Skip to playerSkip to main content
  • 7 weeks ago
उत्तरकाशी में 34 सेकंड की तबाही! पहाड़ों पर क्यों बढ़ रही आपदाएं? देखें श्वेतपत्र

Category

🗞
News
Transcript
00:00नमस्कार मैं हूँ श्वेता सिंग और आप देख रहे हैं आज तक
00:10सिर्फ 34 सेकंड के अंदर एक पूरा का पूरा गाउं बहते हुए मलबे के नीचे दब गया
00:16हादसे की इस से भयानक तस्वीरें कम ही देखने के लिए मिली हैं
00:21आज हम श्वेत पत्र में इस हादसे के हर पहलू के बारे में आपको बताएंगे
00:26आपके मन में चिंता के कई सवाल उठ रहे होंगे कि आखिर क्यूं इस तरह की आपदाएं अच्छानक बढ़ गई हैं
00:33तो हम इसका कारण भी तलाशेंगे
00:35किस तरीके से ऐसी आपदाओं में जान बचाई जा सकती है
00:41क्या ऐसे आपदाओं के बारे में मौसम विभाग की तरफ से जानकारी आ सकती है
00:46इन तमाम सवालों के जवाब आज अगले एक घंटे में
01:05मौसम के जासे आप और मारे में
01:32कर दित बाद पर менее 1!!
01:35जिन्दगी और मौत का फासला सिर्फ 34 सिकेंट
01:45सब मलवा से गाद जिया था, कोई कुछ करने का मुगा नहीं मिना
01:57खुशाली और तबाही का फासला सिर्फ 34 सिकेंट
02:02खुशी और दर्द का फासला सिर्फ 34 सिकेंट
02:14इन 34 सिकेंटों ने उत्तर काशी का स्वरूप बदल दिया
02:36जमीन की बनावट बदल दी, पहाडों की सूरत बदल दी, लोगों की जिंदगी बदल दी, कई लोगों की
02:48की पुश्टी हो चुकी है, साच से जाता लोग लापता है, हजारों टन पहाड बहते हुए आया और धराली और हर्शन भयंकर तबाही बचा दो
02:57कि अच्छान की बचारों की आपतार के लिए पहाड़ा आपतार से थाओ, और उसने सेकिंड भी ने लगाया किसी को बचने का, सारे खतम, मतलब पूरा सारा गाउं खतम
03:15हम लोग ने ये आपता में, मतलब हम लोगे सामने ही हुआ या आपता हम ली फंस्टू कहते हुआ
03:20अचानक से पतानी, चन्द सेगन में पतानी क्या हो गया और सब कुछ तबाहुगी
03:26इतनी दभना घटना सामने पे हुई कि लोग सीज को हम बया नहीं कर सकते
03:34पहाड़ों पर प्राकृतिक आपताएं कोई नई बात नहीं है, इन दोनों का आपस में पुराना नाता है
03:48प्राकृति ने इन सभी जगों पर अपना रौदर रूप दिखाया है
04:00लेकिन हर बार की तरह इस बार भी कुछ सवाल बाकी रह गए हैं जिनको जवाबों की तलाश है
04:05उत्तरकाशी में इस तबाही का कारण क्या है?
04:09क्या बादलों के फटने से ये बरबादी हुई?
04:12क्या एक साथ कई बादल फट गे?
04:14क्या ग्लेशर तूट कर गिरें जिससे ये हाथसा हुआ
04:18क्या ग्लेशरों पर मौजूद जीले बह गई
04:22पहाल तूट कर क्यूं भह जा रही है
04:25मड़ फ्लो क्या होता है और इससे कितनी तबाही दूट
04:33आज शुएट पत्र में इन सभी सवालों के जवाब देंगे
04:36और साथ ही जानेंगे कि क्या इन हाथसों को रोका जा सकता है
04:39या क्या इनका पूरा नुमान लगा सकते हैं
04:42उत्तराखंड में पिछले दस सालों में बादल फटने की घटनाए बढ़ गई है
04:49विशेशक ये मल्टी क्लाउड बर्स्ट की बात कर रहे हैं
04:53यानि एक ही इलाके में एक साथ कई बादलों का फटना
04:56क्या होता है मल्टी क्लाउड बर्स्ट और ये क्यूं होता है
05:01ये हम आखको अब बताते हैं
05:23उत्तराखंड के धराली और हर्शिल की तस्वीर को देख कर देश परिशान है
05:29एक ऐसी तबाही जिसने सब को निशब्द कर दिया है
05:36उत्तराखंड के धराली गाउं में वो हो जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की
05:45बिनाश की इन तस्वीरों को देख कर डर लगता है
05:48सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्यूं हुआ? आखिर उत्तरखन में पहाड़ों पर लगतार बादल क्यूं फट रहे हैं?
