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  • 2 days ago
Part- 02 पर्यावरण संकट पर विश्व समुदाय का ध्यान (POL--समकालीन विश्व राजनीति-8--वैश्विक राजनीति में पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन)

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00:00अज़े प्रियावरन और प्राकरतिक संसाधा इस चेप्टर में हमने यह जानने की कोशिश की थी कि क्यों अवशक्ता पड़ी परियावरन को लेकर के चिंता जताने की
00:21इसमा आपने देखा कि किस प्रकार से 1960 के दसक से परियावरन से जुड़े हुए विद्वत लोगों ने इस पर चिंतन करना प्रारम किया
00:31कि परियावरन है तो हम है परियावरन जो की लंबे समय से अध्योगी करन नगरी करन के कारण प्रोदूशन का सिकार होता जा रहा था लेकिन नीम्द लेट उड़ी क्योंकि पता बहुत लेट चला कि अब अगर हम नहीं जगे तो बहुत जल्द इस धर्ती पर सब कुछ समा
01:01हो जाएगा क्योंकि आपने पिछली क्लास में देखा था किस प्रकार से उजोन पर जो की हमारे जीवन के लिए बहुत इंपोर्टेंट है वह बहुत ज्यादा दुस्ट प्रभावित हो रही है परियावरन प्रदूशन की विज़े से
01:14कार्बंटाय ऑकसाइड मेथेन टो फ्लोरो कार्बन यह वह गैसे जो कि इस धर्ती पर दिन बढ़ती जा रही है और बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है और जो कि करन के कारण जैसा कि आप देख रहे हैं बड़ी बड़ी फ्रक्टरी इस खुलती है बड़ी बड़ी उद्य
01:44है उस प्रदूशन ने बहुत ज़्यादा प्रभावित किया है इस धर्ती को इसलिए दुलिया के बड़े-बड़े विद्वान लोगों ने सीखर ही इस पर चिंतन प्रारम किया पिछली क्लास में आपने देखा था कि इस प्रकार से 1972 में लेमिट्स टु ग्रोथ नामक उस
02:14जल्दी सेंट पराष्टर संग में सेंट पराष्टर संग की एक एजिंसी जो है जिसका नाम है उसके द्वारा समय समय पर ऐसे सम्मेलन आयर्जित करवाए गए जिसके मातिम से यह तरीके सुझाये गए कि हम कैसे परियावन को बचा सकते हैं
02:31और इसमंयलन में समयलन में लगवक संतर देशोंने भाग लिया और �cken सुम्मेलन आगे बढ़ सकते हैं
02:53तो इस्टुटेंट्स आज की इस क्लास में हम इन ही सम मुद्दों पर आगे बढ़ने जा रहे हैं और देखते हैं हम सुरुवात कहां से करेंगे।
03:00सुरुवात हमारी वहीं से होगी जिस पर हमने तलकी क्लास में अदूरा चोड़ा था हम इसी बिंदू पर चर्चा कर रहे थे थोड़ा सा यहां से चर्चा करते हम इसको कंटिनूस करेंगे।
03:10कनेक्ट करने के लिए आपको पिछली बार जो पढ़ाया गया था उसके लास्ट पॉइंट सा आपको जोड़ा जा रहा है।
03:15देखें परियावन संक्रट पर विश्व समुगाय का ल्यान उनिस्साट का दशक जो है जैसा कि आपने पिछली क्लास में भी देखा था उनिस्साट के दशक में यह
03:27कि मैसूस किया गया कि हम परियावन को लेकर करके अब चिंता करने की आवश्यक्ता है
03:33कि उनिस्साट के दशक के बाद राजमतिक चरित्र ग्रहन किया इस सोच ने वैश्विक मामलों के सरोकार रखने वाले विद्वत समुझ जैसा कि अभी मैं आपको बताया था
