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00:00इस सीज़ को तुम्हारे घरवालों ने मेरी कमजोरी समझ लिया है
00:12वो तुम्हारी बेवा भावी उसका एकलोता बेटा जो असाइलम पर है
00:18पागल हो गया है उस औरत में इतना गुरूर इतनी नफरत है
00:26मेरे भाई को धंकी दे कर गई है वो
00:30मेरी शराफत मुझे सिर्फ इस चीज़ की अजाज़त देती है
00:35कि शाह जमान की नसल तबाह हो जाए और उन्हें कानों कान भी खबर ना हो
00:40मातम तो अब रईस कोठी में मनाया जाएगा
00:44मातम इतनी मुद्दों चलेगा कि ये जाखम रिस्ता रहेगा
00:47अज़तों से और अज़तों की वचा से आरने की आदद से होगी है तुम्हें तब ये दब ता कि तुम्हें मर जाएगा
00:58है यह वकिल साब
01:03मैं बहुत जल्द शेर्जमान को वहाँ से इफासर से निकलवाने में कामिया बज़ाँगा
01:08हमें जो भी करना बहुत जल्दी करना मैंनी चाहते इस बात की भनक भी बड़े बतर जमान को
01:12शेर उनकी आखरी उम्मीद है उनकी नसल का वारिस है खादि कर दो शेर को
01:17बाबा मैंने इंट शेर की जान ले ले हैं इसकी दवा की डोस पढ़ाते थी पो थड़प रहा था उसके मूझ से जाए
01:22मेरे घर की कश्चियों में इतने छेद हैं सोचें मेरी अपनी बेटी उस दिवाने का इलाज कर रही है
01:41जिसकी माँ और चचा का तंतना आज देखने वाला था
01:50तो ये क्यों नहीं सोचते कि तहमीना का गुरूर और उस जिन की जान वाले तोते की जिंदगी इस वक्त आपकी बेटी की दो पोरों के दर्मियान है
02:00हमत करें उस तोते की गर्दन मरो और दें
02:06क्या कहना चाह रही है
02:09बाबा ने भी सुन लिया
02:12फिर
02:15कुछ भी नहीं कहा
02:19खामोश रहे देखते रहे और चले गए
02:24चो
02:28बार बार तुम्हें देखने को
02:30तुमसे मिलने को करता है
02:33ये बेजाएनी बेता भी मेरी समझ से बाहर है
02:36अब तुम्हारे बारे में सोचता हूँ
02:39तुम दिल की डड़का ने तेख हो जाती है
02:41मुझे साफ साफ सुना ही देती है
02:43तुम्हें तो इस बात की भी खबर नहीं कि मैं
02:48तुम्हारे लिए कितना बेकरार
02:51मैं सब तो दिल की यही असरत है दूआ
03:08कि तुम्हें से मिलके तुम्हें अपना बनाना है
03:11तुम्हें तुम्हें यही फीलिंग्स कभी पता नहीं होगा
03:17अगर वो कहते हैं ना
03:21कि अगर नियत अच्छी हो तो मकसद हासिल हो ही जाता है
03:26कि एतुम्हें थाता है
03:30एतमार हैं तुम्हें अच्छार करौंगा
03:56झाल झाल
04:26झाल
04:56ये कहानी एक चोटी से गाउ की है जहाँ जिन्देगी के सादा और रवायती लोग रवायती काम करते हैं
05:14मरकजी के दार जारा एक खुबसूरत और तालिमी अफ्ता ललकी है जो शेहर में तालिम हासली करने के बाद अपने गाउ वापस आती है जारा के खुआप बहुत बड़े होते हैं वो अपने गाउ में ललकों के स्कूल को उलना चाहते हैं ताके वो भी आगे बल सके लेकिन ग
05:44जाब गाउ के बड़े जमिदार है और गाम में इनके बाद को हर बहर आखिर समझा जाता है जारा को अपने जुद जहित में क्रे मुश्किलाद किया सामना करना पना पलता है गाउ के और बुजर्क उसे रिवायाद के खिड़ाप कर दो जाते हैं मुगर जारा का आख yapmış हैं
06:14और नोजवान जारा के साथ कड़े हो जाते हैं
06:17और एक दिन हाजी साहब भी जारा के कुर्बानियों को देकर कायल हो जाते है
06:20लिवर्स इखिताम में आप देखेंगे के जारा और असन के महनत रंग लाती है
06:24और गाओं में एक बड़ा स्कूल कोलता है
06:27और सिर्फ ललक्यों बलकि गाओ के हर बच्चे को तालीम देता है
06:30हाजी साहब अपने रवीय पर शम्मिन्दा होकर जारा को अपनी बैटी की तरह कबूल कर लेते है
06:36कहानी की अखिताम गुर्बानी तरकिक के पिगाम के साथ होता है
06:39ड्रामसिरल के होले से अपने रवाए की ताला लाजमी क्यम्मिन करे
06:42साहत में हमारा यूट्व का चेनल सब्सक्राइब का नामाद बूली है
