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  • 2 weeks ago

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Transcript
00:00कुंती जो यदुवन्सी राजा सूरसेन की बेटी प्रथा की नाम से जाने जाती थी वच्चबन में ही एक अद्बुत सक्टी से स्थम्पन हो गई
00:08उनकी खुब सूर्ती और सरल्ता के कारण महतमा दुर्वासा ने उन्हें एक दिव्य मंतर दिया जिससे वैकिसी वी देवता को अपने इच्चा नुसार बुला सकती थी
00:18अब कलपना की जी एक युगती जो पूरी दुनिया से छिपकर अपने सक्टियों का इस्तिमाल करने वाली है
00:24कुंती ने इस मंतर का परियोग सूर्य देवता को हावाहन करने के लिए इया
00:29सूर्य देव ने तुरंत उनका स्वागत किया और कुंती को करन नामत पुत्र का असरवाद दिया
00:34लेकिन है कान इतनी स्टरल नहीं थी करन का जनम एक असाधारन समतकार था
00:39वा देवता का पुत्र होने के बावजूद असरु से जुड़ा था
00:42करन में असरु का अंस था और उसकी असाधारन सक्ती और समर्ते का कारन यही था
00:48जब कुंती को डर लगा इस समाज उन्हें और उनके पुत्र करन को सिर्कार नहीं करेगा
00:53तो उन्होंने कर्ण को नदी में छोड़ दिया
00:55कर्ण की पैचान चिपाने के लिए यह कतम उठाय गया
00:58लेकिन किसे बता था
01:00कि यह बच्छा एक दिन महाभारत के सबसे महान योता में इसे एक बनेगा
01:05क्या आप कलपना कर सकते हैं
01:07एक दिवता और एक असुर का संगम और फिर कर्ण जैसे वीर का जन्म
01:11यही है कुंति की कहानी
01:13एक असाधरन महा जिन्होंने अपने पुत्रों के लिए बहुत कुस किया
01:18और जिन्होंने महाभारत के युद्ध को मोड़ दिया
01:20नमस्कार
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