Skip to playerSkip to main content
#Sher #DanishtTaimoor #SaraKhan

Sher Drama Episode 31 - Danisht Taimoor - Sara Khan - 4th September 2025 - Har Pal Entertainment

#Sher #DanishtTaimoor #Sarakhan

Some love stories aren't just written in hearts—they're carved through pain, sacrifice, and fire. Enter the world of Sher, where two souls—Sher Zaman and Fajar—dare to love beyond the lines drawn by generations of hate.

Danish Taimoor breathes life into Sher Zaman, a man raised with command in his veins—fierce, proud, and built to lead.
Sarah Khan shines as Fajar, a gentle heart swept into the storm of a family feud, trying to hold on to love and light in a world clouded by old grudges.

Their paths were never meant to cross. But love… had other plans.

Sher is a gripping Pakistani drama packed with raw emotions, intense rivalries, and deep-rooted traditions.
From kidnappings and secret alliances to broken promises and forbidden love, every episode leaves you wanting more.
Featuring a stellar cast and top-tier storytelling from the makers of iconic drama hits.

Cast:
Danish Taimoor as Sher Zaman
Sarah Khan as Fajar
Arjumand Rahim,
Sunita Marshall,
Nadia Afgan,
Yousuf Bashir Qureshi,
Faizan Shaikh,
Atiqa Odho, and more.

Written by: Zanjabeel Asim
Directed by: Aehsun Talish

Airs Wed & Thu at 8:00 PM, only on ARY Digital

Don't miss this emotional rollercoaster of love, loyalty, and legacy.

#Sher #DanishTaimoor #SarahKhan #PakistaniDrama #ARYDigital #DramaSerial #NewDrama2025 #FamilyFeud #LoveStory #RomanticDrama #ZanjabeelAsim #AehsunTalish #SherZaman #Fajar #pakistanitvdrama

