Ek Sanmp Ne Dekho Budhi Maa Ke Dudh Ka Karz Kaise Nibhaya? Islamic story in Urdu in HindiHindi
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00:00मगरिब की अजान का वकत था एक बरगत के दरखत के नीचे आज किसी की जन्नत आहें बर रही थी सिस्किया ले रही थी उसकी एक आँख तो थी नहीं और दूसरी से भी धुंदला सा दिखाई देता था आज फिर एक बेटे ने अपनी माँ पर क्यामत ढादी जिस बेटे को �
00:30पर अल्ला के हुकम से कैसे एक सांप उस बुडिया का बेटा बना और किस तरह उस सांप ने वो कर्ज निभाया जो दुनिया का सबसे बड़ा कर्ज है जो उसके बेटे को निभाना चाहिए था यानि दूद का कर्ज बुडिया के हाथ में दूद की छोटी सी बोतल पकड़
01:00उसे तर्स खा कर दे गया था कि मा जी इसको पीकर घुजारा कर लेना बाकी अल्ला अपने बंदों को कभी भूका नहीं रखता तुझे भी वो रिज्क जरूर देगा बुरिया को जब भूक ने बहुत ज्यादा स्ताया तो वो दूद की बोतल खोल कर दूद पीने ही वाली
01:30कोशिश कर रहा है सांप काफी जखमी हो चुका था लेकिन जोगी के हाथ ना आया फिर करनी खुदा की यह हुई सांप रिंगते रिंगते उस बोरिया के पलू के नीचे चुप गया बोरिया बीचारी की उपर की सांस ओपर और नीचे की नीचे रह गई वो दर के मारे कां�
02:00मेरी मदद करो मुझे अपने आंचल में छुपा लो बुरिया को सांप पर बहुत ज्यादा तर्स आया वो हैरान थी ये इनसानों की तरह बोल भी रहा है इतने में सांप फिर बोला मांजी मैं तुम्हारा ये एहसान जिंदगी पर नहीं बूलूँगा बुरिया ने तर्स खा
02:30को देखा बुरिया कांपती आवाज में बोली नहीं बेटा मैंने यहां किसी सांप को नहीं देखा लेकिन जोगी को बुरिया पर शक होने लगा वो कहने लगा लेकिन तुम आदी रात यहां पर क्या कर रही हो बुरिया ने बात को टालते हुए कहा बेटा मैं लकडिया का�
03:00बुडिया के पलू से बाहर निकला और कहने लगा मांजी आपने मेरी जान बचाई आप बताएं आप क्यों रो रही हो और मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ इतना सुनते ही बुडिया की आंखों से दर्या बहने लगे फिर उस बुडिया ने साप को अपना वो दर्दनाक व
03:30पैदा होने वाला था तो मेरा शोहर दुनिया से चल बसा
03:33सुस्राल वालों ने शोहर के मरने के बाद मुझे दक्के दे कर घर से निकाल दिया
03:38कहीं इसे गर में से हिस्से न देने पड़ जाएं
03:41वहीं गाओं के एक रईस आदमी ने तर्स खाकर मुझे एक मट्टी की कुठिया सी बना दी
03:47जिसमें मैं अपना घुजर बसर करने लगी
03:49फिर एक दिन वो वकत आया कि अल्ला ताला ने मेरे आंचल में एक खूबसूरत चांद अदा किया
03:55जिसको पाकर में दुबारा से जीने लगी थी
03:59वो मेरा बेटा मेरी आंख का तारा था
04:01बेटा पता है आपको
04:03जब मेरा बेटा बहुत चोटा था और गुजारा बहुत मुश्किल से होता था
04:08तो मैंने लोगों के घरों में काम करना शुरू किया
04:11लोग मुझे काम देने से इंकार करते थे
04:13कि ये तो छोटा सा बच्चा खिलाती रहेगी सारा दिन
04:16काम क्या करेगी
04:18लेकिन मैं अपने डुपटे से
04:19अपने बच्चे को अपनी कमर पर बांध लेती
04:22और लोगों के घरों में जाड़ू पोचा करती थी
04:25ताके अपने बच्चे की हर खोयश को पूरा कर सकूँ
04:28फिर वो मेरा बेटा देखते ही देखते पांच साल का हो गया
04:32एक दिन मैं अपने बेटे के साथ
04:34काम काज करके घर वापस आ रही थी
04:36के रास्ते में हम मा बेटे का एक्सिडन्ट हो गया
04:40और मेरा बेटा एक आँख से महरूम हो गया
04:43इस बात ने मेरे सीने को फाट डाला
04:46मैं ये सोचने लगी मेरी जिन्दगी किस काम की
04:49जब मेरा बेटा बड़ा होगा
04:51और सब लोग उसे एक आँख से काना कहेंगे
04:54तो मैं तो जीते जी मर जाओंगी
04:56मैंने तो अपने बच्चे के लिए बहुत ज्यादा खवाहिश रखी है
05:00मेरा बेटा पड़े लिखेगा बड़ा अफसर बनेगा
05:03मैंने बहुत कुछ सोचा लेकिन मेरा बेटा एक आँख से महरूम हो गया
05:08मैं जल्दी से अपने बेटे को हॉस्पिटल लेकर पहुंची
05:26मैंने डॉक्टर से कहा डॉक्टर साहिब मेरी दो आँखे हैं
05:29तो आप ऐसा करें मेरी आँख मेरे बेटे को दे दे
05:32मैं एक आँख से गुजारा कर लूँगी
05:34लेकिन मैं अपने बेटे की एक आँख देख कर मैं उसे बरदाश्ट नहीं कर पाऊंगी
05:40डॉक्टर ने कहा माँ जी आप काम कैसे करोगी
05:43आप पहले ही बहुत कमजोर हैं
05:45मैंने डॉक्टर के आगे बहुत जिद की
05:47डॉक्टर ने मेरी एक आँख निकाल कर
05:50मेरे बेटे को दे दी
05:51कुछ ही महीनों में मेरा बेटा तन्दरूस्त हो गया
05:54मैंने अपने बच्चे को स्कूल दाखिल करवा दिया
05:57और उसी स्कूल में मुझे भी जाड़ू पोचे का काम मिल चुका था
06:01लेकिन मेरा बच्चा मुझे एक आँख से महरूम देखकर
06:05मुझे से नफरत करने लगा
06:07वो मुझे से दूर भागता था
06:09अभी था तो वो छोटा
06:10लेकिन उसके दिल में मेरे लिए बहरे लीसे बहुत सखक नफरत भर चूकी थी
06:14मैं उसके डर सेशकूल में उसे अपना बेटा नहीं मानती थी
06:18क्योंकि मेरे बेटे ने मुझे सकती से मना किया था
06:22जिस दिन आपने ये कह दिया
06:24मेरे दोस्तों के सामने कि मैं इसकी माँ हूँ
06:26उस दिन माँ तू मेरा मरा हुआ मूँ देखेगी
06:29मैं वही चुप कर गई
06:31फिर मेरे बेटे की देखते ही देखते नफरत इसकदर बढ़ गई
06:35कि जैसे जैसे वो बड़ा होता गया
06:37मेरे पास बैठ कर खाना नहीं खाता था
06:39कहता था माँ मुझे तुम से क्रैत महसूस होती है
06:43क्योंकि तुमें अल्ला ने इतना बुरा बनाया है
06:45मैं कहती थी बेटा मैं तेरी माँ हूँ
06:48दो निवाले मेरे पास बैठ कर खा लिया कर
06:51मेरे कलेजे को ठंडक महसूस होती है
06:53अगर मैं अपने बेटे के पास बैठ जाती
06:56तो मेरा बेटा गुसे से खाना फैंक देता
06:58इसी वज़ा से मैं अपने बेटे से दूर रहती
07:02लेकिन मेरा दिल हर वकत कहता था
07:04कि मैं इसे सीने से लगा लू
07:06अपने सारी ठकन दूर कर लू
07:08लेकिन बेटे की नफरत के आगे