05:59इस हादसे को लेकर विशेशक्यों की राय बटी हुई है लेकिन हम आपको श्वेट पत्र में वो सभी थ्योरी बता रहे हैं जो इस फ्राकरतिक आपदा का कारण हो सकती है
06:09पहली थ्योरी जो विशेशक्यों की बता रहे हैं वो है मल्टी क्लाउड बर्स्ट की जारी लगतार बादल फटने के कारण उत्तरकाशी में यहादसा हो सकते हैं
06:18जनरली जो रेन्फॉल और जो क्लाउड बर्स्ट है वो उसके लिए पूरे अगर हमाले में देखे जाएं तो करीब बारा से तेरा स्पॉर्ट्स हैं जिसको हम औरोग्राफी बोलते है रेन्फॉल औरोग्राफिक रेन्फॉल बोलते हैं
06:35इसका मतलब यह है कि ऐसी लैंड्सकेप है कि जहां पर आके रेन्फॉल हमेशा ज्यादा होती है जैसे किदारनात हो गया पितौरागण हो गया उत्तरकाशी हो गया हिमाचल में भी क्या कहते हैं जो मंडी एरिया हो गया इन एरियाज में पानी हमेशा वारिश बहुत ज्या
07:05मौसम विज्ञान में इसे एक सीमित इलाके में बेहत तेज और कम समय में होने वाली बारिश के रूप में परिभाशत किया जाता है अगर किसी छोटे एक शेत्र यानि 10 से 20 वर्व किलोमीटर में 100 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश एक घंटे के भीतर हो जाए और पानी इतन
07:35परश्या जो है वो 10 सेंटीमिटर ज्यादा एक लिमिटेड एरिया में होती है तो क्लाउट बस को नाम देते हैं एक्जैक्ली कंफर्म करना कि क्लाउट बस्ट इवेंट हुआ है मुश्किल है लेकिन जिस तरह का क्लाउट सिस्टम बना हुआ था जो हायर रीचर्स थे माउ
08:05इसे फटता है यह हम बुनियादी तौर पर अपने दर्शुकों को समझा रहें लेकिन यह इतनी इतनी ज्यादा संख्या में आज की तारीख में क्यों हो रहा है और क्या इसे प्रिडिक नहीं कर सकते हैं कि फला जगे पर बादल फटने वाला है कि बहुत बच्छा पॉइ�
08:35कि इस एरिया में एक्स्क्रीम्ली बेश्टराने वाला है इंडिया मेटलोर्जिकल डिपार्टमेंट में 20 आर पैले ही रहे बुचित कर दिया था या पूरे डिस्ट्रिक के लिए था बहुत अच्छा पॉइंट बोला है आपने यह जनरली पूरे डिस्क्रिक के लिए होता
09:05मौसम विज्ञान केंदर दिहरातून की एक रिसर्च के मुताबिक मौनसून में बारिश तो लगभक समान ही रिकॉर्ड हो रही है
09:35लेकिन रेनी डी के संख्या में कमी आई है किसी स्थान पर एक दिन में धाई मिलिमीटर या उससे अधिक बारिश दर्ज होने को रेनी डे कहा जाता है
09:44जो बारिश पहले साथ दिनों में होती थी वो अब केवल तीन दिनों में ही हो जा रही है जिससे हालाद बिगल रहे हैं
09:50साथ ही जो मौनसून सीजन पहले जून से सितंबर तक पहला होता था वो अब केवल जुलाई अगस तक से मट गया है
09:57इसके साथ साथ पहाडों के मुगाबले मैदानी इलाकों में जंगलों और पेडों की कम संख्या हालात को और खराब कर देती है
10:08कम वनक शेत्र की वज़े से मैदानों में कम बारिश होती है और पहाडों पर बादलों का प्रकोब बढ़ जाता है
10:14विशेशक भी यहीं मानते हैं कि उत्तराखण में बादलों का मिजाज बदल चुका है जिसकी वज़े से लैंड स्लाइड और बादल भटने की घटनाएं बढ़ी है
10:22राश्ट्री जल विज्ञान संस्थान के एक शोध में कहा गया है कि 18-28 डिगरी सतही तापमान वाले क्षेत्रों में पिछले 10 सालों में बादल भटने की 80% घटनाएं हुई हैं
10:42इसका कारण खास परिस्थितियों में बनने वाले रीजनल लॉकिंग सिस्टम को माना जाता है जो 1000 से 2000 मीटर की उचाई के बीच बनता है
10:502015 से लेकर 2024 तक के आंकडों पर नजर डाले तो पूरे प्रदेश में क्लाउड बस्ट की 66 घटनाएं हुई हैं
10:58बादल फटने की घटनाएं 13-0 में से पॉड़ी में सबसे ज़्यादा हुई उत्तरकाशी में 2015 से लेकर 2024 तक तक तक तकरीबन 1525 घटनाएं हुई