@arydigital

Category

😹
Fun
Transcript
00:00How do I live without meeting you?
00:15I will not give myself a reward, Sher.
00:18I will be with my father and I will leave you very happy with me.
00:23And this feeling will be open every day.
00:27I will not give them a validation, Sher.
00:30My father has been blown away from my brother.
00:34The food has been burned. The fire has been burned.
00:37The mother will be made in the palace.
00:40The love of the king is in your hands.
00:44I am going to take care of everyone.
00:47I am not alone.
00:50I am not alone.
00:52I am a fool.
00:54Why are you making any problems for me?
00:57I am sorry.
00:58If anyone knows my father, I will leave here alone.
01:02I am going to take care of my father.
01:04I am going to take care of my father.
01:06I am going to take care of my father.
01:09I will not tell you the truth of your father.
01:12You don't look at your father.
01:14What do you want?
01:15I will leave here alone.
01:16I will leave here days every day.
01:17I have finished with Sha-Zaman's life.
01:19How did your life have changed?
01:21My parents wanted to see my house.
01:22They wouldn't attend their shoes.
01:24Take care of their shoes down.
01:26I am not trying to hide the seed from their feet.
01:27I am not having a doubt.
01:30I am back with my Sha-Zaman's flesh.
01:31My Sha-Zaman's heir is back again.
01:34I have survived the other people in the flood.
01:39Now it's all about other people.
01:40Every day, every day, every day.
01:48Baba Ji, my heart is this.
01:50When will I run away?
01:52If you have a promise, make a promise.
01:53If you have a promise, make a promise, it will be very dangerous.
01:56The promise of the Lord and the Lord is very important.
01:58These are all your promises.
02:00I will die from the dead.
02:01I will die from the dead.
02:03I will die from the dead.
02:05They are still wrong.
02:08They have lost their lives in their memory.
02:11They have left you and made two marriages.
02:14You have been alone.
02:15You have given a lot of money.
02:17Take care of yourself.
02:19You are not taking care of yourself.
02:21And you are not killing yourself.
02:23My heart is full.
02:24I will die from the dead.
02:25I will die from the dead.
02:26I will die from the dead.
02:27My heart is full.
02:28Yes me
02:42Beacarrar ye dhil tera pahal hai
02:46samjhe na
02:49Beerukhi to bahana hai
02:53ye baat kuhi il cheema
02:58Ґشک میرا ہی منزل تو نہ باتا ہے
03:03نہ کوتا ہے
03:05من چاہتوں کا
03:08انجام تو بسی ہوتا ہے
03:13مسکرک نہ دکھیے
03:16ایسا نہ ہوں دل سن لینا
03:21فیرکی پڑھنا
03:23ایسا تو بہت کندی موت پار ہوں گا میں
03:28اور اس کی موت
03:30شہر کو بھی ادمرا کر دی گی
03:53مسکرک نہ دکھو بہت کندی موت پار ہوں گا میں
03:57بہت کندی موت پار ہوں گا میں
03:59موسیقی
03:59موسیقی
04:03موسیقی
04:05موسیقی
04:09موسیقی
04:11موسیقی
04:13موسیقی
04:31foreign
04:49foreign
04:52hello
04:56foreign
04:59आमना एक दरम्यानी तफके के गिराने के बेटी ती
05:02जहावर पेंसला वाली दिन के मर्जी से होता
05:05वो खौब देखती जरूर थी
05:07मगर इन खौबों को जबान देने के हिम्मत कभी ना करती
05:10दूसी तरफ परास एक खुशाल बेजनेस पैमली से तालू करता था
05:15मगर अपनी मा की बिमारी ने उसके दिल को हसास बना दिया था
05:20वो अक्सर अपनी किलास के बाद लाए प्रीरे में वक गुजारता
05:23वो एक दिन आमना से गुपतगों कागाज हुआ शोरों में चूटी चूटी बाते हुई
05:28मगर जलही दोनों के दर्मियान एक अजीब सा रिष्टा बन गया
05:31पराज को ले दिल का था वो जजबात को चुपाता नहीं था
05:35आमना के खामोशी उसे अपनी तरफ कहेंचती थी
05:38आमना की दिल में भी पराज के बातों के गोंच रहने लेगी
05:42मगर वो डरती थी उसके वाले दिन सख मिजज थे
05:45और अपनी बेटी का रिष्टा पहले ही एक करीबी रिष्टदार के बेटे के साथ ते करना चाहते थे
05:51पराज ने एक दिन सापल पाज में आमना से कहा
05:53आमना मैं जानता हो तुम डरती हो
05:56लेकिन अगर तुम एक बार मेरा हाथ ताम लो तो सारी दुनिया से लने के हिम्मत आ जाएगी
06:02आमना के हांकों में आसुआ गए वो उसे कोना नहीं चाहती थी
06:06मगर वाली दिन के रजा के बगएर आगे बनना भी था इसके लिए मुम्किन नहीं था
06:11इदर परास के वाली दिन को भी ये तालुक पसंद ना आया
06:14उन्हें लगता था कि आमना उनके बेटें के मायार की नहीं है
06:18कहानी में असल मुम्क तब आया जब परास की माँ जो अरसे से बिमार थी
06:23एक दिन आमना से मिली आमना ने नसिर भी बले इनके साथ महबत
06:27इदर का वो सलुक जो किसी ने ना किया ता
06:29यही लम्हा था जब परास की माँ का दिल बदल गया
06:33उन्होंने अपनी शोहर को काहल किया और कहा
06:35ये लड़के हमारे बेटे की जिन्दगी को सकून दे सकती है
06:38इसके चेहरे पर मैंने वो खलूच देखा है जो दौलत से नहीं खरीदा जा सकता
06:44आखिर कार दोनों गराने राजी होगे
06:47मगर आमना के वालिद ने शर्तर की के परास अपनी जिन्दगी की जिम्मदारिया
06:51पूरी खलूच से निभाएगा
06:52ड्राम की अगतिता में एक खुबसूरत मनजर पर होता है
06:55जहां आमना और परास निकाह के बंदन में बंते है
06:59आमने के आंगों में सकून और परास की दिल में शुकर गुजारी होती है
07:03ब्रामसिल के होगे से अपने राह की जहाला जाजमी कमिन करे
07:06साथ में हमारा योटूब का चेनल सब्सक्राइब करनों मत भूलिए तेंक्स पर वाचिंग अल्हाफिज
07:11Hello Pievers कराची के एक बड़े तालीम दारे में आमना और पराज की पहले मुलाकात हुई
