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🌌 जब भी हम रात में आसमान की ओर देखते हैं, तो हमें असंख्य तारे दिखाई देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन तारों के बीच हमारी पृथ्वी कहाँ है? 🌍 और आखिर हम किस परिवार का हिस्सा हैं?

जी हाँ—हमारा Solar System (सौरमंडल)!
इस वीडियो में हम जानेंगे:

• 🌞 सूर्य – सौरमंडल का राजा और ऊर्जा का स्रोत
• 8 ग्रहों के रहस्य – बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण
• 🌑 चंद्रमा और अन्य उपग्रह
• ☄️ धूमकेतु, क्षुद्रग्रह और बौने ग्रह (जैसे प्लूटो)
• 🚀 वैज्ञानिक मिशन और भविष्य की अंतरिक्ष यात्रा

✨ यह वीडियो आपको बताएगा कि सौरमंडल कैसे बना, कैसे काम करता है और क्यों यह इतना अद्भुत है!

अगर आपको space, astronomy और universe facts पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए ही है।

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Transcript
00:00जब भी हम रात में आसमान की तरफ देखते हैं, तो हमें असंख्य टिम्टिमाते तारे दिखाई देते हैं। ये नजारा जितना खुबसूरत है, उतना ही रहस्य मैं भी। लेकिन जरा सोचिए, इन अंगिनत तारों के बीच हमारी पृत्वी कहा है और आखिर ये किस बड़
00:30सौरमंडल सूर्य और उसके चारों और चक्कर लगाने वाले ग्रहों, उपग्रहों, धूंकेतू, क्षुद्र ग्रहों और अंगिनत धूलकनों का परिवार है। इस पूरे तंत्र का केंद्र है सूर्य एक प्रचंड तारा, जो अपने शक्तिशाली गुरुत्वा कर्शन �
01:00प्रित्वी, मंगल, ब्रिहसपती, शनी, अरुन और वरुन, कभी यम, प्लूटो भी ग्रह कहलाता था। लेकिन 2006 में अंतराश्ट्रे खगोलिय संग ने इसे बौना ग्रह घोशित कर दिया।
01:17सौर मंडल का आकार बेहद विशाल है। इसका व्यास लगभग 287 अरब किलोमेटर तक फैला हुआ है। ज्यादातर हिस्सा खाली अंतरिक्ष है। लेकिन जहान जहां खगोलिय पिंड मौजूद है। वे हमें अद्भुत कहानिय सुनाते हैं। वैग्यानिक मानते हैं कि स�
01:47करशन के प्रभाव से ये मीहारी का संकुचित हुई। केंद्र में सूर्य का निर्मान हुआ और आसपास की धूल और गैस से ग्रह, उपग्रह और अन्य पिंड बने। आज भी वैग्यानिक लगातार नई खोजे कर रहे हैं। कभी किसी धूम केतू की तस्वीर सामने आती
02:17और भी हśरान करते हैं। यानि सौर्मंदल सिर्फ विज्ञान का विशे नहीं है बलकि ये हमें बार-बार याद दिलाता है कि इनसान कितना चोटा है और भ्रहμαन कितना असीम और विशाद।
02:29अब बात करते हैं, सौर मंडल के सबसे बड़े और सबसे शक्तिशाली पिन की, सूर्य की, ये एक पीश्रिनी का मुख्य अनुक्रम तारा है, सूर्य के बिना जीवन की कलपना भी असंभव है, इसकी रोशनी और गर्मी ही पृत्वी को उर्जा देती है, जिससे रितुए जल
02:59द्रव्यमान प्रित्वी से 3,30,000 गुना अधेक है, इतना ही नहीं, सौर्मंडल के कुल द्रव्यमान का लगभग 99.8 प्रतिशत हिस्सा अकेले सूर्य के पास है, सूर्य मुख्य रूट से हाइड्रोजन लगभग 74 पसेंट और हीलियम लगभग 24 पसेंट, सेब बना है, इस
03:29और अपार उर्जा निकलती है, यही उर्जा प्रकाश और उश्मा के रूप में पूरे सौर्मंडल को जीवन्त बनाये रखती है, सूर्य की सतह को प्रकाश मंडल कहा जाता है, जहां का तापमान लगभग 5,500 डिगरी सेल्सियस होता है, इसके उपर का बाहरी आवरण है, क