03:44क्लब आफ रोग ने 1972 1972 में लिमिट्स टु ग्रोथ सीर्षक से एक पुस्तक का प्रकाशन करवाया यहां पुस्तक दुनिया की बढ़ती जनसंक्या के अलोग में प्राकर्तिक संसादनों के विनास के अंदेशों को बड़ी खुबी से बताती है अर्था जनसंक्या जिस गती
04:14अन्यक्त अंतराश्री संगत्नों ने परियावन से जुड़ी समस्याओं पर सम्मेलन कराए और इस विशाय पर ध्यान को बढ़ावा देना सुरू किया इस प्रियास का उद्देश्य परियावन की समस्याओं पढ़ जादा कारगर और सुल्जी हुई पहल कदमियों से शु
04:44जोग्रोफी का एक सत्रिक है लेकिन जिस प्रकार से परियावरन पर एक चिंतन किया गया और लगा कि अब इसको नहीं बचाया गया तो सब कुछ समाप्त हो जाएगा ऐसी स्थिती में राजमिति विज्ञान यह फिर हम यह कह सकते हैं प्लिटीशन जो होते हैं चोंकि एक �
05:14परियावरन और विकास के मुद्य पर केंद्रेट एक सम्मेलन जो कि ब्राजील के एक शहर रियोडी जनेरियों में आयोजित करवाया गया था जिसे हम प्रत्वी सम्मेलन या अर्थ सम्मिट कहकर के पुकारते हैं यहां पर बहुत बार प्रशन पूछे जा चुके हैं इसम
05:44वेश्विक राजनिती के दाइरे में परियावरन को लेकर बढ़ते सरोकारों को इस सम्मेलन में एक ठोश रूप मिला इस सम्मेलन में पांच पांच साल पहले यानि कि 1983 में अवर कमन फूचर सीच सक बटलेंड रिपोर्ट छपी थी
05:59रिपोर्ट में चेताया गया है कि आर्थिक विकास के चालूत और तरीके आगे चलकर टिकाउ साबित नहीं होंगे विश्व के दक्षनी हिस्से में और जोगिक निकास की मांग प्रबला देखिए मैंने कल जब क्लास को एंड किया था तब यही बताया था आपको कि हम यहा
06:29यह है वो धर्ती जिसको हम दो हिस्सों में बाढ़ सकते हैं यहां पर है उत्री गोलार्थ यह है उत्री गोलार्थ और यहां है दक्षनी गोलार्थ
06:42जिल्देश काहा है उत्री गोलार्थ के देश हैं इनको तो कहा जाता है विकसित देश क्या कहा जाता है विकसित
06:55क्योंकि यहां पर अधिक्तर देश विक्षित हैं और वहीं अगर हम दक्षनी गोलार्द की बात करें तो यहां पर है विकास शिल्देश
07:02विकास शिल्देश
07:05जादा तर विकासिल देश दक्षिनी गोलार्ग में हो जादा तर विक्षित देश कहा है उत्री गोलार्ग में है
07:13तो यहाँ पर आप देखेंगे विश्व के दक्षिनी हिस्से में उद्योगीक विकास की मांग जादा प्रबल है
07:18अर्थात यहाँ पर अद्यूगिक विकास की मांग प्रबल है
07:21क्यों है? उत्री गोलार्द के देश जिमकों विक्सित कहते हैं
07:25वो तो पहले ही विकास कर चुके हैं
07:28इसलिए वहाँ अब विकास की संभावना उत्री नहीं है
07:30जितनी की दक्षणी गोलार्द में है
07:32यहाँ ज़्यादा विकास के लिए प्रयास्त किये जा रहे है
07:35दक्षणी हिस्सेन अद्यूगिक विकास की मांग ज़्यादा प्रबल है
07:39और रिपोर्ट में इसी हवाले से चेताव ने दी गई
07:41देखे यहाँ एक प्रश्न क्या पूछा जा सकता आपसे
07:43कि दक्षणी गोलार्द में विकास की मांग ज़्यादा प्रबल है
07:48इस बात को कौन सी रिपोर्ट में चेताया गया है
07:53तो यह है अबर कमन फ्यूचर
07:561987 में यह जो रिपोर्ट प्रकासित हुई थी