06:45तेंक्स पर वाचिंग अल्ला हाफिज
06:47हलो बीवर्ड ड्रामसिरल का गाज में आप देखेंगे
06:50ये कहानी एक चोटी से गाव की है
06:51जहाँ जिन्देगी के साथा और रवायती
06:53लोग रवायती काम करते है
06:56मरकजी के दार जारा एक खुबसूरत और तालिमी अफ़ता लल्की है
06:59जो शेहर में तालिम हासली करने के बाद
07:01अपने गाव वापस आती है
07:03जारा के खुबस बहुत बड़े होते है
07:05वो अपने गाव में ललकों के स्कूल को उलना चाहते है
07:09ताके वो भी आगे बल सके
07:11लेकिन गाव के रसम और रवाज और रिवायात के
07:14इस रास्ते में रुकावट बन जाते है
07:16और दूसरे दर आसन गाव का एक बहादूर और इमानदार नौजवान है
07:19जो जारा के मदद करना चाहता है
07:22लेकिन इसके वालिद हाजी साब जारा के सोच के सख्त खिलाब थे
07:26हाजी साब गाव के बड़े जमीदार है
07:28और गाव में इनके बाद को हर बहर आखिर समझा जाता है
07:32जारा को अपने जुद जहित में क्या मुश्किलात का सामना करना पलता है
07:36गाव के आउरते और बुजर्ग उसे रिवायात के खिलाब समझते है
07:40और मर्द इसके खिलाब कड़े हो जाते है
07:43मगर जारा का आजम मजबूत है
07:45विवर्ज कहानी का मौल तबाता है
07:47जब जारा को मालूम होता है
07:48कि हाजी साब के बेटे अहसन भी
07:50इसके खुआप के हिमायत करते है
07:52दूने मिलकर गाओ के लोगों को
07:54कायल करने के कुशश करते है
07:55गाओ के बच्चे और नोजवान जारा के साथ कड़े हो जाते है
07:59और एक दिन हाजी साब भी जारा के कुर्बानियों को दे कर कायल हो जाते है
08:03विवर्ज इक्तिताम में आप देखेंगे
08:04के जारा और आसन के महनत रंग लाती है
08:06और गाओं में एक बड़ा स्कूल कोलता है
08:09और सिर्फ ललक्यों बलकि गाओं के हर बच्चे को तालीम देता है
08:13खाजी साहब अपने रवी पर शमिंदा होकर जारा को अपनी बैटी की तरह कबूल कर लेते है
08:18कहानी की खिताम गुर्बानी तरकिक के पिगाम के साहथ होता है
08:22ड्रामसिरल के होले से अपने राखिजा लाजमी क्मेंट करे
08:24साहथ में हमारा यूट्यूब का चेनल सब्सक्राब का नामाद बूली है
08:27तेंक्स पर वाचिंग आप देखेंगे
08:32ये कहानी एक चोटी से गाव की है
08:34जहाँ जिन्देगी के सादा और रवायती
08:36लोग रवायती काम करते है
08:39मरकजी के दार जारा एक खुबसूरत और तालिमी अफ़ता ललकी है
08:42जो शेहर में तालिम हासली करने के बाद
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08:45जहारा के खुबस बहुत बड़े होते है
08:47वो अपने गाव में ललकों के स्कूल को उलना चाहते है
08:51ताके वो भी आगे बल सके
08:53लेकिन गाव के रसम और रवाज और रिवायात के
08:56इस रास्ते में रुकावट बन जाते है
08:58और दूसरे दर आसन गाव का एक बहादर
09:00और इमानदार नौजवान है
09:02जो जहारा के मदद करना चाहता है
09:04लेकिन इसके वालिद हाजी साब जरा
09:06जहारा के सोच के सख्ट खिलाब थै
09:08हाजी साब गाव के बड़े जमीदार है
09:10और गाव में इनके बाद को हर बहर आखिर समझा जाता है
09:14जहारा को अपने जुद जहित में क्या मुश्किलाद का सामना करना पलता है
09:18गाव के और बुजर्ग उसे रिवायात के खिलाब समझते है
09:22और मर्द इसके खिलाब कड़े हो जाते है
09:26मगर जारा का आजम मजबूत है
09:27विवर्स कहानी का मौल तबाता है
09:29जब जारा को मालूम होता है
09:31कि हाजी साब के बेटे अहसन भी
09:33इसके खुआप के हिमायत करते है
09:34दुने मिलकर गाओ के लोगों को
09:36कायल करने के कुशश करते है
09:38गाओ के बच्चे और नोजवान जारा के साथ कड़े हो जाते है
09:41और एक दिन हाजी साब भी जारा के कुर्बानियों को दे कर कायल हो जाते है