07:10मैं हार चुकी थी
07:11अब मेरा बेटा जवानी की दहलीज पर आ चुका था
07:15और उसे अवारा दोस्तों के साथ
07:17दोस्तियां लगाने का शौक उठा
07:19सिगरेट पीने लगा
07:20और भी बुरे कामों में पढ़ चुका था
07:23एक दिन मुझे बहुत तेज बुखार था
07:25मैंने काम से छुटी की
07:27और गर पर अराम करने लगी
07:29मैं अपने बेटे का इंतजार कर रही थी
07:31काश मेरा बेटा जल्द आ जाए
07:33और मुझे कहीं से दुवाई ला दे
07:35ताके मेरी जान को सुकून हो जाए
07:38लेकिन मेरा बेटा उस दिन घर ना आया
07:40मैं ऐसे ही बुखार से तडपती रही
07:42दिन भी गुजर गया
07:44रात भी गुजर गई
07:45अगला दिन आ गया
07:47लेकिन मेरा बेटा घर ना आया
07:49मैं माँ थी
07:50मेरा दिल तडपता था
07:51मैंने चद्दर ली और बाहर निकली
07:54अपने बेटे के दोस्तों से पूछा
07:56बेटा तुमने कहीं मेरा बेटा देखा है
07:59मेरा लाल कल से घर नहीं आया
08:01मुझे बड़ी फिकर सता रही है उसकी
08:03लड़के बोले अम्मा कौन बेटा
08:06किसका बेटा आप बिलाल की बात कर रही है
08:09क्या सच में वो आपका बेटा है
08:11बूरिया बोली हाँ पुतर
08:13वो मेरा ही बेटा है
08:14मेरा लाल है कल से घर नहीं आया
08:17मुझे उसकी फिकर सता रही है
08:19वो लड़के बोले मां जी चुपचाप घर चली जाओ
08:22वो शाम तक आ जाएगा
08:24शाम को जब मेरा बेटा घर आया
08:26तो उसने आओ देखा न ताओ
08:28लकडी की एक छड़ी ली
08:30और बुकार की हालत में
08:32मुझे इस कदर मारा
08:33के जगा जगा पर च्छाले बन गए
08:35मेरा पूरा जिसम कांप रहा था
08:37मैंने इतना पूछा बेटा
08:39मेरा आखिर कसूर क्या है
08:41मैंने क्या गलती कर दी
08:43बेटा बोला आखिर तु मेरे
08:45दोस्तों के पास लेने क्या गई थी
08:47उन्होंने मेरा इतना मजाक उड़ाया
08:49मैं किसी को मूद दिखाने के
08:51काबल नहीं रहा
08:52अब मुझे वो कानी का बेटा कहकर बुलाते है
08:55मेरी तो तूने दो टके की इज़त नहीं रहने दी
08:58ना तू कहीं मरती है ना मेरी जान छोड़ती है
09:01और तू तो मेरे साथ गूंद की तरह चिपकी हुई है
09:04तू तो मेरा पीछा नहीं छोड़ेगी
09:06अच्छा करता हूँ मैं ही गर छोड़कर चला जाता हूँ
09:09मैं अपने बेटे के कदमों में गिर गई
09:11बेटा तू चला गया तू मैं जीते जी मर जाऊंगी
09:15तू मुझे छोड़कर मत जा
09:16आज के बाद मैं किसी को नहीं बताऊंगी
09:19कि तू मेरा बेटा है, बस तू खुश रहा कर, बस मेरी नजरों के सामने रह, मैं बस तुझे देख कर जीलूँगी, फिर देखते ही देखते, मेरे बेटे का रोज का ममूल बन गया, कभी पांच दिन, कभी दस दिन, कभी महीने के बाद घर आता, अब मुझे अपने बेटे क
09:49अपने हाथों से करूँगी, लेकिन ये भी शायद अल्ला को मनजूर न था, जब एक पूरे महीने के बाद, मेरा बेटा घर आया, तो साथ में एक दुलहन थी, मैं उसे देख कर हक्की बक्की रह गई, बेटा बोला, क्या देख रही हो मा इतनी आँखे फाड़ कर, दिख �
10:19मैं ये बात भी चुपचाप सह गई, चलो कोई बात नहीं, मेरा बेटा मेरी आँखों के सामने तो रहेगा, लेकिन मुझे क्या पता था, जो मेरी आने वाली बहु है, वो मेरे बेटे से भी चार कदम आगे निकलेगी, उसने आते ही माथे पर बहुत ज़्यादा बल ढाले
10:49करवाती, कभी कोई हुकम देती कि जाओ मेरे लिए चाए बना कर लाओ, जाओ मेरे लिए खाना बना कर लाओ, मैं बूरी हडियों के साथ अपनी बहु की खिदमते करती रहती, लेकिन मेरी बहु फिर भी मुझसे राजी ना हुई, कभी-कभी तो मेरी बहु और बेटा गर स
11:19फिर एक दिन हमारे गर में खुशी की खबर आई
11:22मेरी बहु माँ बनने वाली है
11:24मेरा बेटा भी बहुत ज्यादा खुश था
11:27और मुझे कहने लगा माँ
11:29मेरी बीवी की बहुत ज्यादा खिदमत करना
11:32उसे किसी चीज की कमी महसूस ना होने देना
11:35उसने मुझे बहुत बड़ी खुशी दी
11:37और मैं कुछ दिनों के लिए काम पर जा रहा हूँ
11:40और वहां पर मुझे काफी दिन लग जाएंगे
11:43मैंने कहा बेटा तू खैरियत से जा
11:45मैं बहु का पूरा ख्याल रखूंगी
11:48जब मेरा बेटा चला गया
11:49तो बहु कहने लगी
11:51क्या मेरा मुझ देख रही हो
11:53चलो जल्दी से मेरे लिए खाना बनाओ
11:55और हां चाय में ज़रा दूद ज्यादा रखना
11:58और चीनी काम
11:59ज्यादा चीनी पीने से मेरा बीपीलों हो जाता है
12:02मैं गिरते पड़ते बहु के लिए खाना बनाती
12:05खाना खाने के बाद मेरी बहु अराम करने लगती
12:09और मुझे कहती बैठ कर दुबाओ
12:11तेरे हाथ रुकने नहीं चाहिए
12:13मैं बिमार भी थी और कापते हाथों से
12:16अपनी बहु के कभी पाउं दुबाती
12:19कभी टांगें दुबाती
12:20एक तिन अल्ला की करनी ये हुई
12:22बहु की आँख लग गई
12:24और मैं उसको दुबाते दुबाते
12:26नीद से निडाल हो रही थी
12:28नीद का जोंका आया
12:29अचानक मेरा सर बहु के पेट पर जा लगा
12:32न जाने अभी मेरे उपर और गमों के पहाँ तूटने थे
12:36जरा सा सर लगने की देड़ थी
12:38बहु की हालत बुरी हो गई
12:40और बच्चा जाया हो गया
12:42मैं डर से काफने लगी
12:44के अब न जाने
12:45बहु मेरा क्या बुरा हाल करेगी
12:47बहु ने अपनी तबियत न देखी
12:49और अपनी टांगों से मुझे मार मार के
12:52जमीन पर फैंक दिया
12:53मैं माफिया मांगती रही
12:55मिनते करती रही
12:57बहु मुझे छोड़ दे
12:58मैंने जान बूज कर कुछ नहीं किया
13:00मुझे बहुत नीद आ रही थी
13:02उमर का भी तकाजा था
13:04तो पता नहीं चला
13:05लेकिन बहु ने मेरी एक ना सुनी
13:07इतने में मेरा बेटा भी घर आ चुका था
13:10मेरी बहु ने सारी कहानी
13:12मेरे बेटे को सुना दी
13:13और बेटे ने मेरी एक ना सुनी
13:16और कहने लगा
13:17बच्पन से तु मेरी दुश्मन है
13:19और आज तुने मेरे बच्चे से दुश्मनी ले ली
13:22ऐसी मासे में ऐसे ही अच्छा
13:24खुदा का वास्ता मुझे और मेरी बीवी को सुकून से रहने दो
13:28और इज़त से खुद ही ये गर छोड़ कर चली जाओ