07:59बर्टलेंड रिपोर्ट के नाम से जाना जाता है
08:01इसमें यह बताया गया
08:03कि दक्षणी गोलार्द के देशों में विकास की मांग प्रबल है
08:06और चेताम नहीं दी गए थी
08:09रियो सम्मेलन में यह बात खुलकर सामना आए
08:11कि विश्व के धनी और विक्सित देश यानि कि उत्री गोलार्द
08:15यह बेखे उत्री गोलार्द के धनी और यहाँ पर विक्सित देश है
08:17जबकि गरीब और विकास से लडेश यानि कि दक्षणी गोलार्द
08:21परियावरण के अलग-अलग एजिंडे के परोकार है
08:23क्यों परियावन के अलग-अलग एजेंडे के परोकार ये दौनों ही गोलार्थ बन जाते हैं
08:28क्योंकि उत्री गोलार्थ अल्डेडी विक्सित है, दक्षिनी गोलार्थ विकास के और अग्रसर है
08:33पुत्री गोलार्थ, दक्षिन गोलार्थ के देशों पर ये आरूप लगाता है
08:38कि आप परियावर्ण को अधिक नुक्सान पहुँचा रहे हैं
08:41जबकि दक्षिनी गोलार्थ के देश ये कहते हैं
08:45किसे पूर्व परियावन को आपने नुकसान पहुंचाया है।
08:48हम तो अब विकास के और अंगरसर हैं।
08:50तो हमारे दुआरा जो भी परियावन को नुकसान पहुंच रहा है।
08:53वो उसकी सुरुवात बहुत लेट हुई है।
08:56आपने तो वो सब काम पहले ही कर लिया है।
08:58तो जिम्मदार तो दोनों ही इसे साफ से बराबर ही हुए।
09:01इसे कदम आगे बढ़ते हुए।
09:04दक्षनी बोलारत के देश यह भी कहते हैं।
09:06कि जितना हम नुकसान पहुंचा रहे हैं।
09:08जाए उससे कहीं बुणा ज्यादा उठान आपने पहुंचा रहा है।
09:11इसलिए अब इस परियावरां को बचाने की ज्यादा जिम्मदारी भी किसकी है।
09:15विक्सित देशों की है।
09:17तो यह प्रशन भी पूछा जा सकता आपसे कि यह बात जो है।
09:21वह कौन से सम्मेलन में उठी। रियोडी जनेरियो सम्मेलन में यह बात उठी।
09:26कि दक्षनी गोलार्ट और उत्री गोलार्ट दोनों के विकास के सावकार हैं वह अलग-अलग है।
09:33पडियर्वन के अलग अजियंडे के प्यरोकार हैं दोनों ही उत्री घॉलार्थ की बुख्य चिंता ऑजोन परत की छेट केरें
09:40देखिए ऊथरी घॉलार्थ के देश वेंवार्थ पुलेखको लेकरो अधिक चिंते थें
09:45है कि अगर वh जोन परद इसी प्रकार से वोजोन परत को नुक्सान
09:50पहुच आप तो जो वेस्विक ताप्रदी हूड होएं उससे जो नुक्सान
09:54होगा वह स्यनक दक्षणी गुलार्त की देशों को नहीं होगा वह तो इस धरती
10:00पर रहने वाले सभी देशों को होगा तो अगम की चिंता वहाँ है कि हम कैसे इस उजोन परत को बचाएं
10:08उत्री देशों की मुख्य चिंता वह जोन परत की छेट को लेकर के हैं और वैस्विक ताप प्रदियन की ग्लोबल वार्मिंग को लेकर के थी दक्षिन देश आर्थिक विकास और परियावरन प्रबंदन के आपसी रिष्टे को सुझाने के ज्यादा चिलते हैं
10:26यह है दियो डिजनेरियों की जो चर्चा हुई थी उस चर्चा में दो अलगलग द्रश्टिकॉन सामने आये थे जहां उत्री गुलाड के देशों का द्रश्टिकॉन मुख्य रूप से किस पर आधरी था गोजोन पर अपने हुने वाले छेट को लेकर के चिंता जता ही जा
10:56और द्रियों संन्हिननने जल्वाइउ परिवरतन जया विविगता ओर वालित्ती की संबण में कुछ नियाम आचार द लगते हैं
