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00:00हलो दोस्तों मैं हूँ डाक्टर सिवराज सिंग स्वागत है आपका अपने चैनल हिस्टी वीट सिंग में दोस्तों आसा है भाई आप लोग अच्छे से होंगे बढ़ें अपना अपना पढ़ाई कर रहे होंगे
00:08तो दोस्तों आधुनिक भारत इतिहास आप पढ़ रहे हो सांस्कृतिक जागरनत धार्मिक और सामाजिक सुधार को भाग 3 है अभी इसके पहले आपने भाग 1 भाग 2 देख लिया है अभी हम लोग आ गए हैं भाग 3 में ठीक है तो आज आप देखने वाले हो देखिए मुस्ल
00:38अंधोलन को ठीक तो आए मुस्लिम सुधार अंधोलन को आप समझ ये आप बेकते हैं कि यदी पस्चीम के प्रती जो प्रारंभिक हिंदू प्रतिक्रिया जिग्यासा की थी तो मुसल्मानों की परथम प्रतिक्रिया अपने आपको संकीड ढखने में बंद करने और पस्ची
01:08वीडियो अगर आपने देखा होगा तो कैसे जो ब्रह्म समाज था कैसे जो पस्चीमी विचार थे उससे प्रभावित होकर आपने देखा की सती प्रथा पे और भी जो कुरुटिया थी बाल विवा थी है न तो और बहु विवा था सब पे जो है जो समाज सुधारक थे उन
01:38भी जो मुसल्मान थे वो अपने धर्म को मतलब बिल्कुल जो पस्चीम का प्रभाव था उससे बचाने के चक्कर में पड़े थे है न की बिल्कुल भाई हमारे धर्म से छेड़ शाड न हो ऐसा ये प्रतिकिरिया मुसल्मानों की थी तो उननैस्मी सताब्री के मध्य तक को
02:08अब जो आंधोलन हुए हैं उसको आप समझिए जो मुस्लिम सुधार आंधोलन है
02:13तो सबसे पहले आप दिखेए वहाबी आंधोलन
02:16आब वहाबी आंधोलन क्या है आएजे इसे आप समझिए
02:20मुसल्मानों की पास्चात्य प्रभाओं के विरुद्ध सरपर्थम प्रतीक्रिया जो हुई उसे वहावी आंधोलन अथवा वली उल्लाह आंधोलन के नाम से याद किया चाता है।
02:36वास्तों में यह पुनर जागरन आंधोलन था।
02:41साह वली उल्लाह इनका समय है 1702 इसवी से लेकर के 1762 इसवी तक।
02:50अठारवी सताबती में भारतिय मुसल्मानों के वह प्रथम नेता थे।
02:57जिनोंने भारतिय मुसल्मानों में हुई गिरावट पर चिंता प्रकट की थी।
03:04उन्होंने मुसल्मानों के रिती रिवाजों तथा मानिताओं में आई कुरूतियों की और ध्यान दिलाया।
03:12उनके योगदान के मुख्य दो अंग थे। कौन कौन से हैं भाई?
