00:00दोस्तों आपने महा भारत देखा होगा, तो आपने देखा होगा कि कितने तीर धनूस बाण आदी आपको चलते हुए दिखाई देते होंगे, सैनिक मारे जा रहे हैं, महा युद्धा मारे जा रहे हैं, घोडे भी घैल हो रहे हैं, रत तूट रहे हैं, क्या कारण था कि आप
00:30अर्जुन की लड़ाई हुई, तो क्यों जो अर्जुन के गोडे थी, वो क्यों घायल नहीं हुए, क्यों मरे नहीं, है न, क्यों रथ जो था अर्जुन का, वो सही सलामत अंत तक रहा, युद्ध जब तक चलता रहा, अंत तक रहा, और ये ध्वजा जो है, कितनी बिसाल काय
01:00आपको मैं इस वीडियो में देने वाला हूँ तो नवस्कार दोस्तों मैं हूँ डाक्टर सिवरा सिंग स्वागत है आपका अपने चैनल हिस्टी विद सिंग में तो भाई आए जाने का प्रयास करते हैं कि जो अर्जून के घोडे थे वो अंततक बने हुए थे जैसा कि मैंने
01:30उसके बराबरी में कोई उध्धा ही नहीं था बताईए तो कितनी बाढ़ चलाए होंगे तो क्या एक दो बाढ़ भी उनका ऐसा नहीं था कि वो घोडों को लगा हो घायल नहीं हुए मरे नही ऐसा क्यो नहीं देखता क्या कारण है है यना तो आईए उसको मैं बताता हू� trad
02:00तो भई इसका कारण
02:02आप समझेे क्या कारण था
02:03तो देखे एक थे
02:06गंधर्व जिनका नाम था
02:08चित्र रथ
02:09इन्हों ने अर्जुन को
02:12साॉव दिव्य घोडे दिये थे
02:16साॉव
02:18दिव्य
02:18चमतकारी घोडे
02:20अर्जुन कोँ
02:22दिये थे इन
02:24अब इन घोडों की खासियत क्या थी? आईए उसे आप समझीए. तो ये जो है, ये घोडे जो थे, तो इन में से युद्ध में कितने ही घोडे क्यों न मारे जाएं, पर ये गिंती में सव के सव ही बने रहती थी.
02:41कम नहीं होती थी. तो अब आप समझीए कि जो सव घोडे थे, कितने भी मर जाएं, सव के सव मर जाएं, लेकिन ये फिर सव वहाँ पर खड़े रहें, उपस्तित रहें, मतलब गिंती आपको कम होगी ही नहीं.
03:01अब जैसे दस घोड़ा मरा, सव घोड़े इन्होंने दिये हैं, दस घोड़ा मरा लेकिन वहाँ गिंती कमी नहीं होगी. सव घोड़े वहाँ पर आपको दिखाई ही देंगे. क्यों? क्योंकि ये दिव घोड़े थे. है ना? और इन घोड़ों में क्या खासियत थी? ये आ�
03:31अरजुन को अब इन सव घोड़ों में से जो चार बेश्ट थे. कितने? जो चार पहों थी. सुन्दर, बलसाली और प्रसिचित जो सबसे बेश्ट घोड़े थे. वो अरजुन के रत में लगे हुए थे. चार घोड़े है ना? तो ये दिखे. ये चारो घोड़े वही दिव
04:01तो आप जो बेश्ट थे वो रत में लगे हुए थे. है ना? तो अब आप समझ गये होंगे दोस्तों कि क्या कारण था कि जो अरजुन के सामने घोड़े लगे हुए थे वो क्यों घायल नहीं दिखे, क्यों हमें मरे नहीं दिखे, क्यों कि वो दिव्वे घोड़े थे. है �
04:31है ना? तो ये हो गया अब आ जाईए अर्जून के जो रथ हैं उनकी
04:37चर्चा करें कि भैई रथ में क्या खासियत थी कि भैई इतनी
04:40बड़े-बड़े योद्धा जैसा कि मैंने भी आपका नाम लिया बताया
04:44तो इतने बड़े-बड़े योध्धा जो है हर जितने भी उनके पास दिब्यासर थे असर थे उन्होंने रत पे उन्होंने उससे प्रहार किया लेकिन रत नस्ट नहीं हुआ अब इसका कारण क्या था है ना तो आए इस रत के बारे में हम जानते हैं रत को समझते हैं तो दे�
05:14खांडव क्या था वहां पे भाई बिलकुल जंगल था है ना तो अब वहां पे पांडव गए भाई उनको साफ सफाई करके वहां पे जो आपने देखा कि नगर उन्होंने बसाया पांडव ने बसाया है ना तो अब इनको साफ करना था है ना तो अभी अब उसके लिए अर
05:44तो देखिए, जैसा कि आप जानते हैं कि जो अगनी दे होते हैं, अगनी को आभूती दी जाती है.