03:59उसकी सतह के अपेक शाकरित थंडे क्षेत्र होते हैं, इसके अलावा कभी-कभी सूर्य से सौर्ज वालाये और कोरोनल मास एजेक्शन जैसी घटनाये होती हैं, जो अंतरिक्ष में अपार उर्जा छोड़ती हैं, यह घटनाये इतनी शक्तिशाली होती हैं, कि कभी-कभी प
04:29उसके बाद सूर्य धीरे-धीरे लाल दानव, रेज जाइंट तारे में बदल जाएगा और अंततह सिकुड कर श्वेद बौना, वाइट ड्वार्फ बन जाएगा, यानि सूर्य केवल सौर मंडल का राजा ही नहीं, बलकि हमारे अस्तित्व की असली धरकन भी हैं, अब आ�
04:59ये चार ग्रह हैं, बुध, शुक्र, पृत्वी और मंगल, इनका आकार अपेकशाकरिच छोटा है, इन पर ठोस सतह मौजूद है, और इनका वातावरन एक दूसरे से बिलकुल अलग है, तो आईए, इनके रहसियों को समझते हैं, सबसे पहले बात करते हैं बुध की, ये स
05:29बुध सिर्फ अठासी दिनों में सूरिय की परिक्रमा पूरी कर लेता है, लेकिन अपनी धूरी पर घूंगने में लगभग 69 दिन लगाता है, यहां का तापमान बेहत चरम है, दिन के समय ये 430 डिगरी सेल्सिस तक पहुंच जाता है, जबकि रात में –180 डिगरी सेल्सिस �
05:59भे और चटानी मैदान पाए जाते हैं, जो इसे चंद्रमा की तरह दिखाते हैं, अब आते हैं शुक्र ग्रह पर, इसे अकसर पृत्वी की जुडवा बहन कहा जाता है, क्योंकि इसका आकार और सनरचना हमारी पृत्वी से मिलती जुलती है, लेकिन शुक्र का वातावरन �
06:29शुक्र की सतह पर तापमान लगभग 465 डिगरी सेलसियस तक पहुंच जाता है, इतना ज्यादा की सीसा तक पिखल सकता है, यही वज़य है कि शुक्र सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है, दिलचस्प बात ये है कि शुक्र अपनी धुरी पर उल्टी दिशा में घूंगता ह
06:59और अब बारी है हमारे अपने घर, पृत्वी की, यह सुर्य से तीसरा ग्रह है और अब तक ज्याद ब्रमान में जीवन को संजोने वाला एक मात्र स्थान है, यहाँ पानी, वायु मंडल और संतुलित तापमान मौजूद है, जो जीवन के लिए आदर्ष परिस्थितिया �
07:2923.5 डिगरी का जुकाव ही रितूओं का निर्मान करता है, जिससे हमें गर्मी, सर्दी, बरसात और पजड जैसे अलग-अलग मौसम मिलते हैं, पृत्वी का वायु मंडल मुख्य रूप से नाइट्रोजन 78% और ऑक्सिजन 21% से बना है, यही वायु मंडल हमें सांस लेने �
07:59पृत्वी का एक मात्र उपग्रह, चंद्रमा भी हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमी का निभाता है, यह नकेवल ज्वार भाटा को नियंत्रत करता है, बलकि पृत्वी की धूरी को स्थिर भी बनाय रखता है, अगर चंद्रमा न होता तो शायद पृत्वी पर जी�
08:29जो इसे लालिमा देती है, मंगल का व्यास लगभग 6789 किलोमीटर है, यानि ये पृत्वी के लगभग आधे आकार का है, मंगल का वातावरन बेहत पतला है और ये मुख्य रूप से कार्बन डाइकसाइड से बना है, यहां का तापमान भी बहुत चरम है, दिन में ये 20 डि
08:59और सबसे गहरी घाटी, वैलिस मेरिनारिस मिलती है, सबसे रोमान चक बात ये है कि यहां प्राचीन काल में तरल जल मौजूद था, आज भी इसके ध्रुवियक शेत्रों में बर्फ जमा हुई है, यही वज़े है कि वैग्यानिक लगाता रोवर और उपग्रह भीज कर यह
09:29यह हैं ब्रिहसपती, शनी, अरुन और वरुन, इनका आकार बहुत बड़ा है, इनकी सते ठोस नहीं होती और इनके चारों और असंखे उपग्रह और अद्भुत छल्ले पाए जाते हैं, सबसे पहले बात करते हैं ब्रिहसपती की, यह सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है,
