिल्म ने अमिताब को नई उचाई दी, लोग सिनेमा हॉल में नहीं, मंदिरों में उनकी तस्वीरें लगाने लगे, उनका हर डायलॉग एक नारा बन गया
15:23सिनेमा अब सिर्फ मनु रंजन लगे, लोग मुझे ढून रहा हूँ, मैं तुम्हारा यहां इंतजार कर रहा हूँ
15:39मा का खून चाटने वाली कुट्टे जैसी जबान से मैं अपना नाम नहीं सुना चाता हूँ
15:50सिनेमा अब सिर्फ मनु रंजन नहीं, एक क्रांती बन चुका था
15:55सर्दी के महानाय कमताब बच्चन और जया भादरी का मिलन किसी फिल्मी किस्ते से कम नहीं
16:08एक कहानी शुरू हुई गुड़ी के सेट से और नस्दी क्या बढ़ी
16:11जनजीर के दुरान, फिल्म की सफलता के बाद दोनों ने साथ में लंदन जाने का प्लान दिना है
16:16लेकिन पिता हरिवन्च राय बच्चन निकाह, पहले शादी, फिर यात्रा
16:20और फिर तीन जून 1973 को दोनों ने साथ फिरे ले लिए
16:24साथगी भरे इस विवा में सिर्कुछ करीवी लोग शामेद होई
16:27जनजीर की शूटिंग के बीच अमिताब की मुलाकात जया भादूरी से हुई
16:44दोनों की जोडी ने सेनेमा और जिन्दगी दोनों में नई कहानी लिखी
16:491973 में दोनों ने शादी की और वही साल था जब जनजीर आई
17:02एक फिल्म जिसने अमिताब और इंसान दोनों को नई शुरुवात दी
17:06दोनों ने मिलकर एक मजबूत परिवार बनाया
17:09बेटे अभिशेक बच्चन और बेटी श्वेता नंदा आज भी उसी विरासत को आगे बढ़ा रहें
17:15अभिशेक के साथ आपका रिष्टा यानि पिता के तोर पर अमिजी
17:20जब मैं मैंने विवा किया तो मैंने सोचा कि अगर यदि मुझे कभी पुत्र होगा तो वो मेरा मित्र होगा
17:28मैंने हमेशा अभिशेक को अपना मित्र माना है और मैंने किताब में पढ़ा कहीं शायद इम्रान भाई को पता होगा शायद पठानों में शायद ये अब मैंने ये किताब निकली थी पाकिस्तान के उपर जहां पर ये बहुत ही अच्छी कहावत है कि जब बेटा जो है वो
17:58तो मैंने यही सोचा कि तो अब वो मेरी पैंड कोट सब पहन लेते हैं और जूते भी पहन लेते हैं मैं उनकी चीज़ें अब चुडाता हूँ तो मेरा रिष्टा उनके साथ एक मित्र का है और हमेशा रहेगा
18:11लेकिन इसी इंटर्व्यू में अमिताब बच्चन जब अपने और अपने बच्चों के साथ-साथ पूरवज़ों के होने और ना होने की कहानियों को सुनाते हैं तो पूरा हॉल तालियों से गुन्ज उठता है
18:23जिन्देगी में पहली बार और आखरी बार बाबु जी के सामने में गया कभी भी उनके सामने मैं ने उचे इस वर में बात नहीं की मैंने कहा आज मुझे पता चल गया है कि वज़े क्या है इन से बातों की आप ने मुझे पैदा क्यूं किया था
18:38बाबु जी शान्त रहे कुछ बोले नहीं और हम विलिंग्डिन क्रेसंट में जो की अब उसका नाम शहिद बदल गया है
18:52मदर टेरीजार्ट क्रेसंट हो गया है तीन मुर्थी के बगल में मकान था वहाँ
18:56वो सुबह सुबह चार बज़े घूमने जाया करते थे पीछे डिप्लोमेटिक इंकलेव है अब तो बहुत सारी अमबसी बन गई वहाँ पर पहले जंगल भी आवान होता था वहाँ
19:05और उचार बज़े उठकर के वो जब जाने लगे तो वो मुझे उठाते थे पढ़ने के लिए
19:11तो एक कागज छोड़ गया बिस्तर पर और मैं जब उठा तो मैंने देखा कि उन्होंने एक छोटी सी कविता लिख करके
19:20जो रात को मैंने उनसे कहा था उसके उत्तर में उन्होंने ये कविता लिखी
