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00:00भारत के बारे में कहा जाता है भारत टू रिलिजियस टू रिवोल्ट इतना ज्यादा धारमिक देश है कि यहां करांती कभी होने नहीं पाएगी उसने तो मान ली न कोई बात उसको बता दिया पंडी जी ने बठा करके अब करांती होगी जहां सवाल तक नहीं पूछे जा सक
00:30रिमती रिट करीए लोगों को वहान ले जाएए जहां से उनकी मानेताई सचमूच आ रही हैं जब तक हम जानेंगे नए कि हम कौन है और सच पर्रेम इतना होना चाहिए कि अब विकिंगे नहीं
00:45भारत के बारे में कहा जाता है भारत टू रिलिजियस टू रिवोल्ट
00:53इतना ज्यादा धारमिक देश है कि यहां करांती कभी होने नहीं पाएगी
00:57क्योंकि आपने बहुत बाते मान ली हैं
01:00एक आदमी उसकी जिंदगी बरबाद है पर फिर भी वो क्रांती में उठे का नहीं पूछो क्यों क्योंकि उसने मान लिया है कि उसकी बरबादी उसके पूरो जनम के बुरे कर्मों की हो जैसे है
01:09क्रांति कैसे करेगा वो
01:10उसने तो मान ली न कोई बात
01:12उसको बता दिया पंडी जी ने बठा करके
01:14कि ये जो तू गरीब है
01:16और जो तुझे
01:17इतना सब सहना पढ़ रहा है
01:20तेरा शोशन हो रहा है
01:21वो इसलिए हो रहा है क्योंकि तो पिछले जनम में
01:23बहुत गंदा आदमी था उसने मान लिया
01:24वो क्रांति करेगा कभी
01:26करेगा क्या
01:28महिलाएं है
01:31उनको मनुष्य तो माना ही नहीं गया
01:35और सो तरीके की बेवकूफियां
01:39और बत्तमीजियां वो बरदाश्ट करती है
01:40दिन भर जिन्दगी भर
01:41और क्रांति तो छोड़ दो
01:45जो विवस्था चली आ रहे ये पुरानी
01:46उसको बदलने की कोशिश करो
01:48तो महिलाएं ही जबसे पहले उठके मूँ नोच लेती है
01:50मुझसे पूछिए
01:51हाँ
01:53ये महिलाओं का दुश्मन है
01:54क्यों ये कहरा घर में मत बैठी रहो
01:57इसे हमारे आराम से तकलीफ है
01:59तो पागल हो गई हो
02:05मैं तुम्हें बाहर की खुली हवा
02:08वहां सांस लेने के लिए उड़ने के लिए भेजना चाहता हूँ
02:11वो नारे लगा रही है
02:13एक तो बोली इनकों नैशनल कमिशनर वूमेन में ले जाएंगे
02:16बहुत लिबरेशन की बाते करते हैं
02:18ये हमारे घर छुड़वाएगा
02:20वो यहां से पुरी तरह से परास्त है
02:25वो बाहर क्या कुछ करके दिखाएगी
02:28पहले करांती मन में आती है
02:33फिर समाज पर छाती है
02:34और हमारे मन की करांती को
02:37जो हमने धर्म के विकृत संस्करण पकड़ रखे है
02:41उस करांती को कुचल दिया है उसने
02:42भारत का धर्म मूलतह बोध का धर्म है
02:49जानने का
02:51वैदिक धर्म कहते हैं अपना हम
02:56तो वेदान्त जानने का दर्शन है जानो जानो बोधो हम
03:02मैं सिर्फ बोध प्राप्त नहीं करता मैं बोध ही हूँ
03:07ये है हमारा असली धर्म
03:09लेकिन काल चक्र में हमने इस धर्म को मानने का विश्वास का धर्म बना दिया आस्था
03:15हम तो ऐसा मानते हैं, हमारी तरफ तो ऐसा विश्वास है, हम तो ऐसा ही करेंगे, अरे तुम क्या कर रहे हो, नोदुर्गा शुरू हो रही है, ये बकरी के उठाए लेके जा रहे हो, जी काटते हैं, क्यों काटते हो जी, कौन खाता है बकरी को, निश्चित मानो, ये सब पश
03:45बीच में ला रहे हो
03:46बस यह ऐसे ही चलता आया है जी
03:49जहां यह चलता है
03:51ना कि जी बस ऐसे ही चलता आया है जी
03:53वहां करांती कैसे होगी
03:54ऐसे ही चलता आया है जी
03:56और हमने मान लिया है जी
03:57तो कहें कि करांती जी जो चलता आया है चलने दो
04:00चलता आया है चलने दो
04:04तू तू नीचे बैठ तू अधर रहे तू ये नहीं कर सकता तू वो नहीं कर सकता है तेरी जाती में ये समस्या है
04:14तेरा ऐसा है तेरा वर्ण बेकार है
04:16नहीं जी ये मैं कैसे मतलब क्यों अरे
04:20हमारी पुरानी किताबों में लिखा है
04:23शास्त्रों में लिखा है
04:24और जिसको ये बात बोली उसने मान भी लिया
