CJI BR Gavai: न्यायपालिका में भूचाल! CJI बी.आर. गवई का ऐतिहासिक बयान - 'सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट से बड़ा नहीं'। जजों की नियुक्ति पर CJI ने ऐसी लक्ष्मण रेखा खींच दी है, जिसने दशकों पुरानी धारणा को बदल दिया है। अब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम हाईकोर्ट को किसी जज के नाम की सिफारिश करने का हुक्म नहीं दे सकता। क्यों आया ये बयान और क्या हैं इसके गहरे मायने? क्या इससे जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी? इस वीडियो में जानिए CJI के बयान का पूरा और सबसे सटीक विश्लेषण।
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00:00सुप्रीम कोट हाई कोट से उपर नहीं, स्वतंत्रता देवस पर ऐसा क्यों बोले CGI गवई
00:22जजों की नियुक्ति पर कैसा बयान आया? नियाई परलिका की स्वतंत्रता और शक्ती संतुलन को लेकर चल रही बहसों की बीच, भारत के मुख्य नियाएधीश CGI बी आर गवई ने एक ऐसा एतिहासी बयान दिया, जिसने सुप्रीम कोट और हाई कोट के बीच के संबंधों
00:52आस व्यक्ति के नाम की जज के पद के लिए सिफारिश करने का निर्देश या हुकम नहीं देगा। ये बयान नियाई परलिका के भीतर एक बहुत बड़ा संदेश है, जो हाई कोट की स्वायत्ता और उसके समधानिक कद को मजबूती से स्थापित करता है।
01:22पर जोर दिया कि नियुक्ति की प्रक्रिया में पहला कदम उठाने का अधिकार हाई कोट कॉलेजियम का है और इस प्रक्रिया का सम्मान किया जाना चाहिए।
01:52दोनों की अपनी-अपनी समधानिक सीमाएं और अधिकार है।
01:56सुप्रीम कोट के पास हाई कोट के फैसलों के खिलाफ अपील सुनने का अधिकार जरूर है।
02:02लेकिन इसका ये मतलब कता ही नहीं कि वे जजों की नियुक्ती की प्रक्रिया में हाई कोट कॉलेजियम पर अपनी इच्छा थोपेगा।
02:10जजों की नियुक्ती के स्थापित प्रक्रिया के अनुसार किसी भी हाई कोट में जजों की नियुक्ती के लिए नामों की शिफारिष की शुरुवात उसी हाई कोट का कालेजियम करता है।
02:34फला नाम की व्यक्ति की सिफारिश करें।
03:04पहचान कर उनके नामों के सिफारिश बिना किसी बाहरी दवाब के कर सकें।
03:34पश्ट करती है।
03:35CGI का ये पयान आपको कैसा लगा।
03:38कॉमेट में अपनी राइक जरूर दें।
03:40बrint किसी में चेंसे जरिए अट्ट रब ट्रोग लेटों के सिफारिश
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