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09:55खाजी साहब अपने रवी पर शमिंदा होकर जारा को अपनी बेटी की तरह कबूल कर लेते है
10:01कहानी की खिताम गुर्बानी तरकिक के पिगाम के साहथ होता है
10:04ड्रामसिरल के होले से अपने राखिजा लाजमी क्यमन करे
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10:16जहाँ जिन्देगी के सादा और रवायती
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10:21मरकजी के दार जारा एक खुबसूरत और तालिमी अपता ललकी है
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10:51हाजी साब गाव के बड़े जमीदार है
10:53और गाव में इनके बाद को हर बहर आखिर समझा जाता है
10:57जहरा को अपने जुद जहित में क्या मुश्किलात का सामना करना पलता है
11:00गाव के आउरते और बुजर्ग उसे रिवायात के खिलाब समझते है
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11:08मगर जारा का आजम मजबूत है
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11:13कि हाजी साब के बेटे अहसन भी
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11:19कायल करने के कुशश करते है
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11:23और एक दिन हाजी साब भी जारा के कुर्बानियों को दे कर कायल हो जाते है
11:28यूर्स इक्तिताम में आप देखेंगे
11:29के जारा और आसन के महनत रंग लाती है
11:31और गाओं में एक बड़ा स्कूल कोलता है
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11:38खाजी साब अपने रवी पर शमिंदा होकर जारा को अपनी बैटी की तरह कबूल कर लेते है
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11:58जहाँ जिन्देगी के साथा और रवायती
12:01लोग रवायती काम करते है
12:03मरकजी के दार जारा एक खुबसूरत और तालिमी अपता ललकी है
12:06जो शेहर में तालिम हासली करने के बाद
12:08अपने गाव वापस आती है
12:10जहरा के खुबस बहुत बड़े होते है
12:12वो अपने गाव में ललकों के स्कूल को उलना चाहते है
12:16ताके वो भी आगे बर सके
12:18लेकिन गाव के रसम और रवाज और रिवायात के
12:21इस रास्ते में रुकावट बन जाते है
12:23और दूसरे दर आसन गाव का एक बहादूर और इमानदार नौजवान है
12:27जो जहरा के मदद करना चाहता है
12:29लेकिन इसके वालिद हाजी साब जरा
12:31जहरा के सोच के सख्त खिलाब थे
12:33हाजी साब गाव के बड़े जमीदार है
12:35और गावट मेरे इनके बात को हर बहर आकिर समझा जाता है
12:39जहरा को अपने जुद्जे जहद में कए मुश्गलाथ क्या सामना करना पलता है
12:43गाव के ऑुरते और बुजर्ग उसे रिवायात के खिलाब स्मझते है
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12:50मगर जारा का आजम मजबूत है
12:52यूर्स कहानी का मौल तबाता है
12:54जब जारा को मालूम होता है
12:56कि हाजी साब के बेटे अहसन भी
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13:06और एक दिन हाजी साब भी जारा के कुर्बानियों को दे कर कायल हो जाते है
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13:12के जारा और असन के मेहनत रंग लाती है
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13:17और सिर्फ ललक्यों बलकि गाओं के हर बच्चे को तालीम देता है
13:20खाजी साहब अपने रवी पर शमिंदा होकर जारा को अपनी बेटी की तरह कबूल कर लेते है
13:25कहानी की खिताम गुर्बानी तरकिक के पिगाम के साहथ होता है
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13:49जो शेहर में तालिम हासली करने के बाद
13:51अपने गाव वापस आती है
13:53जहारा के खुबस बहुत बड़े होते है
13:55वो अपने गाव में ललकों के स्कूल को उलना चाहते है
13:58ताके वो भी आगे बल सके