04:27उसने मान लिया
04:30उसने नहीं कहा कि मैं जा करके पढ़ना चाहता हूँ
04:33उपनिशद
04:34मुझे प्रस्थान तरही के पास जाने दो
04:36मुझे तोड़ा वेदान सूत्र देखने दो
04:38मुझे सांख्ययोग देखने दो
04:39मैं जानना चाहता हूँ
04:41कि जो मारा शड़ दर्शन है
04:42उसमें कहां पर जाती का उल्लेख है
04:44और कहां ये सब बाते हैं
04:46नयाय वैशेशिक मुझे बताओ कहां
04:47सांख्ययोग पताओ मुझे
04:49कहां ये उसने भी नहीं पूछा
04:51जिसका शोषन हो रहा है
04:52उसने भी नहीं पूछा कि
05:11किसी ने सवाल नहीं पूछे
05:13सबने बस माना
05:15और मानने का मतलब ही होता है
05:16कि भीतर घुटने टेक दिये
05:18जब भीतर घुटने टेक दिये
05:20तो बाहर ऐसे मुठ़्ी नहीं
05:22तान पाओगे
05:22बाहर की मुठ़्ी तने इसके लिए पहले
05:26भीतर मुठ़्ी तननी चाहिए
05:27और वो हम तनननी देते, छोटा बच्चा होता है
05:30अंकल जी को नमस्ते करो
05:31अंकल जी एकदम
05:34दुनिया के सबसे बड़े चछूंदर
05:36और तुमने उसका नमन करवा दिया
05:39चछूंदर के आगे
05:40ताउ जी के पाऊं चुओ
05:43और ताउ जी
05:44खतरनाक किस्म के
05:46काहिल, आलसी, गमार
05:48जो जो उनको उपाधियां दी जा सकती हो
05:50और वो इतना सा है भी
05:53वो आप पर आश्रित है
05:55आपने जबरदस्ती करके उससे
05:56ताउ जी के पैर चुआ दिये
05:57उसकी रीड जुक गई ना
06:00अब वो रीड सीधी कैसे करेगा बोलो
06:02तुमने गलत जगह
06:04अपनी
06:05तुमने अपने विशेशा धेकार का
06:09दुरुपयोग करा है
06:10तुम माबाप हो
06:12तुमारी चलती है उस पे
06:13तुमने जबरदस्ती चलाई है
06:17उसको कहा यहाँ धुको यह मानो यह मानो वो मानो
06:19अच्छा मंदिर के सामने निकल रहे हैं
06:22भगवान जी को जै बोलो
06:23तुमने उसको अर्थ बताया भगवत्ता का
06:25तुमने कुछ पूछा
06:27तुमने उसके मन में एक बात बैठा दी कि
06:29भगवान जी कुछ होते हैं क्या होते हैं क्यों होते हैं
06:31कैसे पता क्या जाने हैं किसने बताया
06:33कोई सवाल नहीं कोई जवाब नहीं
06:36बस ऐसे करो
06:37ऐसा करना होता है
06:40ये दिन आ गया है चलो इस दिन फलाने कुए में जाके बाल्टी पानी निकाल के ऐसे उधर को मुह करके सरसों डाल के नहा लो
06:47और वो बड़ा एक विस्तरत इलाबोरेट प्रपंच होता है
06:51मैं तो सिर्फ सरसों डाली उसमें हींग, मेथी
06:55और वो इतना सा देख रहा है
06:58और सवाल वो कुछ नहीं पूछ सकता
07:00हपड़ और मारोगे उसको सवाल पूछे तो
07:03क्या क्या चल रहा है, कुछ भी चल रहा है
07:10सवाल नहीं पूछ सकते है
07:12क्योंकि सवाल का कोई जवाब किसी के पास है नहीं
07:16अब क्रांती होगी जहां सवाल तक नहीं पूछे जा सकते, क्रांती होगी क्या, क्रांती होती है कि आकाश की वर्जनाओं को काटेंगे, उसके लिए पहले भीतरी पंची के पंख तो खुले होने चाहिए, तो भीतरी उसके पंख बान देते हो, बहार क्या क्रांती करेगा, भ
07:46शोशन कि जितनी गहरी और जितनी लंबी परंपरा भारत में रही है उतनी तो विश्व में कहीं रही नहीं।
07:51और यह जादूई बात है चामतकारिक कि भारत में कभी कोई करांती हुई नहीं।
07:58भारत में कभी कोई करांती हुई नहीं।
08:00क्यों नहीं हुई हम धार्मिक लोग है न और धर्म क्या है यह हम जानते नहीं
08:06हमारे जो हमने धर्म की छूठी व्याख्याएं कर दी है उन छूठी व्याख्याओं ने सब करांतियों का गला घोट दिया अब ऑल्ट कर दिया उनको
08:18अब लिख दिया गया कहीं किताब में
08:30राजा इश्वर का प्रतिनिधी होता है
08:33तो अब राजा जो कुछ करेगा मानना पड़ेगा ना
08:36राजा अत्याचार करे तो कोई बात नहीं क्योंगी राजा कौन है
08:40इश्वर का प्रतिनिधी है
08:41पति परमेश्वर होता है
08:44अब पते ने चाटा भी मार दिया, लात भी मार दी, तो परमेश्वर ने मारी है, प्रसाद समझ के ग्रहन कर ले, पुछे ही नहीं रहे हो, ये, ये, ये, ये, है नहीं बाद, ये परमेश्वर का पते नहीं थी है,