19:24उन्होंने लिखा कि ये कविता है
19:28कि जिन्दगी और जमाने की कश्मकस से घवरा कर मेरे बेटे मुझे से पूछते हैं कि हमें पैदा क्यूं किया था
19:35जिन्दगी और जमाने की कश्मकस से घवरा कर
19:39मेरे बेटे मुझसे पूछते हैं कि हमें पैदा क्यूं किया था
19:43और मेरे पास इसके सवा कोई जवाब नहीं है
19:45कि मेरे बाप ने भी मुझसे बिना पूछे मुझे क्यूं पैदा किया था
19:47और मेरे पास इसके सवा कोई जवाब नहीं कि मेरे बाप ने भी मुझसे बिना पूछे मुझे कुछ पैदा किया था
19:56और मेरे बाप को उनके बाप ने बिना पूछे उन्हें
20:01और उनके बाबा को बिना पूछे उनके बाप ने उन्हें
20:05जिन्दगी और जमाने की कश में कश पहले भी थी
20:08आज भी है शाहिद ज्यादा
20:10कल भी होगी शाहिद और ज्यादा
20:12तुम ही नई लीक रखना
20:14अपने बेटों से पूछ कर उनको पैदा करना
20:17कभी कभी मेरे दिल में
20:26ख्याल आता है
20:30के जैसे तुझ को बनाया गया है मेरे लिये
20:40तु अब उससे पहले सितार बच्चन की शादी के बाद भी
20:54सुपर हीट फिल्मों का सिलसला चलता रहा
20:571976 में फिल्म आई कभी कभी
20:59जो सुपर हिट रही और उसके गीत आज भी अमिताब बच्चन गुनगुनाते हैं
21:04मैं पल दो पल का शाइर हूँ
21:08पल दो पल मेरी कहानी है
21:12पल दो पल मेरी हस्ती है
21:15पल दो पल मेरी जमानी है
21:20मैं पल दो पल का शाइर हूँ
21:251980 में यह शोपड़ा की फिल्म सिलसिला परदे पर पूरी तरप पिट गई थी
21:30आमिताब जया और रेखा की तिकड़ी भी फिल्म को बचा नहीं पाई
21:34आमिताब के फैंस उनको एक्शन हीरो के तौर पर देखना चाहते थी
21:38और फिर साल आया 1982
21:48और सेट पर हुआ एक ऐसा हाथसा जिसने पूरे देश को हिला दिया
21:58फिल्म की शूटिंग चल रही थी और एक फाइट सीन में अमिताब पुनीज इससर के साथ जगडे का द्रिश्य फिल्म आये जा रहा था
22:06सीन के दोरान अमिताब बच्चन को एक जोरदार पंच लगा और वो टेबल से टकरा कर पीछे गिर गए
22:24देखने में मामूली सा सीन लेकिन चोट इतनी गंफीर थी क्योंके आंतरिक अंग फट गए और तुरंत उन्हें अस्पताल ले जाए गया
22:32पूरे देश में मानुस्त नाट आचा गया
23:02लाखों फैंस, मंदिरों में, मस्धिदों में, गिर्जा घरों में उनके लिए प्रार्पना करने लगे
23:08अस्पताल के बाहर हजारों लोगों की भीड दिन राट डटी रही
23:12रेडियो, अख़बारों और टीवी पर बस एक ही ख़बर थी अमिताब कैसे हैं
23:18I am grateful most of all to all you people
23:24who have prayed for me, for my life, be it in a temple, be it in a mosque, be it in a church,
23:35you all came forward
23:37I don't know so many of you
23:42but yet you prayed for me, I am grateful for that
23:45फिलाल वक्तिक छोई से ब्रेक का उचला है, ब्रेक के उस पार भी सदी के महानायक की कहानी जारी रहेगी
23:52देखते रही आज तो
24:05अमिताब भच्चन की हालत कई दिन तक नाजुक रही, लेकिन उनने हार नहीं मानी, धीरे धीरे उनकी तब्रेत सुद्री और जब वो ठीक हो कर घर लोटे तो पूरा देश जश्म ने डूग गया
24:24फिल्म कुली जब रिलीज हुई तो दर्शकों के लिए वो सिर्फ एक फिल्म नहीं, बलकिन अविताब की वापसी का पुपिक बन चुकी थी और इससे करोलों की भावना है, चुड़गे