11:08जिसमें लैंड स्लाइट से लेकर बाढ़, एवलांच, पोला विष्टी से लेकर क्लाउड बस्ट तक शामिल हैं
11:14जब सड़न रेंफॉल होता है तो उसको हम क्लाउड बस्ट बोलते हैं जो कि अगर मान लिए 115 मिली मीटर से उपर दो से तीन गंटे के अंदर वारिश हो जाए या पूरे दिन के अंदर 200 मिली मीटर के करीब वारिश हो जाए तो या उसके आसपास वारिश हो जाए तो उसक
11:44और उरोग्राफिक रेंफॉल एरियास में हैं और उसके उबर हमको पूरी एक डिजास्टर मेनेजमेंट प्लान बनानी पड़ेगी
11:52चांदकार भी कहते हैं कि उत्तराखन में लगातार बादल भटने की वज़े है यहां की नाजुक हिमाले की बनावट तेजी से बदलता मौसम और बहताता अपमार अंधातुन कटाई सलकों का चौड़ी करण और नदी किनारे निर्मान ने पानी सोखने की प्राक्रितिक श
12:22उत्तराखन्ड का जो उत्तरकाशी जिला है वहां से दो-दो नदिया निकलती है प्राण दाइनी गंगा और यमुना नदी यानि गंगोतरी ग्लेशर और यमुनोतरी ग्लेशर दोनों जो हैं वो इसी उत्तरकाशी में स्थित हैं यह आपदा क्यूं आई इसके पीछे कई �
12:52धराली की ये तस्वीरें देखिए हादसे से पहले की खुशनुमा वादिया नदी का किनारा किनारे पर बने घर
13:20लेकिन ऐसा क्या हुआ कि पूरा का पूरा गाउं तबाह हो गया
13:23कि किसी तरह ये हर्शल जिन्दीगी से भरा हुआ
13:36लेकिन कोई तो ऐसी बात नागवार गुजरी पुद्रत को कि ऐसी भयानक द्रास्तिया दे
13:42उतरकाशी जिले के घराली में मंगलवार को आई भयानक आपदा ने लगभग पचास घरों और व्याफसाइक निमारतों को दफन कर दिया या बहा दिया
13:54इस हादसे के पीछे क्या काराण था यह अभी साफ तोर पर कहां नहीं जा रहा है
14:01फिर भी तीन संभावित काराण सामने आए हैं जिनका जिकर बैक्यानिक कर रहे है
14:05पहाडों में चाए वो हिमालियास में हो चाए आल्पस में हो चाए कहीं भी हो दुनिया में
14:10तो एक वज़े से डिजास्टर नहीं होता है
14:13डिजास्टर होते हैं या बहुत ज़्यादा वारिश हो एक साथ हो
14:17और जो दस बारा दिन तक अगर थोड़ी थोड़ी भी बारिश होती चली जाती है
14:21तो जो soil होती है उसमें वो पानी और इसका moisture जमा होता चला जाता है
14:26तो वो loosen होती चली जाती है तो जैसे जैसे loosen होती चली जाती है
14:30तो उसका optimal mass of staying together वहीं पर वो खतम होता चला जाता है
14:34तो हुआ ये अभी दो-तीन इसमें लोग कारण बता रहे हैं
14:39अभी हम लोग के जो scientists हैं, IMD के scientists हैं, Wadia Institute के scientists हैं
14:44और भी कई agencies government in India की हैं
14:46और private agencies में भी जितने लोग हैं उन लोग सो भी हम लोग बात करते हैं
14:50It takes a bit of time, थोड़े से time के बाद पता चलेगा exactly क्या हुआ
14:54पहला बादलों का फट्ना
14:57हमने आपको बताया कैसे multi cloud burst तबाही का एक कारण हो सकता है
15:11कुछ विशेशक्य इस द्रासिवी के कुछ दूसरे कारण भी मान रहे है
15:15विशेशक्यों का ये भी मानना है कि ग्लेशियर के पिखनने से धीली चट्टाने और मिट्टी लगातार हो रही बारिश से बहकर
15:28खीर गाल नाले में गिर गई होगी और वहां से वो धराली क्योड रुढ़क गई होगी
15:32जिससे ये भायानक तबाही आगी
15:34ये भी मुम्किन हो सकता है कि उन धीली चट्टानों के कारण बारिश का काफी पानी एक पालाद की शकल में उपर जमा हो गया होगा
15:42पानी बहने पर वो भारी पोर्स के साथ नीचे आ गया
15:45अभी जो सेंस है वो ये है कि बारिश थी बहुत दिन तक होती रही रही