08:57आज भी हैं, जो नाम ले करके नहीं पुकारती हैं, और कहने को तो बोलते हो कि, अरे, हम वयस्क हैं, हम उम्र हैं, बराबरी का रिष्टा है,
09:24वो उसको तुम करके बात करेगा, वो आप करके बात करेगी, और पढ़े लिखे घरों में होता है, यहां करांती आउंगी, वो किस दृष्टी से आप कहलाने लाया के बताओ, और किसी बाहर वाले को तो फिर भी गलत फहमी हो जाए कि वो इजददार है, तुमने तो उसको
09:54बोलती हो, पर नहीं चलता है, अब करांती हो गई, ठीक लग रही कुछ बात, ऐसा ही है न, बाहर बाहर से लोगों को प्रेरणा देने से, या भढ़काने उकसाने से कुछ नहीं होने वाला, तर आप से जुड़ने से पहले हमारा भी यहाल था, और आप कुछ टाइम से हम स
10:24करिए, लोगों को वहां ले जाएए, जहां से उनकी माननेताएं सचमुच आ रही है, लोगों देखो, कि जो बाते तुम मानते हो, वो सचमुच आ कहां से रही है, हमारा गीता समागम चल रहा है, तो उसमें बीच बीच में हम गीता उनके सामने रख देते हैं, और मनुस्म
10:54तब चीख मुकार मचती है, हाई हाई ये क्या दिखा दिया, अरे तुम्हारे व्यवहार का रेशा रेशा उसी किताब से आ रहा है, और तुमने ओ किताब आज तक पढ़ी भी नहीं, तुम उस किताब को जी रहे हो,
11:09छोड़ो कि उस किताब की प्रशंसा करनी है, कि निंदा करनी की क्या करना है, जान तो लो, कि तुम्हारे व्यवहार का एक-एक हिस्सा, एक-एक अंश, कोशिका, आ कहां से रहे हैं, जान तो लो कम से कम, तुम जानना भी नहीं चाहते हैं, तो ये छोड़ी है कि लोगों को म�
11:39लगे, देखो ये कहां से आ रहा है, देखो, देखो, देखो कहां से आ रहा है, तो शायद लोगों को थोड़ा बुरा लगे, तो शायद करनी की कुछ संभावना तैयार हो, आप हैरत में पड़ जाएंगे, जिस व्यवहार को, आप, व्यवहार को, माननेता को, जिसको आप
12:09कर जो भारती है इस्तरी का स्टीरियो टाइप चलता है भारती है माह ऐसी होती है अरे भारती माह ऐसी पैदा नहीं होती है तो उसे वैसा बना देते हो उसके जीन्स में थोड़ी कुछ अलग है एक जगे कहीं पर था और ये अकैडमिक एकसरसाइज चल रही थी इंडियन मदर
12:39खाद खुराग डाल दी गई है और दूसरे कुछ और डाल दी अगया है ये इंडियन मदर क्या था नहीं भारती मातों ममता से भरी होती है तो ममता शब्द का भी अर्थ ना पता हो
12:47जिन बातों को आप कहते हो ये तो normal ही है
12:52वो normal नहीं है
12:54समझो वो बाते कहां से आ रही है
12:57वो तुम्हारे मन में कूट-कूट के चुपचाब धोखे से भरी गई है
13:02या तो धोखे से या अग्यान में भरी गई है
13:05हमें बड़ा ये normal लगता है
13:09अब husband wife जा रहे होगे wife थोड़ा एक कदम पीछे ही चल रही होगी
13:13तो normal बात है इसमें क्या इसमें तो कुछ
13:15असाधारन तो मुझे लग नहीं रहा
13:16ये लिखा हुआ है
13:18ये written में है लिखित में है
13:21पत्नी एक कदम पीछे चलेगी
13:23इसलिए पीछे चल रहे हो
13:24और आपने ओ किताब कभी पढ़ी भी नहीं चाहें ही लिखा है
13:26लेकिन फिर भी आप उसी किताब को जी रहे हो
13:28और अपने जितने विवहार के हिससे होते हैं सारे
13:36आप क्या सोचते हो
13:39कि ये आपके सधारन itiquette का हिससा है
13:41कि बड़े बोल रहे हो तो आवाज नहीं करनी है सुनना है ना ना ना ना लिखा हुआ है
13:46authority के सामने submission दिखाओ ये लिखा हुआ है आप इसलिए नहीं बोलते हो
13:51तो एक तो पालतू की बात ये है कि authority के सामने जुक करके रहो
13:58क्यते ना बच्चा बिगड़ गया उल्टा जवाब देता है ये कहीं लिखा हुआ है कि ये नहीं करना है
14:07इसलिए ये आपके मन में आ गई ये बात पर हमें हमारे माननेता की जड़ भी नहीं पता
14:14जब मानेता की जड़ तक पहुँचोगे तो कहोगे यार नहीं चाहिए