11:20है है है
11:22इसका मतलब यह है कि जितने भी देश हैं वो सभी अब जो आपना आचरन करेंगे, वो कुछ नियमों के तहत करेंगे।
11:28और वो मुख्य रूप से किसी संवन्दित है? जलवायू परिवर्तन, जयव विविक्ता और वाने की।
11:34जलवायू परिवर्तन तो आप सबी जान रहे हैं, वर्तमान समय में जलवायू परिवर्तित होती जा रही है।
11:39आप देख रहे हैं, वेस्विक तापुरती बढ़ रही है, दुनिया के देश, दुनिया के वग्यानिक, अलग-लग प्रकार की गुशनाय कर रहे हैं, कुछ लोग कह रहे हैं, हिम यूग आएगा, हिम यूग का मतलब है, सब कुछ बर्फ बन जाएगा, वो भी अमार लिए घ
12:09आए हैं, तो जलवाई उपरिवर्ता, फिर जयाव विविदृता, हमारे यहां पर, मैंने पिछली क्लास में बताया था, कि धर्ती पर, जयाव विविदृता होनी बहुत जरूरी है, जितने भी जीव हैं, वो सभी जीवित रहने जरूरी है, अगर इनने से कोई भी जीव �
12:39इस बात को लेकर के चिन्तित हैं कि जयाव विविदृता को कैसी बचाए जाए, इस धर्ती पर इंसान ही एक ऐसा जीव है, जिसने उत्रों तर तरक्की की है, और उसकी तरक्की ऐसी हुई है, कि उसमें बाकी जीवों को नुक्षान पहुचाना सुरू कर दिया है, एक समय म
13:09कि जीवों को अब रुक्षित करने लगा है, तो यहाँ जयाव विविदृता पर और वानी की, वानी की का मतलब होता है, वनो, वानी की, व्रक्षा रूपन, पौधा रूपन, व्रक्षा रूपन जिसको कहते है, व्रक्षा रूपन, वानी की, व्रक्ष जो है, वो दिन ब
13:39इस पर भी प्रश्न पूछा जाता है एजेंडा 21 का संबन की से है रियो संबनन से है एजेंडा 21 के अंतरगत 21 नियम जो ये नियम अचार आप कह रहे हैं लिए कितने है 21 नियम है एजेंडा 21
13:57एजेंडा 21 यानि कि 21 नियम है इन 21 नियमों का पालन दुनिया के देशों को करना होगा तभी हम इस परियावन को बचा सकते हैं लेकिन इसके बाद भी आपसी अंतर और कठिनाईयां बनी रही आपसी अंतर और कठिनाईयां किसमें बनी रही कि ये किस नियम क्या सभी देश ब
14:27कि आज विक्सित देश तों 21 नियमों का पालन करने की इस्तिती में हैं, लेकिन विकासित देश इस हालात में नहीं है, उनके अर्थ्वेवस्ताओं को अलाउं नहीं करती है, कि वो इन 21 नियमों का पालन कर सके हैं।
14:57कि वो उच्छ क्वालिटी की टेकनोलोजी का प्रयोग कर सकें, जिससे कि वो बचा सकें। तो यह बोग अलग अलग देद हैं, आर्थिक व्रदी का तरीका ऐसा होना चाहिए, कि इससे प्रयावन को नुक्सान ना पहुंचें।
15:24कि यान्ग की आप जो बोट करना चाहते हैं में आप जो कारना चाहते हैं
15:33हभ कुद्ध भी से दिए जादै है और मिकाषिल देशों के तुर अवशकता है इससे आगे बढ़ना क्योंकि वह
15:42ही सभी चाहिए कि इससे प्रयाव लुक्षान पहुंचे कि इगजाम में यह भी प्रूच्न पूचा जा सकता है जिस
16:12परियवर्म को नुक्सान न पहुंचे इसे टिकाव विकास कहा जाता है जिसको सस्टेनेबल डवलप्मेंट कहा जाता है जैसे कि हम एक उर्जा प्राप्त करते हैं कोईला से अब कोईला इस धर्ति के अंदर एक क्लिमिट में है क्योंकि वो भी एक खनिच्पदार्थ है एक �
16:42एनर्जी प्राप्त कर सकें और आज ही तारिक में एनर्जी सबसे बड़ा साधन है विकास का हम दो कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते अगर हमारे पास एनर्जी नहीं आपके घर में जो लाइट चल रही है सोचिए दू मिनिट के लिए कोईला सम आप हो जाए तो गहर में ल
17:12कि ही होगी और बिना रोष्णी के बिना बिजली के अब क्या कर पाएंगे कुछ भी नहीं कर सकते हैं इसलिए टिकाओ विकास की जरूर्ट है हम ऐसा दूसरा तरीका डूड़े जिससे की हमें बिजली तो मिले लेकिन हमें उसके लिए पर डिपेंडेंस नहीं लेना पड़
17:42और हम सूरज को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचाएं ऐसा नहीं है कि हमने ज्यादा सौर उर्जा को इखटा किया तो सूर्य भण्वान जो है उनकी उर्जा ही एक दिन समाप्त हो जाएगी वो उतनी ही उर्जा हमें मिलती रहेगी वो कभी समाप्त नहीं होने वाली है वो
18:12इसको करते हैं sustainable development टिकाव विकास का तरीका कहा गया है लेकिन समस्या यह थी कि टिकाव विकास पर अमल कैसे किया जाए कुछ आलोचकों का कहना है कि एजेंडा 21 का जुकाव परियावरन संक्ट्षन को सुनिश्चित करने की बजाए आर्थिक व्रद्धी किया है यह आलोच
18:42विकासिल देशु की आर्थिक व्रद्धी रुख गई तो विकासिल देशों के पीछ में जो एक गैप है वो गया और भट जाएगा और यह विकासिल देश हमेशा विक्सित देशों पर डिन फर रहेए ह।
19:00और विक्सित देश इसका लाब उठाएंगे विकासित देशों पर, मन मारे नियम ठौपेंगे और उनका एक तरह से सोचन करेंगे।
19:07तो ये कही न कहीं चिंता का विशय माला गया है।
19:10आईये अपरियावम की वैश्विक राजनिती के कुछ विवादित dots पर नजर ढालते हैं।
19:19जिन पर हम नज़र बाते हैं अर्था जिन पर्विशार करते हैं।
19:23सबसे पहले देखिया विश्व की साजहा संप्दा की सुड़िशा।
19:28कफिसाजा संपदा या साजी निराषक कि इसको खालता है वह क्या है विझा सबसे पहले उस पर विचाल करते हैं ज� smokhero che tada
19:41जैसे या इसांफर के तौद तहां निया तो सफिवक एद सबक्राख करते हैं जैसे के आप जामपल के तोडर कह सकते हैं एक
19:55संयुत परिवार कि लोग एक साथ रहते हैं, साजा चुला होता है उनका, एक ही जगर पर किचन होता है और वही पर सबका एक साथ बोजन बनता है, उनका अकाउंट भी एक ही होता है, अकाउंट एक का मतलब है, काम जितने भी लोग कर रहे हैं, सबके अपने अकाउंट में प
20:25लिए इस वेश्व के अंदर कुछ ऐसी चीजें हैं,
20:29जिनको हम साजा संपदा के अंतरगत रख सकते हैं,
20:32जिस पर सबका एक समान अधिकार है,
20:36इसमें हम example ले सकते हैं जैसे समुद्र है,
20:40अब समुद्र पर किसी भी एक देश का अधिकार लेगी,
20:42वो साजा संपदा के अंतरगत आता है
20:45थी किसी तरह से हम कह सकते हैं जलवाई
20:48जलवाई उपर भी किसी एक काधिकार है
20:51किसी एक देश की जलवाई हुगा
20:53वो यह कह सकता है कि यह जलवाई इतनी हमारी है
20:56इस पर आपका कोई हक नहीं है
20:58हम अपने देश के अंदर नदीओ को तो अपना कह सकते हैं.