15:51दूसरी चीज जो आ रही है एक न्यूज कुछ सैटलाइड इमिजरी हमको देखने को मिली है कुछ लोगों ने पोस्ट भी किया है और अथेंटिकेटिट सैटलाइड इमिजरी है उसमें ये आया है कि जो एक ग्लेशियर है
16:04ग्लेशियर का स्णॉट यानिकि जो उसकी नोज है जो मेल एड्यूट हो रहा है हर ग्लेशियर का एरिया मेल्ट होता है उसको स्नाउट कहते हैं एंड ऑफ दे ग्लेशियर है वह स्नाउट का पॉर्ष्ण गिरिया था साराउंड फ्यू वीक्स अगो पुछ हफते पहले वह
16:34बड़े एरिया में गिरता है, तो वो गिर के वहां पर कंटेन हो गया, उसके साथ पूरी डेबरी होती है, सॉइल होती है, पानी होता है, सब कुछ होता है, स्लश टाइप होता है, तो वो वहां पर लैंड स्लाइड हो चुका था, अब वो लैंड स्लाइड कब नीचे आएगा
17:04थोड़ा लूजन रहेगी।
17:34तो वो जो है सेडिमेंट को अपने साथ लेकर नीचे भाहते वे भागी रती में लिया है।
18:04जीले मौजूद हैं जिन में से तेरा को अत्यधिक सम्वेदन शील श्रेणी में रखा गया है।
18:10धराली और आसपास का जो भूगल है यह पूरा एक जमाने का पूरा ग्लेशर आउटलेट है।
18:18यहां पे लगातार जो आते रहे हैं और अगर हम इसके अपर रीचेज में देखें तो वहां पे काफी कुछ जो इसका
18:25जो इसका अकुमुलेशन जोन है, आइस मास भी है, सेडिमेंट जो हमारा जो मोरेंस हैं वो भी बहुत मात्रा में इकत्रित हैं लेकिन जैसी है वो डाउन स्ट्रीम में आता है तो वहां पे उसका ग्रेडियंट और स्लोप बहुत तेजी से बढ़ जाता है जब यह स्लोप �
18:55इसका दूसरा पहलू कहता है कि जिन पहाडियों से कीचल और गात का तेज बहाओ धराली की ओर आता हुआ दिखाई दे रहा है, वहां कोई भी हिम नदी या ग्लेशियल जील इस्थित नहीं है
19:06कुछ विशेशग्यों ने एक कम गहरी सूपर ग्लेशियल जील यानि ग्लेशियर की सतेह पर बनी जील की मौझूदगी की ओर इशा रखिया है
19:14लेकिन जानकारों की माने तो इस प्रकार की जील इतनी बड़ी आपदा का कारा नहीं बन सकते
19:19हमने तस्वीरों में देखा किस तरह मलबा पूरी रफ्तार के साथ आया और धराली गाओं को तबाह करके चला गया
19:42इसको मड़ फ्लो कहते हैं इस मड़ फ्लो में केवल गीली मिट्टी नहीं होती बलकि बड़ी बड़ी चटाने भी होती
19:49जो सामने आने वाली हर चीज को तोड़ती हुई चली जाती
19:52खुद्रत के कहर ने धराली और हर्शल में ऐसा तरह माम मचाया कि धराली तबाह हो गया
20:00और हर्शल के आगली कैम्प का नामो निशान तक मिट गया
20:08धराली से सेलाब तबाही मचाता हुआ आगे बढ़ा और हर्शल में अपनी विनाश नीना दिखाई
20:14हर्शल घाटी में खुद्रत ने ऐसा कहर बर पाया कि सेलाब ने भार्टी सेना के राच्रिफ के कैम्प को पूरी तरह मल्बे में मिला दिया
20:23चालिस फिट हुँचा आप समझे जमीन से लगबग जिस पे सड़क थी उस पर 30 से 40 फिट हुचा आई है
20:32यानि इसको खो़ोधना इसको साफ करना अब यहां पर यह पूरा केम्प था
20:36यह पूरा सेना का कैम्प था जो पूरी तरह से समतल हो गया अब यह सिर्फ प्त्थर, मल्बे, मिटी का ठेर बनकर रह चुका है
20:44यह पहाल का हिस्सा है, यहां से मल्बा आया
20:52और इसने आते ही रेखिए, यहीं तो उने बड़े बड़े पत्थर बोल्डर आया थी
20:55कि इसके सामने आखिर मानों का बनाया हुआ इसके साथ bड़े बड़े पत्थर आयो
21:06आर्मी कैम्प में अब कुछ नहीं बचा है
21:08दो-चार इमारतें बची हैं वो भी पूरी तरह से मलबे में धसी हुई है
21:12और आर्मी के जवान इस मलबे में अपने साथियों की तलाश कर रही है
21:16जब सेलाव आया उस वक्त आर्मी कैम्प में आठ जवान और एक जेसियों मौझूद थे
21:27जो सेलाव आने के बाद से लापता है
21:37हम चमतकार में यकीन करें या ना करें लेकिन चमतकार तो होते हैं
21:41और ऐसे में उम्मीड हर किसी को होती है