14:19अगर यहां से आ रहा है यह सब कुछ तो नहीं चाहिए
14:22नहीं चाहिए
14:25और फिर एक सम्मान भी पैदा हो पाएगा वास्तविक धर्म के प्रति
14:34उसके बाद उपनिशदों को यहां रख पाओगे
14:38उसके बाद समझ पाओगे कि धर्म और संस्कृत बहुत अलग अलग चीज़े हैं
14:43कि धर्म और लोकधर्म बहुत अलग अलग अलग चीज़े हैं
14:48कि दर्शन और माननेता बहुत अलग अलग अलग चीज़े हैं
14:51उसके बाद भगवत गीता का सही अर्थ समझोगे और कुछ सम्मान दे पाओगे।
15:03अध्यात्मिक भीतर अगर लग गई तो सामाजिक क्रांते निश्चित है।
15:09वो होगी। फिर होगी।
15:13आपके व्यूजक आपका सेटींड कीया था जिसमें आपने डिमोक्रसी की लिम्यटेशन पर कर चता की थी।
15:34तो डिमोक्रसी इंडिया में और पूरे वर्ड में जो अभी प्रैक्टिस में है।
15:43उसका future क्या है अगर है ऐसी ही रहती है और आज उसका significance कितना बचा है क्योंकि हम देख रहे हैं कि
15:49democratically elected people जो हैं वो धीरे-धीरे chair को इस तरह से round कर रहे हैं को हमेशा उस पर बनी रहे हैं
15:55कर रहे हैं कोई बड़े questions रेज नहीं कर रहे हैं इस बीच में सर कुछ लोग जो अवेर हैं जैसे आप काते हैं कि वह कोई राइट वे नहीं कर पा रहे हैं
16:09सिस्टम से वे आउट करने का हम अमेशा एक limited number में होते हैं और problem यह हो जाती है कि जो classical वे थे
16:17प्रोटेस्ट करना, road block करना, सड़के जाम करना जो बड़ी-बड़ी क्रांतियों में काम किये तो आज वे जो है काम नहीं कर रहे हैं हम देख रहे हैं सड़के block भी होती हैं फिर भी state पर कोई फरक नहीं पड़ता
16:26प्रोटेस्ट बड़े-बड़े होते हैं मैसु अंदोलन्स होते हैं उन पर कोई फरक नहीं पड़ता और इतने दिनों तक सोनब अंग्छु जी का अंदोलन रहा या प्रोफेसर जेडी अगरवाल का अंदोलन रहा हस्देव बचावरा यह चीज़े लाइम लाइम लाइट
16:56लूदी ने इकला सीक लिए यह डेमोक्रिसी को डेमोक्रिसी के माध्यम से ही खोखला कैसे करना है ठीक है तो कहीं पर भी तक्ता पलट होने नहीं जा रहा है।
17:08जो पहले बहुत होता था ना, कू हो गया, वो कू नहीं होने जा रहा, ताना शाही के जमाने लद गए, वो नहीं होगी, अब बस यह करा जाएगा कि जो जनता ही है, मद्दाता, उसको ही इस तरीके से मैनिपुलेट कर दिया जाएगा,
17:32मिसिन्फॉर्मेशन के माध्यम से, मीडिया के माध्यम से, सबस्यादा मीडिया के ही माध्यम से, कि वो खुद ही अपने लिए किसी ऑथोरिटेरियन को चुन लेगा, बात समझ रहे हो, वो यह तक कर सकता है, कि डेमोक्रेटिकली वोट दे दे कि उसे डेमोक्रेसी चाहिए ही �
18:02उसने डेमोक्रेटिकली वोट दिया है कि मुझे डेमोक्रेसी चाहिए ही नहीं, प्यूरिसर्च ने करा कि दुनिया में कहां पर कितने लोग ऑथोरिटेरियन रूल को सुईकार करने के लिए तयार हैं, सबस्यादा लोग मालूम है कहां निकले, भारत में, मेरे खाल से भार
18:32कि किसी भी हालत में हमें किसी तरीके का कोई विशेशा धिकारी नहीं चाहिए, विशेशा धिकारी कि मने जिसके पास समविधान से आगे के ऊपर की अधिकार हों, नहीं चाहिए, बाकी 78 प्रतिशत लोग भारत में थोड़ा कम थोड़ा ज्यादा किसी तरीके से ऑथोरिट
19:02तो डिमुक्रासी को अगर आप एक पेड मानोगे न तो उसको एक तरह की जमीन चाहिए होती है
19:09और वो जमीन होती है सही चुनाव ले पाने वाली चेतना की
19:17तो डिमुक्रासी तो इसी पर चलती है कि आप सब लोग हो और आपको इतनी तमीज है कि वोट कहां डालना है
19:23और आपकी चेतना अगर ऐसी है ही नहीं
19:26कि आप जिन्दगी में कोई भी सही चुनाओ कर सको
19:28तो आप अपने प्रतिनिदी या नेता का ही सही चुनाओ कैसे कर लोगे
19:32और नेताओं ने और दलों ने
19:35ये अब कमजोरी बकूबी पकड़ लिये
19:37असल में अब क्या पकड़ लिये हिटलर भी तो चुनाओी जीत के आया था