13:31वरना मैं तुझे धक्के दे कर यहां से निकाल दूँगा
13:35मैं कापते हाथों से बेटे के आगे मिन्नत करती रही
13:38बेटा मैं बूरी हूँ कहां जाओंगी
13:41लेकिन बेटे की आँखों में खून उतर आया था
13:45वो कहने लगा जिदर मर्जी जा लेकिन हमें सुकून से रहने दे
13:49मैंने सबर शुकर करके अपने कपड़ों की पोटली उठाई लाठी थामी
13:54और बेटे से कहने लगी बेटा तेरी मा जा रही है
13:58आखरी बार उसे गले से लगा ले
14:00बच्चपन से तुने मुझसे नफरत की
14:02मुझे गले नहीं लगाया
14:04आज मैं जी भरकर तुझे एक बार गले से लगाना चाहती हूँ
14:08फिर मैं तुझे कभी नजर नहीं आऊँगी
14:10लेकिन बेटा मुझ को दूसरी तरफ फेर कर खड़ा रहा
14:14और बहु कहने लगी ये डरामे बाजिया बंद करो
14:17जब तेरे बेटे ने तुझे बोल दिया
14:19तो तु कितनी डीट है जा यहाँ से
14:22फिर मैं लाठी टेकते हुए
14:24कभी किसी दर पर गई
14:26कभी किसी दर पर गई
14:27कोई एक दिन भी मुझे खाने को ना दे सका
14:30फिर अल्ला के आसरे
14:32चलती चलती इस द्रकत के नीचे आकर बैठ गई
14:35और राह चलता मुसाफिर मुझे ये दूद की बोतल दे गया
14:39और कब से हाथ में पकड़े हुए हूँ
14:41दिल में सोच रही हूँ
14:42पता नहीं मेरे बच्चे ने खाना खाया होगा के नहीं
14:46पता नहीं मेरी बहुने उसे रोटी भी दी होगी के नहीं
14:50ये सोचकर मैं इस बोतल को मुझे लगा रही
14:52सांप देखने को तो बेजुबान था
14:55वो बुडिया की बाते सुनकर कांपने लगा
14:57सांप को भूक काफी ज़्यादा लगी हुई थी
15:00बुडिया ने वही बोतल वाला दूद एक प्याले में डाला
15:04और सांप के आगे रख दिया
15:06सांप गटा गट वो दूद पी गया
15:08और कहने लगा मां जी आज के बाद तुझे ये महसूस नहीं होगा
15:13तेरा कोई बेटा नहीं
15:15आज के बाद मैं तेरा बेटा हूँ
15:16और तेरे इस दूद का कर्ज जुरूर जुकाऊंगा
15:20मां जी के दिल का बोज हलका होने लगा था
15:23लेकिन उसे क्या खबर थी
15:24जो सांप उसका बेटा बन कर आया है
15:27वो ऐसा कमाल दिखाएगा
15:29के गाउं वाले बरसों तक
15:31उसका किस्सा सुनाएंगे
15:32अगली सुबह सूरज निकला
15:34तो मट्टी की एक नई कोठडी तियार खड़ी थी
15:37डिवारों पर ताजा मट्टी की कुश्बू
15:39छट पर गास
15:41और चारपाई पर साफ सुत्रा बिस्तर
15:43बुडिया हैरत से
15:44सब देख रही थी
15:46कब ये हुआ
15:47रात को तो वो द्रकत के नीचे सोई थी
15:49और अब एक जौपडी
15:51जन्नत का टुकड़ा लग रही थी
15:53इतने में एक खूबसूरत नौजवान आया
15:55खूबसूरत बाल
15:57आंखों में रोशनी
15:58चेहरे पर मसूमियत
15:59मगर किसी तुफान की जलत
16:01वो माजी के कदमों में बैठ गया
16:04वो बोला माजी
16:05अब ये कोठडी आपकी है
16:07अब आपका कोई दुख बाकी नहीं रहेगा
16:10बुडिया ने कांपते हाथों से
16:12उसका सर थामा
16:13बेटा तु कौन है
16:15वो मुश्कुराया
16:16मैं वो हूँ जिसे आपने रात को बचाया था
16:19दिन को आपका बेटा बन कर रहूँगा
16:22और रात को वही सांप बन जाऊँगा
16:24जिससे सब डरते हैं
16:26माजी आपके बेटे ने आपको दुदकारा
16:29मैं आपके लिए सब कुछ कुर्बान करूँगा
16:31बुडिया की आँखों से आंसु बह निकले
16:34और उसके दिल में सुकून उतरने लगा
16:36नौजवान हर दिन बुडिया के लिए
16:39जंगल से शेहद, दूद, फाल और लकणिया लाता
16:42कभी गाउं से आटा धाल ले आता
16:44और उसके लिए खाना पकाता
16:46उसे दवाई देता, उसके पाउं दबा कर सुलाता
16:50मगर अभी तक कोई उसकी हकीकत को जान नहीं पाया
16:53शाम को नौजवान माजी के पास बैट कर कहता
16:56माजी, आप खुश रहे, आपका बेटा जो ना कर सका
17:01मैं वो करूँगा
17:02बुरिया कहती बेटा, मुझे डर लगता है
17:05मेरा बेटा और बहु जालम है
17:07वो आस्मान की तरफ देखता
17:09और उसके होंटों पर एक सकत मुस्कुराहट आ जाती
17:12माजी, उनको सबक सिखाना पड़ेगा
17:15मैं तेरे दूद का कर्ज निभाऊंगा
17:17रात होती तो नौजवान गायब हो जाता
17:20बुरिया बाहर आकर देखती
17:22वहां वोही सांप जमीन पर फन फिलाए
17:24मौजूद होता
17:26आंखों में सुर्ख चमक
17:27जिसम पर खौफनाक सुंसनाहट
17:29वो दरख्तों के बीच रिंगता
17:31और कहता माजी, सबर करो
17:34वक्त आने वाला है
17:35रात के अंधेरे में
17:37वो जंगल के जानवरों से बात करता
17:39उल्लू से खबर लेता
17:41हर रस्ते पर अपनी जहरीली
17:43महक छोड़ता, ताके कोई
17:45दुश्मन करीब ना आए
17:46हर रात जब बुरिया सो जाती
17:48तो वो साफ द्रकत के साय तले बैठकर
17:51अपनी सुर्ख आँखों से
17:53दूर गाउं को देखता
17:55जैसे किसी शिकार का इंतजार कर रहा हो
17:57सुबा होते ही
17:59फिर वो नौजवान बन कर आता
18:01माँ के कदमों में बैठ जाता
18:03उसके लिए ताजा फूल तोड़ता
18:05उसके जखमों पर मरहम लगाता
18:07उसकी जौंपडी के बाहर
18:09छोटा सा भाग लगा देता
18:11बुरिया को लगता जैसे वो फिर से जवान हो गई
18:14क्योंके अब उसे एक ऐसा बेटा मिला था
18:17जो खून का नही मगर वफा का था
18:19वकत गुजरता गया
18:21नौजवान हर दिन
18:23महबबत और खिदमत में बुरिया का सहारा बनता
18:25लेकिन उसके दिल में
18:27इंतकाम की आग हर दिन भड़कती जाती
18:30वो रात को सांप बनकर
18:32द्रक्तों की शाखों पर लिपड़ता
18:34अपनी जुबान से जहर टिपकाता
18:36और अंदेरे में खुद से कहता
18:38माजी ने जो दुख सह लिया
18:40वो इन जालमों को भी सहना पड़ेगा
18:43बुरिया अकसर रात को जाग दी
18:45उसे फुनकार की आवास सुना ही देती
18:47तो दिल में कहती
18:48या आल्ला मेरे बेटे की मदद करना
18:51और यू दिन रात
18:52ये खेल चलता रहा
18:54गाओं वाले हैरान
18:55बुरिया मुत्मिन
18:56और सांफ इंतजार में
18:58कि कब वो दीन आएगा
19:00जब बहु का पहला बच्चा पैदा होगा
19:02और बदले का पहला वार किया जाएगा
19:05वो वार जो सिर्फ जहर से नहीं
19:08बलके उनके दिल से सुकून छीन कर किया जाएगा
