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The story of Hazrat Uzair (A.S.) and his hundred-year sleep is a timeless reminder of Allah’s power and the mysteries of destiny. In this tale, we witness how Allah Almighty put Hazrat Uzair (A.S.) into a deep sleep for one hundred years and then revived him, making his life a living sign of Divine wisdom.
In this video, we will not only narrate the miraculous event in a classic storytelling style but also explore its hidden meanings, faith-strengthening lessons, and spiritual wisdom.
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Transcript
00:00Assalamualaikum
00:00क्या आप क्लासिक, और्दू, फोक टेल में
00:03वाके फकायात से परे देखने
00:05और कुरान के अंके ही गहराईयों
00:08को दर्याफ्त करने के लिए तैयार है?
00:10ये विडियो गेर मामूली
00:11अंपिया की भूली विसरे जिन्दगियों में
00:13वोताजन है, जिनके जिदोज़द
00:15और फतुहात आपके अपने
00:17रुहानी सफर के लिए हैरत
00:19अंगीज तोर पर मतलगा वसीरत
00:21पेश करती हैं. आप हैरान
00:23रह जाएंगे कि इन दानायों में
00:25किस कदर छुपी हुई बारचीत है.
00:27हजरत उजेर अले इसलाम
00:29इसलाम के मताबिक अल्लाह के नबी थे
00:31जिनें अल्यटाला ने
00:33एक सो साल बाद जिन्दा किया था.
00:35इसलाम में उजेर, इसायत
00:37और यहुदियत में अजरा हैं.
00:39उनके वारिद और सिस्रे नसब
00:41के बाद दूसरे नामों में
00:42मौरखीन के दर्मियान इختलाफ पाये जाता है.
00:45लेकिन इस पर सब पर इतफाक है
00:47कि वो हजरत हरुन बिन इमरान
00:49इसलाम की नसर से हैं.
00:51इबन असाकर इनके वालिद का नाम
00:53जर्वा बताते हैं
00:55और बास सुरीक और बास सरुखा
00:57बयान करते हैं.
00:58और सिफ़ा अजरा में है
00:59कि इनका नाम खलकिया था.
01:02हजरत उज़ेर लिएसलाम के नाम का जिकर
01:04सुरे तौबा में मौजूद है.
01:06सुरे बाकरा में मसकूर है
01:07कि एक बर्गजीदा हस्ती का
01:09अपने गधे पर सबार एक ऐसी बस्ती
01:11से गुजर हुआ
01:11जो बिल्कुल तबाहो बर्बाद
01:13और खंडर हो चुकी थी.
01:15और वहां ना कोई मकीन बाकी रहता
01:17और ना कोई मकान.
01:18मिटे हुए चंद नकूश बाकी थे
01:20जो इसकी बर्बादी और तबाही के मरसिया
01:23खुआ थे.
01:23इन बज़र्ग ने ये देखा
01:25तो ताजुब और हैरत से कहा
01:26कि ऐसा खंडर और तबाह हाल वेराना
01:29फिर कैसे आबाद होगा
01:30और ये मुर्दा बस्ती किस तरह
01:32दुबारा जिन्दगी अख्यार करेगी.
01:34यहां तो कोई भी ऐसा सबब नज़र नहीं आता.
01:37यह अभी इसी फिकर में गर्प थे
01:38कि अलताला ने इसी जगा इनकी रूफ कब्स कर ली
01:41और सौ बर्स तक इसी हालत में रखा.