03:19उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इसलाम धर्म के चार प्रमुख नयाय सास्त्रों में समंजस से इस्थापित होना चाहिए।
03:30जिसके कारण भारतिय मुसल्मान आपस में बेटे हुए हैं।
03:45दूसरा क्या है उन्होंने धर्म में वैक्तित अंतर स्वचेतना पर भी बल दिया।
03:53उन्होंने कहा कि जहां कुरान और हदीस के सब्दों की कभी-कभी बिरोधात्मक व्याक्या हो सकती हो तो वैक्ति को अपनी विवेचना तथा अंतर स्वचेतना के नुसार निलड़े लेना चाहिए।
04:09साह अब्दुल अजीज तथा सैयद अहमाद बरिल्वी 1786-1831 का समय है अहमाद बरिल्वी का ने वली उल्लाह के विचारों को लेकप्री बनाने का प्रैतने किया उन्होंने इसे राजनितिक रंग भी दिया।
04:29इस विचार का आरंब तब हुआ जब एक मॉल्वी अब्दुल अजीज ने फत्वा दिया फत्वा यानि जो धर्मी का गिया होती है दिया कि भरत एक दार उल हर्व है
04:45दार उल हर्व मैं यहां लिग देता हूं आपको दाल दार के बाद उल और उसके बाद क्या है हर्व
05:02ठीक है तो ये कर रहे हैं आप कि अब्दुल अजीज ने या फत्वा दिया कि भारत एक दार उल हर्व है अब इसका मतलब क्या है दाल दार उल हर्व का मतलब क्या है तो भाई इसका मतलब है काफीरों का देश यानि जो मुसल्मान नहीं है है ना
05:30तो वो हो गए काफीर तो काफीरों का देश है और इसे दार उल इसलाम बनाने की आवश्यक्ता है ठीक है क्या बनाने की आवश्यक्ता है दार उल इसलाम बनाने की आवश्यक्ता है
05:47प्रारम्भ में यह अभियान पंजाब में सिख सरकार के विरुद था परन्तु 1844 में अंग्रेजे दुआरा पंजाब के बिले के उपरांथ यह अभियान अंग्रेजों के विरुद बदल दिया गया
06:07यह अंधोलन 1870 तक चलता रहा जब तक इसे वरिष्ट सैनिक बल दोरा समाप्त कर दिया गया
06:17तो यह समाप्त कब हो गया 1870 में सैनिक सक्ती दोरा इसे दबा दिया गया
06:25तो यह भाई आपने देखा वहावी अंधोलन को
06:30अब आ जाये अगला अंधोलन आप देखिए अलीगड अंधोलन
06:37अलीगड अंधोलन क्या है इसे आप समझिए
06:401857 के विद्रोह में मुसल्मानों की सक्रिय भागिदारी के कारण
06:46जो अंग्रेश सरकार दोरा उनके दबन से मुसल्मानों की स्थिती चिन भिन होने लगी
06:54ऐसे समय में सरसययद अहमत खा
06:58सरसययद अहमत खा का समय क्या है
07:011817 स्वी से 1898 स्वी तक का इनका समय है
07:07तो इनका आग्बन होता है
07:09सरसययद अहमत खा के नितित में चलाए गया अंदोलन को ही
07:13अलीगड आंदोलन की नाम से जाना जाता है
07:17तो जो सरसययद अहमत खा थे ये 1857 के समय थे
07:22इन्होंने देखी जो क्रांती थी और जो
07:26प्रतिहिंसा जो भाई अंग्रेजों द्वारा किया गया
07:30जो हत्या की गई तो इनके जो रिलेशन में थे
07:35इनके रिस्थेदार भी हिंसा में मारे गये थे है ना
07:39तो विद्रोह हुआ था आपने देखा था कि भाई विद्रोह में
07:42दोनों तरब के लोग हिंसा हुई थी और मारे गये थे
07:47तो भाई आगे चलते हैं हम लोग