19:10इदर बुरिया का बेटा
19:12और बहु अभी पहले दुख से संबल ही रहे थे
19:15के वकत गुजरता गया
19:17और अल्ला ने बहु के बतन में
19:19दुबारा जान डाल दी
19:20वो फिर से उमीद से हो गई
19:22इस बार बेटा और बहु दोनों के दिल में
19:26खौफ के साथ खुशी भी बसी हुई थी
19:28बहु अपने पेट पर हाथ रखकर
19:30हर वकत दुआएं मांगती
19:32लेकिन बेटा मां के नाम से नफरत करता
19:34मगर आने वाले बच्चे के लिए
19:36मनतें करता
19:38वो कहता या आल्ला इस बार हमारी
19:40खुशी सलामत रहे बहु का
19:42रवईया फिर भी नहीं बदला
19:44वो बुडिया को याद करके तंज करती
19:47वो मनहूस औरत की
19:48बदवा ने हमें पहले ही
19:50बरबाद कर दिया बेटा हर वकत
19:52कहता खामोश रहो
19:54अब कुछ नहीं होगा
19:55ये बच्चा हमारा सहारा बनेगा
19:57दिन गुजरते गए
19:59और आखिर वो दिन आ पहुंचा
20:01जिसका दोनों को इंतजार था
20:03गर में खुशी का महौल फैल गया
20:05बहु के कमरे में
20:07बच्चे के रोने की आवाज गुंजी
20:09वो बेटे की माँ बन चुकी थी
20:11शोहर खुशी से पागल हो रहा था
20:13गाओं वाले मुबारक बात देने आए
20:15सबने कहा मुबारक हो
20:17अल्ला ने तुमें उलाद का तुफ़ा दिया
20:19बहु ने बच्चे को सीने से लगा कर कहा
20:22ये मेरा सब कुछ है
20:23लेकिन उन सब खुशियों के बीच
20:25एक साया चुप चाफ सब कुछ देख रहा था
20:28जंगल की जौपड़ी में
20:30बुरिया अपने रब का शुकर अदा कर रही थी
20:33उसकी आँखों में सकून था
20:35क्यूंकि उसके पास अब वो नौजवान बेटा था
20:38जो दिन को उसकी खिद्मत करता
20:40और रात को जहरीला सांप बनकर
20:42उन जालमों के दिल में खौफ बिठाता
20:44नौजवान ने बुरिया के सामने बैठकर कहा
20:47माजी वो दिन आ गया
20:49जिसका मैं इंतजार कर रहा था
20:51उनका बच्चा पैदा हो गया
20:53अब उनके सकून को छीनने की पहली रात आने वाली है
20:57बुरिया ने कांपते हाथ उठाए
20:59बेटा बस उनको दुख देना
21:01मगर जान ना लेना
21:03मेरा कून है
21:04नौजवान ने हलकी मुस्कराहट के साथ कहा
21:06माजी मैं जान नहीं लूँगा
21:08मगर वही दर्द चिखाऊंगा
21:10जो आपने सहलिया
21:12रात ढली तो गाउं पर खमोशी चा गई
21:15बादल चा गई
21:16हवा में अजीब सी सरसराहट फैल गई
21:19नौजवान जौपडी से निकला
21:21उसके जिसम पर रोशनी लहराई
21:22और पलक जप्ते में
21:24वो सांप बन गया
21:25आँखों में सुर्क शोले
21:27जिसम पर खौफनाक जखमों के निशान
21:30जो उसे और भी ड्रोना बना रहे थे
21:32और जमीन पर रिंगता हुआ
21:34बहु और बेटे के गर के करीब पहुंचा
21:36द्रक्तों की शाखे उसकी फुनकार से हिलने लगी
21:40गर के अंदर बहु बच्चे के पास सो रही थी
21:43शोहर खुशी के नशे में गहरी नींद में था
21:46लेकिन जैसे ही आदी रात का वकत आया
21:48सांप खिड़की के पास आकर रुका
21:51अंदेरे में उसका साया
21:52दिवार पर किसी द्यो की तरह फैल गया
21:55उसने एक बार हलकी फुनकार मारी
21:57जिसे बच्चे का रोना बंद हो गया
21:59और बहु खुआब में डर गई
22:01और उटकर चारों तरफ देखने लगी
22:04मगर कमरे में कुछ न था
22:05सांप खिड़की से रिंगता हुआ
22:07अंदर आया
22:08पालने के करीब पहुँचा
22:10अपनी ठिंडी जुबान से बच्चे का चेहरा चुआ
22:13बच्चा सुकून से हसनी लगा
22:15बहु नींद में थी
22:16सांप ने फ़न उठाया
22:18और बच्चे को आइस्ता से लपेट कर
22:20अपनी ग्रिफ्त में लिया
22:22फिर वो खिड़की से बाहर गाइब हो गया
22:24गाओं में सिर्फ हवा की साएं साएं रह गई
22:27बहु ने अचानक जाग कर देखा
22:29तो पालना खाली था
22:31उसने दिल दहला देने वली चीख मारी
22:33मेरा बच्चा मेरा लाल कहां गया
22:35शोहर बदहवास होकर धोड़ा
22:37दोनों ने पूरे घर का कोना कोना चान मारा
22:40मगर बच्चा गाओं वाले जमा हो गए
22:43कोई कहता ये जिन का काम है
22:46कोई कहता बदवा लगी
22:48लेकिन किसी को हकीकत ना पता थी
22:50वो हकीकत जो जंगल की जौपड़ी में मजूद थी
22:53वहां बुरिया के कदमों में बच्चा हस रहा था
22:56बुरिया उसे गोद में लिए प्यार कर रही थी
22:58और नौजवान पास खड़ा
23:00हलकी मुस्कुराहट के साथ कह रहा था
23:02मा जी ये बच्चा अब आपका है
23:05ये आपके दिल का सुकून है
23:07और ये तो सिर्फ शुरुआत है
23:09अभी बहुत कुछ होना बाकी है
23:11बुरिया ने रोते हुए कहा बेटा
23:13तु इन पर रहम कर
23:15नौजवान की आँखों में सुर्खी
23:17अब और गहरी हो गई
23:18मा जी रहम वहां होता है
23:21जहां दिल हो
23:22उनके दिल में रहम नहीं था
23:24अब उनके दिल से सुकून जीन कर
23:26मैं तेरे दूद का कर्स जुकाऊंगा
23:28इदर गाओं में एक अजीब सी खमोशी जा गई
23:31बहु का पहला बच्चा गाइब होने के बाद
23:34वो दिवानों की तरह चीखती रोती थी
23:37दिन रात अपने लाल को याद करती
23:39बेटा पागलों की तरह
23:41हर दरखत खेट और हर कोने में डूंटा
23:44लेकिन उसे कुछ ना मिला
23:46गाओं वाले बस सर्वोशी करते
23:48ये मां की बद्द्वा है
23:49जिसने अपनी मां को रुलाया
23:51उसका सुकून च्छिन गया
23:53वकत गुजरा
23:54मगर जखम ना भरे
23:55और अल्ला ने बहु के बतन में
23:57दुबारा जान डाल दी
23:59वो फिर उमीद से हो गई
24:00बेटे ने इस बार हर कोशिश की
24:03कुछ बुरा ना हो
24:04और रातों को जागता
24:05दरवाजे बंद करता
24:07चराग रोशन रखता
24:09हता के पहरेदार भी
24:10गर के बाहर बेठाए
24:12बहु दुआ मांग दी
24:13या अल्ला मेरे बच्चे की हिफाज़त कर
24:16लेकिन दिल का खौफ खतम ना हुआ
24:18आकिर वो दिन आया
24:20जिसका इंतजार था
24:21बहु ने दुबारा बेटे को जनम दिया
24:23शोहर की खुशी का कोई टिकाना ना रहा
24:26गाउं वाले मुबारक बात देने आये
24:28मगर ये खुशी ज्यादा देर काइम ना रही
24:30रात आई हर तरफ खौमोशी चा गई
24:33सब सो गए
24:34सिर्फ शोहर की आँख जाग रही थी
24:37उसने हर कमरे का जायजा लिया
