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00:00आरती उतारो श्री राम रखुवर के
00:22राम रखुवर के श्री राम सियवर
00:27आरती उतारो श्री राम रखुवर के
00:45आरती उतारो श्री राम रखुवर के
00:49है है है है है है तो गुरुवरे है है आज सिधार तथम वाराज के सार शाक्षिनाय सभा में जा रहे है इन्हें अशिर्वाति चिछ तदार गुरुवरे के पाऊंच हो
01:12कि शदायूशी भवर तेर्टिमान भवर पुल देवता सुर्य समान तेजस्वी भवर दीजिये प्रसाद नहीं आशिर्वाद मेरा आशिर्वाद तो सदा आपके साथ है कुमार कहां आपका आशिर्वाद मुझे तो नहीं देख रहा है
01:38किया निया है सब आजाने के लिए इतने आपूशन पहनने आवश्या के मा
01:56यहां क्यों तभी तु तुम युवराज लगोगी तो क्या बुशे ना पहनने से निवराज युवराज नहीं होते
02:04नहीं होते हैं तुम्हारा नाम सिध्धार्थ नहीं प्रेश्ण होना चाहिए था
02:10महादेवी युवराज को काला टीका लगा दे कहीं ने आपी की दृष्टी ना लग जाए
02:16लीजे दे युवराज नय सभा जाने के लिए सज्ज है
02:30मुझे इतने आप उशन पेनाती हैं ति अब तुम्हें डंक से खेवी ना सको हुआ
02:37उत्र तुम्ही उराज हो इतना बोश तो तुम्हें उठाना ही होगा
02:43चले
02:45चत्री ऐसे नहीं है ऐसे चलता है
03:00आप सभी का कपिल वस्तु की नय सभा में स्वागत है
03:05और स्वागत है हमारे युवराज सिधार्द का और कुमार देवदत का भी
03:11जो आज प्रथम बार कपिल वस्तु की नय सभा में उपस्थित हुए हैं
03:16जो जाए शांत हो जाए शांत हो जाए है महराज सुद्धोधन की आग्या से अब आज की नय सभा आरंब की जाती है
03:33अब दोनों किसान अपनी अपनी नय आए आजना लेकर महराज के संभु उपस्थित होंगे
03:43प्रणाम महराज जा या याचना है
03:52महराज मेरी याचना इस कुशल के विरुद्ध है इसने मुझसे पिछले वर्ष अनाज उधार लिया था
04:01यह कहकर कि वो अनाज इस वर्ष मुझे लोटा देगा मगर महराज आज तक इसने वो अनाज मुझे लोटाया ही नहीं
04:08कैसे लोटा हूँ महराज पिछले दो साल से उपज नश्ट हो रही है
04:12इस साल में कुछ हाथ नहीं लगा
04:14यह असत तो बोल रहा है महराज
04:16आप चाहें तो अपने सिपाई से पूछ सकते हैं
04:18जब सिपाई इसे लेने आया था
04:20उस समय भी यह अपने गेहं को ते लगा कर उसे बोरियों में बर रहा था
04:24महराज मैरे पास दो ही बोरी गेहं हूँ इसी से मैं अपने परवार का पोशन पूरे परस करूँगा महराज
04:31गेहं को तेल लगा के इसलिए रख रहा था कि बहुक खराब नहीं हो
04:35और आपके सिपाई मुझे पकड़के या ले आए तो तोबोरी गेहूं भी मैं इनको दे दूँगा तो हम खाएंगे क्या
04:42महराज अगर ये अनाज नहीं दे सकता तो इससे कहिए कि ये अपने खेट दे दे
04:47अगर मैं खेट दे दूँगा तो अनाज कभी ने लोटा पाऊंगे महराज दोनों पक्षों ने अपनी राए रख दी है अब महराज नयाए करेंगे
04:57ये वराज सद्धार्थ गुमार देवदत पहले मैं नयाए दूँगा अवश
05:06महराज मेरा मत है कि हम नयाए शत्री यवधी से करें कुशन ने गौरी को दिया वचन पूरा नहीं किया इसलिए कुशन को अपना खेट गौरी को देना चाहिए
05:20महराज एसा नयाए न करें महराज हम नश्त हो जाएंगे दया करें दया करें महराज
05:30कुमार से दार्च तुम कहो
05:35महाराज यदी कुशल कौरी को गेउ दे देगा
06:00तो अपने परिपार का पेट कैसे पालेगा
06:02खेट दे देगा तो अनाज कहां से उगाएगा
06:05और गोरी को उसका अनाज कहां से लोटाएगा
06:09वैसे भी गोरी के पास अनाज का अभाव नहीं
06:14इसलिए मुझे लगता है कि कुशल की
06:17अनार्ज लोटाने के अवधी बड़ा दी जाए
06:20मैं देदत के नियाए से समत हूँ
06:30यदि व्यापारी अपना वचन पूर्ण नहीं करेगा तो राज्य का व्यापार रुप जाएगा
06:39इसलिए कुशल को गवरी को कुछ नकुछ तो देना है होगा
06:44शमा करें महराज
06:46चलते समय मेरे पास जितने पंड थे वो सब गवरी को दे दिये मैं
06:51महराज इसने मुझे कुछ नहीं दिया महराज गवरी असत्त कह रहा है
06:56महराज मैं असत्त क्यों बोलूगा
06:58महराज आप कहें तो मैं सत्त का पिता लगा सकता हूँ
07:03खीक है तो करो परख कौन है सत्य और कौन सत्य?
