00:00पहाडों में मौसम की मार इतनी भायनक है कि उत्राखरण के थराली में महा तबाही आई और आठ दिन के बाद भी आपदखत नहीं हुई है
00:07उपरी इलाकों में हुरे बारिश के करण भागी नथी में जबरदस प्रवाह बढ़ रहा है
00:11राहत बचाओं में परिशानिया अलग है और किसी तरह कभी पेडों में जिप लाइन बांद कर तो कभी हेलिकॉप्टर में
00:18हेलिकॉप्टर से फसेवे लोगों को निकाल कर सुरक्षित जगहों पर पहुचाने में सिना के जबान राहत बचाओं में जुटे हुए
00:25अस्मान में हेलिकॉप्टर बंडरा रहे हैं
00:31पहार पर प्रचंड प्रवाह डरा रही है
00:36कहीं जिपलाइन से राहत की कोशिश की जा रही है
00:41कहीं घोडों के जरीये मदद पहुचाई जा रही है
00:47दराली पर कुदरत का कहर कोश ऐसा चूटा है कि अब तक सडके नहीं खुली
00:54दराली में चल रहे राहत बचाओं गारे में सेना और राहत बचाओं टीम के जबानों को कितनी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है
01:03इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है
01:06जिस हर्शिड में पाच अगस्त की आबदा के बाद चारो और तबाही के निशान थे
01:11सेना के बहे हुए कैम, भारी भरकम वाहन, दौस्त इमारतें और मल्बे के निशानों में अपनों की तलाशी चल रही थी
01:18वहाँ अब सिर्फ पानी ही पानी दिख रहा है
01:21मेरे ठीक पीछे भागरती के साथ साथ ये राश्री राजमार के पीछ में जो आफ फ्लैक देख रहे हैं
01:28दरसल यहां पर आर्मी का हेली पैड हुआ करता था लेकिन अब यहां कम से कम 10 से 12 फिक पानी है क्योंकि ये जलाशे बनता चला गया है
01:35और जब तक इस धारा को फिर से शुरू नहीं किया जा सकता ज्यादा पानी नहीं निकलेगा
01:39तब तक ये राश्री राजमार पूरी तरह बाधित रहेगा
01:41सड़क डूप चुकी है ये राश्ता आगे के तरफ धराली की ओर जा रहा है
01:45हमने जंगलों का जो अल्टरनेटिव रूट है ट्रेक रूट है वो शुरू किया है धराली जाने के लिए
01:50हर्शल से धराली जाने के लिए आस्ता के चीम निकली तो पहाड़ी पर कटिन चड़ाई में चड़ते उतरते
01:57और जंगलों के बीच से गुजरते करीब आदे घंटे में ऐसी जगा पहुचे जहां से राश्त्री राजमार का थोड़ा हिस्सा पानी से उपर नजर आ रहा था
02:06हर्शल से धराली के ओर जाने पर 500 मीटर की सड़क डूबी हुई थी और पहाड़ों से चड़कर आगे पहुचने पर पेड़ों के निशान से देख रहा था कि पानी थोड़ा कम जरूर हुआ है
02:20देड़ फिट पानी आपको यहां कम दिखाई देरा पेंट से निशान तो आप समझे कि देड़ फिट का पानी का मतलब है कि राश्त्री राजमार पूरी तरह से दूबा होगा अब इसके आगे कीचड़ है और कहीं पर एक फिट पानी है दो फिट पानी है और आगे पूर
02:50उस रास्ते से आना जाना आसान होगा दिक्कत जर्षा यह है कि जहां धराली पहुंचना है वहां उसको जमीन मार्क से जोड़ना चुनोती है जमीन से जब जुड़ जाएगा तो भारी भर कम गाड़ियां अरसत का सामान और जो री बिल्ड के लिए आपको चीजें चाहि�
03:20इसी रास्ते से आगे जाते दिखे इन पहाड़ी रास्तों पर चलना बहुत मुश्किल है आम लोगों की सासे फूलने लगती है हरशल से करीब देड़ किलो मीटर पहाड़ी रास्ता पार करने के बाद उचाई से मुखवा की सड़क दिखती है जो धराली के सामने भागी �
03:50कर दिया अब इसके साथ सामने जो सड़क है वो दरसल मुखवा की रोड है और मुखवा के जरिये धराली में पहुंचना नीचे जो है वो डेड़ किलो मिटर का जो 90 80 डिग्री का जो इनकलाइन है उसे सामान ले जाना लोजिस्टिक ले जाना मुश्किल है इसलिए सड़क
04:20रहे हैं इसी पुराने रास्ते से बिल्कुल राश्टी राजमार के भगल से पहाडों के इस हिससे होते हुए हम आपको धराली ले चल रहे हैं धराली जाने के पारंपर एक पहाडी रास्ते से आगे बढ़ने पर पहाडी से उतरते हुए आज तक की टीम नीचे पहुची �
04:50आगी रही थी कि जो धारा है वो मेरे बिल्कुल दाई तरह पहाड के एकदम आखरे हिस्से से चलती है लेकिन जब आगे बाधा बनी और जलाशे बनने लगा तो धारा देखे कहां पर आ रही यहाँ पर आपको पानी पूरा एकदम बवंडर की तरह घूमता दिखाई देगा
05:20दिखते नहीं होंगे बशरत एक बार पानी कम हो जाए धराली पहुचने से पहले वो सड़क दिखती है जो धराली से आगे गंगोत्री तक जाती है लेकिन आगे फिर ये सड़क बंद है
05:30धराली के पास लगवग 1.5 किलोमेटर का ये जो राश्री राजमार्ग है अभी भी सुरक्षित है लेकिन दरसल दिक्कत ये है कि धराली से आगे गंगोत्री को जोड़ने वाला जो मार्ग है वो पूरी तरह बादित है क्योंकि जो उपर ये धराली गाउं है यहीं पर त�
06:00कमसे कम धराली तक अगर मदद पहुचाना हो तो ये आसान एक बार पानी कम होता है इस रास्ते को अगर दुरुस्त कर लिया जाता है तो सम्भवता 48 घंटे में मदद के तमाम संसाधन यहां धराली पहुच सकते हैं हर्शिल से धराली का ये सफर हमने धराली इस गाउं में
06:30पेडूं के उपर एर कनेक्टिविटी बनाने के उपाय किये हैं
07:00तो यहां पर पेडू से कैम से एक हिस्से से ले करके अगले हिस्से तक जो पैरा ब्रिगेट के जवान है वो एक एरियल रोपे बना रहे हैं अब इसका काम दरसल क्या होगा अगर मान लिए दुबारा हैं कोई बाधात की या फिर कोई आपदा चुकि मौसम यहां लगातार
07:30दूसरे हिस्से में चुकि यहां पर जो ट्रैक है मोटरिबल ट्रैक है वो पूरी तरह दप चुका है मलवे में और मलवे के साथ साथ पीछे जलाश है तो यहां दूसरे हिस्से में भी एक जिपलाइन और तयार की जा रही है तो यह एरियल रोपे दरसल कोशिश यह है कि हर
08:00सुविधाएं जरूर हूँ कि कम से कम जो आपूरती है जिसकी जरूरत है वहाँ पर धराली में वो लगातार जाती है रहा और इसलिए पैरा ब्रिगेट की तैयारी आप हर्शिल में देख रहे हैं हर्शिल गांट 0 पर डीपक विष्ट के साथ मैं आशुतोष में श्रा आज �
08:30उपर पहारों से नदियां आती हैं जो नाले आते हैं वो उफान पर थे जिसके चलते हर्शिल का यह जो बाजार है प्रमुफ बाजार है देखे सारा बाजार बंद है यहां पर लोगों से स्ट यारफ ने कहा कि खाली करके चले जाए यह बहुत सारी लोग जो होटलों में �
09:00तो वहां पर CCTV monitoring वो वहां पर लगा रहे हैं यह वही camp है जिसमें नुकसान हुआ था जहां नौ जवान लापता थे दरसल धराली में अभी पर इंटरनेट की connectivity इस तरह नहीं है इसलिए हमें आप से वरूबरू होने के लिए अपनी reports भेजने के लिए हर बार हर्शिल आना प
09:30उसी के साथ गंगोतरी उतरकाशी हर्शिल धराली राजमार को खोलने के लिए जो पत्थर लगाय जा रहा है वहां पर उसको सेटल किया जा रहा है वो भी नाले के साथ बह गया तो दरसल उसके एक तो मलबा या इतना है दलदल है खुदाई हो रही है आज वहां पर जब ख
10:00जालना मुश्किल हो रहा है और मौसम लगातार अगर इसी तरह बिगड़तारा नालों में उफान चलता रहा तो जो रीस्टोरेशन के साथ कनेक्टिवीटी की दिक्कत है और उसके बाद सर्च उपरेशन है उसमें सबसे बड़ी बादा है क्योंकि 50 फिट मलबे को आप कु
10:30में उत्रा था अब यहां सैलाब प्रभावित इलाके में जेसीबी से राहत बचाव का काम भूता नजर आता है लगड़ी के टेंप्रेरी पुल से लोग खीर गंगा की धारा के इस पार से उस पार आते जाते दिखते हैं घोड़े के जरिए राहत बचाव का सामान धोया ज
11:00पहार से निकलते हुई खीर गंगा ठीक इस इलाके से होते हुए अब आगे जाकर के भागरिथी में मिल जाती है लोग बताते हैं कि दशकों पहले लगबग सौ साल पहले तक खीर गंगा की मूल धारा यही थी और इस तबाही के बाद प्रकृतिरे खीर गंगा को वापस उ
11:30जब बदलावन हुआ था तब इसकी धारा दरसल इन इलाकों से हो करके गुदरती थी
11:35खीर गंगा के किनारे पर तबाही के निशान डराबने हैं इमारतें दूसरी मंजल तक मलवे के नीचे दवी हुई हैं
11:44जिनके घर वहां दबे हुए हैं वो डोज रहत बचाव के काम के दोरान अपने घरों के आसपास नजर आते हैं
11:53कभी अपनों की तलाश में कभी ड्रेस्क्यू में मदद करने
11:56अपने तबाह हो चुके घर और महले को दिखाते हुए सोनु पवार कहते हैं कि पांच अगस्त का वो मंजर कैसा था
12:04पता तो नहीं चल पाए जब आवास सुनी मलब ममी ने बोला कि नदी आ गए
12:09इतने आगे जा पाएं बस वाकी तब नदक तरमें सबसनास है
12:13अज़ शहर में कितने लोग रहे होंगे उस समय भाई शहर में 200 से पहला सुनी जो तूरिस्ट या लोकल सी टूरिस्ट भी है लोकल भी है लेबर भी है इस्टा भी होटलों का अलग-अलग परकार की लोग
12:26सब भाग पाए थे दो-ड़ाई सो लोग नहीं उतने मार गया है कुछ पचे में लगों इतने तो मरे में जो लगों लगों लेकिन पता नहीं चल पा रहा रहा है लेकिन मलवे के ऊपर
12:51सो से ज्यादा लोग अगर लापता है तो वो कहां है क्या वो इस मलवे में हो सकते हैं अब यह होटल है पीछे ठीप पहार से जब आपदा आई थी तो सबसे पहले इनी लाकों को चपेट में लिया मलवा आया दलदल है और यह पूरा होटल है जमीन पर चला गया सब कुछ �
13:21बहुत पुराना है लेकिन इसमें जान पहचान या आइडेंटिफिकेशन के लिए में कुछ नहीं दिखाई पड़ रहा है
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