21:01हमारे देश में पाय जाने वाले खनिश अंसाथमों को तो हम अपना कह सकते हैं.
21:05लेकिन जहां किसी देश की सीमा नहीं है, वो है समुधरी सेत्र.
21:11वो तो सब का हु�anchal
21:12जलवायू जो किसी के सेत्र तक सीमित ही नहीं
21:16भारत की जलवायू पागिस्तान तक जाती है और पागिस्तान की जलवायू भारत तक आती है
21:21इस पर ना पागिस्तान का हक है इस पर ना भारत का हक है
21:25तो इसका मतलब यह है कि यह साजा संपता का एक एक्जामपल है
21:29यह किसी प्रकार से आप कह सकते हैं
21:32अन्टार्क TSA
21:37यह जो अन्टार्क TSA है
21:39एक एक ऐसा महाद्वीत है
21:41जो निर्जन है जिना जिस पर कोई नी रहते हैं
21:44और इस पर सबका हथ बराबर है
21:48पूरे ग्लेशियर से बरफिय पहाड़ है
21:52यहां पर केवल विज्यनिक जाते हैं विज्यनिक प्रयोग करने के लिए और कुछ लोग जाते हैं इसका ब्रह्मन करने के लिए
22:01ऐसी जगों को ऐसी चीजों को हम साजा संपदा के अंतरगत रखते हैं
22:08तो देखिए, साजी संपदा उन संसादुनों को कहते हैं जिन पर किसी एक का नहीं, बल्कि पूरे समुदाय का अधिकार होता है
22:16विच्छो के कुछ हिस्सों और क्सेत्र किसी एक देश के संपर्गु शेत्र अधिकार से बाहर होते हैं
22:22संप्रगु शेत्र अधिकार से बाहर हुने का मतलब मैंने आपको बताया कि भारत देश के अंदर नदिया भारत की है
22:30जंगल भारत के है पहार पठार भारत के है
22:34पेट्रॉल निकल रहा है, कहीं से कोईला प्राप्त हो रहा है, कहीं से लोगा प्राप्त हो रहा है, भारत का है, लेकिन कुछ ऐसे शेत्र हैं, जो कि समप्रभू शेत्र अधिकार से माहर है, जो किसी देश के अधिकार शेत्र में नहीं आते हैं, इसलिए उनका प्रबंदन सा
23:04मतलब है और जिस्पर सबका हग जिम्मेदारी को उसकी नहीं लेता है कि इसको बचाने में हम
23:12कि तो यहां जरूरी है कि अंतराश्ट् aceमदाय मिलकर यह जिम्मेदारी उठाए इन्हें व्येंसविख शम्पदा या मानुपा की
23:22साजी विरास्त कबाता है वैस्विक संपता या मानुता की साजी विरासत
23:27मद्वानुता के विशुक संपता है कि साजी विरासत क मतलब है यह प्रदान गहें, revenue जाती
23:34की वो विरासत है जो प्रकृति भाकर दान की ओर सब कर सुब्सक्रों बाइन आ
23:40कि दुक्र अवा थे प्रविका वायु मफान्दल अंद सदाओं।
23:54कि जिसके अंदर और अन्य प्रकार की पड़ते हैं। है क्यelliğ Commission पर्तेर जिनमें veure
24:00में में थासा मांदल कुल थे फोड़ा सा फर्ली आपिन को षेसा
24:10क्योंकि जो जोग्रोफ़ी के स्टूडेंट है वो तो इस पात ने सामझते हैं कि दॉनों में हैं जब हम वायू मंदल की बातंगे पातंगे उपर जो वायू मंदल की अंतरगत रखते विसका यह नहीं आप जो्खो फराद भी है जो कि परागेंगी विद्वा को रोकती है