07:07सिक्के दुबारी
07:09इन्तु युग्राज, ये सिक्क्य तो मेरे है
07:14साथ
07:26साथ
07:33were
07:36इस बात का क्या प्रमाड है कि ये सिक्क्य कुशल के ही है?
07:55क्यो कि जब कुशल ने सिक्के दिये तब वो गेहू को तेल लगा रहा था और तेल सिक्कों पर लगा
08:06तो जढ़ा कि मोराज के है यह है।
08:16अध्या कुषल की है है।
08:17अध्या के लिए यह प्रमारत होता है कि कुषल ने गोरी को सिख्के दिये थे
08:23और इसंके नियत में कोई खोट नहीं।
08:26कुषल कि अनाज लोटाने की अवदी बड़ा दी जाती है।
08:31और गोरी को असत्य बोलने के लिए दस कोड़े मारने का धंड सुनाया जाता है
08:36नहीं महाराज, मुझे शमा कर दो उपदो
08:39दस सिंगो के लारज ने मुझे अंता बना दिया महाराज
08:44अंता बना दिया
08:45मैं, अगर आज के बाद असत्य बोलो, तो मेरे अनाद और खेत सब आपके है।
08:51महाराज, गौरी को शमा कर दीजे।
08:54अबसे वो कभी असत्य नहीं बोलेगा।
09:02गौरी मैं तुम्हें शमा कर सकता हूँ।
09:05यदि इस न्याय सभा में कोई तुम्हारा उत्तरदाइत वो लेता है, तु दो बारा जूत नहीं बोलेगा।
09:11हाँ महाराज, तुम्हारा उत्तरदाइत वो लेने के लिए कोई तयार नहीं।
09:26इसलिए तुम्हें दस कोड़े मारने का दन।
09:30महाराज, गौरी का उत्तरदाइत वो मैं लेता हूँ।
09:40आज से ये कभी असत्त्य नहीं बोलेगा।
09:45सिथार, पता है उत्तरदाइत वो लेने का अर्थ क्या है।
09:49यदि गौरी ने दोबारा असत्त्य कहा, तो कोड़े तुम्हें खाने होंगे।
09:54हाँ, जेश्ठा, पर गौरी तो यातना से बच जाएगा ना।
09:58युराँ सिदास्की जाहो युराँस्की, जाहो
10:19चाहे लाक्स जतन करले राजन, तेरा पुत्र सन्यासी ही बने ने
10:30सारी नगर में सिद्धार्थ की न्याय कुशल्ता की चर्चा हो रही
10:40पूरा कपिलवस्तु खोशे
10:43क्या हुआ देव?