09:59पुल द्रव्यमान से धाई गुना अधिक है, ब्रिहसपती मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम से बना है, इसकी सतेह पर लगातार भयंकर तूफान और मोटे बादल चलते रहते हैं, इनमें सबसे प्रसिद्ध है, महान लाल धब्बा, एक विशाल तूफान जो स�
10:29खास कर यूरोपा वैग्यानिकों के लिए रहस्य है, क्योंकि इसकी बरफीली सतह के नीचे तरल जल का महासागर होने की संभावना है, और जहाँ पानी है, वहाँ जीवन की उम्मीद भी है, अब आते हैं शनी पर, जिसे उसकी खुबसूरत छलों के कारण सौर मंडल का सब
10:59रंख्य बर्फ और धूल के कनों से बने हैं, जिनका विस्तार हजारों किलोमीटर तक फैला है, वैग्यानिक मानते हैं कि ये छले किसी तूटे हुए चंद्रमा या क्षुद्रग्रह के अवशेश हो सकते हैं, शनी के लगभग 146 उपग्रह खोजे जा चुके हैं, इन में स
11:29इसे बर्फीला दानव कहा जाता है, इसका व्यास लगभग 51,000 किलोमीटर है, इसकी सबसे अनोखी विशेशता ये है कि ये अपनी धुरी पर लगभग 98 डिगरी जुका हुआ है, यानि ये मानो लेट कर घूंगता है, अरुन का रंग हलका नीलाहरा दिखाई देता है, इस
11:59और भी पतले चल्ले हैं, और इसके लगभग 27 उपगरह खोजे जा चुके हैं, इन में टेटेनिया और ओबेरोन प्रमुक हैं, अन्त में आते हैं सौरमंडल के सबसे दूर के ग्रह वरुन पर, इसका व्यास लगभग 49,200 किलोमीटर है, और ये सूर्य से लगभग 4.5 किलोम
12:29यहां सौरमंडल की सबसे तेज हवाय चलती है, जिनकी गती 2100 किलोमीटर प्रती घंटे तक पहुँच सकती है, वरुन का एक प्रमुक उपगरह है ट्राइटन, जिसकी सतह से नाइट्रोजन गैस के फवारे यानी गीजर खूटते रहते हैं, वैज्यानिक मानते हैं कि ट्र
12:59ग्रहों तक ही सीमित नहीं है, इसके अलावा इसमें अंगिनत छोटे-छोटे खगोलिय पिंड भी है, जैसे बौने ग्रह, क्षुद्र ग्रह और धूंकेतु, ये हमें सौरमंडल की उत्पत्ती और विकास की असली कहानी सुनाते हैं, अब जरा नजर डालते हैं बौने ग्
13:29के अनुसार, किसी पिंड को ग्रह कहलाने के लिए तीन शर्ते पूरी करनी होती हैं, एक वो सूर्य की परिक्रमा करता हो, दो उसका आकार इतना बड़ा हो कि वो अपने गुरुत्वा कर्शन से गोलाकार बन सके, तीन उसने अपने कक्ष के आसपास के छेत्र को साफ कर दिय
13:59प्लूटो, सेरिस, हॉमिया, माके माके और एरिस, ये छोटे भले ही हो, लेकिन अपने भीतर ब्रमान की कई रहस्य में कहानिया समेटे हुए हैं, प्लूटो बर्फ और चट्टानों से धकी सत है, और इसका सबसे बड़ा उपग्र है शेरन, एरिस्थ प्लूटो से थोड़
14:29सतय और पतले वातावरन वाला, सेरिस, मंगल और ब्रिहस्पती के बीच स्थित, क्षुद्र ग्रह घेरे का हिस्सा, बौने ग्रह हमें ये सिखाते हैं, कि ग्रह बनने की प्रक्रिया अधूरी रह जाए, तो उसका रूक कैसा होता है, अब आते हैं क्षुद्र ग्रहों पर,
14:59माना जाता है कि ये वे अवशेश है, जो ग्रह बनने की प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पाए, कुछ प्रसिद्ध क्षुद्र ग्रह है, वैस्टा, पैलस, हाईजिया और सीरीज, वैग्यानिक मानते हैं कि करोडों साल पहले प्रित्वी पर जीवन की शुरवात में पानी �
15:29भारी विनाश मच सकता है, धूम केतु को अकसर आकाश के यातरी कहा जाता है, ये बर्फ धूल और गैस से बने होते हैं, जब धूम केतु सूर्य के पास आते हैं, तो उनकी बर्फ पिखलने लगती है और गैस वद धूल की एक चमकदार पूँच बन जाती है, यही कारण ह