24:31क्या चान्मीन करेंगे आप जब आपके बोर्ट का मेंबरी हम रेलवे वालों पर हाथ उठाता है
24:35कभी वक्त निकाल कर हम गरीबों की दुनिया में भी जाग के देखिए साब
24:39दर्थ की जमीन पर तकलीफों के साय में पानी के जगा आसू पी कर कैसे जीते हैं हम
24:44कुली फिल्म से वापसी के बाद अमिताप फिर से सुपरस्टार बन चुके थे
25:09बाई ये नत्थुलाल जी कहीं दिखाई नहीं दे रहे कहां है
25:18सरकार मैं तो आपके बगल में ही कर दो
25:21आ नत्थुलाल जी हमने आप से कितनी बार कहा है कि जब भी हम यहां आए
25:261984 में शराबी फिल्म में उनकी भूमिका ने सब को हैरान कर दिया था
25:31मर्द आखरी रास्ता और फिफ शेहनशाह
25:48कर दो कर दो कर दो कर दो कि रिष्टे में तो हम तुमारे बाब होते हैं
26:03कि ना में शराइशाह तुम लोग मुझे ढून रहे हैं और मैं तुमारा यहां इंतजार कर रहा हूँ
26:12फिल्मों में अमिता बच्चन के होने का मतलब सुपर हिट होने की गारंटी माना जाने लगा था
26:23अमिता बच्चन की लोग प्रियता ऐसी हो गई थी कि शूटिंग के दौरान एक जलक देखने के लिए हजारों की भीड उमर पर पर थी
26:31अमिता बच्चन लोग प्रियते और ततकालीन केंदर सरकार के करीबी थे
26:49पूर प्रधान मंतरी राजीव गांधी के अच्छी तोस्त थे
26:52और उस वक्त साल था 1984 जब अमिता बच्चन की जिन्दगी में एक नया मोड आया
27:04राजीव गांधी के आगरह पर अमिता बच्चन ने राजनिती में कदम रखा
27:09गान्दी परिवार
27:391984 में इलहबाद से अमिधा बच्चन ने कॉंग्रिस की टिकट पर चुनाव रड़ा और भारी बहुमत से जीते भी
27:47लेकिन कुछी सालों में राजनीती की सच्चाई समझ में आ गई
27:52आज वो खुद मानते हैं राजनीती में आना बड़ी भूल थी
27:56जिस समय आरोप लगाए गए मुझे पर बोफोर्स के और एंपी बना में वो दोर बहुत ही तीखा था कटिन था
28:10और क्यूंकि मुझे पता नहीं था एक तो राजनीत मालू में थी मुझे और बिना जाने राजनीत के बारे में हम उसमें चले गए
28:19किवल एक भावना के तहट पर लेकिन भावना किसकी खिला आपको राजिव जी के मतरता ले गई वहाँ पर आपको
28:27वो इमोशनल रीसन से गया लेकिन राजनीत एक महीने बाद तुरत पता चल गया कि इसमें इमोशन जो है वो कोई काम नहीं करता है
28:35तो उसको मैंने अपने हार मान ली और उसको राजनीत को छोड़ दिया
28:391987 में देश में सबसे बड़ा राजनीति घोटाला सामने आया वोफोर्स मामला
28:49यह मामला स्वीडन की एक तोप बनाने वाली कमपनी वोफोर्स से भारत को तोपों की सप्लाई के सौदे से जुड़ा था
29:00आरोप लगा कि इस डील में करोडों रुपे की घूस दी गई और कई बड़े नाम इसमें शामिल थे
29:06इसी लिस्ट में अचानक एक नाम उभ्रा अमिताब बच्चन का
29:10अमिताब उस वक्त ना सिर्फ सिनेमा बलकि राजनिती में भी सक्रियत है
29:15कई सालों तक जाँ चली मीडिया में चर्चाएं होती रही लेकिन कोई सबूत नहीं मिला
29:21आखिरकार उन्हें क्लीन चिट मिली
29:23बड़ी किमत चाहिए विजय साहब बड़ा हुसला चाहिए इसके लिए
29:30ताग तामन पे नहीं दिल पे लिया है मैंने
29:36तो पहले दिन से ही कह रहे थे कि हम इस मामले में निर्दोशी हैं