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14:03इस रास्ते में रुकावट बन जाते है
14:05और दूसरे दर आसन गाव का एक बहादर
14:08और इमानदार नौजवान है
14:09जो जहारा के मदद करना चाहता है
14:11लेकिन इसके वालिद हाजी साब जरा
14:13जहारा के सोच के सख्ट खिलाब थै
14:15हाजी साब गाव के बड़े जमीदार है
14:17और गाव में इनके बाद को हर बहर आखिर समझा जाता है
14:21जहारा को अपने जुद जहित में के मुश्किलाद के सामना करना पलता है
14:25गाव के आउरते और बुज़र उसे रिवायात के खिलाब समझते है
14:29और मर्द इसके खिलाब कड़े हो जाते है
14:33मगर जारा का आजम मजबूत है
14:35यूर्स कहानी का मौल तबाता है
14:36जब जारा को मालूम होता है
14:38कि हाजी साब के बेटे अहसन भी
14:40इसके खुआप के हिमायत करते है
14:42दूने मिलकर गाओ के लोगों को
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14:48और एक दिन हाजी साब भी जारा के कुर्बानियों को दे कर कायल हो जाते है
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15:02खाजी साहब अपने रवी पर शमिन्दा होकर जारा को अपनी बैटी की तरह कबूल कर लेते है
15:08कहानी की खिताम गुर्बानी तरकिक के पिगाम के साथ होता है
15:11ड्रामसिरल के होले से अपने रवाए की जारा लाजमी क्यमन करे
15:14साहत में हमारा यूट्यूब का चेनल सब्सक्राब का नामाद बूली है
15:17तेंक्स पर वाचिंग आप देखेंगे
15:22ये कहानी एक चोटी से गाव की है
15:23जहाँ जिन्देगी के साथा और रवायती लोग रवायती काम करते है
15:28मरकजी के दार जारा एक खुबसूरत और तालिमी अपता ललकी है
15:31जो शेहर में तालिम हासली करने के बाद अपने गाव वापस आती है
15:35जारा के खुबस बहुत बड़े होते है
15:37वो अपने गाव में ललकों के स्कूल को उलना चाहते है
15:41ताके वो भी आगे बल सके
15:43लेकिन गाव के रसम और रवाज और रिवायत के इस रास्ते में रुकावट बन जाते है
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15:51जो जारा के मदद करना चाहता है
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15:58हाजी साब गाव के बड़े जमीदार है
16:00और गाव मिन के बाद को हर बहर आखिर समझा जाता है
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16:22इसके खुआप के हिमायत करते है
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17:06जहाँ जिन्देगी के साथा और रवायती
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17:11मरकजी के दार जारा एक खुबसूरत और तालिमी अफ़ता ललकी है
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17:46जारा को अ� haben जहारा को अपने जोग जहत में कए मश्किलाद किया सामना करना पलता है
17:50गाव के ऑउरते और वज़र उसे रिवायात के खलाब समझते है
17:54और मर्द इसके ख़लाब कड़े हो जाते है
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18:27खाजी साब अपने रवी पर शमिन्दा होकर जारा को अपनी बैटी की तरह कबूल कर लेते है
18:33कहानी की इखतिताम गुर्बानिय तरक्टिक के पिगाम के साथ होता है
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19:00जारा के खुबस बहुत बड़े होते है
19:02वो अपने गाव में ललकों के स्कूल को उलना चाहते है
19:05ताके वो भी आगे बर सके
19:07लेकिन गाव के रसम और रवाज और रिवायात के
19:11इस रास्ते में रुकावट बन जाते है
19:13और दूसे दर आसन गाव का एक बहादर
19:15और इमानदार नौजवान है
19:16जो जारा के मदद करना चाहता है
19:18लेकिन इसके वालिद हाजी साब जारा के सोच के सख्त खिलाब थै
19:23हाजी साब गाव के बड़े जमीदार है
19:25और गाव में इनके बाद को हर बहर आखिर समझा जाता है