19:42तो ये तब से नेताओं ने पकड़ी हुई है ये बात
19:45तब से नेताओं ने ये बात अब को पता है कि डिमुक्रेसी से चुनाओ जीत करके
19:50फिर डिमुक्रेसी को सबवर्ट करा जा सकता है
19:52और ऐसे करा जा सकता है कि जंता खुद कहे कि वाह वाह क्या काम किया है
19:58कितना तो सुनते हो कि भारत को भी जो है एक authoritarian रजीम की जरूरत है कितने ही लोग है वो बहुत गंभीरता से बोलते है
20:08कि India suffers from too much democracy, no India suffers from too much ignorance sir
20:13democracy समस्या नहीं है
20:16democracy को जूट मूट की समस्या बना के तुम सिर्फ तानशाही को justify करना चाहते हो
20:21भारत की समस्या है भारत का अंधेरा, भारत का अग्यान, भारत की अशिक्षा
20:27भारत का बहुत सारा कचरा जो अतीज से आ रहा है और उस कचरे को भी साफ नहीं किया गया ठीक से
20:36यह है भारत की समस्या और इस समस्या का नाम लेने की जगए है, इस समस्या पर ध्यान देने की जगए है
20:43आप जूट मूट कह रहे हो कि भारत की समस्या लोकतंत रहे हैं
20:47ताकि जो सही समस्या वो यथावत बनी रहे
20:50सही समस्या की बात ना करनी पड़े
20:52तो इसलिए आपने ये लगबग ऐसी जी बात है
20:55कि बहुत ही ज्यादा बिलकुल लाइलाज मरीज हो
21:04एकदम आखरी अवस्था के उनको बचाना लगबग असंभव है
21:10और आप बोल दो कि ये जो डॉक्टर है यही बेकार है
21:15भाई ये भी तो देखो कि तुहारा जो मरीज है
21:18वो कितनी खराब हालत में डॉक्टर के पास आया है
21:20भारत में कुछ बहुत बहुत गहरी बीमारियां है
21:24वो बीमारियां हैं जिनके कारण यहां का जो जन्मानस है
21:29वो सही नेताओं को नहीं चुन पाता है
21:31उससे जाकर कि उसकी जाती की बात कर दो उसका वोट पलट जाता है
21:36आप किजी को वोट देने जा रहे थे, पीछे जी कोई आया, तु जाती द्रोही है क्या, मैं तेरी जाते गाओ, मुझे वोट नहीं दे, उसका वोट पलट जाएगा, गहरी बीमारी है, वाइरस ने अटैक किया, और सिस्टम वाइरस के सामने इल्ड कर गया, घुटने टेक ग
22:06के साथ लोगतंत्र का चलना बड़ा मुश्किल है, पहले क्या होता था कि, नोट बटते थे, बूथ के अप्चर होते थे, इस तरीके से होता था, जो पॉपुलर मेंडेट होता था, उसको इस तरह से स्कटल किया जाता था, नोट बाट दी गरीबों में, वो अपना वोट �
22:36कि मैनिफेस्टों में ही प्रॉमिस कर दो, कि अगर हम आएंगे, वैसे तो पांची सो रुपया देते, घर में आके वो भी धीरे से, नोट में पांची सो देते, अब हर महीने सब को दो दो हजार रुपय देंगे,
22:51हो गया, ठीक है, काम चल गया, भारत में वो जमीन नहीं है, जो सवाल पूछना जानती हो, हमने अपना आत्मसम्मान बहुत गिरा दिया है, हम बहुत जल्दी बिख जाते हैं,
23:13बहुत जल्दी बिख जाते हैं, कोई बोल रहा है कि ट्रेन में टिकेट फ्री हो जाएगा,
23:21बस में फ्री हो जाएगा, कोई तो सीधे कैश ट्रानसफर की बात कर रहा है, बैंक में पैसा आजाएगा, उतने के लिए हम बिख जाते हैं, अब जनतंतर थोड़ी चलता ऐसे, जनतंतर के लिए एक खुदार जनता चाहिए, जो कहे कि क्या कर रहे हो, खूस दे रहे हो, ये
23:51को हमने राशन पर कर दिया
23:53है, subsidized
23:55हम उनको दाना पानी
23:57भी देते हैं, बिजली भी देते हैं, पानी भी
23:59देते हैं और खाद भी देते
24:01हैं, क्या बता रहे हो
24:03यह तुम यही बता रहे हो ना कि हमारी कितनी
24:05दुर्दशा है, कितनी बेरोजगारी और कितनी गरीबी
24:21भारत ने अपना आत्म खो रखा है
24:25और इतने ज्यादा दुख की बात इसलिए है भाई
24:28क्योंकि भारत ही है जिसने सबसे पहले आत्मा के सामने सर जुकाया था
24:34विचार के सामने, दुनिया के सामने, तरह तरह की खोजों के सामने
24:40तो पश्चिम ने भी सर खूब जुकाया
24:43भारत अकेला था जिसने कहा था नहीं
24:46मैं तो सबसे पहले अपने सामने सर जुकाऊंगा