29:40मुझे खेद बस एकी बात का है कि पच्चीस सालों तक हमें इस बदनामी और बेज़िती के साथ रहना पड़ा
29:47हम लोग तो उस जमाने में थोड़े से और जवान थे तो इसको सही लिया और उसके साथ लड़े भी हम कोट कचहरी गए बिलायत में
29:54लेकिन मा बाबु जी के लिए दुख होता है कि अब वह वह हमारे साथ नहीं है और उनके मन में एक जो खेश था हमारे gör उनके मन में
30:02उनके जीते जी हम सफाई नहीं दे पाए� Stra Sommer
30:05आई उनको हम यह बता पाए कि हम कहे तो दिया था कि हम निर्दोष हम लेकिन यदि आज वो जीवित होते तो बहुत कुछ अब राजनीती के साथ साथ अमिताब बच्चन ने अपनी फिल्मों पर कभी ब्रेक नहीं लगने दिया तमाम आरोप प्रत्यारोप के बाद 1990 में पर�
30:35मांडवा उमर चत्तिस साल नो मेना आट दिन नहीं नवा गंटा चलाई हुए ये दुनिया बहुत बगड़ी हुए गायतोंडे साथ इस दुनिया में बगड़ा हुआ रहना बहुत जरूरी है जो सुदर गया उगया उपर मालूम क्या गयना चाहते हो तुम कि हमारे मौत क
31:05अज रात शेवजे मौत के साथ अपना बिंडबंट है अगरे जी बहुत आए
31:15आज राजनीती से स्तीफा देने के बाद 1990 के दशक में हमितावने एक नई शुरुवात की उन्होंने हमताब बच्चन कॉर्पूरेशन लिमिटर यानि की ABCL नाम की कंपनी बताए
31:32अभिताव बच्चन का सपना था कि भार्तिय मनोरंजनों द्योग को एक नया आकार दिया जाएगा लेकिन व्याफार की दुनिया में किस्मत ने साथ नहीं दिया
31:41और कुछ सालों में ही कंपनी घाटे में चली गए कर्द बढ़ गया और सिती इतनी जादा खराब हो गए कि उन्हें अपना बंगला तक गिरवी रखना पड़ा
31:49लेकिन मिस्टर बच्चर ने हमेशा की तरह फिर से नई शुरुआत की और काम्यावियों का आस्मान चुना
31:56पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा बेका हमारा ऐसा काम करेगा
32:061990 का दौर शुरू हो चुका था हिंदी सिलेमा में एक नया बतलाव दिखाई देने लगा था नई पीड़ी के सितारे उभर रहे थे दर्शकों की पसंद भी बदल रही थी
32:16अब फिल्म में रोमांस म्यूजिक और यंग इमोशन्स का दौर क्या क्या कहा आपने
32:26कोई बात नहीं सेन्यूरीटा कोई बात नहीं बड़े बड़े देशों में ऐसी चोटी-चोटी बाते होती रहती हुआ
32:39ऐसे में आमिताब बच्चन जो एक समय में बॉक्स ओफिस की गारंटी माने जाते थे उनके नाम पर भीड पहले जैसी नहीं जुटती थी
32:47लगातार कुछ फिल्म में उम्मीदों पर खरी नहीं उत्री और अमिताब बच्चन ने फैसला किया कि अब वो अपने अनुभव को नए रूप में आजमाएंगे
33:03उन्होंने अपनी फिल्म कमपनी अमिताब बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड एबी सील की नीव रखी इस कमपनी के जरिये ना सिर्फ फिल्मों का निर्मान करना चाहते थे बलकि टेलिविजन, इवेंट मेनेजमेंट और मनोरंजन की पूरी इंडस्ट्री को एक कॉर्�
33:33में बहुत सारी संक्टें आ गए थी, एक कॉपरेशन स्टार्ट गिया हमने, एबी कॉप के नाम से, बहुत सारी उसमें उलजने आ गए, कर्जे हो गए, नबे से लेकर सो केसिज हो गए हमारे खिलाफ, कुड़की लग गई, घर पे, और बैंक्रप्ट हो गया था मैं,
33:54और कई लोग आकर के जो लोग एक जमाने में काम करना चाहते थे मेरे साथ, वो आकर के मेरे सामने गाली को लोच करते थे और धमकियां देते थे, तो यह सुखद तो अफसर हो ने सकता किसी के लिए.