24:39पहरेदार बाहर मुजूद थे
24:41लेकिन अंदर एक ऐसा साया दाखल होने वाला था
24:44जिसे कोई न रोक सका
24:45जंगल में जौंपडी के अंदर बुडिया बच्चे को
24:48गोद में लिये हस रही थी
24:50वो अपने रब का शुकर अदा कर रही थी
24:52उसके पास सुकून है
24:54नौजवान उसके पास बैठा बोला
24:56मा जी वक्त आ गया
24:58दूसरा वार होगा
24:59बुडिया ने आंखों में आंसू लिये
25:01कहा बेटा रहम करना
25:03नौजवान ने दीमी मुस्क्राहट के साथ जवाब दिया
25:06मैं जान नहीं लूँगा
25:08बस उनका गुरूर तोडूँगा
25:09इतना कहकर वो उठा
25:11और लम्हे में गाइब हो गया
25:13जंगल से निकलते ही
25:14वो अपने असल रूप में आ गया
25:17सुरक आंखें शोलो की तरह जल रही थी
25:19जिसम पर जहर की लकीरे
25:21जमीन पर रिंगता वो सीधा बेटे के गर पहुँचा
25:24ना कोई आवाज ना कोई शोर बस सुन सुनाहट
25:28खिटकी से अंदर दाखल हुआ
25:30बच्चे का रोना बंध हो गया
25:32बहु ने करवट बदली
25:33मगर उसे कुछ न दिखाई दिया
25:35सांप पालने के पास पहुँचा
25:37अपनी थंडी जुबान बच्चे के गाल पर लगाई
25:40बच्चा मुस्कुराया
25:41जैसे वो उसका अपना हो
25:43बहु नीद में डरी हुई थी
25:45लेकिन चीखने से पहले ही
25:47सांप ने बच्चे को अपने फन में लपेटा
25:50और लम्हे बर में खिडकी से बाहर गाईब हो गया
25:52बहु ने आँखे खोली
25:54तो पालना खाली पाया
25:56उसके हलक से ऐसी दिल दहला दने वाली चीख निकली
25:59कि शोहर बद्धवास होकर कमरे में आया
26:02लेकिन खाली पालने के सिवा कुछ ना मिला
26:05दोनों पागलों की तरह बच्चों को दूड़ते रहे
26:08गाउं वाले दोड़ाए लेकिन किसी को कुछ समझ ना आया
26:12लोग कापते हुए कहने लगे
26:14ये जिन है ये साया है
26:16इदर जंगल की जौपड़ी में वही बच्चा हस रहा था
26:19बुड़ीया ने उसे भी गोद में लिया
26:21आँखों से आंसू बहे और रब का शुकर अदा करती रही
26:25नौजवान उसके सामने खड़ा था
26:27चेहरे पर सुकून और आँखों में सक्ती
26:30वो बोला मांजी दूसरा वार मुकमल हुआ
26:33अभी तीन बाकी हैं
26:35बुड़ीया ने कांपते दिल से कहा
26:36बेटा बस दर्द देना जान ना लेना
26:39नौजवान ने दीनी आवाज में कहा
26:41मांजी उनके सुकून को खतम करके ही
26:44मैं आपके दूद का कर्ज जुका सकूँगा
26:47फिर वो साम्प में बदला
26:48द्रखत की शाख पर लिप्टा
26:50सुरुख आँखों से गाउं को देखता रहा
26:53और फुनकार कर कहा
26:55अभी खेल खतम नहीं हुआ
26:56अभी तीन वार बाकी हैं
26:58देखते ही देखते
27:00वकत घुजरता गया
27:01बहु का सबर तूटता रहा
27:03लेकिन किस्मत ने उसे बार बार मा बनाया
27:06पहले तीन बच्चे एक एक करके
27:08रात के अंदेरे में गाइब हुए
27:10कोई न जान सका
27:12कि वो कहां गए
27:13बहु पागलों की तरह हर दर्वाजे पर गई
27:16हर कोने में डूंडा
27:17मगर उसे कुछ ना मिला
27:19फिर भी वो तडपती रही
27:20रोती रही
27:21और जिंदगी ने उसे दुबारा फिर उमीद दी
27:24मगर करनी कुदा की ऐसी थी
27:27सांप ने अपना वादा निभाया
27:29बाकी के तीन बच्चे भी पैदा होते ही
27:31इसी तरह रातो रात उठा लिये गए
27:33ना पहरेदार काम आए
27:35ना दर्वाजे के ताले
27:37हर बार वही अंदेरा
27:38वही सरसराहट
27:40वही खौफनाक वार
27:41और पांचों बच्चे एक एक करके
27:44उसकी आँखों से छीन लिये गए
27:46अब बहु का दिमागी तवाजन
27:48बिगर चुका था
27:49वो कभी हस्ती
27:50कभी जमीन पर गिर कर चीक थी
27:52गाओं वाले उसे पागल कहने लगे
27:54कोई उसके करीब ना जाता
27:56बेटा भी बिखर गया
27:58उसका गरूर उसकी उमीद
28:00सब तूट गया
28:01लेकिन सच अभी छुपा हुआ था
28:03ऐसे ही दिन गुजर रहे थे
28:05एक दिन गाओं के रास्ते से
28:07एक नुरानी बुजरे उन्होंने
28:10बहु को जमीन पर बैठे रोते देखा
28:12वो उसके करीब आए
28:13और नर्मी से कहा बेटी
28:15यूं क्यूं रो रही है
28:16बहु उनके कदमों में गिर कर
28:18फर्याद करने लगी
28:20बाबा जी मेरे पांचों बच्चे कहा है
28:22मुझे बताओ क्या वो जिन्दा है
28:25या मर गए
28:26बजर्ग ने उसका सर सुहलाया
28:28और कहा बेटी तु सुन ले
28:30तेरे बच्चे मरे नहीं
28:32वो सब जिन्दा सलामत हैं
28:34उनको कोई जीनी या साया नहीं ले गया
28:36बलके एक सांप हर बार आया
28:38तेरे गर से तेरे बच्चों को उठा कर
28:40जंगल में ले गया
28:42वहां वो उन्हें महफूज रखे हुए है
28:44बहु कांपती आवाज में बोली
28:46बाबा जी वो सांप
28:48मेरे बच्चों को क्यों ले गया
28:49बजर्ग ने कहा
28:51ये सब तेरे अमाल का बदला है
28:53लेकिन तेरा वकत करीब है
28:55अब सच का सामना करना होगा
28:57तेरा रास्ता जंगल की तरफ है
28:59वही तेरा इंतिहान शुरू होगा
29:01ये सुनते ही बहु पागलों की तरह चीखने लगी
29:05बाबा जी मुझे रास्ता दिखाओ
29:07मुझे मेरे बच्चे चाहिए
29:09चाहे मेरी जान भी क्यों न चली जाए
29:11बुजूरग ने दीमे लहजे में कहा
29:13जंगल जा बेटी
29:14वही तेरा जवाब है
29:16बहु आँखों से आंसु बहाते हुए
29:18बुजूरग के कदमों में गिर गई
29:20और रोती हुई कहने लगी
29:22बाबा जी आपने ये खुशखबरी तो दे दी
29:24के मेरे बच्चे जिन्दा है
29:26मगर हमें रस्ता ना बताएं
29:28आप हमें अपने साथ लेकर चले
29:30हमें हमारे बच्चों से मिला दे
29:32मैं आपको अल्ला का वास्ता देती हूँ
29:34हमें तनहा मत छोड़े
29:36मैं कमजोर हूँ
29:37मेरा शोहर भी तूट चुका है
29:39हमसे ये रास्ता तै नहीं होगा
29:41बज़ुर्ग ने गहरी सांस ली
29:43बहु के आंसों से तर चेहरे को देखा
29:46और नर्म लहजे में कहा
29:47बेटी मैं तुमें सहारा दे सकता हूँ
29:49मगर इम्तिहान तुमें खुद देना होगा
29:52हाँ मैं तुमें इस जगा तक जरूर ले जाऊंगा
29:55जहां तुम्हारा रस्ता खतम और सचाई शुरू होती है
29:58बाकी फैसला तुमें खुद करना होगा
30:01ये कहकर वो आएस्ता आएस्ता आगे को बढ़ने लगे