24:26और हमारे इस धर्ती पर एक ऐसा तापमान मेंटेंग रखती है, जिसमें कि हम सुरक्षित जीवन व्यत्रीप कर सके हैं, लेकिन जब जलवायू की बात करके हैं, तो जलवायू का मतलब है हमारे आसपास का वो वायू वाला शेत्र जिसको हम अपने साथ जोड करके रखते हैं
24:56तो यहां आपने देखा जैसा की बताया गया है, जैसे अवयूमंदा है, अंटार्प्टी का है, समूद्र चतर है, बहरी अंत्रिक्ष है, अंत्रिक्ष भी इसमें बहुत इंपोर्टेंट है, आप देख रहे हैं कि वतमार सहे, स्पेस, अंत्रिक्ष यहां पर दुनिया के �
25:26अंत्रिक्ष में हक जवाने की एक होड चल रही है, जहां पर सभी देश यह चाते हैं कि हमारे स्पेस स्टेशन हो, और स्पेस स्टेशन वो जगह है जहां से उपूरी दुनिया पर नज़र लख सकते हैं, हमारे यहां पर क्या चल रहा है, आप देखते हैं, वर्तवान समय म
25:56सेटलाइट्स हैं, उन सभी सेटलाइट्स के माध्यम से हम दुनिया के देशों पर नजर भी रख सकते हैं, अमेरिका पूरी दुनिया पर नजर लखता है, इसमें भारत में जशल मेर में क्या चल रहा है, जोदपूर में क्या चल रहा है, भारत-चीन बॉर्डर पर क्या च
26:26जो कि हमारे सुर्फशा व्यवस्ता के लिए इंपोर्टेंट है Сп कि ella season identify
26:33स्झेसं संपता के अंतर कर एक्जाम में सीधा प्रहस्टन पूछा जा सकता हुगा जो यूसरे नहीं
26:42जिसमें तीन विकल्प तो होंगे जो सम्मंदित होंगे एक विकल्प ऐसा होगा जो सम्मंदित नहीं होगा
26:49तो हमें उस विकल्प को चूस करना होगा जो कि उससे मैच नहीं करता है
26:54यहां पर आप देखिए अंटाक्तिका के बारे में एक महत्वपून जानकरी आपको दी जा रही है
27:01वह निर्जन शेक्तर जिसके अभी हम चर्चा कर रहे थे
27:04जिस पर दुनिया के सबी देश अपना हक जमाने की कुशिस करते हैं
27:08वह क्या है उसका सित्रफल कितना है उसकी विशेस बात क् Chung देखिए अंटाक्तिका
27:15महा देशी का मतलता है महाद्वीप अंटाक्तिका महा देशी पेदीह इचलाओ किल्様 में प्रूब्स
27:23बहुत बड़ा है इसका गर एक करोर चालीस लाग वर किलुमेट्र है
27:27यह हैं इसका पुराकार एक करोड़ चालिस लाख वर्ग किलो मेटर विश्व के निर्जन शेतर का 26 प्रफिसत हिस्सा इसी महादेश के अंतरगता आता है
27:42देखें निर्जन शेतर किसको कहते हैं निर्जन शेतर कहा जाता है जहां कोई नहीं रहता
27:53जहां कोई निवास नहीं करता हो और इस्पेशली मैंने यहां पर मनुष्य लिख दिया है जन का मतलब मनुष्य होता है
28:12क्योंकि यहां जीव जन्तु तो होते हैं जो इस परियावन के अंदर अपने अस्तित्कों को बचा कर रख सकते हैं
28:19वह तो वहां पर होते हैं लेकिन वहां पर इंसान नहीं रह सकता इंसान के वह स्थान सूटेबल नहीं है