24:50अश्टावकर कीता मालू मैं क्या बोलती है
24:54अहो अहम
24:58मुझसे ज्यादा
25:00आश्रे जनक क्या हो सकता है
25:04अहो आश्रे का भाव
25:06और मुझे अगर जुकना आए तो पस अपने ही सामने जुकूंगा
25:11भारत है जिसने अपने आपको इतना सम्मान दिया
25:14यह कहलाता है आत्म सम्मान
25:16अहो हम नमो महम
25:17हंकार नहीं है यह
25:22हंकार बहुत छोटी चीज़ होती हो बोलता बस है
25:24वो जुक कहीं भी जाता है
25:36भारत आत्म से बहुत दूर हो गया
25:38हमारा सब कुछ बिका हो गया
25:40हमारी निष्ठा बिका हुए
25:43जाती का नाम ले लो, माननेता का नाम ले लो, धर्म का नाम ले लो
25:47बिख जाते हैं
25:48हम ज्यान और सत्य के सामने नहीं जुकते
25:51हम माननेता और परंपरा के सामने बिख जाते हैं
25:56आरे ये बात
26:00तो भारत में जनतंत्र का आधार कमजोर है
26:04और तब तक कमजोर रहेगा जब भारत के जन जीवन में
26:09एक आध्यात्मिक जागरती नहीं आ जाती
26:12डेमोक्रेसी में एक बहुत बड़ा एजम्शन है
26:17और इन्वैलिड एजम्शन है कि लोग स्वतंत्र हैं वोट देने के लिए
26:23भाई हम बाहर से स्वतंत्र होंगे बीतर से हम स्वतंत्र नहीं है
26:30तो भारत एक जबरदस तरीके की फ्लॉट डेमोक्रेसी है
26:34दुनिया में सब flawed democracies है पर भारत तो बिलकुल अगरणी है
26:38flawed होने में जब तक हम जानेंगे नहीं कि हम कौन है
26:44और सचमुछ हमें चाहिए कि है और जो हमें चाहिए
26:47उससे प्रेम इतना होना चाहिए कि अब बिकेंगे नहीं
26:52जिस चीज से प्यार होता हो बेची नहीं जाती न भारत चूंकि आत्मा से दूर आ गया इसलिए भारत प्रेम से भहुत दूर आ गया है
27:03हमारे हां मोम आया ममता बहुत चलता है प्रेम हम बिलकुल नहीं जानते
27:07जो प्रेम जानेगा वो बिक नहीं सकता
27:10जो प्रेम जानेगा वो किसी छोटी चीज़ पर रुख नहीं सकता
27:14छोटे जगह पर छोटे आदमी के सामने छोटे लालच के सामने भी नहीं जुख सकता
27:20लोकतंत्र बहुत बढ़ियां चीज़ है
27:25पर उसके लिए लोक जगा हुआ होना चाहिए
27:29हमें जबरदस्ट शिक्षा की ज़रूरत है
27:32बाहरी शिक्षा भी और भीतरी शिक्षा भी
27:35नहीं तो लोकतंत्र का ढाचा बरकरार रहेगा
27:39और भीतर भीतर उसके बिलकुल कुछ विपरीच चलता रहेगा
27:44बाहर लोकतंत्री रहेगा
27:47officially तुम यही कहलाओगा कि अभी भी democracy हो
27:49पर भीतर भीतर कुछ और चलता रहेगा
27:52महारत में ही नहीं पूरी दुनिया में हर जगे यही होने जा रहा है
27:56समविधान कोई नहीं बदलने वाला
27:59वैसे भी Supreme Court ने क्या रखता है
28:00कि जो basic structure है उसको तो तुम amend modify भी नहीं कर सकते
28:04तो समविधान वैसे ही रहेगा पर उस समविधान का interpretation बदल दिया जाएगा
28:09interpretation तो बदल सकते हैं नो शब्द ही तो लिखे हैं
28:12हाथ उन शब्दों कुछ और अर्थ कर दो
28:14और कया दो हम समविधान का यह तो पालन कर रहे हैं
28:18उन शब्दों कार्थी कुछ और कर दो
28:20equality लिखा है
28:22बोल दो equality का मतलब यह है
28:24कि ब्राम्मण ब्राम्मण equal है
28:26और बनिया बनिया equal है
28:28और और अरत अरत equal है
28:31समविधान में equality ही तो लिखा है
28:32लोग है equality
28:33equality among equals
28:38अरे जब आद्मी औरत फोड़ी एक्वालिटी होगी
28:43और और औरत फोड़ी होगी
28:45और और ब्राह्मन ऑरत फोड़ी होगी
28:50तो समविधान आपको नहीं तोड़ना मरोडना पड़ा और आपका काम भी हो गया
28:54मुझे मैं आ रहे ये बा�त
28:57भारत को वास्तविक धर्म चाहिए
29:00भारत को उपनिशत चाहिए
29:02भगवक गीता चाहिए
29:04भारत को वेदान्त चाहिए
29:05भारत को हमें अपने शड़ दर्शनों के पास ले जाना पड़ेगा
29:09उन्हें बताना पड़ेगा
29:12भगवान बुद्ध भगवान महावीर हमसे क्या कहना चाते थे सिखाना पड़ेगा