07:16दोनों के तालग मुद्लिब दुनाव इसले था
07:18आमना एक दरम्यानी तफके के गिराने के बेटी थी
07:21जहावर पेंसला वाली दिन के मर्जी से होता
07:24वो खौब देखती जरूर थी
07:26मगर इन खौबों को जबान देने के हिम्मत कभी ना करती
07:29दूसी तरफ परास एक खुशाल बेजनेस पेमली से तालू करता था
07:34मगर अपनी मा की बिमारी ने उसके दिल को हसास बना दिया था
07:39वो अक्सर अपनी किलास के बाद लाइबरीरे में वक गुजारता
07:42वो एक दिन आमना से गुपतगों कागाज हुआ शोरों में चूटी चूटी बाते हुई
07:47मगर जलही दोनों के दर्मियान एक अजीब सा रिष्टा बन गया
07:50पराज को ले दिल का था वो जजबात को चुपाता नहीं था
07:54आमना के खामोशी उसे अपनी तरफ केंचती थी
07:57आमना की दिल में भी पराज के बातों के गोंच रहने लेगी
08:01मगर वो डरती थी उसके वाली दिन सख मिज़ाच थे
08:04और अपनी बेटी के रिष्टा पहले ही एक करीबी रिष्टदार के बेटे के साथ ते करना चाहते थे
08:10पराज ने एक दिन सापलपाज में आमना से कहा
08:12आमना मैं जानता हो तुम डरती हो लेकिन अगर तुम एक बार मेरा हाथ ताम लो तो सारी दुनिया से लने के हिम्मत आ जाएगी
08:21आमना के हांकों में आसुआ गए वो उसे कोना नहीं चाहती थी
08:25मगर वाली दिन के रजा के बगएर आगे बनना भी था इसके लिए मुम्किन नहीं था
08:30इदर पराज के वाली दिन को भी ये तालुक पसंद नाया
08:33उन्हें लगता था कि आमना उनके बेटें के मायार की नहीं है
08:37कहानी में असल मुर्ड तब आया जब पराज की मा जो अर्सिसी विमार थी
08:42एक दिन आमना से मिली आमना ने नसिर बेंके खाथ महबत इसत का वो सलुक क्या जो किसी ने ना किया ता
08:48यही लम्हा था जब पराज की मा का दिल बदल गया उन्होंने अपनी शोहर को काहल किया और कहा
08:54यह लगते हमारे बेटे की जिन्दगी को सकून दे सकती है
08:57इसके चेहरे पर मैंने वो खलूच देता है जो दौलत से नहीं खरीदा जा सकता
09:02आखिर कार दोनों गराने राजी हो गए मगर आमने के वालिद ने एक शर्तर की के पराज अपनी जिन्दगी की जिम्दारिया पूरी खलूच से निभाएगा
09:11ड्रामा की इखिता में एक खुबसूरत मनजर पर होता है जहाँ आमने और पराज निकाह के बंदन में बनते हैं
09:18आमने के आंकों में सकून और पराज की दिल में शुकर गुजारी होती है
09:22ड्रामा सेल के हवाले से अपने राह की जार लाजमी कमिन करें
09:25साथ में हमरे योटूब का चेनल सबस्क्राइब करना मत भूलिये तेंक्स पर वाचिंग अल्हाफिज
09:30अल्यवपीबर्स कराची के एक बड़े तालीम एदारे में आमने और पराज की पहले मुलाकात हुई
09:35दोनों के तालोग मुख्तलिब दुनाव इस देता
09:37आमना एक दर्मियानी तफके के गराने के बेटी ती
09:40जहावर पेंसला वाली दिन के मर्जी से होता
09:43वो खौब देखती जरूर थी
09:45मगर इन खौबों को जबान देने के हिम्मत कभी ना करती
09:48दुसी तरफ पराज एक खुशाल बेजनेस पैमली से तालू करता था
09:53मगर अपनी मा की बिमारी ने उसके दिल को हसास बना दिया था
09:58वो अक्सर अपनी किलास के बाद लाइब डिरे में वक गजारता
10:01वो एक दिन आमना से गुपतगों कागाज हुआ शोरों में चूटी चूटी बाते हुई
10:06मगर जलही दोनों के दरमियान एक अजीब सा रिष्टा बन गया पराज को ले दिल का था
10:11वो जजबात को चुपाता नहीं था
10:13आमना के खामोशी उसे अपनी तरफ केंचती थी
10:16आमना की दिल में भी पराज के बातों के गोंच रहने लेगी
10:20मगर वो डरती थी उसके वाले दिन सख मिजज थे
10:23और अपनी बेटी का रिष्टा पहले ही एक करीबी रिष्टदार के बेटे के साथ ते करना चाहते थे
10:29पराज ने एक दिन सापल पाज में आमना से कहा
10:31आमना मैं जानता हो तुम डरती हो
10:34लेकिन अगर तुम एक बार मेरा हाथ ताम लो तो सारी दुनिया से लने के हिमत आ जाएगी
10:40आमना के हांकों में आसुआ गए वो उसे कोना नहीं चाहती थी
10:44मगर वाली दिन के रजा के बगएर आगे बनना भी था इसके लिए मुम्किन नहीं था
10:49इदर परास के वाली दिन को भी ये तालुक पसंद ना आया
10:52उन्हें लगता था कि आमना उनके बेटें के मायार की नहीं है
10:56कहानी में असल मौर तब आया जब परास की माँ जो अरसे से बिमार थी
11:01एक दिन आमना से मिली आमना ने नसर बेंके खिसाथ महबत
11:05इदर का वो सलुक जो किसी ने ना किया था
11:07यही लमा था जब परास की माँ का दिल बदल गया
11:11उन्होंने अपनी शोहर को काहल किया और कहा
11:13ये लड़के हमारे बेटे की जिन्दगी को सकून दे सकती है
11:16इसके चेहरे पर मैंने वो खलूच देता है जो दौलत से नहीं खरीदा जा सकता
11:21आखिर कार दोनों गराने राजी होगे
11:24मगर आमना के वालिद ने शर्तर की के परास अपनी जिन्दगी की जिम्मदारिया
11:28पूरी खलूच से निभाएगा
11:30ड्रामा के अखिता में एक खुबसूरत मनजर पर होता है
11:33जहां आमना और परास निकाह के बंदन में बनते है
11:37आमने के आँखों में सकून और परास की दिल में शुकर गुजारी होती है
11:41ड्रामा सिल के हवाले से अपने राखिजा लाजमी कमेंट करे
11:44साथ में हमरे योटूब का चेनल सबस्ट्राइब करनों मत भूलिये
11:47तेंक्स पर वाचिंग अल्हाफिज
11:49अल्यव पीबर्स कराची के एक बड़े तालीम एदारे में
11:52आमना और परास की पहले मुलाकात हुई
11:54दोनों के तालोग मुक्तलिब दुना विस्ते था
11:56आमना एक दर्म्यानी तफके के गिराने के बेटी थी
11:59जहावर पेंसला वाली दिन के मर्जी से होता
12:02वो फ़ाब देखती जरूर थी
12:04मगर इन खौबों को जबान देने के हिम्मत कभी ना करती
12:07दुसी तर परास एक खुशाल बेजनेस पैमली से तालू करता था
12:12मगर अपनी मा की बिमारी ने उसके दिल को हसास बना दिया था
12:16वो अक्सर अपनी किलास के बादला अब्रीरे में वक गुजारता
12:20वो एक दिन आमना से गुपतगों कागाज हुआ
12:23शोरों में चूटी चूटी बाते हुई
12:25मगर जलही दोनों के दरमियान एक अजीब सा रिष्टा बन गया
12:28परास कोले दिल का था वो जजबात को चुपता नहीं था
12:32आमना के खामोशी उसे अपनी तरफ केंचती थी
12:35आमना की दिल में भी परास के बातों के गौँच रहने लेगी
12:39मगर वो डरती थी उसके वाले दिन सख मिजज थे