07:501870 इस्वी के बाद प्रकासीत सर विलियम विल्सन हंटर की पुस्तक
08:00इंडियन मुसल्मान में सरकार को यह सलाद दी गई थी
08:04कि वो मुसल्मानों से समझवता कर उन्हें कुछ रियासतें
08:08दे कर अपनी ओर मिलाएं
08:12इंडियन मुसल्मान के सुझावों पर कार करते हुए ब्रिटीश सरकार
08:16ने राष्टी कांग्रेश के विरुद्ध सर सयद अहमत को तयार किया
08:21सर सयद अहमत खां जो प्रारम्भ में हिंदु-मुसलिम एकता के पच्छतर थे
08:28अब हिंदुवों और कांग्रेश के प्रबल्तम सत्रु बन गए
08:39सर सयद अहमत खाने मुसल्मानों के द्रिश्टिकोंड को आधोनिक
08:44बनाने के उद्देश से उन्हें पाश्चात सिच्छा की ओर आकरचित किया
08:49अपने समर्थकों से ब्रिटिश सासन की अधिनता को स्विकार करने के लिए कहा
08:54तो आपने सुरुवात में देखा कि मुसल्मान सुरुवात में जब अंग्रेश आये थे
09:00उनके बिचारों से क्या चाह रहे थे कि बिल्कुल अलग रखना चाह रहे थे
09:04उनके प्रभाव से अपने धर्म को बिल्कुल भी अलग जैसे पुरातन विवस्ता चली आरे वैसे ही मुसल्मान चाह रहे थे
09:11लेकिन यहां पे आप देखी कि जो सर सयद अहमत खा है वो कह रहे है कि भाई आप जो है अंग्रेजों की आप
09:21लेकिन यहां पे मैंने आपको बताया कि पास्चात सिच्चा की ओर यह चाहते थे कि मुसल्मान जो है पास्चात सिच्चा को गरहन करें ठीक है
09:32और अपने समर्थकों से ब्रिटी सासन की अधिनता को सुखान्ट करने के लिए कहा
09:39सर सयद अहमद ने इसलाम में मुझूद कुरूतियों को दूर करने का भी प्रयास किया उन्होंने पीरी मुरादी प्रथा को खत्प करने के लिए वकालत की अपने विचारों का प्रसार सयद अहमद ने तहजीफ उल अखलाक
09:57सर सयद अहमद खा थे उन्होने अपने विचारों का प्रसार तहजीफ उल अखलाक नामक पार्सी पत्रिका द्वारा किया
10:12इसका अर्थ क्या है इसका अर्थ है सभ्यता और नैतिक्ता तहजीफ उल अखलाक का अर्थ है सभ्यता और नैतिक्ता
10:24सर सयद अहमद खा ने कुरान का पर टीका लिखा और परमपरागत टीका कारों की अलोशना करते हुए समकालिन बैज्ञानिक ज्ञान के प्रकास में अपने विचार व्यक्त किये
10:411864 इस्वी में सर सयद अहमद ने साइंटिफिक सोसाइटी और 1875 इस्वी में अलिगड मुस्लिम एंगलो औरियंटल कालेज की स्थापना की
10:57अंग्रेजों के प्रति निष्ठा वैक्त करने के उद्देश से सयद अहमद खाने राजभक्त मुसल्मान पत्रिका का प्रकासन किया तथा बनारस के राजा सिवपरसाद के साथ सयद अहमद ने देशभक्त एसूसियेसन की स्थापना की
11:16सीछा के प्रचार प्रशार के लिए सरपर्थम 24 मैं 1875 इसवी को महरानी विक्टोरिया के वर्स गाथ के अउसर पर प्राइमरी अल्लीगड स्कूल की स्थापना की गई
11:30आठ जनुरी 1877 इसवी को इसे मुहम्मद एंगलो ओरियंटल कालेज का नाम दिया गया
11:42इस कालेज का उद्धाटन लार्ड लिटन ने किया था और ततकालिन उतरपदेश के गौवनर विलियम मियोर ने इसे भूमी परदान की थी