29:15क्या हो गया था हिंदु धर्म को
29:19कि सिख गुरुवों को एक नई धारा ही खोलनी पड़ी
29:22हमें सीखना पड़ेगा
29:24जो पूरा संत समुदाय था
29:31उसे क्यों जरूरत पड़ी हिंदु धर्म में सुधार लाने की
29:35हमें जानना पड़ेगा
29:37क्या गलतियां थी जिसके लिए इतने संतों ने इतना कहा
29:43और सिर्फ कहा ही नहीं है कईयों ने तो प्राण भी दे दिये
29:46क्यों उन्हें अपने इतने
29:50जान की बाजी प्राणों का उत्सर्क जरूरत क्या पड़ी थी
29:53यह में जानना पड़ेगा क्योंकि वही सब बुराईयां
29:57जो बुद्ध मावीर के जमाने में भी मौझूद थी
30:01गुरुनानक, संत कबीर के जमाने में भी मौझूद थी
30:06राजा राम मोहन रोय
30:09और जोतिवा फुले के समय भी मौझूद थी
30:12वो सब बुराईयां आज भी मौझूद है
30:16और उन बुराईयों के साथ लोगतंत्र नहीं चल सकता
30:18उन बुराईयों को हमें पहचानना पड़ेगा
30:24सफाई करनी पड़ेगी
30:26सर जिसी ये बुराईयां तो प्रेजेंटर पर जैसे मैंने बोला कि
30:35हम जब भी निकलते हैं मतलब प्रोटेस्ट इसका कोई तरीका हो नहीं सकता
30:42एचली मुझे मैं क्लासिकल तरही के पढ़ रहा था
30:45तो मुझे एक सेट्वन मिला की जब सड़के खाली होती है तो संसद आवारा हो जाती है
30:52सड़कों पर काम नहीं चलेगा, वो तब होता था जब लोग सड़क की और देखते थे
30:57आज लोग सारे समय आखे है तो सोशेल मीडिया कोई और देख रहा होते है
31:00तुम सड़क पी आके बढ़े हूँ तुम्हें देख कौन रहा है
31:03हर काम के लिए ओडियन्स चाहिए होती है भाई ओडियन्स
31:07गांधी जी भी जो कर पाई इसलिए कर पाई है क्योंकि उनके पास ओडियन्स थी
31:11भगत सिंग की कुर्बानी को भी आज हम इसलिए जान पाते हैं
31:15क्योंकि तब अख़बारों को आजादी थी
31:17लंबा उनका साल भर लंबा केस खिचा था
31:20कि उस केस के छोटे से छोटे पहलू को जन जन तक पहुँचाओ
31:25ओडियन्स थी तुम वहाँ सड़क पर बैठे हो
31:28और वहाँ तुम्हें कोई थुड़ देर में कहा रहे है पानी पिलाना तो कोई आ जाए
31:32उससे नहीं होगा और हर साल तो देश में चुनाव होते रहते हैं इतना बड़ा देश है
31:41इतने सारे राज्ये हैं अगर जनता वास्ताव में खफा हो तो अगला चुनाव बस तीन महीने दूर होता है
31:50यहाँ हो रहा है नि तो वहाँ हो रहा है जनता खफा ही नहीं है जनता कहीं खफा नहीं है
31:58ट्रम्प का जो mandate था अमेरिका में
32:01वो mandate ऐसा है कि वो evil है mandate
32:06जनता खफा हुई है गया
32:09पिछली बार तो ट्रम्प की जब जीत हुई थी तो कम सकंद popular vote कम मिला था
32:14इस बार तो अगर तुम absolute number of votes भी count करो तो जादा जीत क्या है
32:20जनता खफा थोड़ी है जनता तो खुश है
32:22तो नेताओं की बुराई करनी बंद करनी पड़ेगी पहले तो इस जनता को ठीक करना पड़ेगा
32:29नेता तो बिचारा जनता का पिछलगू है जनता जैसी है और नेता भी अपना उसी से काम चला रहा है स्वार्थ
32:36ये जनता ही गड़ बड़ है
32:38और जब तक इस जनता को नहीं सुधार होगे
32:41बात बनेगी नहीं
32:41अच्छली इसे सिस्टम को
32:45फॉलो करते हुए जब मैं आप बोलते हैं कि
32:47चेतना का कोई सुभाव नहीं होता
32:48और जब समाज अपनी चेतना पे जिएगा
32:50तो परमसुतंत्र होगा
32:51तो प्लेटो जैसे दार्सनिक भी इस बात को जानते थे
32:54कि चेतना का इस सुभाव नहीं होता
32:56फिर भी जब बात सासन बे वस्ता किया ही
32:58तो उन्होंने एक नोबल लाई का कॉंसेब्ट दिया
33:00कि प्लेटो नोबल लाई और एक नोबल लाई के बेस पर समाज को संगठित किया जाए
33:03तो क्या प्लेटो यही कहना चाता है थे कि जनता कभी उस लेवल पर पहुँच नहीं सकती
33:07तो जब बुराई सी चलना है तो एक नोबल लाई बना दिया जाए