12:42और अपनी बेटी के रिष्टा पहले ही एक करीबी रिष्टदार के बेटे के साथ ते करना चाहते थे
12:48परास ने एक दिन सापल पाज में आमना से कहा
12:50आमना मैं जानता हो तुम डरती हो
12:53लेकिन अगर तुम एक बार मेरा हाथ ताम लो तो सारी दुनिया से लने के हिम्मत आ जाएगी
12:59आमना के हांकों में आसुआ गए वो उसे कोना नहीं चाहती थी
13:02मगर वाली दिन के रजा के बगएर आगे बनना भी ता इसके लिए मुम्किन न था
13:08इदर परास के वाली दिन को भी ये तालुक पसंद न आया
13:11उन्हें लगता था कि आमना उनके बेटें के मायार की नहीं है
13:15कहानी में असल मुर्ग तब आया जब परास की मा जो अर्से से विमार थी
13:20एक दिन आमना से मिली आमना ने नसिर भी उनके खिसाथ महबत
13:24इदर का वो सलुक क्या जो किसी ने ना किया ता
13:26यही लमा था जब परास की मा का दिल बदल गया
13:29उन्होंने अपनी शोहर को काहल किया और कहा
13:32ये लड़के हमारे बेटे की जिन्दगी को सकून दे सकती है
13:35इसके चेहरे पर मैंने वो खलूच देता है जो दौलत से नहीं खरीदा जा सकता
13:40आखिर कार दोनों गराने राजी होगे
13:43मगर आमना के वालिद ने शर्तर की के परास अपनी जिन्दगी की जिम्मदारिया पूरी खलूच से निभाएगा
13:49ड्राम के इखिता में एक खुबसूरत मनजर पर होता है
13:52जहाँ आमना और परास निकाह के बंदन में बनते है
13:56आमने के आंकों में सकून और परास की दिल में शुकर गुजारी होती है
14:00ड्राम सेल के हुआले से अपने राह कि जाह लाज़मी कमेंट करे
14:03साथ में हमरे योटूब का चेनल सब्सक्राइब करना मत भूलिये
14:06तेंक्स पर वाचिंग अल्हाफ़ज
14:08अलेव पीबर्स कराची के एक बड़े तालीम एदारे में
14:11आमना और परास की पहले मुलाकात हुई
14:13दोनों के तालोग मुख्तलिब दुना इस्ते था
14:15आमना एक दर्म्यानी तफके के गिराने के बेटी थी
14:18जहावर प्रेंसला वाली दिन के मर्जी से होता
14:21वो खौब देखती जरूर थी
14:23मगर इन खौबों को जबान देने के हिम्मत कभी ना करती
14:26दूसी तरफ परास एक खुशाल बेजनेस पैमली से तालू करकता था
14:31मगर अपनी मा की बिमारी ने उसके दिल को हसास बना दिया था
14:35वो अक्सर अपनी किलास के बादला अबरीरे में वक गजारता
14:39वो एक दिन आमना से गुपतगों कागाज हुआ
14:42शोरों में चूटी चूटी बाते हुई मगर जलही
14:44दोनों के दरमियान एक अजीब सा रिष्टा बन गया
14:47परास कोले दिल का था वो जजबात को चुपाता नहीं था
14:51आमना के खामोशी उसे अपनी तरफ कहेंचती थी
14:54आमना के दिल में भी परास के बातों के गोंच रहने लेगी
14:58मगर वो डरती थी उसके वाले दिन सख मिज़ाच थे
15:01और अपनी बेटी का रिष्टा पहले ही
15:03एक करीब रिष्टादार के बेटे के साथ ते करना चाहते थे
15:06परास ने एक दिन सापल पाज में आमना से कहा
15:09आमना मैं जानता हो तुम डरती हो
15:12लेकिन अगर तुम एक बार मेरा हाथ ताम लो
15:14तो सारी दुनिया से लने के हिमत आ जाएगी
15:18आमना के आँकों में आसुआ गए वो उसे कोना नहीं चाहती थी
15:21मगर वाली दिन के रजा के बगएर आगे बनना भी था
15:25इसके लिए मुझन न था
15:27इदर परास के वाली दिन को भी ये तालुक पसंद न आया
15:30उन्हें लगता था कि आमना उनके बेटें के मायार की नहीं है
15:34कहानी में असल मौर्ट तब आया
15:36जब परास की माँ जो अर्से से विमार थी
15:39एक दिन आमना से मिली
15:40आमना ने नसर भी था
15:41बल्फον के साथ महबत ईच्जत का वो सलुक जो किसी ने ना किया था
15:45ये ही लम्हा था जब परास की माँ का दिल बदल गया
15:48उन्होंने अपनी शोहर को गार किया
15:50اور کہا یہ لڑکی ہمارے بیٹے کی زندگی کو سکون دے سکتی ہے
15:54اس کے چہرے پر میں نے وہ خلوص دیتا ہے جو دولت سے نہیں خریدا جا سکتا
15:59آخر کار دونوں گرانے راضی ہو گئے
16:02مگر آمنہ کے والد نے شرطر کی کہ پراز اپنی زندگی کی ذمہ داریاں پوری خلوص سے نبھائے گا
16:08ڈراما کے اختتام میں خوبصورت منظر پر ہوتا ہے
16:11جہاں آمنہ اور پراز نکاح کے بندن میں بنتے ہیں
16:15آمنہ کے آنکوں میں سکون اور پراز کی دل میں شکر گزاری ہوتی ہے
16:19رومنسل کے حوالے سے اپنے راہے کی ظاہر لازمی کمنٹ کریں
16:22ساتھ میں ہمارا یوٹیوب کا چینل سبسکرائب کرنے مت بولیے
16:25تینکس پار واشنگ اللہ حافظ
16:27ایلو بیورس کراچی کے ایک بڑے تعلیم ادارے میں آمنہ اور پراز کی پہلے ملاقات ہوئی
16:32دونوں کا تعلق مختلف دنیا وست دیتا
16:34آمنہ ایک درمیانی طفقے کے گرانے کی بیٹی تھی
16:37جہاور پیسلا والدین کے مرضی سے ہوتا
16:40وہ خواب دیکھتی ضرورتی
16:42مگر ان خوابوں کو زبان دینے کے حمد کبھی نہ کرتی
16:45دوسری طرف پراز ایک خوشحال بیزنس پیملی سے تعلق کرتا تھا
16:50مگر اپنی ماں کی بیماری نے اس کے دل کو حساس بنا دیا تھا
16:54وہ اکثر اپنی کلاس کے بعد لائبریرے میں وقت گزارتا
16:58وہ ایک دن آمنہ سے گپتگو کا غاز ہوا شوروں میں چھوٹی چھوٹی باتیں ہوئی
17:03مگر جل ہی دونوں کے درمیان ایک عجیب سا رشتہ بن گیا
17:06پراز کو لے دل کا تھا وہ جذبات کو چھپاتا نہیں تھا
17:10آمنہ کے خاموشی اسے اپنی طرف کینچتی تھی
17:13آمنہ کی دل میں بھی پراز کے بعدوں کے گونچ رہنے لگی
17:17مگر وہ ڈرتی تھی اس کے والدین سخ مزاج تھے
17:20اور اپنی بیٹی کا رشتہ پہلے ہی
17:22ایک قریبی رشتہ دار کے بیٹے کے ساتھ تھے کرنا چاہتے تھے
17:25پراز نے ایک دن ساپل پاز میں آمنہ سے کہا
17:28آمنہ میں جانتا ہو تم ڈرتی ہو لیکن اگر تم ایک بار میرا ہاتھ دام لو
17:33تو ساری دنیا سے لنے کے حمد آ جائے گی
17:37آمنہ کے آنکوں میں آسوا گئے وہ اسے کونہ نہیں چاہتی تھی
17:40مگر والدین کے رضا کے بغیر آگے بننا بھی تھا
17:44اس کے لئے ممکن نہ تھا
17:46ادھر پراز کے والدین کو بھی یہ تعلق پسند نہ آیا
17:49انہیں لگتا تھا کہ آمنہ ان کے بیٹے اور کے ماں یار کی نہیں ہے
17:53کہانی میں ایسیل مورد تب آیا
17:55جب پراز کی ماں جو عرصے سے بیمار تھی
17:57ایک دن آمنہ سے ملی
17:59آمنہ نے نہ صرف ان کے خیزت
18:01بلکن کے ساتھ محبت عزت کا وہ سلوک کیا جو کسی نے نہ کیا تھا