01:45ये मुदद गुजर जाने के बाद
01:46इनको दुबारा जिन्दगी बख्षी
01:48और तब उनसे कहा
01:49बताओ कितना अर्सा इस हालत में रहे हो
01:52वो जब ताजुब करने पर मौत की आहोश में सोई थे
01:55तो दिन चड़ए का वक्त था
01:57और जब दुबारा जिन्दगी पाई
01:59तो आफ़ता पुरूब होने का वक्त करीब था
02:01इसलिए उन्होंने जवाब दिया
02:04एक दिन या इससे भी का
02:07अर्सा ने फर्माया ऐसा नहीं है
02:09बलको तुम सौ बर्स ता किसी हारत में रहे हो
02:12और अब तुम्हारे ताजुब और हैरत का ये जवाब है
02:15तुम एक तरफ अपने खाने पीने की चीज़ों को देखो
02:18इसमें मुतलब कोई तगयर नहीं आया
02:20और दूसरी जाने अपने गधे को देखो
02:22इसका जिसम गल सड़कर सिर्फ हड़ियों का धांचा रह गया है
02:26और पिर हमारे खुद्ध का अंदाजा करो
02:28जिस चीज़ को चाहा के महफूज रहे
02:30तो सौ बर्स के इस तवील अर्से में
02:32किसी भी किसम के मौसमें तगयरात
02:35ने असा ना किया
02:36और महफूज सालिम रही
02:38और जिस चीज़ का मुतलिक इरादा किया
02:40कि इसका जिसम गल सर जाए
02:42तो वो गल सर गया
02:43और अब तुम्हारी आंखों देखते हैं
02:45हम इसको दुबारा जिन्दगी बख्ष देते हैं
02:47और इस सब कुछ इस तरह किया
02:49था कि हम तुम को और तुम्हारे वाकिए
02:51वो लोगों के लिए निशान बना दे
02:52और ताकि तुम यकीन के साथ
02:55मुशाहिदा कर लो
02:55कि खुदा ताला इस तना
02:57मुर्दा जिन्दगी को बख्ष देता है
02:59और तबाह शुदा शेक को दुबारा आबाद कर देता है
03:02चुनाचे जब उस बर्गजीदा हस्ती ने
03:05खुद्रत इलाही के ये निशनात देखने के बाद
03:07शेहर के जाने नजर की
03:08तो उसको पहले से ज़्यदा आबाद
03:11और बारानक पाया
03:12तब उन्होंने अज़ार अबूदियत के बाद
03:14ये एक्रार किया
03:15कि बिराश शुदा ये खुद्रत कामला के लिए
03:18ये सब कुछ आसान है
03:19और मुझको इल्मुल्यकीन के बाद
03:21एनुल्यकीन के दरजा हासिर हो गया
03:23आप गधे पर सवार होकर अपने महले में आई
03:27तो लोगों ने आपको ना पहचाना
03:29और आपको कोई भी शनासा चेहरा नज़ा ना आया
03:32आपको अपने घर का भी पता नहीं चल रहा था
03:34चलते हुए किस ज़र तरफ निकल गए
03:36आखर अपने घर पहुँचे तो देखा
03:38वहां एक अंधी अपाहच बुड़िया बेटी हुई है
03:41जिसकी उमर 120 साल हो चुकी थी
03:43वो आपकी लॉड़ी थी
03:45जब आप घर से निकले थे तो वो 20 साल की जवान दोशीजा थी
03:48आपने उसको पहचा लिया
03:50आपने उसे कहा अला की बंदी
03:52क्या उजयर का घर यही है
03:53उसने कहा हाँ यही उजयर का घर है
03:57यह कहकर वो रो पड़ी
03:58पिर बोली मुदतों बात
04:00किसी ने उजयर अलाइस्लाम का नाम लिया है
04:03लोग तो भूल गई
04:04आपने फरमाया मैं ही उजयर हूँ
04:07अगर आप वाकई उजयर अलाइस्लाम है
04:35तो मैं आपको पहचान गूंगी
04:37आपने दौा करके उसकी आँखों पर हाथ फेरा
04:40तो उसकी आँखे रोशन हो गी
04:41आपने उसका हाथ पकड़के फरमाया
04:44अलागे हुक्म से उठ खड़े हो
04:46अलागे उसके तांगे दुरुस्त कर दी
04:48वो तनुरुस्त होकर उठ खड़े हुई
04:50उसने आपके चेहरे मुबारिक पे नज़र डाली और बोली
04:53मैं गवाही देती हूँ के आप उज़ेर ही हैं
04:57वो बनी इसरेल के चौपाल और उनके मजडिस में गी
05:00मजडिस में उज़ेर अलागे का एक बेटा भी मौजूद था
05:03जो 118 साल का बोड़ा था
05:06आपके पोते जो मजडिस में मौजूद थे
05:08वो भी सब बोड़े थे
05:10उसने उन्हें पकार कर का
05:12ये देखो उज़ेर अलागे तश्रीफ ले आई हैं
05:15उन्हें यकीन ना आया
