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Afghan FM Amir Muttaqi: अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर ख़ान मुत्ताक़ी ने हाल ही में महिलाओं के अधिकारों को लेकर विवादास्पद बयान दिया। उन्होंने कहा, “हर देश के अपने नियम होते हैं और अपनी सामाजिक व सांस्कृतिक पद्धतियों के अनुसार नीति बनाता है। मुत्ताक़ी के इस बयान को कई लोगों ने अफ़ग़ान महिलाओं के अधिकारों पर सीमाओं का संकेत माना है। अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान शासन के तहत महिलाओं की शिक्षा, कामकाजी जीवन और सार्वजनिक जीवन में भागीदारी पर पहले ही कई पाबंदियाँ हैं। विदेश मंत्री के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान अपनी परंपराओं और धार्मिक कानूनों के आधार पर नियम तय करता है, जो अन्य देशों की महिलाओं की स्वतंत्रता की नीतियों से अलग हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मुत्ताक़ी का बयान यह दर्शाता है कि तालिबान सरकार अंतरराष्ट्रीय दबाव और मानवाधिकारों के आलोचनों के बावजूद अपने दृष्टिकोण पर अड़े रहने का संकेत दे रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि अफ़ग़ान महिलाओं के अधिकारों को लेकर भविष्य में कोई बड़े बदलाव की संभावना फिलहाल कम है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी इस बयान पर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ दी हैं। कुछ देशों ने इसे अफ़ग़ान महिलाओं के लिए चिंताजनक बताया, जबकि तालिबान समर्थक इसे अपनी संस्कृति और धार्मिक पहचान की रक्षा के तौर पर देख रहे हैं।

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~HT.410~

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00:00वहां पे अलहमदलेला कोवानीन नाफिज है यह जो लोग को रुपागंड़ा करता है यह एक चोटाव साफ बोलूं या बड़ा सा गलती करता है हर मुलक का अपना रिवायात है हर मुलक का अपना जो असूल है गवानीन है वो उसके मताबिक आमल करता है
00:22तालिवान निजी माने कोई पिछले चार्ट सालों में महिलाओ के अधिकार विमन राइट्स इन अफगनिस्तान हैव बीन अंडर प्रेशर तो उसको लेकर के आप अप अपने जो कहा है कि वहाँ पे हुकुक की बशर कैसा है
00:37अलहंदिलल्ला वहाँ पे जो निजान आने से बाद इससे पहले दो अजार एकिस पंद्रा अगस से पहले रोजाना दो सौँ से लेकर चार सौ अदमी को मरते थे
00:53अभी ये चार सालों में वसी एक दिन का भी नुकसान नहीं हुआ है
00:58और वहां पे अलहम्दलिल्ला गवानीन नाफिज है
01:03सब लोगों को अपना हक मिलता है
01:06ये जो लोग पुरुपागंडा करता है
01:09ये एक चोटा सा बोलूं या बड़ा सा गलती करता है
01:13कि वो अफगानिस्तान से भी घर्ब वाले क्या अजादी चाहता है
01:22हर मुल्का आपना रिवायात है
01:26हर मुल्का आपना जो असूल है, कवानीन है
01:33वो उसके मताबक अबल करता है
01:35तो इसका माना ये नहीं है कि वहां पे हुक नहीं देता है
01:41बलकि माना ये है कि वहाँ पर जो निजाम है वही निजाम जो गवाणी नाफिस किया है उस पर अगर लोग खुश नहीं था तो पिर ये अमन कैसा आया है
01:51कि अफगानस्तान में तारीख के दोरान में किसी नियु जोर पर अमन लाया है
01:57आप ये शुरवी इतिहाद ने अमन नहीं लाया अमरिकान नहीं नहीं लाया लेकिन अभी जो अमन आमान है
02:03अभी जो 40-49 साल के बाद जो मतहिश हकुमत है जो सारा वगानस्तान में कोई बरा वाकियाद नहीं जड़प नहीं है
02:14कोई मखालिफ आदमी नहीं है तो इसका मतलब यह है कि यह लोग जो है यही निजाम के साथ खुश है और खुश उस वक्त लोग हो सकता है कि वो आपने हुकुक को वही निजाम में दे के वही से राजी हो जाए
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03:14झाल झाल
03:44झाल झाल
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