18:04یہی لمحہ تھا جب پراز کی ماں کا دل بدل گیا
18:07انہوں نے اپنی شوہر کو قائل کیا اور کہا
18:10یہ لڑکہ ہمارے بیٹے کی زندگی کو سکون دے سکتی ہے
18:13اس کے چہرے پر میں نے وہ خلوص دیکھا ہے
18:16جو دولت سے نہیں خریدا جا سکتا
18:18آخر کار دونوں گرانے راضی ہو گئے
18:21مگر آمنہ کے والد نے شرطر کی
18:23کہ پراز اپنی زندگی کی ذمہ داریاں پوری خلوص سے نبھائے گا
18:27ڈرامہ کے اختیطہ میں ایک خوبصورت منظر پر ہوتا ہے
18:30جہاں آمنہ اور پراز نکاح کے بندن میں بنتے ہیں
18:34آمنہ کے آنکھوں میں سکون اور پراز کی دل میں شکر گزاری ہوتی ہے
18:38ڈرامہ سلو کے حوالے سے اپنے راہ کی زہر لازمی کمیل کریں
18:41ساتھ میں ہمارا یوٹیوب کا چینل سبسکرائب کرنے مت بولیے
18:44تینکس پار واشنگ
18:45اللہ حافظ
18:46ایلو بیوئرز کھراچی کے ایک بڑے تعلیم ادارے میں
18:49آمنہ اور پراز کی پہلے ملاقات ہوئی
18:51دونوں کا تعلق مختلف دنیا سے تھا
18:53آمنہ ایک درمیانی طفقے کے گرانے کی بیٹھی تھی
18:56جہاں اپنے پینسلا والدین کے مرضی سے ہوتا
18:59وہ خواب دیکھتی ضرورتی
19:00مگر ان خوابوں کو زبان دینے کے حمد کبھی نہ کرتی
19:04دوسری طرف پراز
19:06ایک خوشحال بیزنس پیملی سے تعلق کرتا تھا
19:09مگر اپنی ماں کی بیماری نے اس کی دل کو حساس بنا دیا تھا
19:13وہ اکثر اپنی کلاس کے بعد لائبریرے میں وقت گزارتا
19:17وہ ایک دن آمنہ سے گپتگو کا غاز ہوا
19:20شوروں میں چھوٹی چھوٹی باتیں ہوئی
19:22مگر جلحی
19:22دونوں کے درمیان ایک عجیب سا رشتہ بن گیا
19:25پراز کو لی دل کرتا
19:27وہ جذبات کو چھپاتا نہیں تھا
19:29آمنہ کے خاموشی اسے اپنی طرف کینچتی تھی
19:32آمنہ کی دل میں بھی پراز کے بعدوں کے گونچ رہنے لگی
19:36مگر وہ ڈرتی تھی
19:37اس کے والے دن سخم مزاج تھے
19:39اور اپنی بیٹی کا رشتہ پہلے ہی
19:41ایک قریبی رشتہ دار کے بیٹے کے ساتھ تھے
19:43کرنا چاہتے تھے
19:44پراز نے ایک دن ساپل پاز میں آمنہ سے کہا
19:47آمنہ میں جانتا ہو
19:48تم ڈرتی ہو
19:50لیکن اگر تم ایک بار میرا ہاتھ دام لو
19:52تو ساری دنیا سے لنے کے حمد آ جائے گی
19:56آمنہ کی آنکوں میں آسوا گئے
19:58وہ اسے کونہ نہیں چاہتی تھی
19:59مگر والدین کے رضا کے بغیر
20:01آگے بننا بھی تھا
20:03اس کے لئے ممکن نہ تھا
20:05ادھر پراز کے والدین کو بھی یہ تعلق پسند نہ آیا
20:08انہیں لگتا تھا کہ آمنہ
20:09ان کے بیٹے کے ماں یار کی نہیں ہے
20:12کہانی میں اصل مورد تب آیا
20:14جب پراز کی ماں جو عرصے سے بیمار تھی
20:16ایک دن آمنہ سے ملی
20:18بلکہ ان کے ساتھ محبت عزت کا وہ سلوک کیا
20:22جو کسی نے نہ کیا تھا
20:23یہی لمحہ تھا جب پراز کی ماں کا دل بدل گیا
20:26انہوں نے اپنی شوہر کو قائل کیا
20:28اور کہا یہ لڑکی ہمارے بیٹے کی زندگی کو سکون دے سکتی ہے
20:32اس کے چہرے پر میں نے وہ خلوص دیکھتا ہے
20:35جو دولت سے نہیں خریدا جا سکتا
20:37آخر کار دونوں گرانے راضی ہو گئے
20:40مگر آمنہ کے والد نے شرطر کی
20:42کہ پراز اپنی زندگی کی ذمہ داریا
20:44پوری خلوص سے نبائی گا
20:46ڈرامہ کے اختیطہ میں ایک خوبصورت منظر پر ہوتا ہے
20:49جہاں آمنہ اور پراز نکاح کے بندن میں بنتے ہیں
20:53آمنہ کے آنکوں میں سکون اور پراز کی دل میں شکر گزاری ہوتی ہے
20:57ڈرامہ سلوک کے حوالے سے اپنے راہے کی ظاہر لازمی کمیل کریں
21:00ساتھ میں ہمارے یوٹیوب کا چینل سبسکرائب کرنے
21:02مت بھولیے
21:03تینکس پر واشنگ
21:04اللہ حافظ
21:05ایلیو بیورس کراچی کے ایک بڑے تعلیم ادارے میں
21:08آمنہ اور پراز کی پہلے ملاقات ہوئی
21:10دونوں کا تعلق مختلف دنائے سے تھا
21:12آمنہ ایک درمیانی تفقے کے گرانے کی بیٹھی تھی
21:15جہاں رپینسلہ والدین کے مرضی سے ہوتا
21:18وہ خواب دیکھتی ضرور تھی
21:19مگر ان خوابوں کو زبان دینے کے حمد کبھی نہ کرتی
21:23دوسری طرف پراز ایک خوشحال بیزنس پیملی سے تعلق کرتا تھا
21:28مگر اپنی ماں کی بیماری نے اس کے دل کو حساس بنا دیا تھا
21:32وہ اکثر اپنی کلاس کے بعد لائبریرے میں وقت گزارتا
21:36وہ ایک دن آمنہ سے گپتگو کا غاز ہوا
21:39شوروں میں چھوٹی چھوٹی باتیں ہوئی
21:41مگر جلحی
21:41دونوں کے درمیان ایک عجیب سا رشتہ بن گیا
21:44پراز کوئلے دل کا تھا
21:46وہ جذبات کو چھپاتا نہیں تھا
21:48آمنہ کے خاموشی اسے اپنی طرف کینچتی تھی
21:51آمنہ کی دل میں بھی پراز کے باتوں کے گونچ رہنے لگی
21:55مگر وہ ڈرتی تھی
21:56اس کے والدین سخ مزاج تھے
21:58اور اپنی بیٹے کا رشتہ پہلے ہی
22:00ایک قریبی رشتہ دار کے بیٹے کے ساتھ تھے
22:02کرنا چاہتے تھے
22:03پراز نے ایک دن ساپل پاز میں آمنہ سے کہا
22:06آمنہ میں جانتا ہو
22:07تم ڈرتی ہو
22:09لیکن اگر تم ایک بار میرا ہاتھ دام لو
22:11تو ساری دنیا سے لنے کے حمد آ جائے گی
22:15آمنہ کی آنکوں میں آسوا گئے
22:16وہ اسے کونہ نہیں چاہتی تھی
22:18مگر والدین کے رضا کے بغیر
22:20آگے بننا بھی تھا
22:22اس کے لئے ممکن نہ تھا
22:24ادھر پراز کے والدین کو بھی یہ تعلق پسند نہ آیا
22:27انہیں لگتا تھا کہ آمنہ
22:28ان کے بیٹے کے ماں یارکن نہیں ہے
22:31کہانی میں اصل مور کب آیا
22:33جب پراز کی ماں جو عرصے سے بیمار تھی
22:35ایک دن آمنہ سے ملی
22:37آمنہ نے نصر ان کے خیلات
22:39بلکن کے ساتھ محبت عزت کا وہ سلوک کیا
22:41جو کسی نے نہ کیا تھا
22:42یہی لمحہ تھا جب پراز کی ماں کا دل بدل گیا
22:45انہوں نے اپنی شوہر کو قائل کیا
22:47اور کہا یہ لڑکیں ہمارے بیٹے کی زندگی
22:50کو سکون دے سکتی ہے
22:51اس کے چہرے پر میں نے وہ خلوص دیکھتا ہے
22:54جو دولت سے نہیں خریدا جا سکتا
22:56آخر کار دونوں
22:58گرانے راضی ہو گئے
22:59مگر آمنہ کے والد نے شرطر کی
23:01کہ پراز اپنی زندگی کی ذمہ داریا
23:03پوری خلوص سے نبھائے گا
23:05ڈرامہ کے اختیطہ میں ایک خوبصورت منظر پر ہوتا ہے
23:08جہاں آمنہ اور پراز نکاح کے بندن میں بنتے ہیں