21:43जिस आइबेक्स कैम्प में हर्शिल में यहां पर राजरिफ के जवान लापता हो गए थे
21:47वहां पड़ा उपरेशन चल रहा है कि हमने एक पॉइंट देखा दूसरे पॉइंट पर भी स्लिफर डॉग ने कुछ हलचल महसूस की है
21:53आम तोर पर यह अगर जम्मी में कोई टप गया है और अगर वह सांसे ले रहा है तो स्लिफर डॉग इसे पहचान लेते हैं
21:59जैसे उसने एक पॉइंट नोटिस किया है वहां पर भी अधुदाई की गई है फिर दुबारा से स्लिफर डॉग को लाए गया है ताकि कि किसी तरह की कोई संभावना उचार ते पांच दिन मलवे में रहे इतने बारी बजन में किसी के बचने की संभावना कम होती है लेकि
22:29पर पर पर चार्ट दिनों से हमारी कट आप है और यहां पर एसेंशल रिफ रिफ रिस्क्यू और पॉलंग बुलाने के लिए समान मंहाने के लिए और जो इहां पे बिल्ग्रिम्स असे हुए थे और जो इंजट उनको निगालने के लिए यह कंटनियों बहुत यूनीक ए�
22:59कि साइंटिफिक अनालिसिस करके कि कि दर को बहाओ का उमीद है उसके साब से हम अपने मिसिंग नों को दूने कि
23:08धराली में पहाडों से होती हुई जो तबाही की बार आई थी उसमें पहाडों की मिट्टी थी मिट्टी के साथ बड़ी बड़ी चटाने थी रास्ते में पढ़ने वाली हर चीज को इस बहाओने उखार फेंदिया था ये मड़ फ्लो या मड़ स्लाइड था
23:25पहाडी इलाकों में मलबा बहना एक आम खत्रा है भारी बारिश अकसर खड़ी धलानों पर अचानक बाढ़ का कारण बनती है
23:40ये धाराएं अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को अपने साथ ले लेती हैं इनमें तरल पदार्थ से ज्यादा थोस पदार्थ होते हैं ये पहाडी धलानों को चीरती हैं और समतल जमीन पर पहुँचकर बहते हुए पदार्थ को जमा कर देती हैं
23:54मलबे का प्रवाह जिसे आम तौर पर मड़ स्लाइड या मड़फ्लो कहा जाता है
24:03धीली मिट्टी, रेट, चट्टान, पानी का एक तेज बहाव होता है
24:07जो गुरत्वा करशन के प्रभाव में धरान से नीचे की ओर बहता है
24:11मड़ स्लाइड आम तौर पर धीमे होते हैं
24:14लेकिन इनकी रफ्तार सौ मील प्रती घंटे तक भी पहुत सकती है
24:17धराली में आई मड़ स्लाइड बेंतिहा तेज रफ्तार से आई और अपने साथ सब कुछ दबाह कर ले
24:23मड़ स्लाइड आम तौर पर ऐसे पहाड़ी लाइपों में होते हैं
24:27जहाँ पानी काफी वक्त तक जमा हो जाता है
24:29बर्फ पिखल कर नीचे आने से या पानी जमा होने से
24:33पहाडों की मिट्टिक हिसकने लगती है
24:34जो मड़ स्लाइड का कारण बनती है
24:36लेकिन सिर्फ मड़ स्लाइड जब आती है तभी खतरा नहीं होता बलकि उसके बाद दलदल जैसे हालात बन जाते हैं
24:43उत्रा खंड में इस तरह की तबाही के पीछे कारण क्या है ये सब जानना चाहते हैं क्यूंकि जब कारण पता होता है
25:00तब उसका निवारन होता है अलग-अलग कारणों के बीच एक तिहरी डाम को लेकर चर्चा हमेशा होती है
25:08ये तिहरी डाम दुनिया के सबसे उचाई पर बनाए गए डाम्स में से एक हैं कई तरह के बयान इसको लेकर शुरुवात से दिये गए हैं
25:16जब 2014 में एक वक्त मैं उस क्षेत्र में गई थी उसी साल मैंने देखा कि किस तरीके से जो आगे चलकर जोशी मठ में घरूं की दरारें और खिसकती हुई जमीन नजर आई थी
25:29तिहरी के क्षेत्र में आज से 11 वर्ष पहले वैसी ही तस्वीरें थी
25:35उत्तरा खर पहाड़ों की गोद में बसा एक ऐसा राज्य है जहां प्रकृति की खुपसूर्ती और प्रकृति की नाराज़गी दोनों नजर आती है
25:54यहां की नदियां जरने पहाड और बर्फ से ठकी चोटियां लोगों को अपनी और आकरशित करती है
26:01लेकिन ये कभी कभी जान लिवा भी बन जाती है
26:05पिछले कुछ सालों में उत्तरा खंड बार बार प्रकृतिक आपदाओं की चपेट में आया है