11:53थियोडर बैग इस कालेज के परथम प्रेंस्पल थे वर्ष 1920 इसवी में इसे अल्लीगड मुसलीम बिश्विद्याले की रूप में परिवर्तित कर दिया गया
12:05तो पहले क्या था भाई स्कूल था उसके बाद 1920 में ये जो है अल्लीगड मुसलीम बिश्विद्याले में इसको बदल दिया गया आज भी हम देखते हैं जो अल्लीगड मुसलीम बिश्विद्याले है ठीक है तो आगे देखें देव बंद आंदोलन
12:21अगला आजाये देव बंद आंदोलन अब देव बंद आंदोलन क्या है आप इसे समझें मुसल्मान उल्माने जो प्राचीन मुसलीम बिज्ञा के अगराणी थे देव बंद आंदोलन चलाया
12:41तो भाई जो देव बंद आंदोलन था वो क्या था पुनर जागरमवादी आंदोलन था
12:53जिसके क्या थे दो मुख्य उद्देश थे क्या क्या है भाई मुसल्मानों में कुरान तथा हदीस की सुध सिच्चा का परसार करना और दूसरा क्या है विदेशी सासकों के विरुद जिहाद की भावना को जीवित रखना
13:14तो भाई ये था अब आगे देखिए उल्माने मुहम्मद कासिम बनवत्वी इनका समय है 1832 से 1880 का इनका समय है और रसीद अहमद गंगोही इनका समय है 1828 से 1905 इस वी तक के निर्तित में देवबंद
13:39जो उतरबदेश के जिला सहारनपुर में एक विद्याले खोला समय क्या है 1866 में और उद्देश ये था की मुसलिम संप्रदाय के लिए धार्मिक नेटा प्रसिछित किये जाएं
13:58पाटशाला के पाठक्यम में अंग्रेजी सिछ्छा और पास्चात्य संस्कृति पूर रूप से वरजीत थी
14:19सिछ्छा मौलिक इसलाम धर्म की दिजाती थी और उद्देश ये था की मुसलिम संप्रदाय का नेटीक तथा धार्मिक पुनरोध्धार किया जाएं
14:31यह अलिगर्ड आंदोलन के पूरतया विरुद था पास्चात्य सिछ्छा तथा अंग्रेजी सरकार की सहैता से मुसल्मानों का कल्याण चाता था
14:42देवबंद विद्यालय विद्यार्थियों को सरकारी सेवा अथवा सांसारीक सुक के लिए तयार नहीं करता था
14:52अपितु इस्लाम धर्म को फैलाने के लिए सिछ्छा देता था
14:57इसके फल स्वरूप यहां भारत के भीन भीन भागों से तथा विदेशों से भी विद्यार्थि आने लगी
15:06राजनिती में देवबंद साखा ने 1885 स्वी में बनी भारतिय राश्टिय कांग्रेस का स्वागत किया
15:151888 स्वी में देवबंद के उल्मा ने सैयद आमतखां की बनाई सैयुक्त भारतिय राजभक्त सभा तथा मुस्लिम एंगलो ओरियंटल सभा के विरुद्ध फतवा धार्मिक अधीज दिया
15:32कुछ आलोचकों की यह धारा है कि देवबंद उल्मा का समर्धन किन ही निष्चित राजनितिक विश्वासों के कारण अथवा अंग्रेजी अंग्रेजों के कारण नहीं अपितु सर सैयद आमतखां के क्रियकलापों के विरुद्ध में किया गया था
15:52महमूद उल हसन 1851 से 1820 जो देवबंद साखा के नए नेता थे ने साखा के धारम के विचारों राजनिति तथा बौधिक रंग देने का प्रैतन किया
16:07उनोंने राश्टी अकांचाओं तथा मुस्लिम निष्ठाओं में समन्वे स्थापित किया जिसके फलस्वरूप जमात उल उलमा ने हसन के विचारों के अनुसाय धर्म की रच्चा तथा मुसल्मानों के राजनितिक अधिकारों को भारत की एक्ता तथा राश्टी उद्�
16:37देवबंद आन्धोलन को अब अगला आजाएए अहमदिया आन्धोलन यह क्या है भाई यह कौन सा अन्धोलन है इसे आप लोग देखी तो
16:47अहमदिया अन्धोलन की स्थापना 1889 वी में मिर्जा गुलाम अहमद
16:531828 से 1909 इनका समय है ने किया
16:58इस अन्धोलन का उद्देश से मुसल्मानों में आधूनिक पव्धिक विकास के संदर्भ में
17:03धर्मों पदेश और नियमों को उदार बनाना था
17:07मिर्जा गुलाम अहमद ने 1889 से में मसीहा और महदी होने के बाद
17:18धर्ती पर हिंदु देवता कृष्ण और ईसा मसीह का उतार होने का दावा किया
17:25गुलाम अहमद पश्चिमी उदारवाद ब्रह्म विद्या तर्था हिंदुवों के धार्मिक सुधार आंधोलन से अतिधिक प्रभावी थे
17:37उन्होंने अपने आपको ईश्वर का पैगंबर बताया जिसका उद्देश से भारत में सुध इसलाम की स्थापना करना था
17:471890 स्वी में उन्होंने बहरीन ए अहमदिया नामक पुस्तक लिखी थी
17:56थी अब आपने अभी तक जो मुस्लिम सुधार आंधोलन हुए हैं उसे आपने देख लिया
18:07अब अगला आजाये पार्सी सुधार आंधोलन इसे आप समझें कि भाई पार्सी सुधार आंधोलन में क्या हुआ है इसे आप समझें
18:18पार्सी लोग भी इस नवीन सुधारवादी वातावरण से बच नहीं सकी आप देख रहे हैं कि जो पास्यात्य का जो समाजिक सुधार आया है जो पास्यात्य संस्कृति का प्रभाव पढ़ा है तो आपने देखा कि हिंदू भी मुसल्मान भी प्रभावित हुए हैं और �
18:48कि हम लोग खुळ्छा कर रहे हैं जो समाजिक राजनीतिक उध्धार हुए हैं
18:53समाजिक और धर्मीक ओर उध्धार हुए हैं उसकी खकार्चय कर रहे हैं
18:59ठीक है तो अब आजाए ये
19:01पार्सियों के बारे में हम लोग चर्चा कर रहे हैं
19:041851 इसवी में कुछ अंग्रेजी सिच्चा प्राप्त पार्सियों ने
19:10रहनुमाय मजदाय स्नान सभाग गठित की
19:15जिसका उदेश से पार्सियों की समाजीक अवस्था का पुनरुद्धार करना
19:21और पार्सी धर्म की दुबारा प्राचीन सुध्यता को प्राप्त करना था
19:29इस आंदोलन के नेता थे नरोजी फर्दोन जी
19:36नरोजी फर्दोन जी
19:39दादा भाई नरोजी तथा आरके कामा
19:44इस सभा के संदेश को पार्सियों तक पहुशाने के लिए
19:48पत्रिका, रास्त, गुफतार, सत्यवादी चलाई गई
19:54पार्सी धर्म तथा कर्मकांड को सुधार गया
19:58तथा पार्सी धर्म के नियम इसपस्ट किये गये
20:03प्रैत निया किया गया कि पार्सी इस्तिरियों की दशा सुधारी जाये
20:08पर्दा प्रथा समाप्त की गई
20:18पर्था समाच का सबसे अधिक पास्चात्य प्रभावित पच्च बन गया
20:27और भीन भीन सुधार आंदलोनों ने सिच्चित भारतियों को एक आवस्यक आत्म विश्वास प्रदान किया
20:36जो वे इस प्रचार के कारण खो बैठे थे
20:39कि पश्चिमी संस्कृति अधिक अच्छी है
20:42इन सुधार आंदलोनों ने भारतियों को यह विश्वास दिलाया
20:46कि हमारा प्राचीन धर्म तथा संस्कृति बहुत महान है
20:52सिच्चित वर्ग को अत्यंत आवस्यक एक नया व्यक्तित भी मिल गया