23:12آمنہ کے آنکھوں میں سکون اور پراز کی دل میں شکر گزاری ہوتی ہے
23:16ڈرامہ صرف کے حوالے سے اپنے راہ کی ذہا لازمی کمیل کریں
23:19ساتھ میں ہمارا یوٹیوب کا چینل سبسکرائب کرنا
23:21مت بھولیے
23:22تینکس بار واشنگ
23:23اللہ حافظ
23:23ایلو بیورز کراچی کے ایک بڑے تعلیم ادارے میں
23:27آمنہ اور پراز کی پہلے ملاقات ہوئی
23:29دونوں کا تعلق مختلف دنائے سے تھا
23:31آمنہ ایک درمیانی طفقے کے گرانے کی بیٹھی تھی
23:34جہاں برپینسلہ والدین کے مرضی سے ہوتا
23:37وہ خواب دیکھتی ضرورتی
23:38مگر ان خوابوں کو زبان دینے کے حمد کبھی نہ کرتی
23:42دوسری طرف پراز
23:44ایک خوشحال بیزنس پیملی سے تعلق کرتا تھا
23:47مگر اپنی ماں کی بیماری نے اس کے دل کو حساس بنا دیا تھا
23:51وہ اکثر اپنی کلاس کے بعد لائبریرے میں وقت گزارتا
23:55وہ ایک دن آمنہ سے گبتگوں کا غاز ہوا
23:58شوروں میں چھوٹی چھوٹی باتیں ہوئی
23:59مگر جل ہی
24:00دونوں کے درمیان ایک عجیب ساریشتہ بن گیا
24:03پراز کو لے دل کا تھا
24:05وہ جذبات کو چھپاتا نہیں تھا
24:07آمنہ کے خاموشی اسے اپنی طرف کینچتی تھی
24:10آمنہ کی دل میں بھی پراز کی باتوں کے گونچ رہنے لگی
24:14مگر وہ ڈرتی تھی
24:15اس کے والدین سخ مزاج تھے
24:17اور اپنی بیٹی کا رشتہ پہلے ہی
24:19ایک قریبی رشتہ دار کے بیٹے کے ساتھ تے کرنا چاہتے تھے
24:22پراز نے ایک دن ساپل پاز میں آمنہ سے کہا
24:25آمنہ میں جانتا ہو
24:26تم ڈرتی ہو
24:28لیکن اگر تم ایک بار میرا ہاتھ تام لو
24:30تو ساری دنیا سے لنے کے حمد آ جائے گی
24:34آمنہ کی آنکوں میں آسوا گئے
24:35وہ اسے کونہ نہیں چاہتی تھی
24:37مگر والدین کے رضا کے بغیر
24:39آگے بننا بھی تھا
24:41اس کے لئے ممکن نہ تھا
24:43ادھر پراز کے والدین کو بھی یہ تعلق پسند نہ آیا
24:46انہیں لگتا تھا کہ آمنہ
24:47ان کے بیٹے کے ماں یار کی نہیں ہے
24:50کہانی میں اصل ملک تب آیا
24:52جب پراز کی ماں جو عرصے سے بیمار تھی
24:54ایک دن آمنہ سے ملی
24:56آمنہ نے نصر
24:57بلکن کے ساتھ محبت
24:58عزت کا وہ سلوک کیا جو کسی نے نہ کیا تھا
25:01یہی لمحہ تھا جب پراز کی ماں کا دل بدل گیا
25:04انہوں نے اپنی شوہر کو قائل کیا
25:06اور کہا یہ لڑکی ہمارے بیٹے کی زندگی
25:09کو سکون دے سکتی ہے
25:10اس کے چہرے پر میں نے وہ خلوص دیکھتا ہے
25:13جو دولت سے نہیں خریدا جا سکتا
25:15آخر کار دونوں
25:17گرانے راضی ہو گئے
25:18مگر آمنہ کے والد نے شرطر کی
25:20کہ پراز اپنی زندگی کی ذمہ داریا
25:22پوری خلوص سے نبائے گا
25:24ڈراما کی اختیطہ میں ایک خوبصورت منظر پر ہوتا ہے
25:27جہاں آمنہ اور پراز نکاح کے بندن میں بنتے ہیں
25:31آمنہ کے آنکوں میں سکون اور پراز کی دل میں شکر گزاری ہوتی ہے
25:35ڈراما سلوک کے حوالے سے اپنے راہ کی ظاہر لازمی کمیل کریں
25:38ساتھ میں ہمارا یوٹیوب کا چینل سبسکرائب کرنا
25:40مت بھولیے
25:41تینکس پر واشنگ
25:42اللہ حافظ
25:43ایلیو بیورز کراچی کے ایک بڑے تحلیم ادارے میں
25:46آمنہ اور پراز کی پہلے ملاقات ہوئی
25:48دونوں کے تعلق مختلف دنائے سے تھا
25:50آمنہ ایک درمیانی تفقے کے گرانے کی بیٹھی تھی
25:53جہاں پر پیسلا والدین کے مرضی سے ہوتا
25:56وہ خواب دیکھتی ضرور تھی
25:57مگر ان خوابوں کو زبان دینے کے حمد کبھی نہ کرتی
26:01دوسری طرف پراز ایک خوشحال بیزنس پیملی سے تعلق کرتا تھا
26:06مگر اپنی ماں کی بیماری نے اس کے دل کو حساس بنا دیا تھا
26:10وہ اکثر اپنی کلاس کے بعد لائبریرے میں وقت گزارتا
26:14وہ ایک دن آمنہ سے گپتگو کا غاز ہوا
26:17شوروں میں چھوٹی چھوٹی باتیں ہوئی
26:18مگر جلحی دونوں کے درمیان ایک عجیب سا رشتہ بن گیا
26:22پراز کوئلے دل کا تھا
26:24وہ جذبات کو چھپاتا نہیں تھا
26:26آمنہ کے خاموشی اسے اپنی طرف کہنچتی تھی
26:29آمنہ کی دل میں بھی پراز کے باتوں کے گونچ رہنے لگی
26:33مگر وہ ڈرتی تھی
26:34اس کے والدین سخ مزاج تھے
26:36اور اپنی بیٹی کا رشتہ پہلے ہی
26:38ایک قریبی رشتہ دار کے بیٹے کے ساتھ تے کرنا چاہتے تھے
26:41پراز نے ایک دن ساپل پاز میں آمنہ سے کہا
26:44آمنہ میں جانتا ہو
26:45تم ڈرتی ہو
26:47لیکن اگر تم ایک بار میرا ہاتھ دام لو
26:49تو ساری دنیا سے لنے کے حمد آ جائے گی
26:53آمنہ کی آنکوں میں آسوا گئے
26:54وہ اسے کونہ نہیں چاہتی تھی
26:56مگر والدین کے رضا کے بغیر
26:58آگے بننا بھی تھا
27:00اس کے لئے ممکن نہ تھا
27:02ادھر پراز کے والدین کو بھی یہ تعلق پسند نہ آیا
27:05انہیں لگتا تھا
27:06کہ آمنہ ان کے بیٹے کے ماں یارکن نہیں ہے
27:09کہانی میں اصل مورد تب آیا
27:11جب پراز کی ماں جو عرصے سے بیمار تھی
27:13ایک دن آمنہ سے ملی
27:15آمنہ نے نصر لیں
27:16بلکن کے ساتھ محبت
27:17عزت کا وہ سلوک کیا جو کسی نے نہ کیا تھا
27:20یہی لمحہ تھا
27:21جب پراز کی ماں کا دل بدل گیا
27:23انہوں نے اپنی شوہر کو قائل کیا
27:25اور کہا
27:26یہ لڑکی ہمارے بیٹے کی زندگی کو سکون دے سکتی ہے
27:29اس کے چہرے پر میں نے وہ خلوص دیتا ہے
27:32جو دولت سے نہیں خریدا جا سکتا
27:34آخر کار دونوں گرانے راضی ہو گئے
27:37مگر آمنہ کے والد نے شرطر کی
27:39کہ پراز اپنی زندگی کی ذمہ داریاں
27:42پوری خلوص سے نبھائے گا
27:43ڈرامہ کے اختیطہ میں خوبصورت منظر پر ہوتا ہے
27:46جہاں آمنہ اور پراز نکاح کے بندن میں بنتے ہیں
27:50آمنہ کے آنکھوں میں سکون اور پراز کی دل میں شکر گزاری ہوتی ہے
27:54رومنسل کے حوالے سے اپنے راہ کی ذہا لازمی کمنٹ کریں
27:57ساتھ میں ہمارا یوٹیوب کا چینل سبسکرائب کرنا مت بھولیے
28:00تینکس بار واشنگ
28:01اللہ حافظ
28:01ایلیو بیورس کھراچی کے ایک بڑے تعلیم ادارے میں
28:05آمنہ اور پراز کی پہلے ملاقات ہوئی
28:07دونوں کا تعلق مختلف دنیا سے تھا
28:09آمنہ ایک درمیانی طفقے کے گرانے کی بیٹھی تھی
28:12جہاں پرنسلہ والدین کے مرضی سے ہوتا
28:15وہ خواب دیکھتی ضرور تھی
28:16مگر ان خوابوں کو زبان دینے کے حمد کبھی نہ کرتی