34:15कुछ सालों की हार के बाद ही, अमिताप बच्चन समझ चुगे थे कि जिस काम ने उन्हें शोहरत दिलाई, उन्हें छोड़ना नहीं चाहिए था.
34:242000 में अमिताप बच्चन काम मांगने यस्शोपडा के पास पहुचे, और मुहबबत फिल्म में नारायन शंकर का रूल निभाया.
34:35परमपरा, प्रतिष्ठा, अनुशासन, ये इस गुरुकुल के तीन स्तंभ हैं. ये वो आदर्श हैं जिससे हम आपका आने वाला कल पनाते हैं.
34:56विदाओं से निकलने के लिए मैं कई बार सोचता था क्या करें अब इतनी सारी परिशानिया हैं. एक दिन मैं रात भर नेन नहीं आती तो जागा रहता था. रात को सोचा कि मैं कौन हूँ, क्या कर सकता हूँ? मुझे लगा कि मैं एक्टिंग करने आया था, मैं एक्टिंग
35:26नहीं है और ना ही मेरे पास पैसे हैं, मुझे एक काम चाहिए, मैं एक्टिंग करना चाहता हूँ. उन्होंने मुझे मुझे फिल्म महबते में एक रोल दिया और धीरे-धीरे वहाँ से पिर काम शुरू हुआ. यहीं वो वक्त था जब उन्होंने खुद को फिर से खड़ा
35:56प्रकृति जैसे शोके जर्ये और बड़े पर नई उर्जा के साथ नज़र आए।
36:26उनकी असली वाक्सी थी, जिसने उन्हें फिर से सदी का महनायक बना दिया.
36:31दो खान, एक नाक, एक मूँ, दो खान, एक स्टमख, एक प्रेंट, एक हाथ, एक प्रेंट, जिरो हेर हो सकता।
36:39एबी सील में बैंकरप्ट्सी हो गई, और सारी फिल्में जो हैं वो फेल हो गई, कुर्की लग गई, और उस दोर में भी पता नहीं चला कि अब क्या होगा, क्योंकि एक भी रुपया नहीं था मेरी जेब में, और सब इंकम टैक्स और कोई पचास साथ केसे थे और घर हमार
37:09मुश्किल परिस्तितियों में अमिताब बच्चन के साथ कुछ लोग हमेशा ख़ड़े रहें, इस बात को अमिताब आज भी मानते हैं
37:20सब हमारे नजदीक हैं, अमर सिंजी को हमेशा अपने परिवार का सदस्य माना है और आज भी मानते हैं
37:32अनिल अंबानी और सहराशी में नहीं हैं, क्योंकि हमारा उनके साथ पहले से कोई परिवारिक संबंध नहीं था
37:38ये अभी नजदीकी संबंध तब हुआ, जब हम फिल्म इंडस्ट्री में आ गएं
37:43तब हमारी सहराशी से मुलाकात हुई, तब हमारी अनिल से मुलाकात हुई
37:46और हमारा संबंध बना, उठना, खाना, पीना, सब ऐसे ही होता है और आज भी ऐसे है
37:51साल 2000 में जब टीवी स्क्रीन पर कौन बनेगा करोणपती शो आया, तो उसने टीवी इंडस्ट्री का चेहरा बदल दिया
38:05और उसके साथ ही लोटा है एक नाम, सिनेमा के संसार का शेहनशाह, अमिताब बच्च
38:24उनके आवाज, उनका अंदास, उनका सहियम, हर उम्र के लोगों को टीवी के सामने बैठने पर मजबूर कर देता था
38:40लॉक किया जाए, कम्प्यूटर जी, सही जवाँ
38:52ये संबाद भारत के घर-घर में गूंजने लगे
38:56फिल्मी परदे पर भी उन्होंने एक नया जीवन पाया
39:15महबबतें, बागवान, ब्लैक, सरकार, पीकू, 102 नॉट आउट
39:21हर भूमिका में एक नया अमिताब
39:23अमिताब अचन की जिंदगी में फिर से अच्छे दिन आ गए
39:25लेकिन उन्होंने कभी भी अपने आपको अपने पिता की छाप और छाया से अलग नहीं किया
39:29अमिताब अचन की जिंदगी में फिर से अच्छे दिन आ गए
39:35अमिताब अचन की जिंदगी में फिर से अच्छे दिन आ गए
39:49लेकिन उन्होंने कभी भी अपने आपको अपने पिता की छाप और छाया से अलग नहीं किया
39:57यह कभिता है जो बीद गई सो बाद गई
