00:00तो बुद्ध ने तो कह दिया था कि भिक्षा में जो भी मिले उसको स्विकार करी लेना है
00:03एक बार ऐसा हुआ कि मरे हुए चुहे या कुछ सड़े हुए मास का टुपड़ा मिल गया
00:08उन्होंने का अब यह पातर में आ गया है चलो इसको भी स्विकार करो
00:11मावीर ने और कड़ी शर्ते लगा दी उन्होंने का तुम पहले मन में कलपना करो
00:16कि आज उसी घर से लोगा भिक्षा जिसके आगे नीम का पेड़ होगा
00:21और नीम के पेड़ के नीचे एक बचड़ा बैठा होगा
00:25और फिर घूमने निकलो ऐसा कोई घर मिले तो भिक्षा लेना नहीं तो मतलेना
00:28और यह किसी को बात पता नहीं होनी चाहिए कि तुमने भीतर संकल्प क्या लिया है
00:32अगर आपको पता चल जाओ धारण के लिए कि किसी घर में भिक्षा मांगने जाओ
00:36और वहां स्वादेश्टी खाना मिलता है तो आप बार बार वहां भिक्षा मांगने चले जाओगे अब यह भिक्षा नहीं रही ना
00:41क्योंकि भिक्षा वही है जिसका पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता यह सब कुछ इसलिए ताकि हमारे भीतर जो जूठा वैठा हुआ है जो पलपल का बहिमान है उससे अंकुष में रखा जा सके
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