20:57इस सुधार आंदलोनों के कारण भारतियों को बहुत से पुराने गले सडे तथा जूठे रीती रिवाज को त्यागने में सहता मिले
21:08जिससे वे बैज्ञानिक तथा तरक संगत विचारों के नवीन वातावरन में अपने आपको समंजस से कर सके
21:16अपनी बड़ी बात यह थी कि एक नवीन धर्म निर्पेच और राष्टवादी दिश्ट कुण भिक्सित हुआ
21:26इन सुधार आंदोलनों के कुछ परती गमनात्मक पच्च भी थे कुछ सुधारकों ने समराजिवाद के धाचे के अंदर अंदर समास सुधार किया और प्रतेश्च रूप से अंग्रेजों के परती अपने राजभक्ती प्रगट की
21:41जैसा के उदारन अभी आपने सरसायदा मत खांका देखा और भी कुछ लोग थे है ना दूसरे कुछ सुधारकों ने अपनी तूटियां मिटाते हुए पास्चात समाज को ही अपना अदर्स बनाया इसका एक अनिपच्छ यह था
21:57इसका एक अनिपच्छ यह भी था कि बहुत से सुधारकों ने नगरों के उच्छ तथा मद्यवर्ग तक ही अपने आपको सीमित रखा और ग्रामों में रहने वाले करोडो लोगों की अंदेखी कर दी
22:15इसका एक अनिपच्छ यह भी था कि इसकी कारण उग्र धार्मिक प्रेम उदै हुआ जिसी धार्मिक अहसेहिसूरता तथा संप्रदाइकता का उदै हुआ समराज्यवादी सक्तियों ने इसका लाब उठाकर राश्टी अंधूलन को कमजूर करने का प्रहत्म किया
22:37तो अब भाई आपने पार्सी अंधूलन को समझा और क्या रणनितिया चल रही थी अंग्रेज के दिमाग में क्या चल रहा था कुछ लोग किस तरह से राजभक्ति प्रदर्शित कर रहे थे वो भी आपने समझा
22:54बाकी और
23:04अब आजए ये सिख आंधूलन को आप लोग देखें दोस्तों सिख सुधार आंधूलन ये क्या है भाई अब आप समझें सिख सुधार आंधूलन को
23:13सिख धर्म संसार का सबसे नवीन धर्म है है न और इसके प्रणिता गुरु नानन थे ये सबसे नया धर्म है सिख धर्म और सबसे पुराना धर्म कौन सा है जैसे हिंदू धर्म है इसको सनातन धर्म बोलता है बोला जाता है आपने देखा कि हमें इसके प्रमार्ष हिंदू
23:43आजाये सिख सुधारांधोलन पे हम लोग पढ़ते हैं इसको तो नामधारी आंधोलन एक अन्य सिख धर्म सुधारांधोलन था
23:53इसके प्रणिता बाबा राम सिंग और उनके सिश्व बालक सिंग थे
24:011920 इश्वी में सिरो मडी गुरू द्वारा प्रबंध कमेटी का गठन हुआ यह आप अकसर नाम सुनते होंगे सिरो मडी गुरू द्वारा प्रबंध कमेटी
24:11इसका कभ हुआ है गठन का समय क्या है 1920 इश्वी में
24:191922 इश्वी में सिक्ख गुरू द्वारा एक्ट पारित किया गया और 1925 इश्वी
24:311925 इश्वी में इस अधनियम में संसोधन किया गया ठीक है अब बाकी दोस्तों जो है
24:51उन्नैस्वी और बीश्वी सतापदी को आब आप समझ लिजी आए
25:03उन्नैस्वी और बीश्वी सतापदी में जो समास सुधारांदोलन हुए है
25:08जो कुछ सुधारों को तो अभी आपने पीछे के वीडियों में भी पढ़ लिया है
25:15एक बार आपका रिवाइस भी हो जाएगा और अच्छे से आप समझ भी लेंगे
25:18तो उन्नैस्वी बीश्वी सतापदी में जो समास सुधारांदोलन हुए है
25:22जो समाजिक सुधारांदोलन हुए है उसे आप जो है समझ लिजी