28:20دوسری طرف پراز ایک خوشحال بیزنس پیملی سے تعلق کرتا تھا
28:25مگر اپنی ماں کی بیماری نے اس کے دل کو حساس بنا دیا تھا
28:29وہ اکثر اپنی کلاس کے بعد لائبریرے میں وقت گزارتا
28:32وہ ایک دن آمنہ سے گپتگوں کا غاز ہوا
28:35شوروں میں چھوٹی چھوٹی باتیں ہوئی مگر جل ہی
28:38دونوں کے درمیان ایک عجیب ساریشتہ بن گیا
28:41پراز کوئلے دل کا تھا
28:42وہ جذبات کو چھپاتا نہیں تھا
28:45آمنہ کے خاموشی اسے اپنی طرف کینچتی تھی
28:48آمنہ کی دل میں بھی پراز کے باتوں کے گونچ رہنے لگی
28:55اپنی بیٹی کا رشتہ پہلے ہی ایک قریبی رشتہ دار کے بیٹے کے ساتھ
28:59تے کرنا چاہتے تھے
29:00پراز نے ایک دن ساپل پاز میں آمنہ سے کہا
29:03آمنہ میں جانتا ہو تم ڈرتی ہو
29:05لیکن اگر تم ایک بار میرا ہاتھ دام لو
29:08تو ساری دنیا سے لنے کے حمد آ جائے گی
29:12آمنہ کی آنکوں میں آسوا گئے
29:13وہ اسے کونہ نہیں چاہتی تھی
29:15مگر والدین کے رضا کے بغیر آگے بننا بھی تھا
29:19اس کے لئے ممکن نہ تھا
29:21ادھر پراز کے والدین کو بھی یہ تعلق پسند نہ آیا
29:24انہیں لگتا تھا کہ آمنہ ان کے بیٹے کے ماں یارکن نہیں ہے
29:28کہانی میں اصل مورد تب آیا
29:30جب پراز کی ماں جو عرصے سے بیمار تھی
29:32ایک دن آمنہ سے ملی
29:34آمنہ نے نصر بھی ان کے خیزت
29:35بلکن کے ساتھ محبت
29:36عزت کا وہ سلوک کیا جو کسی نے نہ کیا تھا
29:39یہی لمحہ تھا جب پراز کی ماں کا دل بدل گیا
29:42انہوں نے اپنی شوہر کو قائل کیا
29:44اور کہا
29:45یہ لڑکی ہمارے بیٹے کی زندگی کو سکون دے سکتی ہے
29:48اس کے چہرے پر میں نے وہ خلوص دیتا ہے
29:51جو دولت سے نہیں خریدا جا سکتا
29:53آخر کار دونوں گرانے راضی ہو گئے
29:56مگر آمنہ کے والد نے شرطر کی
29:58کہ پراز اپنی زندگی کی ذمہ داریاں
30:01پوری خلوص سے نبائے گا
30:02ڈرامہ کے اختیطہ میں ایک خوبصورت منظر پر ہوتا ہے
30:05جہاں آمنہ اور پراز نکاح کے بندن میں بنتے ہیں
30:08آمنہ کے آنکھوں میں سکون اور پراز کی دل میں شکر گزاری ہوتی ہے
30:13ڈرامہ سل کے حوالے سے اپنے راہے کی ظاہر لازمی کمنٹ کریں
30:16ساتھ میں ہمارا یوٹیوب کا چینل سبسکرائب کرنے مت بولیے
30:19تینکس بار واشنگ
30:20اللہ حافظ
30:21ایلیو بیورس کراچی کے ایک بڑے تعلیم ادارے میں آمنہ اور پراز کی پہلے ملاقات ہوئی
30:26دونوں کا تعلق مختلف دنائے سے تھا
30:28آمنہ ایک درمیانی تفقے کے گرانے کی بیٹھی تھی
30:30جہاں پرنسلہ والدین کے مرضی سے ہوتا
30:34وہ خواب دیکھتی ضرور تھی
30:35مگر ان خوابوں کو زبان دینے کے حمد کبھی نہ کرتی
30:39دوسری طرف پراز ایک خوشحال بیزنس پیملی سے تعلق کرتا تھا
30:44مگر اپنی ماں کی بیماری نے اس کے دل کو حساس بنا دیا تھا
30:48وہ اکثر اپنی کلاس کے بعد لائبریرے میں وقت گزارتا
30:51وہ ایک دن آمنہ سے گپتگوں کا غاز ہوا
30:54شوروں میں چھوٹی چھوٹی باتیں ہوئی مگر جلحی
30:57دونوں کے درمیان ایک عجیب سا رشتہ بن گیا
31:00پراز کوئلے دل کا تھا
31:01وہ جذبات کو چھپاتا نہیں تھا
31:04آمنہ کی خاموشی اسے اپنی طرف کینچتی تھی
31:07آمنہ کی دل میں بھی پراز کے باتوں کے گونچ رہنے لگی
31:14اپنی بیٹی کا رشتہ پہلے ہی ایک قریب رشتہ دار کے بیٹے کے ساتھ تے کرنا چاہتے تھے
31:19پراز نے ایک دن ساپل پاز میں آمنہ سے کہا
31:22آمنہ میں جانتا ہو تم ڈرتی ہو
31:24لیکن اگر تم ایک بار میرا ہاتھ دام لو
31:27تو ساری دنیا سے لنے کے حمد آ جائے گی
31:31آمنہ کی آنکوں میں آسوا گئے وہ اسے کونہ نہیں چاہتی تھی
31:34مگر والدین کے رضا کے بغیر آگے بننا بھی تھا
31:38اس کے لئے ممکن نہ تھا
31:40ادھر پراز کے والدین کو بھی یہ تعلق پسند نہ آیا
31:43انہیں لگتا تھا کہ آمنہ ان کے بیٹے کے ماں یارکن نہیں ہے
31:47کہانی میں اصل مورد تب آیا
31:49جب پراز کی ماں جو عرصے سے بیمار تھی
31:51ایک دن آمنہ سے ملی
31:53آمنہ نے نصر ان کے خیلد
31:54بلکن کے ساتھ محبت
31:55عزت کا وہ سلوک کیا جو کسی نے نہ کیا تھا
31:58یہی لمحہ تھا جب پراز کی ماں کا دل بدل گیا
32:01انہوں نے اپنی شوہر کو قائل کیا اور کہا
32:04یہ لڑکی ہمارے بیٹے کی زندگی کو سکون دے سکتی ہے
32:07اس کے چہرے پر میں نے وہ خلوص دیتا ہے
32:10جو دولت سے نہیں خریدا جا سکتا
32:12آخر کار دونوں گرانے راضی ہو گئے
32:15مگر آمنہ کے والد نے شرطر کی
32:17کہ پراز اپنی زندگی کی ذمہ داریاں
32:20پوری خلوص سے نبھائے گا
32:21ڈرامہ کے اختیطہ میں ایک خوبصورت منظر پر ہوتا ہے
32:24جہاں آمنہ اور پراز نکاح کے بندن میں بنتے ہیں
32:27آمنہ کے آنکھوں میں سکون اور پراز کی دل میں شکر گزاری ہوتی ہے
32:32ڈرامہ سل کے حوالے سے اپنے راہے کی ظاہر لازمی کمنٹ کریں
32:35ساتھ میں ہمارا یوٹیوب کا چینل سبسکرائب کرنے
32:37مت بولیے
32:38تینس پر واشنگ
32:39اللہ حافظ
32:39ایلیو بیورس کھراچی کے ایک بڑے تعلیم ادارے میں
32:42آمنہ اور پراز کی پہلے ملاقات ہوئی
32:45دونوں کا تعلق مختلف دنیا حصے تھا
32:47آمنہ ایک درمیانی طفقے کے گرانے کی بیٹھی تھی
32:49جہاں ورپینسلہ والدین کے مرضی سے ہوتا
32:53وہ خواب دیکھتی ضرور تھی
32:54مگر ان خوابوں کو زبان دینے کے حمد کبھی نہ کرتی
32:58دوسری طرف پراز
33:00ایک خوشحال بیزنس پیملی سے تعلق کرتا تھا
33:03مگر اپنی ماں کی بیماری نے اس کے دل کو حساس بنا دیا تھا
33:07وہ اکثر اپنی کلاس کے بعد لائبریرے میں وقت گزارتا
33:10وہ ایک دن آمنہ سے گپتگو کا غاز ہوا
33:13شوروں میں چھوٹی چھوٹی باتیں ہوئی مگر جلحی
33:16دونوں کے درمیان ایک عجیب سا رشتہ بن گیا
33:19پراز کوئلے دل کا تھا
33:20وہ جذبات کو چھپاتا نہیں تھا
33:23آمنہ کے خاموشی اسے اپنی طرف کینچتی تھی
33:26آمنہ کی دل میں بھی پراز کے بعدوں کے گونچ رہنے لگی
33:30مگر وہ ڈرتی تھی
33:31اس کے والدین سخ مزاج تھے
33:33اور اپنی بیٹی کا رشتہ پہلے ہی
33:35ایک قریبی رشتہ دار کے بیٹے کے ساتھ تھے
33:37کرنا چاہتے تھے
33:38پراز نے ایک دن ساپل پاز میں آمنہ سے کہا