19:29जारा को अपने जुद जहित में क्या मुश्किलात क्या सामना करना पलता है
19:32गाव के आउरते और बुजर्ग उसे रिवायात के खिलाब समझते है
19:36और मर्द इसके खिलाब कड़े हो जाते है
19:40मगर जारा का आजम मजबूत है
19:42यूर्स कहानी का मौल तबाता है
19:44जब जारा को मालूम होता है
19:45कि हाजी साब के बेटे अहसन भी
19:47इसके खुआप के हिमायत करते है
19:49दुने मिलकर गाओ के लोगों को
19:51कायल करने के कुशश करते है
19:52गाओ के बच्चे और नोजवान जारा के साथ कड़े हो जाते है
19:55और एक दिन हाजी साब भी जारा के कुर्बानियों के दे कर कायल हो जाते है
20:00यूर्स इक्तिताम में आप देखेंगे
20:01के जारा और आसान के महनत रंग लाती है
20:03और गाओं में एक बड़ा स्कूल कोलता है
20:06और सिर्फ ललक्यों बलकि गाओं के हर बच्चे को तालीम देता है
20:10खाजी साहब अपने रवी पर शमिंदा होकर जारा को अपनी बैटी की तरह कबूल कर लेते है
20:15कहानी की खिताम गुर्बानी तरकिक के पिगाम के साहथ होता है
20:18ड्रामसिरल के होले से अपने राखिजा लाजमी कमेंट करे
20:21साहथ में हमारा यूट्यूब का चेनल सब्सक्राब का नामाद बूली है
20:24तेंक्स पर वाचिंग आप देखेंगे
20:29ये कहानी एक चोटी से गाव की है
20:30जहाँ जिन्देगी के सादा और रवायती
20:33लोग रवायती काम करते है
20:35मरकजी के दार जारा एक खुबसूरत और तालिमी अपता ललकी है
20:38जो शेहर में तालिम हासली करने के बाद
20:40अपने गाव वापस आती है
20:42जहरा के खुबस बहुत बड़े होते है
20:44वो अपने गाव में ललकों के स्कूल को उलना चाहते है
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20:50लेकिन गाव के रसम और रवाज और रिवायात के
20:53इस रास्ते में रुकावट बन जाते है
20:55और दूसरे दर अहसन गाव का एक बहादर
20:57और इमानदार नौजवान है
20:59जो जहरा के मदद करना चाहता है
21:01लेकिन इसके वालिद हाजी साब जरा
21:03जहरा के सोच के सख्त खिलाब थै
21:05हाजी साब गाव के बड़े जमीदार है
21:07और गाव में इनके बात को हर बहर
21:09आखिर समझा जाता है
21:11जहरा को अपने जुद जहित में क्या मुश्किलात
21:13क्या सामना करना पलता है
21:15गाव के आउरते और बुज़र
21:16उसे रिवायात के खिलाब समझते है
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21:22मगर जहरा का आजम मजबूत है
21:24यूर्स कहानी का मौल तबाता है
21:26जब जहरा को मलूम होता है
21:28कि हाजी साब के बेटे अहसन भी
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21:31दुने मिलकर गाव के लोगों को
21:33कायल करने के कोशश करते है
21:35गाव के बच्चे और नوجवान जहरा के साथ कड़े हो जाते है
21:38और एक दिन हाजी साब भी जहरा के कुर्बानियों को दे कर कायल हो जाते है
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21:52खाजी साब अपने रवी पर शमिन्दा होकर जारा को अपनी बैटी की तरह कबूल कर लेते है
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22:37और दूसरे दर अहसन गाव का एक बहादूर और इमानदार नौजवान है
22:41जो जारा के मदद करना चाहता है
22:43लेकिन इसके वालिद हाजी साब जारा के सोच के सख्त खिलाब थै
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22:49और गाव मिन के बाद को हर बहर आखिर समझा जाता है
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22:57गाव के आउरते और बुजर्ग उसे रिवायात के खिलाब समझते है
23:01और मर्द इसके खिलाब कड़े हो जाते है
23:05मगर जारा का आजम मजबूत है
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23:10कि हाजी साब के बेटे अहसन भी
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24:03जो शेहर में तालिम हासली करने के बाद