10:47यू मना शान थे
10:48आस थो आपके शत्रिय ने पूरी न्याय सभा जीत ली। न्याय करना चत्रिय का लक्शन है और उद्धी पूर्वक स्कुना ग्नी का
11:01नद अपराधी के उक्तरदाहित वोष्चन के लेना किक करूना का लक्षन है प्रजापती।
11:07और राज करुना से नहीं चलता।
11:10कि राजा को वज्र से भी कटो रोना चाहिए कि जब अफरादी के चमडी पर कोड़े पड़ते हैं तो उसे उसकी पीडा नहीं आपने न्याय कि गर्फ क्या नुबुती होनी चाहिए
11:24किन्तु देव युवराज अभी बालक है और सुभे की धूप कच्ची ही होती इसी कच्ची धूप को प्रखर करने का समय आ गया है वजापती ही कहा हम सिद्धार्थ को तक्षिला के गुरुकुल भेज़ें
11:43सिद्धार्थ तक्षशीला नहीं जाएगा तो क्या आप सिद्धार्थ को गुरुकुल की शिक्षा से बंचित रखेंगे मैं उसके लिए यहीं गुरुकुल बनाऊंगा मेरी आखें ही उसके लिए तक्षशीला होगी हमारे कुल के सभी बालक एक साथ यही पढ़ेंगे
12:06कि कपिल वस्तु मैं आप अजय करते देता था क्यों ने करूँ मुझे सब पर क्रोदा रहा है कि मेरा नयाय उचे था महराज भी सहमत थे फिर भी प्रजाने सिद्धार्थ किराम की जैजेकार की क्यों
12:36आज़ पोचो देवधत इस भाती रोते नहीं अब तुम बड़े हो गया है यदि आप महराज से बड़े होते तो राजगद्धी हमारी होती देवधत
12:46सची तो कह रहा है वो इस बाती बड़ा होकर भी देवधत छोटा नहीं बनता आप इसके पिता है आपके आखों में इसके आस्वों का कोई मूली नहीं क्या चाहते हैं आप कि देवधत भी सिद्धार्थ के पीछे पीछे घुमता रहे जैसे के आप महराज के पीछे घुम
13:16देवधत के आस्वों का मूल्य कौन चुकाता है महराज शिद्धोता पत्वा जुवराज सिद्धार्थ
13:46महराज, जेव कित्तियों है रत्ती भर भी अंतर महीं है
14:00जान रहें, किसी को पता ना चला है
14:05महराज, अगर मूव बंद करने का कुछ मूह ले मिल जाता तो
14:16कृणितों, मैं शोयम भी नी रखता
14:37खेलोंगे हमारे साथ?
14:38नहीं
14:46कुमार, वहां मत जाए, वहां युगराज खेल रहे हैं
14:57चल्ड
15:16करता है
15:36आए
15:38यही वो लड़गा है, महादेवी.
15:55क्या नाम है तुम्हारा?
15:57चन्ना, चन्ना महादेवी.
15:59यह तुम्हारा पुत्र है, सूर्य?
16:01जी.
16:02बीतर आओ.
16:03जी, नहीं, राज, मैं आँ ठीकू.
16:06वो सार्थी पुत्र है, वो भीतर नहीं आ सकता.
16:09क्यों?
16:10वो ओची जातके हैं, उन्हें छोते नहीं.
16:15ओची जात?
16:18यह जात क्या है?
16:20जैसे आप योवराज हैं, और वो सार्थी पुत्र है.
16:26तो?
16:28वो मुझसे बेन कैसे?
16:29आपका जन्म राजप्रासाद में हुआ है, इसलिए आप योवराज हैं.
16:34और वो छोटे घर में रहता है, इसलिए सार्थी पुत्र है.
16:38इसमें क्या बेन रता है?
16:40गाव होने पर, उसे भी तो रखताता है.
16:47जब आप बड़े हो जाएंगे, तो अपने आप समझ जाएंगे.
16:50पर मैं तो अभी समझना चाता हूँ.
16:52अरे, नहीं नहीं उराज, यह क्या कर रहे हैं आप, हमें नहीं छूते, हम उच्छी जाती के हैं, हमें छुना पाप है.
17:13आज यदी यह मुझे छूता नहीं, तो मैं बच्चता कैसे, मैं तो घाल हो जाता.
17:20महाँ देवी?
17:39देवदत कैसा है? उन्हें अधिक चोट आई है, और यह बात में मुझे अब बता रही हैं.
17:44चल्व.
17:45देवदत, महाराज को पता चलेगा, तो क्या होगा, तुम्हें पता है?
17:51देवदत कैसा है, अमंगला देथी?
17:55देखो न, सिधार्थ को बचाते बचाते घोड़े पर से गिर गया, भाईयों का प्यार तो देखो जरा.
18:05सिधार्थ, तुम ठीक तो हो?