15:59बाद पृत्वी से दिखाई देता है, अगली बार ये 2061 में नजर आएगा, धूम केतु सौर्मंडल के दूरस्त क्षेतरों, कुई पर बेल्ट और ओट बादल उसे आते हैं, इनकी कक्षा लंबी और अंडाकार होती है, धूम केतु और क्षुद्र ग्रह दोनों हमें या�
16:29ग्रह की परिक्रमा करते हैं, अब तक वैज्ञानिक सेकडों उपग्रह खोच चुके हैं, हर उपग्रह की अपनी अलग विशेश्ता है, और कई तो इतने रहस्यमेई हैं कि उनमें जीवन की संभावना तक जताई जाती है, हमारा चंद्रमा सौर्मंडल का पांचवा सबसे
16:59ये जुआर भाटा को नियंत्रित करता है और प्रित्वी की धूरी को स्थिर बनाये रखता है, इसकी सतह पर गड़े, पहाड और मैदान है, यहां वातावरन और तरल जल नहीं है, लेकिन धुरूवियक शेत्रों में बर्फ के प्रमान मिले हैं,
17:141979 में अपोलो 11 मिशन के जरीए इनसान पहली बार चंद्रमा पर पहुचा था, ब्रिहस पती के अब तक 95 उपग्रह खोजे जा चुके हैं, इन में प्रमुख है, आयोक सौर मंडल का सबसे सक्रिय ज्वाला मुखिय उपग्रह, यूरोपा इसकी बर्फीली सतह के नीचे तरल
17:44से भी बड़ा है, कैलिस्टो असंखे गड़ो वाला प्राचीन उपग्रह, शनी के 146 उपग्रह ग्याद है, इन में से टाइटन दूसरा सबसे बड़ा उपग्रह, जिसका वातावरन घना है और सतह पर तरल मीथें की जीले हैं, एंसलाडस छोटा लेकिन अद्भुत, जहा
18:14प्रमुख हैं, टेटेनिया, ओबेरोन और मिरांडा, नेप्चुन का सबसे बड़ा उपग्रह है ट्राइटन, जो उल्टी दिशा में परिक्रमा करता है, और जिसकी सतह से नाइट्रोजन गैस के गीजर निकलते हैं, कुछ बॉने ग्रहों के भी उपग्रह है, जैसे एक प
18:44और अदभुद घटनाओं से भरा हुआ है, जितनी खोजे होती हैं, उतने ही नए सवाल उठते हैं, सबसे बड़ा सवाल है, क्या हम ब्रह्मान में अकेले हैं? मंगल की सूखी नदिया और बरफीले ध्रूव बताते हैं, कि वहा कभी तरल जल रहा होगा, यूरोपा और एं
19:14भी आधारित ना हो, सौरमंडल में अजीब मौसम की घटनाएं भी मिलती हैं, ब्रिहस पती का महान लाल धब्बा, एक विशाल तूफान जो सदियों से चल रहा है, शनी का शट भुजाकार तूफान, उत्तरी ध्रूव पर बना रहे सिमेंग चक्रवात, नेप्चून पर स
19:44इनसोर का अंत कर दिया था, यही वज़य है कि आज भी नासा और अन्य एजनसिया संभावित खतरनाग पिंडो पर निगरानी रखती है, मानवता ने सौरमंडल को समझने के लिए कई मिशन चलाए हैं, पहला वोईजर और, दूसरा जो अब तारों के बीच पहुँच चु
20:14न्यू होराइजनस जिसने 2015 में प्लूटो की तस्वीरे भेजी, भविश्य भी रोमान चक है, आर्टमिस प्रोग्राम इंसानों की चंद्रमा पर वापसी, यूरोपा क्लीपर यूरोपा के महा सागर की खोज, ड्रैगन फ्लाइट टाइटन पर भेजा जाने वाला ड्रोन,
20:44इंसान धीरे धीरे सौरमंडल का नागरिक बनने की ओर बढ़ रहा है, सौरमंडल हमें सिखाता है कि प्रित्वी कितनी खास है, जल, वातावरन, उप्योक्त तापमान और चुम्मकिय सुरक्षा जैसी परिस्थितिया केवल यहां मिली है, यही कारण है कि हमें इसे सुरक्�
21:14यासा अनन्थ है, शायद भविष्य में हमारे वन्शच चंद्रमा या मंगल पर बसे, और तब वे खुद को सिर्फ प्रित्वीवासी नहीं, बलकि सौरमंडल के नागरिक कहें, अगर आपको यह वीडियो पसंद आया, तो लाइक और शेर करें, और हाँ, चैनल को सब्सक्
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