33:41آمنہ میں جانتا ہو
33:42تم ڈرتی ہو
33:43لیکن اگر تم ایک بار میرا ہاتھ دام لو
33:46تو ساری دنیا سے لنے کے حمد آ جائے گی
33:50آمنہ کے آنکوں میں آسوا گئے
33:51وہ اسے کونہ نہیں چاہتی تھی
33:53مگر والدین کے رضا کے بغیر
33:55آگے بننا بھی تھا
33:57اس کے لئے ممکن نہ تھا
33:59ادھر پراز کے والدین کو بھی یہ تعلق پسند نہ آیا
34:02انہیں لگتا تھا کہ آمنہ
34:03ان کے بیٹے کے ماں یار کی نہیں ہے
34:06کہانی میں اصل مورد تب آیا
34:08جب پراز کی ماں جو عرصے سے بیمار تھی
34:10ایک دن آمنہ سے ملی
34:12آمنہ نے نصر
34:13بلکہ ان کے ساتھ محبت
34:14عزت کا وہ سلوک کیا جو کسی نے نہ کیا تھا
34:17یہی لمحہ تھا جب پراز کی ماں کا دل بدل گیا
34:20انہوں نے اپنی شوہر کو قائل کیا
34:22اور کہا
34:23یہ لڑکہ ہمارے بیٹے کی زندگی کو سکون دے سکتی ہے
34:26اس کے چہرے پر میں نے وہ خلوص دیتا ہے
34:29جو دولت سے نہیں خریدا جا سکتا
34:31آخر کار دونوں گرانے راضی ہو گئے
34:34مگر آمنہ کے والد نے شرطر کی
34:36کہ پراز اپنی زندگی کی ذمہ داریاں
34:39پوری خلوص سے نبھائے گا
34:40ڈرامہ کے اختیطہ میں
34:41ایک خوبصورت منظر پر ہوتا ہے
34:43جہاں آمنہ اور پراز نکاح کے بندن میں بنتے ہیں
34:46آمنہ کے آنکوں میں سکون اور پراز کی دل میں شکر گزاری ہوتی ہے
34:51ڈرامہ سل کے حوالے سے
34:52اپنے رائے کی ذہا لازمی کمنٹ کریں
34:54ساتھ میں ہمارا یوٹیوب کا چینل سبسکرائب کرنے
34:56مت بھولیے
34:57تینکس پار واشنگ
34:58اللہ حافظ
34:58ایلو بیوئرز کراچی کے ایک بڑے تعلیم ادارے میں
35:01آمنہ اور پراز کی پہلے ملاقات ہوئی
35:04دونوں کا تعلق مختلف دنیا وست دیتا
35:06آمنہ ایک درمیانی تفقے کے گرانے کی بیٹی تھی
35:08جہاں اپنے پینسلہ والدین کے مرضی سے ہوتا
35:12وہ خواب دیکھتی ضرورتی
35:13مگر ان خوابوں کو زبان دینے کے حمد کبھی نہ کرتی
35:17دوسری طرف پراز
35:19ایک خوشحال بیزنس پیملی سے تعلق کرتا تھا
35:22مگر اپنی ماں کی بیماری نے اس کے دل کو حساس بنا دیا تھا
35:26وہ اکثر اپنی کلاس کے بعد لائبریرے میں وقت گزارتا
35:29وہ ایک دن آمنہ سے گپتگو کا غاز ہوا
35:32شوروں میں چھوٹی چھوٹی باتیں ہوئی
35:34مگر جلحی
35:35دونوں کے درمیان ایک عجیب سا رشتہ بن گیا
35:38پراز کوئلے دل کرتا وہ جذبات کو چھپاتا نہیں تھا
35:41آمنہ کے خاموشی اسے اپنی طرف کینچتی تھی
35:45آمنہ کی دل میں بھی پراز کے بعدوں کے گونچ رہنے لگی
35:49مگر وہ ڈرتی تھی
35:50اس کے والے دن سرخ مزاج تھے
35:52اور اپنی بیٹے کا رشتہ پہلے ہی
35:54ایک قریبی رشتہ دار کے بیٹے کے ساتھ تھے
35:56کرنا چاہتے تھے
35:57پراز نے ایک دن ساپل پاز میں آمنہ سے کہا
36:00آمنہ میں جانتا ہو تم ڈرتی ہو
36:02لیکن اگر تم ایک بار میرا ہاتھ تام لو
36:05تو ساری دنیا سے لنے کے حمد آ جائے گی
36:09آمنہ کی آنکوں میں آسوا گئے
36:10وہ اسے کونہ نہیں چاہتی تھی
36:12مگر والدین کے رضا کے بغیر
36:14آگے بننا بھی تھا
36:16اس کے لئے ممکن نہ تھا
36:18ادھر پراز کے والدین کو بھی یہ تعلق پسند نہ آیا
36:21انہیں لگتا تھا کہ آمنہ
36:22ان کے بیٹے کے ماں یار کی نہیں ہے
36:25کہانی میں اصل مورد تب آیا
36:27جب پراز کی ماں جو عرصے سے بیمار تھی
36:29ایک دن آمنہ سے ملی
36:31بلکن کے ساتھ محبت
36:33عزت کا وہ سلوک کیا جو
36:35کسی نے نہ کیا تھا یہی لمحہ تھا
36:37جب پراز کی ماں کا دل بدل گیا
36:39انہوں نے اپنی شوہر کو قائل کیا
36:41اور کہا یہ لڑکی ہمارے بیٹے کی
36:43زندگی کو سکون دے سکتی ہے
36:45اس کے چہرے پر میں نے
36:47وہ خلوص دیکھا ہے جو دولت سے
36:49نہیں خریدا جا سکتا
36:50آخر کار دونوں گرانے راضی ہو گئے
36:53مگر آمنہ کے والد نے شرطر کی
36:55کہ پراز اپنی زندگی کی ذمہ داریاں
36:58پوری خلوص سے نبائے گا
36:59درامہ کے اختیطہ میں ایک خوبصورت منظر پر ہوتا ہے
37:02جہاں آمنہ اور پراز
37:03نکاح کے بندن میں بنتے ہیں
37:05آمنہ کے آنکوں میں سکون اور پراز
37:08کی دل میں شکر گزاری ہوتی ہے
37:10درامہ سلوک کے حوالے سے اپنے راہ
37:11کی ظاہر لازمی کمیل کریں
37:13ساتھ میں ہمارے یوٹیوب کا چینل سبسکرائب کرنو
37:15مت بھولیے
37:16تینس پر واشنگ
37:17اللہ حافظ
37:17علیو بیورس کراچی کے ایک بڑے تعلیم ادارے میں
37:20آمنہ اور پراز کی پہلے ملاقات ہوئی
37:23دونوں کا تعلق مختلف دنائے سے تھا
37:25آمنہ ایک درمیانی تفقے کے گرانے کی بیٹھی تھی
37:27جہاں ورپینسلہ
37:29والدین کے مرضی سے ہوتا
37:31وہ خواب دیکھتی ضرورتی
37:32مگر ان خوابوں کو زبان دینے کے حمد
37:35کبھی نہ کرتی
37:36دوسری طرف پراز
37:38ایک خوشحال بیزنس پیملی سے تعلق کرتا تھا
37:41مگر اپنی ماں کی بیماری نے
37:43اس کے دل کو حساس بنا دیا تھا
37:45وہ اکثر اپنی کلاس کے بعد
37:47لائبریرے میں وقت گزارتا
37:48وہ ایک دن آمنہ سے گبتگو کا غاز ہوا
37:51شوروں میں چھوٹی چھوٹی باتیں ہوئی
37:53مگر جلحی
37:54دونوں کے درمیان ایک عجیب سا رشتہ بن گیا
37:57پراز کو لے دل کرتا
37:58وہ جذبات کو چھپاتا نہیں تھا
38:00آمنہ کے خاموشی اسے اپنی طرف کینچتی تھی
38:04آمنہ کی دل میں بھی پراز کے باتوں کے گونچ
38:06رہنے لگی
38:07مگر وہ ڈرتی تھی
38:09اس کے والدین سخ مزاج تھے
38:11اور اپنی بیٹی کا رشتہ پہلے ہی
38:13ایک قریبی رشتہ دار کے بیٹے کے ساتھ
38:15تے کرنا چاہتے تھے
38:16پراز نے ایک دن ساپل پاز میں آمنہ سے کہا
38:19آمنہ میں جانتا ہو
38:20تم ڈرتی ہو
38:21لیکن اگر تم ایک بار میرا ہاتھ دام لو
38:24تو ساری دنیا سے لنے کے حمد آ جائے گی
38:27آمنہ کی آنکو میں آسوا گئے
38:29وہ اسے کونہ نہیں چاہتی تھی
38:31مگر والدین کے رضا کے بغیر
38:33آگے بننا بھی تھا
38:35اس کے لئے ممکن نہ تھا
38:37ادھر پراز کے والدین کو بھی یہ تعلق پسند نہ آیا
38:40انہیں لگتا تھا کہ آمنہ
38:41ان کے بیٹے اور کے ماں یار کی نہیں ہے
Be the first to comment
Add your comment

Recommended