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चंद्र ग्रहण खगोलीय, धार्मिक और ज्योतिषीय तीनों ही दृष्टियों से महत्वपूर्ण माना जाता है। इसका सीधा प्रभाव देश-दुनिया की गतिविधियों से लेकर पूजा-पाठ और व्यक्तिगत जीवन पर पड़ता है। हिंदू धर्म में इसे अशुभ अवधि के रूप में जाना जाता है, इसलिए इसके आरंभ से समापन तक कई नियमों का पालन किया जाता है। हालांकि, खगोलशास्त्रियों के लिए यह आकाशीय घटनाओं को समझने का अवसर होता है। वहीं ज्योतिष में इसका असर 12 राशियों और 27 नक्षत्रों पर पड़ता है, जिससे कुछ जातकों को लाभ, तो कुछ की परेशानियां बढ़ने लगती हैं। इस वर्ष 7 सितंबर 2025 को साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। इसका दृश्य भारत में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। ऐसे में आइए इसके समय, प्रभाव, सूतक काल और उपायों को विस्तार से जानते हैं।

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00:00चंद ग्रहन एक एस्ट्रोनॉमिकल धार्मिक और जोतशी तीनों ही द्रश्टियों से महतपूर माना जाता है।
00:08इसका सीधा प्रभाव देश्ट दुनिया की कतिवितियों से लेकर पूजापाट व्यक्तिकत जीवन पर असर पड़ता है।
00:17हिंदु धर्म में इसे अशुब अवधी के रूप में जाना जाता है।
00:22इसलिए इसके आरंभ से समापन तक कई नियोमों का पालब किया जाता है।
00:28पता दे कि इस साल ये सास सितंबर दोहजार पच्चिस को साल का दूसरा और अंतिम चंद क्रहन लगने ज़ा रहा है।
00:38इसका द्रश्य भारत में स्पस्ट रूप से दिखाई देगा। ऐसे में आये इसके प्रभाव और सूतक काल के बारे में जानते हैं।
00:48कब लगता है चंद क्रहन। ऐसा माना जाता है कि जब इस सूर्य और चंद्रमा के बीच पृत्वी आ जाती है।
00:56तो सूर्य की रोश्नी चंद्रमा तक नहीं पहुँच पाती। इससे धर्दी की जाया चंद्रमा पर पड़ती है।
01:04इस घटना को चंद्रक्रहन कहते हैं।
01:07सास सितंबर को साल का दूसरा चंद्रक्रहन लग रहा है।
01:12इस साल रात नौ बचकर 58 मिनट से शुरू होगा।
01:17क्रहन का समापन देर रात एक बचकर 25 मिनट पर है।
01:22आपको बता दें कि ये चंद्रक्रहन भारत के लावा औस्ट्रेलिया, न्यूजिलेंड, अफ्रीका, एशिया, यॉरॉप जैसे दुनिया के कई हिस्सों में नजर आएगा।
01:33सूतक काल का समय जोतिशों के अनुसाद चंद्रक्रहन की शुरुवात से लगबत 9 घंटे पहले सूतक काल लगता है।
01:43इसलिए 7 सितंबर को दोपहर 12 बचकर उनसे मिनट से सूतक काल शुरू होगा।
01:50इसके प्रारंबर से लेकर ग्रहन के समापन तक ध्यान और मंत्र का च्वाप करना चाहिए। ये बेहत शुब माना जाता है।
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