05:52है ना? तो गीता की एक किताब है टीका उसमें लिखा हुआ था, वो मैं आपको बता रहाँ कि यग्यों में आभूती रूप से दिये गए घी को खाते खाते.
06:03तो अगनी है आप देखते हैं कुंड है भाई हमारे आप के हाँ भी पूजा पाठ होता है आवुती दी जाती है धेर सारे जो चीजें होती है घी है और भी बहुत सारे समान होते हैं तो उनको जो है अगनी देवता को आवुती दी जाती है समर्पीत की जाती है
06:23है न कि आप ग्रहाण करिए है न तो उसी तरह तो एक समय जो है उस समय जब पांड़ों थे तो यग्यों में आहूती गी की धेर सारी आहूती दी जाती थी उसमें अगनी में डाली जाती थी जो अगनी देवता खाते थे है
06:40तो खाते खाते घी खाते खाते अगनी देवता को, मतलब कब जो हो गया, ज्यादा आप घी खाएंगे, हम आप खाएंगे तो क्या होगा, है न? तो उनको दिक्कत हो गई, कब जो हो गया?
06:55तो अब जो है अगनी देव था जो खांडव वन था जहां पे अभी मैं चर्चा किया कि अरजून गए हैं जहां पे नगर वसाएंगे
07:05तो उसके पहले अरजुन के जाने के पहले जो है वहाँ पे अगनी जो है वो अगनी देव हैं वहाँ पे गए और वहाँ पे जो वन था जो जंगल था धेड़ सारी वहाँ पे जड़ी बूटिया थी
07:20अगनी देव ने सोचा कि यहाँ पे बहुत सारी जड़ी बूटिया है तो इनको मैं जला करके और इसे खा लेता हूँ भाई जलाना या खाना वो तो एक ही हुआ अगनी देव क्या करेंगी वो जलाना वही तो उनका भोग है तो चाहे आप इसे आप खाना समझ लीजे या जल
07:50कि उसे अपना कब्ज दूर करना चाहते थे लेकिन अब अगनी देव चाहते एक भाई इसे जला दिया जाया या इसको खा लिया जाया ग्रहन कर लिया जाया तो इसे जो है देवता थे वो होने नहीं दे रहे थे
08:07तो जब अब आप जब भी अगनी देव वहां पहुचें जलाएं तो जो इंद्र थे वो वहां पे वर्सा कर दें पानी बर्सा दें है ना अब यहां पे अगनी ने जलाया और उन्होंने बारिस कर दी इंद्र ने बारिस कर दी वो बुझ गया आग बुझ गई तो अब उस
08:37तो डलते हैं, तो क्या होता है, वो अगनी देव ग्रहण करते हैं, वो भुजनी सी तरह वो, जो जड़ी बूटिया थी, वो खा नहीं पा रहे थे, क्यों?