30:05बहु और उसका शोहर उसके पीछे चलते रहे
30:08रात का अंदेरा गना होता जा रहा था
30:11आस्मान पर बादल चाये हुए थे
30:13द्रक्तों की टहनिया सुनसनाहट से लज रही थी
30:16हार तरफ खौफ का साया था
30:18बहु अपने शोहर का हाथ मजबूती से पकड़े रोती रही
30:22मुझे डर लग रहा है बाबा जी हमें छोड़ करना जाना
30:26बुज़रग चलते चलते बोले डर को दिल से निकाल दो
30:29तुम्हारे दिल का यकीन ही तुम्हारा हत्यार है
30:33रास्ता लंबा और खौफनाक था
30:35जगा जगा कांटे जाड़ियां और अंधेरे के साय
30:39बहु डगमगाती मगर हिम्मत नहीं हारती
30:42शोहर की आँखों में भी खौफ था
30:44मगर मुख खामोश रहा
30:46चलते चलते वो एक ऐसी जगा पहुँचे
30:48जहां से जंगल और ज़्यदा सुनसान
30:51और खौफनाक होता जा रहा था
30:53वो दोनों मियां बीवी कांपते कदमों से आगे बढ़ते रहे
30:57हर तरफ सुनसनाहट थी
30:59और दिलों की धड़कने तेज हो रही थी
31:01अचानक दूर कही रोशनी की एक लकीर नजर आई
31:04बहु के कदम खुद बाखुद तेज हो गए
31:07वो रोती हुई बोली
31:09देखो वहाँ रोशनी है
31:11लगता है वही मेरे बच्चे है
31:13शोहर ने उसे सहारा दिया
31:15और दोनों रोशनी की सिमत बागने लगे
31:17जैसे जैसे वो करीब पहुँचे
31:19मनजर साफ होता गया
31:21जंगल के बीच एक मट्टी की कुठिया खड़ी थी
31:23जिसके अंदर से
31:25हलकी हलकी रोशनी छिन छिन कर
31:27बाहर आ रही थी
31:29बहु की आँखों से आंसु बह निकले
31:31हाँ ये वही जगा है
31:33मेरे बच्चे यही हैं
31:35लेकिन जैसे ही वो दर्वाजे के करीब पहुँचे
31:37सामने एक खौफनाख फुनकार
31:39खिजा को चीरती हुई गुंजी
31:41उनके कदम वही जम गए
31:43दरख्तों की शाखे हिलने लगी
31:45हवा जहर अलूद हो गई
31:47कुठिया के सामने
31:48एक लंबा जहरीला साफ
31:50सर उठाए खड़ा था
31:52उसके सुर्ख आंखें अंगारों की तरह जल रही थी
31:55और उसका फ़न अंदेरे में चमक रहा था
31:58बीवी ने कांपते हुए शोहर का बाजू पकड़ा
32:01और लरस्ती आवाज में बोली
32:03यही वो साम्प है
32:04यही है जिसका बुजूर्ग ने हमें इशारा किया था
32:07साम्प ने सर और बुलंद किया
32:10उसकी फुनकार जमीन हिला रही थी
32:12जैसे ही दोनों कुठिया के दिर्वाजे की तरफ बढ़े
32:15साम्प ने जोरदार फुनकार मारी
32:18और उनके रास्ते में आकर खड़ा हो गया
32:20उसकी सुरुक आँखों से जहर टपक रहा था
32:23शोहर ने कदम पीछे खैंच लिये
32:26बहु चीकती हुई आगे बढ़ी
32:27हट जा मेरे बच्चों को मुझे दे दे
32:30लेकिन साम्प ने एक जटके से
32:32अपनी दुम जमीन पर मारी
32:34और उसकी आवाज छूरी की तरह
32:36उनके दिल पर वार करती गई
32:38इतनी असानी से तुमने सोचा था
32:41कि जो तुमने एक माँ से चीना
32:43उसका हिसाब इतनी असानी से चुका दिया जाएगा
32:46बहु हैरान परेशान हो गई
32:48और जमीन पर गिर कर
32:49हाथ जोड कर रोती रही
32:51हमसे गलती हुई हमें माफ कर दे
32:54सांप ने जहर बरी मुस्कुराहट के साथ कहा
32:56जब तुमने एक माँ से
32:58उसका बेटा चीना था
33:00तब तुमें दर्द ना हुआ
33:02आज तुम्हारा दर्द मेरे लिए कम है
33:04अभी हिसाब बाकी है
33:06बहु ने रोते रोते कुठिया के अंदर
33:09जांकने की कोशिश की
33:10अंदर बुडिया बैठी बच्चों के साथ
33:13खेल रही थी उसकी आँखों में
33:15सुकून था लेकिन बहु के लिए
33:17वो मनजर कैद जैसा था
33:19वो तडब कर बोली अमा
33:20मेरे बच्चों बुडिया ने बहु की आवास सुनी
33:23उसका दिल कांप उठा
33:25मगर उसने बच्चों को सीने से लगा लिया
33:28साप ने अपने फन से दिरवाजे को डांप लिया
33:31और गुराया
33:32नहीं अभी तुमें अंदर जाने की इजाज़त नहीं
33:35तुम्हारे अमाल का हिसाब अभी पूरा नहीं हुआ
33:38जो तुमने वोया था वो ही काट रही हो
33:41ये बच्चे उसमा का सुकून है
33:43जिससे तुमने रूलाया
33:45तुमें अभी बहुत तड़पना बाकी है
33:47बहुत चीखती रही
33:48शोहर जमीन पर सर जुकाए खड़ा था
33:51दोनों के दिल में उमीद और खौफ का तुफान था
33:54लेकिन साब की सुर्ख आँखों से
33:56निकलती हुई रोशनी ने
33:58उनका रस्ता बंद कर दिया
34:00और वो गुराया
34:01वापस जाओ
34:02अभी ये दिर्वाजा तुम्हारे लिए नहीं खुला
34:05अभी वकत नहीं आया
34:06साब का फन और बलंद हुआ
34:09उसके सुर्ख आँखों में आग बढ़कने लगी
34:11वो बहु और शोहर के सामने फुनकार कर बोला
34:14तुम जानते भी हो
34:16तुम्हारे माँ एक आँख से क्यों कानी हुई
34:18जानते हो
34:20तुम दो आँखों वाले कैसे बने
34:22तुम्हें हकीकत सुनाता हूँ
34:23सुनो
34:24तुम ही वो बच्चा था ना
34:26जो एक हादसे में एक आँख से महरूम हो गया
34:28तुम्हें कुछ पता नहीं था
34:30उस दिन हस्पिताल के बिस्तर पर
34:32जब तुम तड़प रहे थे
34:34लोग तुम्हें ताने देते
34:35कि ये काना है ये माजूर है
34:38तब तुम्हारी माँ ने
34:39अपनी आँख निकाल कर डॉक्टर के सामने रखी
34:42और कहा मेरी एक आँख ले लो
34:44मेरे बेटे को लगा दो
35:00साम्प ने जहर बरे लहजे में कहा
35:02हाँ वही माँ जिसे तुने दुदकारा
35:05जिसे तुने जलील किया
35:07जिसे तुने भूका रखा
35:08वही माँ तरी आँखों का नूर है
35:11और तुने उसकी कुर्बानी का सिला क्या दिया
35:14उसके दिल को चीर दिया
35:15सांप करीब आया
35:17और उसका साया शोहर पर पड़ा
35:19याद है वो मोटे मोटे हाथ
35:22जो तुझे गोद में जुलाते थे
35:23जो तेरे लिए जाडू पकड़ कर
35:25लोगों के घरों में काम करते थे
35:28वो ही हाथ तुने दक्के दे कर
35:30गर से निकाल दिये
35:31याद है वो दिन जब तुने कहा
35:33मा किसी को ना बताना
35:35मैं तेरा बेटा हूँ
35:36मुझे शरम आती है
35:38याद है जब उसने बूक से तड़कर भी
35:40तुझे खिलाया और तुने उसके सामने
35:43रोटी फैंक दी बेटा हिचकियों से
35:45रो रहा था बहु के आंसु
35:47जमीन पर गिर रहे थे