18:11ठीक तो हो?
18:12यह, फटाव इसे यहां से. इसी के कायन सब कुछ हुआ. यही बीच में आ गया था.
18:17और मैं अश्वली अंदरन खो बठा और कि बड़ा?
18:20पजाव इसे यहां से. ओची जात.
18:25श।
18:29यह मेरे साथ है, जोष्टा.
18:31यदि यह तुम्हारे साथ है, तो मैं तुम्हारे साथ नहीं.
18:34देवदत, क्या कह रहे हो? युवराज है यह?
18:41कोई बात भी मंगला देदी?
18:43हमें तो इस बात का संतोश है, कि दोनु कुमार स्वस्थ है.
18:48एक बात और मंगला देदी, यह बात महाराज तक ना पहुंचे.
18:53अन्यथा, अकारण ही उवराज को लेकर चिंतित हो जाएंगे.
19:04मैं भी तो यही चाहती हूं, कि महाराज को पता ना चले.
19:11देवदत!
19:12अच्छा हो, सर्च लगया हाद से. अन्यथा, आज तो मेरा आखेट बन ही जाता हूं.
19:22आखेट करना है? तो धैरे रखना सीखो. अन्यथा स्वयम ही आखेट बन जाओगे.
19:35दोरु नंदन? जी?
19:38जी?
19:42ची, कहिए क्या आदेश है?
19:58महाराज के आदेश का पालन होना चाहिए.
20:01जी?
20:02हम सब कहां जा रहे हैं?
20:06हम सब हर वर्ष की बाती वप्रमंगल उत्सब के लिए जा रहे हैं.
20:09हम सब कहां जा रहे हैं?
20:20हम सब हर वर्ष की बाती वप्रमंगल उत्सब के लिए जा रहे हैं.
20:23हर वर्ष की बाती वप्रमंगल उत्सब के लिए जा रहे हैं.
20:26तो क्या हर वर्ष की बाती आमिताबुआ भी आएगी?
20:30हाँ, आएगे.
20:32और या शोद्रा?
20:33वो भी आई.
20:34महाराज, खेतों के उपज फूले फ़ले, इसलिए भगनी व ब्रामनों को भोदान दीजी.
20:59परंतु हमारी भगनी अभितक देवदा से आई नहीं, गुरुवारी.
21:02ये शोद्रा, क्या ये तुम्हारा हाथी है?
21:26हाँ, कुंच है इसका नाम.
21:28क्या ये मेरा मित्र बनेगा?
21:30हाँ, बनेगा.
21:32वैसे तो वो रथ या पालखी से आती है, इस बार वो हाथी पर कैसे आए?
21:40ये आती जान बूचकर हमें नीचा दिखाने भेजा है महाराज दंडपानी ने.
21:46हमसे ये सिद्ध हो जाए, क्यों हमसे अधिक थनी है?
21:50ये आतीने महाराज, उनका आंकार है.
21:54पल्लू से ढगती है मेरी पुत्री को, इसका आर जानती हो?
22:20क्या? अब से ये तुम्हारी हुई.
22:25तुमसे किसने कहा कि ये पराई है? ये तो पहले से ही हमारी है.
22:30क्यों ये शोद्रा?
22:40भाया, हर वर्ष की भाती, इस वर्ष भी कपलवस्तू के खेतों की उपच फले-फुले.
22:50अज़ रवड़ में जा एक ररे पले-बड़र.
22:55क्यभर में में से बालाँ, Nev .
22:59इसक्सम्हारी है.
23:00मुले में सहिए मार्णय में जानती है.
23:05मुले मैं तुम्हारी जानती है.
23:08वह बहुनाती है.
23:11झाल झाल
23:41झाल झाल
24:11झाल
24:41झाल
25:11झाल
25:41झाल
26:10झाल
26:11झाल
26:12झाल
26:14झाल
26:18झाल
26:20झाल
26:21झाल
26:22झाल
26:26झाल
26:27झाल
26:29झाल
26:31झाल
26:33झाल
26:34झाल
26:35झाल
26:36झाल
26:37झाल
26:38झाल
26:39क्या उस हाथे जैसा तुम्हें मेरे सर पर भी काटा दिखाई दे रहा है?
26:47निकाल दू?
26:51निकाल दू?
26:55निकाल दू?
26:57निकाल दू?
26:59निकाल दू?