08:46क्योंकि जो इंद्र थे वो पानी बर्सा करके अगनी को बुशार देते थे तो आगे क्या होता है ये काम अरजून ने किया जब वो खांडव प्रस्त पहुचे खांडव वन पहुचे तो अरजून ने क्या किया आपने देखा कि उसको बाढ़ो से जला दिया
09:07है ना तो जलाती है अब भई अगनी देव को वहां की जड़ी बुटियां है वो प्राप्त हुई है ना तो भई जली अब उनका भोजन बने अगनी देव का ही तो भोजन बने वो जड़ी बुटियां पेल पहुदे थे तो अब इससे जो है जो अगनी देव थे वो बहुत ख
09:37बड़ा रत देती हैं, है ना, बहुत बड़ा रत एक देते हैं, अर्जुन को कौन देता है, अगनी देव, जैसा कि आपने देखा होगा कि जो महाभारत की युद्ध होता है, तो उसमें भवान कृष्ण और अर्जुन बैठे हुए देखाये देते हैं, तो वो रत कौन दिय
10:07आप समझें, तो देखें, यह रत नौ बैल गाड़ियों में जितने अस्त्रस्त आ सकते हैं, उतने अस्त्रस्त इस रत में पढ़ी रहते थे, समझें आप, बैल गाड़ी आपने देखी होगी, तो नौ बैल गाड़ी जो पीछे बना रहता है, जगा रखने के लिए, बैल �
10:37से रखे जा सकते हैं, उतने अस्त्रस्त इस रत में रखे जा सकते थे, पहली खासियत हो गई, और देखिए, यह सोने से मढ़ा हुआ था, यह जो रत था, सोने से मढ़ा हुआ था, और तीजो मेरत था, और क्या लिखा हुआ है, इस रत के पहिये बड़े ही मजबूत होते �
11:07और बहुत बड़े बड़े रत के पहिये थे
11:12इसकी जो ध्वजा थी वो बिजली के समान चमकती थी
11:19ये जो जंडा था वो बिजली के समान चमकता था
11:23और ये जो ध्वजा थी कितना दूर तक लहराती थी आप जनते हैं
11:30लगभग 13 किलो मेटर तक ये जो ध्वजा थी
11:3713 किलो मीटर तक लहराती थी इस तरह है ना और इतनी लंबी ध्वजा होने पर भी आप आप समुझे जो जंडा 13 किलो मीटर तक लगभग लहरा रही है तो उसका वजन भी तो होगा इसका दवाउद भी तो रत पर पर पढ़ता होगा लेकिन ऐसा यहां पर नहीं लिखा मतलब
12:07नहीं था, कोई प्रभाव उस जंडे का नहीं था न यह कहीं रुखती थी और न न कहीं बिच्च आज में अटकती थी अब विशाल का होते भी यह कहीं पर फस्ती नहीं थी
12:19अब कहीं पेड त्याद में फस्ती भी नहीं थी, निकलती चली जाती थी, कोई चीज पेड या कुछ भी जमीन या इसको रोकी नहीं पाता था, ऐसा ये दिव्य रत था, ठीक है, और इस जंडे पे आप जो देख रहे हैं, इस जंडे पे हनुमान जी आकर के बैठे थे, और �
12:49चीज बैठे उबे थे, और जब भगवान इस रत पे बैठे हैं, और उनके पुरी असिष्य अरजून यहां पे इस रत में बैठे हैं, तो इस रत का जो तेज है, जो ताकत है, वो कई गुना बढ़ गई, इस रत की खासियत, क्यों? क्योंकि यहां पे भगवान खुदी इ
13:19तो कैसा लगा दोस्तों ये वीडियो इस तरह के वीडियो आपको देखना है तो सब्सक्राइब कर लीजिए और आपके क्या विचार है इस वीडियो पे जरूर कमेंट करिएगा आपके कमेंट का इंतिजार रहेगा मिलते हैं आपसे अगले वीडियो में