35:48सामप का लहजा और खंजर बन गया
35:51मा ने तुझे अपनी आंख दी
35:53तेरे लिए अपना नूर कुर्बान किया
35:56और तुने बदले में उसे
35:57अंधेरों में छोड़ दिया
35:59उसका सहारा चील लिया
36:00तु कहता है कि तुझे दर्द है
36:02तु अभी दर्द के सुमंदर में नहीं डूबा
36:05ये पांच बच्चों का जखम अभी बाकी है
36:08शोहर चीख कर बोला
36:10मा मुझे माफ कर दे
36:12सामप गुराया
36:13मा ने तो दिल में माफ किया
36:15लेकिन इनसाफ अभी भी बाकी है
36:17जो जखम तु ने दिये
36:19वो तुझे पल्टा कर दिये जाएंगे
36:21जो तडप माने सही
36:22वो ही तुझे दी जाएगी
36:24तुम्हारे बच्चे तुम्हारे आंसों का कर्ज है
36:27उमें हर दिन
36:28हर रात रोना होगा
36:30ये दर्वाजा अभी तुम्हारे लिए नहीं खुलेगा
36:32फिर उसने अपनी दुम मार कर
36:34दर्वाजे को ढांप लिया
36:36और गुराया
36:37ये बच्चे उस मां का सुकून है
36:39जिसे तुम्हारे लिए सिर्फ तडप है
36:43जाओ अभी वकत नहीं आया
36:44रात की खमोशी में
36:46बीवी और शोहर कुठिया के दर्वाजे के बाहर ही बैठे रहे
36:49आंखों से आंसों कुश्क हो चुके थे
36:52मगर दिल के जखम खून रो रहे थे
36:55शोहर कापते हुए जमीन पर गिर गया
36:57और रोते हुए बोला
36:58मैंने अपनी मां के साथ क्या किया
37:01जिस मां से नफरत करता रहा
37:03जिसे ताने दिये
37:04जिसे दक्के मार कर निकाला
37:06उसी मां ने मेरे लिए अपनी आंख कुर्बान कर दी थी
37:09और मैंने क्या किया
37:11क्या सिला दिया
37:12बीवी सिस्कती रही
37:13लेकिन शोहर का जनून बढ़ने लगा
37:16उसने दर्वाजे की तरफ देखा
37:18जहां सांप फन फिलाए खड़ा था
37:20और अंदर से बूरिया
37:21बच्चों के साथ बैठी थी
37:23बेटा चीख कर बोला
37:25मां जी क्या तु सुन रही है
37:27तुने अपनी आंख देकर मुझे रोशनी दी
37:29आज मैं अपनी आंख निकाल कर तुझे दिखा दूँगा
37:32तेरा बेटा अब भी कुरुबानी दे सकता है
37:35अगर तुने एक बार दर्वाजा ना खोला
37:38तो मैं इसी पत्थर पर
37:39अपना सर मार कर वो आंख फोड़ दूँगा
37:42जिसके लिए तूने अपना नूर दिया था
37:44ये सुनते ही बुड़िया अंदर से कांप उठी
37:47उसके हाथ से बच्चों के खलोने गिर गए
37:50आंखों से आंसु बहने लगे
37:52दिल की धड़कन तेज हो गई
37:54उसने बच्चों को सीने से लगाया
37:56और लरस्ती आवाज में बोली
37:58नहीं बेटा ऐसा ना करना
38:00मेरा कलेजा फट जाएगा
38:02बेटा पागलों की तरह पत्थर उठाकर
38:04अपनी आंख के करीब ले गया
38:06कहदो माजी
38:08कहदो दरवाजा खोल दे
38:09वरना ये आंख जिसे तूने
38:11अपनी कुर्बानी से मुझे दिया
38:13आज ये भी खत्म हो जाएगी
38:15सांप घुस्से से फुनकारा
38:17ये डरामा मेरे सामने नहीं चलेगा
38:20ये आंख का हिसाब
38:21तेरे आंसों से पूरा नहीं हो सकता
38:23लेकिन बुडिया का दिल अब जबत
38:25ना कर सका उसने चीख कर
38:27बसकर मेरे बेटे
38:30कुछ न कर माह तेरे लिए
38:31दर्वाजा क्छो खोल देगी और वो
38:33दर्वाजे की तरफ बढ़ी बच्चों को
38:35गोद में लिए कांपते हाथों से
38:37दर्वाजा खोलने लगी
38:39सांप ने गुसे से चीख कर कहा
38:41माँ जी ये दिर्वाजा
38:43खोलने की इजाज़त नहीं है
38:44यह हिसाब अभी पूरा नहीं हुआ
38:46बुडिया ने आँखों में आंसू लिये
38:49और कहा बेटे का दर्द मां से
38:51ज्यादा कोई नहीं जानता
38:53आज ये दर्वाजा खुलेगा
38:54क्योंकि मां का दिल पिगल गया है
38:56साब का फान नीचे जुक गया
38:59उसकी सुरुक आँखों की रोशनी
39:01मदम पड़ गई
39:02जैसे वो भी मां के सामने वेबस हो गया हो
39:05दर्वाजा आइस्ता आइस्ता खुला
39:07बेटा जमीन पर गिर गया
39:09और रोते हुए बोला
39:10मां मुझे माफ कर दे
39:12बुरिया ने बच्चों को जमीन पर रखा
39:14बेटे को उठाया
39:15और आँखों से बहते आंसों के साथ कहा
39:18मेरा बेटा वापस आ गया
39:20साब साकत खड़ा रहा
39:22उसकी आँखों से पहली बार जहर नहीं
39:25बलके पानी टपका
39:26लेकिन उसकी आवाज फिर भी गुंजी
39:42वो बुरिया को गूर कर बोला
39:44मा जी ये सब कुछ मैंने तेरे लिए किया
39:47तेरे आंसों के बदले में
39:49मैं इनके दिल से सकून चीना चाहता हूँ
39:51उनकी खुशियां बरबाद कर दी मैंने
39:53ताके उन्हें वही दर्द महसूस हो
39:55जो तुमने सह लिया
39:57लेकिन आज तुम इनके लिए नरम पड़ गई
39:59बुरिया ने कांपती आवाज में कहा
40:02बेटे मां का दिल बदले से खाली होता है
40:05मां का घुसा लम्हे बरका होता है
40:08लेकिन मां की माफी हमेशा रहती है
40:10साबकी आंखों में सुर्खी और बढ़ने लगी
40:14मां जी मैंने तेरे लिए अपना जहर बहाया
40:17उनके दिलों में खून डाला
40:18इन से छीन लिया ताके इनहें एहसास हो
40:21और आज जब वो तड़ रहे हैं
40:24तो तुम इनहें गले लगाना चाहती हो
40:26बुरिया ने आंखों से बहते आंसों के साथ कहा
40:29बेटे मां का दिल तो हमेशा माफ करता है
40:32मैं बदला नहीं चाहती
40:33मैं चाहती हूँ मेरा बेटा अपनी गलतियों से सबक ले
40:37और बेहतरीन इनसान बने
40:39बेटा रोता हुआ मां के कदमों में गिर गया
40:41मां जी हमसे जो हुआ गलत हुआ
40:44हमें माफ कर दो
40:46हमें हमारे बच्चे वापस दे दो
40:48हमने अपनी गलतियों का एहसास कर लिया
40:50बीवी भी जमीन पर पड़ी थी
40:52हाथ जोड़ कर सिस्कने लगी
40:54हमने तुम पर जुड़ किया
40:56माजी तुम्हारा दिल तोड़ा
40:58हमें माफ कर दो
40:59सांप ने उन दोनों को सुर्ख आंखों से
41:02गूरते हुए कहा
41:02तुम दोनों के आंसू मेरे जहर को
41:05खतम नहीं कर सकते लेकिन
41:07माँ की बात मेरे लिए कौनून है
41:09मैं उसकी बात को रद नहीं कर सकता
41:11पिर उसने जोर से फुनकार
41:13मार कर कहा मैं तुम्हारे बच्चों को वापस दूँगा लेकिन एक शर्थ पर अगर दुबारा कभी तुम दोनों ने अपनी मां का दिल तोड़ा अगर उसके आंसू बहे तो मैं दुबारा वापस आउँगा और इस बार बदला और सकत होगा शोहर ने हाथ जोड़ कर कहा मै