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24:07जहारा के खुबस बहुत बड़े होते है
24:09वो अपने गाव में ललकों के स्कूल को उलना चाहते है
24:13ताके वो भी आगे बल सके
24:15लेकिन गाव के रसम और रवाज और रिवायात के
24:18इस रास्ते में रुकावट बन जाते है
24:20और दूसरे दर अहसन गाव का एक बहादर
24:22और इमानदार नौजवान है
24:23जो जहारा के मदद करना चाहता है
24:26लेकिन इसके वालिद हाजी साब जरा
24:27जहारा के सोच के सख्त खिलाब थै
24:30हाजी साब गाव के बड़े जमीदार है
24:32और गाव में इनके बाद को हर बहर आखिर समझा जाता है
24:36जहारा को अपने जुद जहित में कई मुश्किलात का सामना करना पलता है
24:40गाव के आउरते और बुज़र उसे रिवायात के खिलाब समझते है
24:44और मर्द इसके खिलाब कड़े हो जाते है
24:47मगर जारा का आखम मजबूत है
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24:51जब जारा को मलूम होता है कि हाजी साब के बेटे अहसन भी इसके खुआप के हिमायत करते है
24:56दुने मिलकर गाव के लोगों को कायल करने के कोशश करते है
24:59गाव के बच्चे और नोजवान जारा के साथ कड़े हो जाते है
25:03और एक दिन हाजी साब भी जारा के कुर्बानियों को दे कर कायल हो जाते है
25:07विवर्स इक्तिताम में आप देखेंगे के जारा और आसन के महनत रंग लाती है
25:10और गाव में एक बड़ा स्कूल कोलता है
25:13और सिर्फ ललक्यों बलकि गाव के हर बच्चे को तालीम देता है
25:17खाजी साब अपने रवी पर शमिन्दा होकर जारा को अपनी बैटी की तरह कबूल कर लेते है
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25:48अपने गाव वापस आती है
25:49जहारा के खुबस बहुत बड़े होते है
25:51वो अपने गाव में ललकों के स्कूल को उलना चाहते है
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26:10जहारा के सोच के सख्ट खिलाब थै
26:12हाजी साब गाव के बड़े जमीदार है
26:14और गाव मिनके बात को हर बहर आखिर समझा जाता है
26:18जहारा को अपने जुद जहिएद में किया मुश्किलात का सामना करना पलता है
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26:26और मर्द इसके खिलाब कड़े हो जाते है
26:30मगर जारा का आखम मजबूत है
26:31विवर्स कहानी का मौल तबाता है
26:33जब जारा को मलूम होता है कि हाजी साब के बेटे अहसन भी इसके ख्वाब के हिमायत करते है
26:38दुने मिलकर गाव के लोगों को कायल करने के कोशश करते है
26:42गाव के बच्चे और नोजवान जारा के साथ कड़े हो जाते है
26:45और एक दिन हाजी साब भी जारा के कुर्बानियों को दे कर कायल हो जाते है
26:49विवर्स इक्तिताम में आप देखेंगे के जारा और आसन के महनत रंग लाती है
26:53और गाव में एक बड़ा स्कूल कोलता है
26:56वो सिर्फ ललक्यों बलकि गाव के हर बच्चे को तालीम देता है
26:59खाजी साब अपने रवी पर शमिन्दा होकर जारा को अपनी बेटी की तरह कबूल कर लेते है
27:05कहानी की खिताम गुर्बानी तरकिक के पिगाम के साथ होता है
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27:25मरकजी के दार जारा एक खुबसूरत और तालिमी अपता ललकी है
27:28जो शेहर में तालिम हासली करने के बाद
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27:34वो अपने गाव में ललकों के स्कूल को उलना चाहते है
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27:39लेकिन गाव के रसम और रवाज और रिवायात के
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27:48जो जहरा के मदद करना चाहता है
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27:52जहरा के सोच के सख्त खिलाब थे
27:55हाजी साब गाव के बड़े जमीदार है