33:09सोधिर सोसाइटी जो अग्नाइज़वे में जले देखो जो प्लेटो की पूरी विवस्था थी दी हुई वो बहुत थायरार्किकल थी ठीक है और ऑथोरिटेरियन भी थी वो देमोक्राटिक नहीं थी प्लेटो तो कह रहे हैं कि जो चुनो चुनो चुनो सबसे प्रतिभा
33:39मुझे सबसे अग्रणी हो उसको राजाई बना दो सीधे यह देमोक्राटिक विवस्था नहीं है तो वहाँ यह चल सकता था लेकिन दुनिया में आज तक जितनी भी विवस्थाएं सोची गई है पुलिटिकल उनमें सबसे अच्छी अपनी तमाम खामियों के बावजूद
34:09और कोई तरीका नहीं है तो जातर जो वहाँ पर डिस्कुशन्स होते हैं लौ से रिलेटर जो अब तक मैंने मतलब फस्टियर में देखें वह से फ्रीडम के राइट तो प्रेवेसी और इस चीज़ के उपर यादा होता है फ्रीडम के उपर कि फ्रीडम चाहिए फ्रीडम ह
34:39और हम जो अध्यात्म में देखते हैं वहाँ पर फ्रीडम की अलग बात करता है तो इसे इस तरफ जाने की अप्रोच क्या होनी चाहिए और दौनों में मतलब क्या समानता है है इंदौनों फ्रीडम में और क्या डिफरेंसे हैं सब्सक्राइब
35:02समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए व्यक्ति को जो सुतंतरता मिलनी चाहिए तो कानूं रिवस्था न्याय प्रडालियां समविधान बस उसकी ही तो बात करेंगे न तो वो अपनी जग़ा बिलकुल ठीक बात कर रहे हैं
35:19राइट्टु प्राइवेसी राइट्टो लाइफ राइट्ट गिवालीटी राइट्टु फ्रीडु अफ्रेशन कल्चिरल एभुब C Baby
35:27अरइट्षा Padman हो फंडामेंटल राइट्स हूं तू मिल जानते ही हो फिर अनू 6 है उसमें राइट तो लाइफ है
35:31उसके नजाने कितने अलग-अलग तरीके के interpretation हो गए है
35:34उसमें right to reputation भी आ गया
35:35तो वो सब चाहिए ताकि समाज ठीक से चलता रहे
35:39समाज में कोई यह हक न मिल जाए कि वो व्यक्ति के उपर चड़के बैठ गया है
35:44न समाज को वो हक मिले न सत्ता को
35:47तो जब आप कहते हैं fundamental rights हैं
35:49तो those are the fundamental rights of the individual
35:52against the state and its institutions
35:55ठीक है कि तुम्हारा दमन जो है
35:58वो कोई और न कर ले
35:59उसके लिए समविधान तुमको यह सब मौलिक अधिकार देता है
36:03लेकिन तुम अपना दमन अगर खुदी करना चाहो
36:07तो समविधान कुछ नहीं बोलता
36:09कोई और अगर तुम्हारी freedom of speech छीनेगा
36:16तो तुम बिल्कुल जा करके इससे एक legal remedy मांग सकते हो
36:22कोट के पास जा करके
36:24कि देखो फलाना है और वो मुझे बोलने नहीं दे रहा
36:30लेकिन कोई अगर तुमको भीतर से भरष्ट करके
36:36तुम्हारे विचार ही गंदे कर दे
36:38तो इस चीज़ की कोई legal remedy नहीं है
36:44व्यक्ति के भीतर क्या हो रहा है
36:47समविधान इस पर भहुत नहीं बोलता
36:50क्योंकि उसका जो उद्देश्य है
36:52समविधान से मेरा आरत है कोई भी विधान
36:54ठीक है कोई भी विधी प्रणाली
36:56वो इसका बोलते नहीं
36:58क्योंकि उनका उद्देश्य है कि समाज ठीक से चले
37:01इनसान और निनसान का रिष्टा ठीक रहे
37:04और इनसान और राज्य का रिष्टा ठीक रहे
37:07इनसान का अपने साथ क्या रिष्टा होगा
37:10इसके लिए तुमको law नहीं
37:13spirituality पढ़नी पड़ेगी
37:14कि मेरा मेरे साथ क्या रिष्टा होना चाहिए
37:17कोई और तुम्हारा
37:18शोषण न करे इसके लिए समविधान है
37:20तुम खुद अपना शोषण
37:22न करो इसके लिए
37:24वेदान थै
37:25और खतरनाक बात यह होती है
37:29कि कोई और हमारा शोषण बाद में करता है
37:30सबस्यादा शोषण हम
37:32खुद ही अपना करते हैं
37:34तो इसलिए मैं बोला करता हूँ
37:36कि अच्छा समविधान भी
37:38अध्यात्मिक मुल्यों से ही पैदा हो सकता है
37:40पहले यह जरूरी है
37:42कि हम अपने साथ अच्छे हो फिर हम अपने पडोसी के साथ भी अच्छे हो जाएंगे
37:46थैंक यू सेथ
37:48थैंक यू सेथ
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