41:43अज़ कर इज़त दूँगी सांप ने जहर बरी सांस ली और आइस्था से बोला ये वादा याद रखना क्योंके मेरी आंके हर वकत देखती रहती हैं बुरिया ने कांपते हाथों से सांप का सर सहलाया बेटे तुमने मेरा कर्ज जुका दिया अब बदला खतम कर दो सांप
42:13बच्चों को वापस दूँगा लेकिन याद रखना मेरा वादा उनके वादे पर काइम है ये कहकर उसने कुठिया के दर्वाजे पर से अपनी गृफ्ट हटा दी रोशनी और बढ़ गई दर्वाजे के अंदर से बच्चों की हसी सुनाई देने लगी बीवी पागलों की �
42:43दर्वाजा खुलेगा तब तक तुम दोनों बाहर बैठो और अपने वादे को दिल में पुक्ता करो दोनों ने सर जुका दिया जमीन पर बैठ गए और रात बर रोते रहे जबके सांप द्रकत की शाक पर लिपट कर उन पर नजर रखता रहा उसकी आँखों में अब जहर
43:13बीवी ने बच्चों को गोद में भर कर चीख मारी शोहर ने सब को सीने से लगाया और जारो कितार रोने लगा जमीन उन सब के आंसों से तर हो गई पास ही बुडिया खडी थी उसकी आँखों से सेलाब जारी था वो आगे बढ़ी लरसती आवाज में बोली बेटा बरसों
43:43आगे बढ़ा और मा के कदमों में गिर गया बुडिया ने कापते हाथों से बेटे को उठाया सीने से लगाया और सिस्कते हुए कहा मेरी ये खवाइश पूरी हो गई अब मेरा दिल सुकून में है साब करीब बैठा सब मनजर देख रहा था उसकी सुर्ख आंखों में आज
44:13देंगे शोहर ने सर जुका कर साब से कहा मैं वादा करता हूं अपनी मां का दिल दुबारा नहीं तोड़ूंगा साब ने सक्त और नरम लहजे में कहा याद रखना ये वादा बूले तो मैं वापस आउंगा अगली सुबा सब बच्चे मां जी का हाथ पकड़ कर गर की तर
44:43इज़ित के मुकाम पर बिठाया बच्चे हस रहे थे बीवी खिदमत कर रही थी और बुडिया के चेहरे पर बरसों बाद मुस्कुराहट थी रात को सब एक साथ बैठे बुडिया ने साब को देखा जो दर्वाजे पर खमोश खड़ा था उसने गहा बेटे तूने मेरे द
45:13गर के सेहन में हलकी सी ठंडी हवा चल रही थी बुडिया लकडी की कुरसी पर बैठी बच्चों को गोद में लेकर कहानिया सुना रही थी बीवी करीब बैठी हस रही थी और शोहर जमीन पर बैठा अपनी मां के कदमों को थामे आंखों से बहते आंसु छुपाने की कोशि
45:43थाम लिये रोशनी में सांप का वजूद जाहिर हुआ मगर आज वो पहले जैसा खौफनाक नहीं लग रहा था उसका जिसम नरम रोशनी में डूबा हुआ और उसकी सुर्ख आंखों में एक अजीब सी नरमी जलक रही थी बुडिया के होंटों पर मुस्कुराहट आई बेट
46:13सांप ने एक एक करके पांचों बच्चों के सरों पर बारी बारी जहर की एक एक बूंद टिपकाई हर बूंद उनके माथे पर पढ़ते ही चमक में बदल गई बच्चों के चेहरे रोशनी से जगमगा उठे सांप ने पहली बार नरम आवाज में कहा ये जहर नहीं ये मेर
46:43बुरिया की आंकों से आंसू बह रहे थे
46:46सांप ने बुरिया की तरफ देखा
46:48आइस्ता से करीब आकर अपना सर उसके कदमों पर रखा
46:52बुरिया ने कांपते हाथों से उसके सर पर हाथ फेरा
46:56और कहा बेटे तूने मेरे दूद का कर्ज ऐसा जुकाया
46:59कि क्यामत तक कोई मिसाल नहीं दे सकेगा
47:02जा सुकून से जा
47:04सांपने आँखे बंद की
47:05उसके जिसम से रोशनी तेज होने लगी
47:08फिजा में हलकी सी गूंज पैल गई
47:10वो आस्मान की तरफ बलंद हुआ
47:12रोशनी में लिपटता गया
47:14और फिर दुवा बन कर
47:15चमकते जर्रों की तरह बिखर गया
47:17सबने आस्मान की तरफ देखा
47:20जैसे एक मुहाफिज रुखसत हो गया हो
47:22बुडिया ने आस्मान की तरफ हाथ उठा कर दुआ दिए
47:25या आलला मेरा बेटा अपनी कुर्बानी के साथ अमर हो गया
47:29बच्चे हसने लगे
47:30खेलने लगे मां के गले लगे रहे
47:33बीवी ने बुडिया के कदम चुमे
47:35और शोहर ने कहा
47:36मां जी अब ये गर हमेशा आपका है
47:39रात की फिजा में सुकून उतर आया
47:42गर रोशनी से भर गया
47:44और बुडिया के दिल में बरसों बाद वो सुकून उतर आया
47:48जिसके लिए वो जिन्दगी बर तरस्ती रही थी
47:50कहानी तो खत्म हुई
47:52मगर उसका पैगाम हर दिल में गूंजता रहा
47:55मां के आंसू सबसे कीमती हैं
47:59जो उनकी कदर करेगा
48:00वो जीते जी अमर हो जाएगा
48:02और जो मां को सताएगा
48:04जो उसके दिल को रुलाएगा
48:06उसका हाल भी उसी बेटे जैसा होगा
48:09जो अपनी मां के आंसूं का हिसाब चुकाने के लिए तडपता रहा
48:13याद रखो
48:15मां का दिल दुनिया का सबसे नरम और सबसे ताकतवर दिल है
48:20जब खुश हो तो दुआओं से जिन्दगी बदल देती है
48:23और जब तूट जाए तो बदवा से दुनिया हिला देती है
48:27मां के कदमों तले जन्नत है
48:30लहाज़ा अपनी जन्नतों की हिफाज़त करो
48:33उनके चेहरे पर मुस्कुराहट लाओ
48:35उनके दिल से निकली दुआ को अपनी जन्दगी का सहारा बनाओ
48:40क्योंके जिसने मां को राजी कर लिया
48:42वो रब को राजी कर लेता है
48:44और जिसने मां को रुला दिया
48:46वो दुनिया और आखरत दोनों में रोता रहता है
48:50अपनी मां का ख्याल रखें
48:52उसके बढ़ापे में सहारा बने उसके दिल को कभी न तोड़े क्योंके मां का एक आंसू तकदीर बदल सकता है
49:00दुनिया में सब कुछ मिल सकता है मगर मां का साया एक बार चला जाए तो कभी वापस नहीं आता
49:07मां से बढ़कर कोई दौलत नहीं कोई मुहबत नहीं कोई दुआ नहीं अपनी जन्नतों को संभालो क्योंके मां की दुआउं से बढ़ी कोई ताकत है ही नहीं और मां की आहों से बढ़कर कोई जहर नहीं
49:21माना हो तो वफा कौन करेगा
49:24मम्ता का हक अदा कौन करेगा
49:27या लगा हर मा को سलामत रखना
49:29वरना हमारी जिंद no के लिए दूआ कौन करेगा
49:33प्यारे दोस्तों उमीद करते हैं
49:36आज का वाकिया आप सब को बहत पसंद आया होगा
49:40मजीद ऐसे ही वाकियात सुनने के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करके हमारी फैमली का हिस्सा जरूर बनिएगा
49:47अपना और अपने प्यारों का बहुत सा ख्याल रखिए शुक्रिया
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