27:57और गाव मिनके बात को हर बहर आखिर समझा जाता है
28:01जारा को अपने जो जध्यषद में क्या मुश्किलाट के सामना चाहता है
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28:19इसके खुआप के हिमायत करते है
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28:47कहानी की खिताम गुर्बानी तरकिक के पिगाम के साहथ होता है
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29:01ये कहानी एक चोटी से गाव की है
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29:25इस रास्ते में रुकावट बन जाते है
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29:47गाव के और बुजर्ब उसे रिवायात के खिलाब समझते है
29:51और मर्द इसके खिलाब कड़े हो जाते है
29:54मगर जारा का आखम मजबूत है
29:56यूर्ब कहानी का मौल तबाता है
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30:00कि हाजी साब के बेटे अहसन भी
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30:14यूर्ज इक्तिताम में आप देखेंगे के जारा और रासन के महनत रंग लाती है
30:18और गाव में एक बड़ा स्कूल कोलता है
30:21और सिर्फ ललक्यों बलकि गाव के हर बच्चे को तालीम देता है
30:24खाजी साब अपने रवी पर शम्मिंदा होकर जारा को अपनी बैटी की तरह कबूल कर लेते है
30:29कहानी की खिताम गुर्बानी तरक्ग के पिगाम के साथ होता है
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30:53जो शेर में तालिम हासिली करने के बाद अपने गाउ वापस आती है
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30:59वो अपने गाउ में ललकों के स्कूल को उलना चाहते है
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31:19हाजी साब गाउ के बड़े जमीदार है
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31:33और मर्द इसके खिलाब कड़े हो जाते है
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31:39विवर्ज कहानी का मौल तबाता है
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31:49गाउ के बच्चे और नوجवान जारा के साथ कड़े हो जाते है
31:52और एक दिन हाजी साब भी जारा के कुरबानियों को देकर कायल हो जाते है
31:56वीवर्स इख्तिताम में आप देखेंगे के जारा और असन के महनत रंग लाती है
32:00और गाउ में एक बड़ा स्कूल कोलता है
32:03और सिर्फ ललक्यों बलकि गाउ के हर बच्चे को तालीम देता है
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33:12गाउ के आउरते और भुजर
33:13उसे रिवायात के खिलाब समझते है
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33:19मगर जारा का आज़म मदबूत है
33:21विवर्स कहानी का मौट तबाता है
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33:24कि हाजी साब के बेटे अहसन भी इसके खवाब के हिमायत करते है
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33:42और गाओं में एक बड़ा स्कूल कोलता है
33:45और सिर्फ ललक्यों बलकि गाओं के हर बच्चे को तालीम देता है
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33:54कहानी की इख्तिताम गुर्बानिय तरक्टिक के पिगाम के साथ होता है
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34:29लेकिन गाव के रसम और रवाज और रिवायात के
34:32इस रास्ते में रुकावट बन जाते है
34:34और दूसरे दर अहसन गाव का एक बहादर
34:36और इमानदार नौजवान है
34:38जो जारा के मदद करना चाहता है
34:40लेकिन इसके वालिद हाजी साब जारा के सोच के सख्त खिलाब थै
34:44हाजी साब गाव के बड़े जमीदार है
34:46और गाव में इनके बाद को हर बहर आखिर समझा जाता है
34:50जारा को अपने जुद जहित में क्या मुश्किलात का सामना करना पलता है