26:17कभी बादल खटने की खटनाएं, कभी लैंड्सलाइड तो कभी बार
26:21ऐसे में हर बड़ी तबाही के बाद एक सवाल ज़रूर उखता है
26:25क्या इन आपदाओं की पीछे सिर्फ प्रकृति जिम्मेदार है या फिर इनसानी दखल भी जिम्मेदार है
26:31हर बड़ी घटना के बाद एक नाम हमेशा सुर्फियों में आता है और वो इस बार भी है
26:36टीरी डैम उत्तर अखन के टीरी गणवाल जिले में भागी रथी नदी पर बना एक विशाल काये बहु उद्देशी बांध है
26:46इसकी नीव 1978 में रखी गई थी लेकिन इसका निर्माण कई दशकों तक विवादों, आंदोलनों और परियावर्णी चिंताओं में उचा रहा
26:55और ये डैम दोजार च्छे में पूरी तरह से बन कर तयार हो
26:58ये दुनिया के सबसे उचे बांधू में से एक है
27:02260.5 मीटर उचा और 565 मीटर लंबा
27:06इसकी जल संग्रेक शम्ता लगवग 2.6 बिलियन क्यूबिक मीटर है
27:11ये ना सिर्फ बिजली उत्पादन करता है बलकि सिचाई और पीने की पानी की आबूर्ती का भी बड़ा सोथ है
27:17लेकिन इस बार तीरी डैम क्यों चर्चाना है
27:19तीरी बांध का बादल फटने की घटनाओं से क्या संबंध है
27:23कई विशेशक ये मानते हैं कि इस डैम ने स्थानी जलवायू और भूगर्बी इस्थितियों में बदलाव किया है
27:29पीरी डैम का जलाशे करीब 45 वर किलोमेटर में फैला है
27:35ये पानी का इतना बड़ा भंडार है कि आसपास के इलाखे के तापमान, आदृता और वायू प्रवाह को प्रभावित करता है
27:42कुछ रिसर्च बताते हैं कि बड़े जलाशे के उपर और आसपास बनने वाले सुख्ष्म जलवायू में नमी की मात्रा बढ़ जाती है
27:49जिससे भारी वर्षा और कभी-कभी बादल फटने जैसी घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है
27:54इसके अलावा जलाशे में पानी का अत्यतिक दबाव आसपास की चटानों और मिट्टी पर असर डाल रहा है
28:01जिसकी वज़े से जमीन खिसकने और भूस खलन की घटनाएं बढ़ सकती है
28:05पर्यावरन के जानकार और भूकम पैक्यानिक बार बार चेताबनी देते रही है
28:10कि हिमाले के शेत्र में इतने बड़े बांध लंबे समय में प्राकरितिक संतुलन बिगार सकते हैं
28:16पीरी डैम के निर्माल के खिलाफ 1980 और 1990 के दशक में बड़े पैमाने पर आंदोलन होई
28:21पर्यावरन के लिए काम करने वाले हूँ या फिर स्थानी लोग या फिर सामाजिक कारिकरता सब इसकी खिलाफ खड़े होई
28:27सबसे बड़ा तक ये था कि ये डैम भूकम संभावित क्षेत्र में बनाया जा रहा है जो वहाँ के लोगों के लिए बड़ा खत्रा है
28:34ये खामोश सा कहर है जिसे यहां के लोग हर दिन दोचार होते हैं उन्हें समझ नहीं आता कि वजह क्या है
28:43प्रशासन की तरफ से खामोशी है वो बताते नहीं है कि आखिर क्यूं हो रहा है कि घर में इतनी मोटी मोटी दरारे पड़ रही है
28:50लेकिन लगता है कि जो सब के लिए जीवन दाइनी है उनका ही दिया हुआ खत्रा हो
28:56क्योंकि लोग यहाँ पर मानते हैं कि जो बांध है जो जील है उसकी वज़े से जमीन नीचे ही नीचे घिसक रही है डरक रही
29:11घर खाली करने को मजबूर होना पड़ा है यह हर घर में इस तरह की समस्या आ रही है ऐसे यही पर जो टूटा टूटा घर में दिख रहा है
29:18है है सब घर में ऐसे ही हो रहा है तो डर लगता है तुम लोगों रात में सोते हुए आप लोगों
29:40क्या कंप्लेन किया है सरकार के पानी आता है तो क्या ऊपर तक भर गया था उपर उपर
29:53मानप अतिकरमल की दूसरी मिसाल
30:22जोशी मठ में देखने को मुझी जब पूरे के पूरे जोशी मठ में बसे लोगों के घरों में दरारे आनी लगी थी
30:29दराखन जैसे राज्य में जब हम डिवेलप्मेंट को देखते हैं तो क्या चालेंज़ेस सामने रहते हैं?
