Syahu Mata Ki Mala 2025: हिंदू धर्म में हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से माताएं अपनी संतान की सेहत और उनके खुशहाल जीवन के लिए रखती हैं। अहोई अष्टमी का व्रत निर्जला रखने की मान्यता है। इस दिन अहोई माता की पूजा करने के दौरान स्याहु माला धारण करने का महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि स्याहु माला धारण करने से अकाल मृ्त्यु से छुटकारा मिल सकता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति भी होती है। Syahu Mata Ki Mala 2025: Syahu Mata Ki Mala Kab Pehne,Kitni Motiya Dale,Kab Utarna Hai ?
00:00सनातन धर्म में हर साल कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की अश्टमी तिथी के दिन अहोई अश्टमी कवरत रखा जाता है ये व्रत मुख्य रूप से माताय अपनी संतान की सेहत और उनके खुशहाल जीवन के लिए रखती हैं इस दिन अहोई माता की पूजा करने के दौरान स
00:30को बताते हैं कि सियाहू की माला कैसे बनाएं इसे कैसे धारन करना चाहिए साथ ही इसमें कितनी मोती पिरोएं हर साल बढ़ाय जाने वाला मोती संतान की उम्र बढ़ने का प्रतीक है इससे संतान को लंबी उम्र और स्वस्त जीवन मलता है अहोई अश्टमी के दिन महिलाए
01:00और उसे दीरगायू का आशिरवाद मिले।
01:02आप अपने संतान की संख्यानुसार एक-एक करके मोती बढ़ा सकती हैं।
01:07अगर यह आपका पहला है तो ऐसे में आप एक मोती पे रोएं।
01:11और इसी के साथ हर साल एक-एक करके अपनी मोती बढ़ाती रहें।
01:15अब आती है स्याहू माला धारण करने की विधी।
01:19सबसे पहले तो इस दिन अहोई माता की पूजा होती है और मिट्टी के घड़े में पानी भर कर रखा जाता है।
01:25अहोई माता की तस्वीर पर स्याहू माला को चड़ाएं और पूजा करें।
01:28इस पूजा में संतान को साथ में बठाना शुब होता है।
01:31फिर अहोई माता को तिलग कर और उसके बाद स्याहू माला की लौकेट पर भी तिलग करें।
01:36उस माला को गले में पूजा के बाद पहन ले।
01:39दिन भर नर्जला वरत रखें और फिर शाम को तारो को अर्ग देकर वरत का पारण कर दें।
01:44आप चाहें तो स्याहू माला को बाजु में या फिर कंठ में भी धारन कर सकती है।
01:49माला धारन करने से पहले शरीर को शुद्ध रखना जरूरी है, इसे रोली चंदन और अक्षद चढ़ाते हैं।
01:57माला को शुब मुहरत में ध्यारन करें, माला धारन करते समय मन को शांत रख भगवान के आरादना करें।
02:03वही स्याहु माला दिवाली के दिन पूजा के बाद उतार कर रख दी जाती है, यानि अहोई अश्टमी से अगले 10 दिनों तक आपको ये माला पहन कर रखनी होगी, वहीं अहोई अश्टमी में करवे के जल से दिवाली के दिन बच्चों को सनान कराय जाता है, उसके बाद ही �
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