25:28जैसे जीवन के प्रति आधोनिक सिच्छा, विवेग, तया और विज्ञान
25:33पूर्ण दिश्ट कुण अपनाने के फलसरूब भारत में धार्मिक सुधारांदोलन आरम्ब हुआ
25:40ठीक इनही कारणों से उन्नैस्वी और बीश्वी सतापदी में
25:45समा सुधारांदोलन आरम्ब हुआ
25:49राजा रामोहन राय धार्मिक छेतर में सुधारक थे, उन्होंने समा सुधार के छेतर में भी स्रीगरिष किया
25:58सिग्रही समा सुधार धार्मिक सुधार का आवस्यक अंग बन गया
26:03सभी संप्रदायों में अर्थात हिंदूों में ब्रह्म समाज, प्रात्ना समाज, आरि समाज, राम कृष्ण मिशन, थियो सोफिकल सोसाइटी
26:14ये जितने भी आपने अभी नाम सुने सब के बारे में मैं आपको बता चुका हूँ, अगर आपने नहीं देखा है
26:20तो पीछे के वीडियो में आप जा करके देख सकते हैं, इनके बारे में पढ़ सकते हैं, सुन सकते हैं और मुसल्मानों में, पार्सियों में, सिखों में, सभी में देखने कों मिला, अभी पार्सियों के बारे में आपने पढ़ा, सिखों के बारे में आपने समझा, चीक है
26:50तीन जो क्रमों का वड़न किया है, वो कौन-कौन से हैं, आप समझिए, पहला अवस्था जो है, जब सुधारकों ने धर्मबंधनों से बधी,
27:03वेक्तिगत रूप से बिद्रो किया, ये अवस्था राजा रामोहन राय की काल से अठा सो अस्थी तक चली,
27:14दूसरे क्रम में, बेहरम जी माला बेहराम जी माला बारी और भारती राष्टिय समाजिक सम्मेलन के प्रेतनों के फल्स रूपिय समाश सुधार अंधोलन राष्टी अस्थर पर आया,
27:32तीसरी अवस्था तब आयी जब समाश सुधार को राष्ट की आत्मा के जागरण के संग ही जोड़ दिया गया, इसे बीशवी सताबदी के उग्रवादी नेताओं के कारे से संबद किया जाता है,
27:49इसमें छवता करम उस काल में जोड़ा गया जब महात्मा गाधी के नित्वित में समाश सुधार भारतिय समाज के सरुतो मुखी पुनर जीवन का भाग ही बन गया, समाश सुधार का मुख्य उद्देश से समाजिक कुरूतियों को दूर करना, पुर्सों और महिलाओं में स
28:19जैसे सती प्रथा, सिशु हत्या, बाल विवाह, बहुपत्नी प्रथा बंद की जाए,
28:26बिधुआ विवाह को लोकप्रिय बनाय गया, पर्दा प्रथा थी उसे समाप किया जाए, इसके लिए
28:37सिश्चा का प्रबंद और आउसर दिये जाए, उन्हें आर्थिक छेतर में अगरसर होने और आत्मनेभव बनने की आउसर दिये जाए,
28:46अंत में उन्हें वोड देने का अधिकार देकर भारत के राजनितिक जिवन में सहयोगी बनाय जाए,
28:53दूसरा समास सुधार का मुख्य केंडर हिंदु समाज में जाती पाती के बनधन और सुद्रों और विशेष कर अचूतों के प्रति दुर्वहार था,
29:04इन दोनों सब्दों, दोनों प्रश्णों में पहला प्रश्ण मुख्यता है,
29:09उन्नैस्वी सताबदी में हमारे प्रयत्नेव का मुख्य केंडर बना रहा,
29:16दूसरी इस बीश्वी सताबदी में विशेष कर राजनितिक स्वरूप के कारणा।
29:21तो भाई, ये सब जो सुधार थे, जो आपने अभी सुना, ये समाजिक सुधार थे, उन्नैस्वी और बीश्वी सताबदी के, ठीक है?