30:39चैलेंज़ेस तो यहने एरिया का है, स्पेशल एरिया है तो टोपोग्राफिकल इशूस तो है ही और जगह सिमित है और लोगों को उतनी ही जगह में और जैसी परिस्थिती है उसी में निर्वाह करना है और बेटर लाइफस्टाइल की सभी की इच्छा होती और हक भी है तो �
31:09करना चाहिए वो होना चाहिए और संभव भी है करना लेकिन अगर शॉर्टकट लेने लगे इसमें तब दिक्कत है जोशिमर्ट के दरार वाले घरों धस्ती सड़कों और खिसकती पहाड़ियों की तस्वीरें देखने के बाद विशेशक्यों ने चेताया था कि ये सब हिम
31:39नमी कस्तर बढ़ा देते हैं जिससे अन्यमित और भारी वर्षा की संभाब ना रहती है
31:43टीरी डैम उत्तराखंड की उर्जा और पानी की जरूरतों को पूरा करने में एहम धुमी का निखाता है लेकिन इसके साथ साथ ये एक पर्या वरनी एक जोखिन भी है
31:54बादल फटने की खटनाओं का सीथा कारण पिहरी डैम है ये कहना भी ठीक नहीं लेकिन ये ना मानना भी गलत होगा ये सब कोई असर नहीं
32:02एक बड़ा सवाल ये है कि उत्तरा खंड में बादल फटने पर पहाड डै क्यों जाते हैं क्या पहाड इतने कमजोर है कि वो बारिश को बरदाश्ट नहीं कर पा रहे या बारिश की रफतार और बारिश की जो ताकत है वो इस हिसाब से बढ़ गई है कि एक साथ बहुत सार
32:32हिमाले, दग्रेट हिमाले
32:37दुनिया के सबसे उचे पहाडों वाली श्रिंखला
32:43सीना ताने बादलों के उपर से निकलता हुआ माउंट एवरिस्ट वाला हिमाले
32:56लेकिन क्या ये हिमाले बाहर से जितना ताकत वर दिता है उतना ही अंदर से कमजोर है
33:00जवाब है हाँ
33:03सबसे नई परवत श्रिंखला हिमाले लैंड स्लाइड और मड स्लाइड के लिए
33:32सबसे समवेदन शील माने जाते हैं
33:34और यही वज़े है कि उत्तराखंड में बादल फटने से हिमाले के पहाड आसानी से ठह जाते हैं
33:39दरसल उत्तराखंड में बादल फटने या तेज बारिश होने पर लैंड स्लाइड की दो बड़ी वज़े हैं
33:55हिमाले के पहाड नए और कमजोर हैं
33:57हिमाले दुनिया की सबसे नई परवत श्रिंखला मानी जाती है
34:0040 से 50 मिलियन साल पहले भारतिये और यूरेशन टेक्टोनिक प्लेट्स के टकराने से हिमाले पहाड अस्तित्व में आए
34:07हिमाले के पहाडों की चट्टाने फुर्भडी और कमजोर मिट्टी की बनी है
34:15बादल फटने पर इन पहाडों से मिट्टी पर हाइड्रोस्ट्राटिक दबाव यानि पानी का प्रेशर बढ़ता है
34:20मिट्टी होने के चलके इसकी जमीन पर पकड़ नहीं बनती
34:24और भारी मातरा में मिट्टी मल्बे के रूप में पानी के साथ निचले इलावों में पहुच जाती है
34:29भारतिय प्लेट्स अभी भी यूरेशन प्लेट्स से टकरा रही है
34:36हिमाले के पहाड हर साल 4-5 मिलिमीटर ऊचे हो रहे है
34:40इस टकर से भारतिय प्लेटों के टूटे मुड़े हुए हिस से ही में सेंटरल जोन, में बॉर्डर जोन, फ्रंट जोन और हिमाले की नीव बने
34:48ये चट्टाने धीली मिट्टी की बनी है जो कमजोर है
34:51इसी तरह दक्षरी तराई में नदियों के अफसाद जमा करने से मैदानी इलाकों के उपर ही शिवाले, छोटा हिमाले और उच्छ हिमाले है