05:16उसने कहा
05:18मैं तुम्हारी फलान लॉंडी हूँ
05:19उज़ेर लिएसलाम की दूआ से
05:21मुझे बसारत मिल गई
05:23और मैं चलने फिरने के काबिल हो गई हूँ
05:25वो फर्माते हैं कि
05:27अल्लह ने उनको सौ साल के बाद जिन्दा कर दिया
05:29लोग उठकर आपके पास आये
05:31और देखने लगे
05:32आपके बेटे ने कहा
05:33अबाजान की कंदों के दर्मियान
05:35एक निशानी थी
05:37आपने कंदों से कपड़ा हटाया
05:39तो वो अलामत मوجود थी
05:40लोगों ने कहा
05:41हमारी कौम में उज़ेर लिएसलाम के सिवा
05:45किसी को तौरात जबानी याद नहीं थी
05:47तेहरीरी नुस्खा
05:48बख्त नसर ने नज़र आदिश कर दिया था
05:51अब अगर किस आदमी को तौरात के थोड़े थोड़े अज़ा याद होंगे
05:54आप हमें दुबारा तौरात लिखते
05:56हजरत उज़ेर लिएसलाम के वालिद ने
05:59बख्त नसर के जमाने में तौरात एक महफूस मुकाम पर चुपा लिए थी
06:03जिसका इल्म हजरत उज़ेर लिएसलाम के सिवा किसी को ना था
06:07आप लोगों को वहां ले गए और वो नुक्सा निकलाया
06:11उसके वर्क बुसीदा हो गए थे
06:13और इल्फास मिट गए थे
06:14आप एक दरخت के नीचे बैटके
06:16बनी इसराइल आपके इर्द गर्द जमा थे
06:19आपने नए सिरे से बनी इसराइल को तौरात लिख के दे
06:22इसलिए बनी इसराइल ने आपको अल्ला का बेटा करार दिया
06:26ये वाकिया सवाद अराक के लाके
06:30دیر حذقیل کے مقام پر پیش آیا
06:32اور آپ کی وفات سائر آباد میں ہوئی
06:34حضرت ابن عباس رضی اللہ تعالیٰ
06:37نے فرماتے ہیں
06:37کہ اللہ تعالیٰ کے فرمان ہے
06:39اور تاکہ ہم تجھے لوگوں کے لئے نشانی بنائیں
06:42اس سے مراد
06:43لوگوں سے مراد یہاں بنی اسرائیل ہیں
06:46جب پہ آپ اتنے بیٹوں کے ساتھ بیٹھے ہوتے تھے
06:48تو آپ جوان ہوتے اور آپ کے بیٹے
06:50بوہے اس کی وجہ یہ تھی
06:52کہ آپ جب فوت ہوئے تھے
06:54تو آپ کی عمر چالیس سال تھی
06:55پھر جب اللہ تعالیٰ نے آپ کو دوبارہ زندہ کیا
06:58تو آپ کی حالت وہی جوانی والی تھی
07:00حضرت ابن عباس فرماتے ہیں
07:02کہ آپ بخت نصر کے زمانے کے بعد زندہ ہوئے
07:05مشہور قول کے مطابق
07:07حضرت عزیر علیہ السلام
07:08بنی اسرائیل کے نبی تھے
07:10اور آپ کا زمانہ حضرت دعوت
07:12سلمان علیہ السلام کے درمیان کا ہے
07:14بنی اسرائیل میں
07:16تورات کا کوئی حافظ باقی نہ رہا
07:18تب اللہ تعالیٰ نے آپ کو
07:20الہام کے ذریعے سے تورات سکھا دی
07:22اور آپ نے حرف با حرف لکھوا دی
07:25ابن ساکر
07:26رحمت اللہ علیہ نے ابن عباس
07:28رضی اللہ تعالیٰ کی ایک روایت نکل کی ہے
07:30کہ آپ نے حضرت عبداللہ بن سلام سے پوچھا
07:32کہ یہودیوں نے
07:33عزیر علیہ السلام کو اللہ کا بیٹا کیوں قرار دیا
07:37حضرت عبداللہ بن سلام نے
07:38آپ کا تورات سے باری لکھنا کا واقعہ بیان فرمایا
07:41کہ بنی اسرائیل کہتے تھے
07:43کہ حضرت موسیٰ علیہ السلام
07:44تو ہمارے پاس بغیر لکھی کتاب نہ لاسکے
07:47عزیر علیہ السلام بغیر تحریر کے تورات لے آئے
07:50اس لئے بعض لوگوں نے
07:51انہیں اللہ کا بیٹا کہہ دیا
07:53اس لئے بعض علماء نے فرمایا ہے
07:55کہ تورات کا تواتھر عزیر علیہ السلام
07:58کے زمانے میں منخطہ ہو گیا تھا
07:59جس سے آپ نے باہر کیا
08:01امید ہے آپ کو آج کی کہانی پسند آئی ہوگی
08:03اگر آپ کو کہانی اچھی رکھی تو
08:05لائک کر دیجئے گا
08:06چینل پہ سبسکرائب کر دیجئے گا
08:08اپنا اور اپنے پیاروں کا بہت خیال رکھیں
08:10اللہ حافظ
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