29:39और कुछ बीश्वी सताबदी के भी आप समाजिक सुधार को समझें, बीश्वी सताबदी के समाजिक सुधार अंधोलन की विशेषता यह थी,
29:54कि अखिल भारती और प्रादेशीक अस्तरप बहुत सी संस्थाएं इस उद्देश से बनी, सुरी महादेव गोबिंद रानाडे ने सीमित उद्देश्यों को लेकर 1887 में भारती राष्टिय समाजीक सम्मेलन की स्थापना की,
30:121903 में बंबई समाश उधारक सभा बनाई गई, मद्रास में मिसीज एनी बेसंट में एक हिंदू सम्मेलन स्थापित किया,
30:25सितंबर 1932 में अखिल भारती अस्प्रिश्यता निवारक संग स्थापित किया गया,
30:32आगे चलकर इसका नाम हरिजन सेवा संग रखा गया, इस्तिरियोंने भी स्वेम भी अपने अधिकारों के लिए अंधोलन करने के उद्देश से, 1926 इसमें अखिल भारती महिला संग स्थापित किया,
30:48इसी परकार दलीच जातियोंने स्वेम अखिल भारती दलीच जातिय सभा और अखिल भारती दलीच जातिय संग स्थापित किये।
30:59यदभी कुछ समाजिक बुराईयों जैसे मिछ्छा वृत्ति और समाज और सराप पीने की ओर ध्यान इस सतापदी में गया भी,
31:12परम्तु इस्त्रियों की सुद्रों की यवस्था सुधाने के प्रस्ण अधिक महत्पूर रहे, विशेशकर महत्मा गाधी के निर्तित्में।
31:20उन्होंने पर्दे की निंदा की, अखिल भारतिय महिला संग ने भी पर्दा प्रधा को बुरा कहा, महत्मा गाधी ने इस्त्रियों को पर्दे से बाहर आकर राष्टी अंधोलन चर्खा कातने और धर्नों में भाग लेने को कहा,
31:37उन्हिस्यों तीस इस्वी के महत्मा गाधी के सविने अवज्या अंधोलन में इस्त्रियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया और जेल भी गई।
31:48एक विदेशी पतरकार ने जो यहां तक कहा कि यदि इस अंधोलन से और कुछ प्राप्त न हुआ हो, केवल इस्त्रियों की सुदन्ता ही प्राप्त हुई हो, तो भी ये बड़ा काम हो गया।
32:03जब मुस्लीम लीग के प्रयतनों के फल सुरूब डलीत वर्ग को प्रिथक स्थान देने का प्रयतन किया गया, तो कांगरेश तथा अन्य हिंदुवों, हिंदु संस्थाओं ने इसे अपना मध रखने के लिए भरसक प्रयतन किया।
32:18उन्नी सो अथाईस इस्वी में कांगरेश ने भी इस विशय में एक प्रस्थाओं पारित किया, जिसमें कहा गया कि जाती प्रथा, हिंदु जाती के एकी करण में बड़ी बादा है, अता इसे समाप किया जाना चाहिए, इसके लिए अंतरजातिय भोज और अंतरजातिय व
32:48मात्र माना और गाधी जी की कड़ी अलोशना की स्वयम बाउध बन गये तथा अपने मित्रों को भी बाउध बनने को कहा।
32:58भारती समिधान में अस्प्रिशिता को अबएद गोशित किया गया, डलित वर्ग के लोगों के लिए केंद्री तथा राज्ये विधान सभावों तथा सरकारी सेवावों में स्थान सुरच्ची तकनिक रखे गये हैं, ये सब ठीक दिसा में ठीक प्रैतन हैं, जाती प्रथ
33:28कि ये उननेश्वी और बीश्वी सताबदी का जो समाजिक सुधार था, उसके बारी में आपने बढ़ा, तो बीडियो यार हो गया है बड़ा, तो दोस्तों ये इसी पे समाप्त करते हैं, बाकी जो आप देख रहे हैं, ये यहां से यहां तक के जो पॉइंट है, इसे हम अ
33:58गली बीडियो में बीडियो आपने देखा इसके लिए आपका बहुत धन्यवाद

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