40:01बहुत से लोग कहते हैं कि हमारे साथ यह हो गया वो हो गया पता नहीं कैसे होगा
40:07बावजी ने लिखा कि जो बीद गई, सो बात गई
40:10जीवन में एक सितारा था, माना वो बेहत प्यारा था
40:17वो डूब गया तो डूब गया
40:20अंबर के आनन को देखो
40:22कितने इसके तारे टूटे, कितने इसके प्यारे छूटे
40:28पर पूछो तूटे तारों का कव अंबर शोक मनाता है
40:32जो बीद गई, सो बात गई
40:34जीवन में वो था एक कुसम
40:38थे उस पर नित्य निछावर्तुम
40:41वो सूख गया तो सूख गया
40:45मदवन की चाती को देखो
40:47सूखी कितनी इसकी कलिया
40:50मुर्जाई कितनी वल्लरिया
40:52जो मुर्जाई फिर कहां खिली
40:55पर बोलो सूखे फूलों पर
40:57कब मदवन शोर मचाता है
41:00जो बीद गई, सो बात गई
41:02जीवन में मदू का प्याला था
41:06तुमने तन मन दे डाला था
41:09वो तूट गया, तो तूट गया
41:12मदिराले का आगन देखो
41:15कितने प्याले हिल जाते हैं
41:18गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
41:20जो गिरते हैं, कब उठते हैं
41:23पर बोलो तूटे प्यालों पर
41:26कब मदिराले पच्छताता है
41:28जो बीद गई, सो बात गई
41:30मृदु मिट्टी के हैं बने हुए
41:33मदु घट फूटा ही करते हैं
41:36लगु जीवन लेकर आए हैं प्याले तूटा ही करते हैं
41:41फिर भी मदिराले के अंदर मदु के घट हैं
41:45मदु प्याले हैं
41:47जो मादकता के मारे हैं
41:49वो मदु लूटा ही करते हैं
41:52वो कच्चा पीने वाला है जिसकी ममता घट प्यालों पर जो सच्चे मजु से जला हुआ
41:58कब रोता है चिलाता है जो बीद गई सोबात गई
42:02अब वो सिर्फ हीरो नहीं एक संगस्थान बन चुके हैं
42:10वो जानते हैं कि सम्मान खुद नहीं मांगे जाते हैं
42:14वो कमाए जाते हैं और लोग खुद देते हैं।
42:17देश ने उन्हें पदमश्री, पद्मभूशन, पद्मभूशन, दादा सहब फाल के पुरसकार,
42:23दुनिया ने फ्रांस का सर्वोच्च सम्मान लिजन ओफ ओनर दिया।
42:28लेकिन उनके लिए सबसे बड़ा पुरसकार हमेशा रहा है लोगों का प्यार।
42:58झा करते हमानीं में इस बिल्डिञ के पांच-दस लाख डूबए कर सकता था।
43:03फिर आप कहते हैं।
43:06मौफ की जादा सब, मौफ की जिए बिजनस करना तो आपको नहीं जाता हे।
43:14अगर आप कहते तो मैं इस बिल्डिंग के पांच-देसलाक रुपए आपको जादे देता हुआ
43:24ऐसी तुम कुछते हैं ऐसी क्या खास बात है इस बिल्डिंग के दावस आप ये बिल्डिंग जब बन वही थी
43:32तो मेरी माने इसमें मजदूरी की है सरबें इट और पत्थर ढोए है इसके आगे मैंने जोड़ाये जो फिल्म में नहीं था विजे वाजकल तुम्हारी मां कहा है
43:47जी क्यों नोटा में दो चार बिल्डिंग मेरे और शुरू हो रही है
43:53आज अमिता बच्चन सिर्फ एक कलाकार नहीं बल्कि एक संक्स्था एक प्रतीक एक प्रेड़ना है
44:05वो भी 83 साल के उम्र में उनकी आवाज में अब भी वही वूंज है उनकी आखों में अब भी वही चमक है और उनके जीवन में अब भी वही विनम्रता है
44:17आमिता बच्चन सदियों में एक खुआ करते हैं और वो पूरे काल खंड को अपने नाम कर लिया करते हैं
44:25आमिता बच्चन नाम के करिश्मे की आत्रा अनवरत चारी रहेगी देखते रही आज़ते
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