27:03यह दरखिया
27:05इसका?
27:07इसका रंग इतना बिन क्यों है?
27:13अब क्या उतर देंगे?
27:15कैसे संजाएंगे
27:17कि सफेद बाल ब्रिद्धत्र का संकेत है
27:21फिर वो पूछे का ब्रिद्धत्र क्या होता है?
27:25कुमार
27:27जैसे आपके छोटे पुराने दाट तूटकर नयदात आ गये
27:33उसी प्रका मालों का रंग बदलकर वो गिर जाते और उसकी जगह पे नए बाला जाते
27:41जैसे जैसे पेड़ की पत्ने अपना रंग बदलती है
27:47कि बेगुल वैसे हैं कि सही समय प्याइब युवराज को नींद आ रही है ले जो
27:55कि युवराज का ध्यान सुक्ष्म बातों पर है बुद्धी कशाग रहें और निरिक्षन तिक्ष आज तो बाट तल गए
28:15किन्तु कल कल गोशना कर दी जाएगी राज प्रसाद में सब सर ढख कराएंगे और इस्तियां सर पर मेंदी के पत्तों का लेप लगाएंगी के इस का रंग बदल जाएगा नहीं देव क्या हमसे धार्थ को सचाई नहीं बता सकते
28:34अतीत की अलोचाना मनुष्य को उदास करती है और भविष्य की कलपना उसे निर्बल इसलिए वर्तमान में जियो प्रजापती मेरे लिए हर वो सत्या सत्या है तो सिदार्थ को जीवन की व्यथा का परीचे दे और हां सिदार्थ को प्रातक काल जगा देना गुर्जनार है
29:04जैसे आपके छोटे पुराने दाट फूर कर नए दाता आगे हैं उसी प्रका है बालों का रंग बदल कर वो गिर जा दाता है
29:34छो राज ये सारे ब्रामण वेद के आंगे
29:42गुरु कॉंडिल आपको शास्तर की शिक्षा देंगे गुरु आश्वप्त पाद तुम्हे घोडसावारी सिखाएंगे
29:52राज नेति का ज्यान गुरुवर्य तुम्हें देंगे है छंद एवं व्याकरण गुरुवर्य UXI
30:04विज्ञान में खुशल है, आच्छे ये सारे ब्राम्वन तुम्हारे गुरु है, इनके आदेश का पालन करना तुम्हारा धार्म है, इनके आशिर्वात लोग है, तो तुमने शिक्षा नप्रात करने का हट छोड़ी दिया, अब से तुम सिद्धात के साथ ही पड़ो,
30:34जी महाराज, क्या रहा था जब जिवराज सिद्धात पढ़ाई करने गुरुपल जा रहे हैं, तो मैं अकेला क्या करूंगा?
30:58महाराज, हाती और कुवारी का सामने आना अच्छा शगोल है, जिवराज,
31:04अवश्य महान विद्वान बनेगे.
31:06चमा करे, गुरुवरिया, केवल महान विद्वान नहीं, महान राजा बनेगी.
31:14ऐसा योद्धा जिसे संपुर्ण भारत वर्ष ने कभी न देखा.
31:18यह क्या है?
31:25दीपक.
31:26यह दीपक ग्यान और ध्यान का प्रतीख है.
31:31वो क्यासे?
31:33जब यह प्रकाषत होता है,
31:38तो हम निकतम जगत को जान लेते हैं.
31:41और ध्यान का प्रतीख इसलिए,
31:43कि जब यह प्रकाषत होता है,
31:46तब सबका ध्यान उसी की और आकर्शथ होता है.
31:49शिक्षा का प्रारम्भ हम भ्रम मनाज से करेंगे.