34:54गाव के आउरते और बुजर्ग उसे रिवायात के खिलाब समझते है
34:58और मर्द इसके खिलाब कड़े हो जाते है
35:02मगर जारा का आजम मजबूत है
35:03विवर्ज कहानी का मौल तबाता है
35:05जब जारा को मालूम होता है
35:07कि हाजी साब के बेटे अहसन भी
35:09इसके खुआप के हिमायत करते है
35:10दूने मिलकर गाओ के लोगों को
35:12कायल करने के कुशश करते है
35:14गाओ के बच्चे और नोजवान जारा के साथ कड़े हो जाते है
35:17और एक दिन हाजी साब भी जारा के कुर्बानियों को दे कर कायल हो जाते है
35:21विवर्ज इक्तिताम में आप देखेंगे
35:23के जारा और आसन के महनत रंग लाती है
35:25और गाओं में एक बड़ा स्कूल कोलता है
35:28वो सिर्फ ललक्यों बलकि गाओं के हर बच्चे को तालीम देता है
35:31खाजी साहब अपने रवी पर शमिंदा होकर जारा को अपनी बेटी की तरह कबूल कर लेते है
35:37कहानी की खिताम गुर्बानी तरकिक के पिगाम के साहथ होता है
35:40ड्रामसिरल के होले से अपने राखिजा लाजमी क्यमन करे
35:42साहथ में हमारा यूट्यूब का चेनल सब्सक्राब का नामाद बूली है
35:46तेंक्स पर वाचिंग आप देखेंगे
35:50ये कहानी एक चोटी से गाव की है
35:52जहाँ जिन्देगी के सादा और रवायती
35:54लोग रवायती काम करते है
35:57मरकजी के दार जारा एक खुबसूरत और तालिमी अपता ललकी है
36:00जो शेहर में तालिम हासली करने के बाद
36:02अपने गाव वापस आती है
36:04जहरा के खुबस बहुत बड़े होते है
36:06वो अपने गाव में ललकों के स्कूल को उलना चाहते है
36:09ताके वो भी आगे बर सके
36:11लेकिन गाव के रसम और रवाज और रिवायात के
36:15इस रास्ते में रुकावट बन जाते है
36:17और दूसे दर आसन गाव का एक बहादर
36:19और इमानदार नौजवान है
36:20जो जहरा के मदद करना चाहता है
36:22लेकिन इसके वालिद हाजी साब जरा
36:24जहरा के सोच के सख्त खिलाब थै
36:27हाजी साब गाव के बड़े जमीदार है
36:29और गाव मिनके बाद को हर बहर आखिर समझा जाता है
36:33जारा को अपने जिद्जिएद में कही मुश्किलात क्या सामना करना पलता है
36:36गाव के और वुजर्ग उसे रोयात के खलाब समझते है
36:40और मर्द इसके खलाब कड़े हो जाते है
36:44मगर जारा का आजम मजबूत है
36:46यूर्स कहानी का मौल तबाता है
36:48जब जारा को मालूम होता है
36:49कि हाजी साब के बेटे अहसन भी
36:51इसके खुआप के हिमायत करते है
36:53दूने मिलकर गाओ के लोगों को
36:55कायल करने के कुशश करते है
36:56गाओ के बच्चे और नोजवान जारा के साथ कड़े हो जाते है
36:59और एक दिन हाजी साब भी जारा के कुर्बान यो को देकर कायल हो जाते है
37:03यूर्स इक्तिताम में आप देखेंगे
37:05के जारा और रासान के महनत रंग लाती है
37:07और गाओं में एक बड़ा स्कूल कोलता है
37:10और सिर्फ ललक्यों बलकि गाओं के हर बच्चे को तालीम देता है
37:14खाजी साहब अपने रवी पर शम्मिन्दा होकर जारा को अपनी बैटी की तरह कबूल कर लेते है
37:19कहानी की खिताम गुर्बानी तरकिक के पिगाम के साथ होता है
37:22ड्रामसिरल के होले से अपने राखिजा लाजमी क्मेंट करे
37:25साथ में हमारा यूट्यूब का चेनल सबस्क्राब का नामाद बूली है
37:28तेंक्स पर वाचिंग अलाहाफिज
37:30हलो बीवर्बर्ज ड्रामसिरल का घाज में आप देखेंगे
37:33ये कहानी एक चोटी से गाउ की है
37:34जहाँ जिन्देगी के साथा और रवायती
37:37लोग रवायती काम करते है
37:39मरकजी के दार जारा एक खुबसूरत और तालिमी अपता ललकी है
37:42जो शेहर में तालिम हासिल करने के बाद अपनी गाउ वापस आती है
37:46जारा के खुबस बहुत बड़े होते है
37:48वो अपनी गाउ में ललकों के स्कूल को उलना चाहते है
37:52ताके वो भी आए
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