34:59ये भी सक्ट चट्टाने नहीं है
35:01इसके मुकाबले बिसाल्ट, ग्रेनाइट की चट्टानों से बने दक्षर के पठार अपनी जबेस्तिर है
35:06और हिमाले से करीब दो करोर साल पुराने है
35:09हिमाले की तरह दक्कन की प्लेटें आपस में तकराती नहीं है
35:12इसलिए यहां लैंड स्लाइट की घटनाएं कम होती है
35:15दूसरा कारण है जंगलों की घटाई के चलते पहारों का कमजोर होना
35:19जो क्लाइमेट चेंज, जो हिमालिया की मतलब जाइगेंटिक
35:25इतनी बड़ी प्राब्लम है वो
35:27इसकी वज़े से पानी मिलता है अगर यहमने घंगोतरी मेल्ट ना हो रहे थे
35:33ग्लेसियर हमको पानी कहां से मलता तो यह साला साल से मेल्ट हो रहे है
35:37तो मेल्ट होना बुरी बात नहीं है
35:39पेडों की जड़े मिट्टि को बांधे रखने का काम करती है
35:46हिमाले के पहाड़ी इलागों में पेडों की खटाई के चलते मिट्टि की चटाने धीली पड़ गए है
35:51ऐसे में तेज पानी का फ्लो आसानी से इस मिट्टी को बहा ले जाता है
35:55इसके अलावों उत्तरक्षण के इलागों में बांध बनाने के चलते नदियों का रास्ता संत्रा हो गया है
36:04ऐसे में बादल फटने पर तेजी से पानी बढ़ता है और नदियों के किनारे छोड़कर बाफी इलाखे की मिट्टी और मलबे को भी साथ बहा ले जाता है
36:13अब ज़रा देखिए उत्तरक्षण में 1970 से 2025 के बीच लैंड स्लाइड, मड स्लाइड या बादल फटने की कितनी घटनाए हुई
36:2812 जुलाई 1970 बेलकुची अलकननदा नदी में अचानक बाल और भूस खलन से 55 लोगों की मौत
36:3518 अगस्ट 1998 में मालपा पितोरागण में भारी वर्षा से भीशन धूस खलन 200 से अधिक लोगों की मौत पूरा गाउं बह गया
36:4416 जुन 2013 केदारनाथ में भारी वर्षा हुई, चौरा बारी ग्लेशर पिखल गया, ग्लेशर जील भटने से 5000 से जादा लोगों की मौत
36:537 फरवरी 2021 चमोली बार से जोशिमत, रैनी और हाइड्रो प्रोजेक्ट प्रभाविट 200 से अधिक मौत है
37:00अगस्ट 2023 गौईकुन में केदारनाथ वेस कैम पर भूस खलन से 10 से जादा लोगों की मौत गई लापता
37:07एक अगस्ट 2024 घंसाली टिहरी में बादल फटने से दो लोगों की मौत एक खायल
37:1430 मई 2025 रुद्ध प्रयाग एनेच केदारनाथ में भूस खलन से एक की मौत पाँच खायल
37:2118 जून 2025 रुद्ध प्रयाग में ट्रेक मार्ग पर भूस खलन से दो मौतें तीन खायल
37:2729 जून 2025 सिलाई बैंड उत्तरकाशी में बादल फटने से भूस खलन दो मजदूरों की मौत साथ लापता
37:35ये सच है कि आप दाएं कुछ प्राकृतिक हैं लेकिन ये भी उतना ही सच है कि ये इनसानों की पैदा की हुई भी है
37:45नद्यों किनारे निर्माण, विकास के नाम पर सडकें सुरंगे बनाना प्रकृति को अपने रौदर रूप में आ नहीं था
37:51ये तो आई राला राद है आज आज आज आज
37:54रित्मी के बिगड़ती तबीयत पर श्वेत पत्र में इतना ही देश और दुनिया के बाकी खबरों के लिए आप देखते रहें आज तक
Be the first to comment
Add your comment

Recommended