31:52अर्थात, ओम के उचारन से करें, जब तक ये दीपक मंगल नहीं हो जाते, सब को उचारन करते रहना होगा
32:22करें, पिलिए को उचारन करते रहना होगा
32:52मेरी फेकी गिल्ली सिद्धात कभी नहीं ढूंदाएगा रात तक भी नहीं
33:11गिल्ली मिल गाई जाई इसका लो तुम तो कहते थे कि सद्धार तुमारी गिल्ली कभी नहीं ढूंद पाएगा जून ली ना असने गिल्ली अब तुम अपनी आके बन करो जैना अब तुमारी बारी है
33:31अब करो हम एपने करो में बॉक आके आके नहीं
34:01कि अधिए टूंदी मैंने ते दाट से भी कम समय में लेकिन इसा कैसे हो सकता है
34:12कि अज़ाए अज़ा पर गिल्ली तो यहां है
34:24कैसे दून सकता है अवश्य इसने हमें दूसरी गिल्ली दिखा दि नहीं सिधार तर सत्य कभी नहीं बोल सकता तो मैं सत्य बोल रहा हूं ध्यान रहे मैं जेश हूं कपट से धर नहीं किया है
34:42कर दो अगर कैसे चला गया
34:54क्या हुआ? सिधार? क्या हुआ सिधार को?
35:24सिधार, तुमने सत्य कहा, तुमने कबट से खेल जीता, महराज को इस बात का पता चलेगा, तो उन्हें कितना दुख होगा, जानते हो तो, तुमसे यह पिक्षा नहीं थी मुझे, सच कहके हार जाते तो इतना दुख नहीं होता, तुम्हारा दंड यह है, कि मैं तुमसे अब
35:54यही है वो गिल्ली, तो मैंने फेकी थी, देखो, इसका पोना तूता है, जिस्ता के थी काईवी गिल्ली, दूसरी थी, को पड़ जिस्ता थे नहीं किया महराजिनी,
36:24कर दोक्भ pa Campus है, कि दोते हैं तुम मpent, सच कहारा देकी कईवी पर बीजा सबуди तूता है, जिस्ता कि अघ्जा यहीं किया महरा पन्सके अजिए कि उत दूता है, एक महरा थे दोता है जिस्ता ह्वारम किम्तार चूता जिस्ताओ पनले गिल्कव ख辞एू किनी तोकर दुमसे
36:54पुद्र, तू सही था, तू तूने प्रतिकाहर क्यों नहीं कियों?
37:22क्यों नहीं कहा, कि असत्य तूने नहीं, देवदत ने कहा था?
37:28अमा, आपी ने तो कहा था, बड़ों का मान रखना, मैं चीष्टा को जूटा कैसे कहता?
37:38यदि वो जूटा प्रमानेत होते, तो उने डंड मिलता.
37:42किन्तु दंड तुझे मिला सिधार, सत्य का आच्रेंड देवदत में किया, तू सच क्यों नहीं बोला?
37:50मैं सच्चा था, इसलिए चुप रहा, क्योंकि सत्य स्वेम प्रकाशित होता है, उसे कोई चुपा नहीं सकता, ऐसा मैंने इंग कुरुजी कहते हैं.
38:02कि तु वेवार में ऐसा नहीं होता, पुत्र, स्वेम को बचाना मनुष्यका करता वे.
38:10अर्थार्थ जूटका आचरेंट करता है?
38:13पुत्र, घरे सोने में भी जब मिलावट होती है ना, तभी आपूषन बनता है.
38:22अपसे याद राकूंगा, मा.
38:24अच्छा बता, अब मेरा क्या प्राहिष्यत है? अकारण ही तुझे दंड दिया.
38:40क्या है, अब मेरा कारेंगा अचर्ण करता है.
38:55अब मेरा क्या है, अब मेरा क्या है.
39:01झाल झाल
39:31आज तुम्हारे सूर करुणा से बरे रहे है रजाबक, तुम दुख्य हो
39:48हाँ देव
39:55एक बाँ के लिए इससे बड़ा दुख्या होगा
40:01कि वह अपने पुत्र को समझी नहीं पाई
40:05ऐसा लगता है जैसे आठ साल की उम्र में कोई असी साल का विचारक बंदी
40:14देव, पत्थर सामने आ जाएं, तो पेड़ की जड़े भी उन्हें काट कर अपना रास्ता बना लेती है
40:27किन तो यह बाला यह तो अपने बारे में कुछ सोचता ही नहीं
40:35सामानियम बनुष स्वार्थ भी नहीं उसे दर्ण डेकर तुम स्वायम को दुखी कर रहे हो पेजाबत उसे लड़ना सिखाए
40:44सिदार्थ को लड़ना सिखाए यह देव तुम चिंता बत करो दीवी
40:49कि मेरे जीवन का देय यहीं है कि सिदार्थ भारतवर्ष का सबसे बड़ा योद्धा परे तो समराठ सिदार्थ कौतं कहला है
41:01कि
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