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🌟 हनुमान जी की बाल लीला – भाग 2 🌟
इस वीडियो में जानिए कैसे बाल हनुमान अपनी अद्भुत शक्तियों के साथ ऋषियों के साथ शरारतें करते हैं और कैसे उनकी इन चंचल हरकतों से परेशान होकर ऋषि उन्हें एक अनोखा श्राप देते हैं।
यह श्राप उनके भविष्य को पूरी तरह बदल देता है और यही कारण बनता है कि हनुमान जी विनम्रता और भक्ति के प्रतीक बनते हैं।

🚩 यह कथा हमें सिखाती है कि शक्ति का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए और सच्चा बल वही है जो सेवा और धर्म के लिए प्रयोग हो।

🙏 भाग 3 में हम देखेंगे – कैसे हनुमान जी श्रीराम से मिलते हैं और बनते हैं उनके अनन्य भक्त।
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Transcript
00:00प्राचीन काल में अंजना नाम की एक अपसरा थी जिन्होंने भगवान शिव की भक्ती में कठोर तब किया।
00:08उनके तब से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने वर्दान दिया कि वे उनके पुत्र रूप में जन्म लेंगे।
00:15कुछ समय बाद अंजना का विवाह केसरी नामक वानर राजा से हुआ।
00:20तबस्या के प्रभाव और भगवान शिव के वर्दान से अंजना माता ने एक दिव्य बालक को जन्म दिया।
00:28वही थे हनुमान जो शिव के ही अवतार थे।
00:31बालक हनुमान जन्म से ही आसाधारन शक्तियों से संपन्न थे।
00:36उनका शरीर बज्र के समान कठोर, आँखों में तेज और मन में अद्भुत साहस था।
00:44एक दिन जब हनुमान जी बहुत छोटे थे, वे भूक से व्याकुल हो थे।
00:49तभी उन्होंने आकाश में उगते हुए लाल सूरज को देखा और समझा कि वह कोई पका हुआ फ़ल है।
00:55बाल हनुमान उचल कर आकाश में पहुँच गए और सूरज को पकड़ने दोड़ पड़े।
01:00देवता आश्चरे चकित रह गए।
01:03स्वयम इंद्र देव ने अपने वज्र से हनुमान को रोकने की कोशिश की।
01:07वज्र उनके गाल पर लगा और वे गिर पड़े।
01:10परंतु यह दिव्यबालक अजेयता पवन देव जो उनके पिता समान थे।
01:15क्रोधित होकर प्रित्मी से वायू को रोक लिया।
01:18सारे जीव जन्तु और देवता घबराने लगे।
01:21तब सभी देवता आकर हनुमान से क्षमा मांगने लगे।
01:24और उन्हें अनेक वर्दान दिये।
01:27प्रम्भा जी ने अजेयता का वर्दान दिया।
01:30विश्नु जी ने अपनी शक्ति का अंश प्रदान किया।
01:33शिव जी ने अमर्ता और अद्भुत्पल का अशिर्वात दिया।
01:37इन वर्दानों से हनुमान जी और भी शक्तिशाली बन गए।
01:41वे बाल अवस्था में ही अदुलिनिये शक्ति, ग्यान और साहस के प्रतीक बन चुके थे।
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