28:26ऐसे पूरे विश्व का जितना हंडेट परसेंट एरिया है जहां लोग नहीं रह सकते
28:3126 परसेंट यानि कि 26 प्रतिशत शेत्र जो है वह अंटार्क्टिका है
28:37यह 26 परसेंट माता है
28:40यहां पर भी एक्जाम प्रशन पूछा जा सकता है कि अंटार्क्टिका पूरे विश्व के निर्जन सेत्र का कितने प्रतिशत है
28:51तो उसमें याद रखना होगा आपको 26 परसेंट 26 प्रतिशत है
28:55इस तलीए हिम का 90% हिस्सा और धर्ति पर मौझूद स्वच चल का 70% हिस्सा इस महादेश में मौझूद है
29:03जिके पहली चीज़ तो इस तलीए हिम का मतवि धर्ति पर जितने भी बर्फ है ग्लेशियर से पहाड़ है
29:12पहाड है, पूर्य धर्ती पर, उसमें से 90% इस एक जगे पर है, तो सोची बाकि 10% बाकि दूसरी जगों पर है, तो कितना बर्फ यहां पर है, पहली चीज तो यह है, दूसरा, इस धर्ती पर मौझूद जो स्वच जल है, बहुत कम है, ये भी धिया दखेगा, क्योंकि आपन
29:42धर्ती पर मौझूद टोटल जल में से स्वच जल जिसका हम प्रियोग करते हैं, वो बहुत ही कम है, और उसमें से भी 70% यहां पर बर्फ की रूप में मौझूद है, यानि कि 30% ही हम अभी काम में ले रहे हैं, जो इस धर्ती पर मौझूद है, एक तर से बहुत बड़ा स्�
30:12थे संभव नहीं है, अंटार्क्तिका महादेश का 3.60.000.000 वर्ग किलोमिटर तक अतरिक्त विस्तार समुदर में है, मतलब या अंटार्क्तिका महादेश जो है, यह समुदर में भी भैला हुआ है, और वो भी कम नहीं है, 3.60.000.000 वर्ग किलोमिटर है, चलिए, सिमित इस्�
30:42तंत्र, अत्यंत उर्वर है, जिसे कुछ पादप, देखी, उर्वर का मतलब है, जहां पैदावार हो सकती है, उसे कहते है उर्वर, और इसी कारण से यहां पर आप देखते हैं, सुक्षम, सेवाल, कवक, और लाइकें, ये वहाँ पर किसके रूप में पाए जाते हैं, पाद
31:12कवक होता है और लाइकेन होता है समुद्री इस्थनधारी जीव मत्षिय तथा कठीन वातावरण में जीवन यापन के लिए अनुकूलित विभिन पक्षी साविल है
31:25यहां पर निर्जन शेत्र में पढ़ाते वक्त मैंने क्या बताया मनुष्य नहीं रह सकता है
31:31मनुष्य को जिस तापमान में रहने का मनुष्य आदी है जहां वो रह सकता है उससे बहुत कम तापमान यहां पाये जाता है
31:39जहां मनुश्री का जीवन तो संभब नहीं है लेकिन यहां पर कुछ समुद्री जीव रहते हैं, कुछ पक्षी रहते हैं
31:46जो कि इसी वातावरण के अनुकूली थे जो इस माइनस जो तापमान चलता है वो वहां पर अपने आपको जीवित रख सकते हैं
31:57इसमें क्रिल मचली भी सामिल है, ये मचली की प्रजाती है, क्रिल मचली, बहुत सारी मचली की प्रजाती हैं जिनके नाम आपने सुने होंगे, यहां एक उसी का रूप है, क्रिल, आपसे एक्जाम में पूछा जा सकता है, क्रिल मचली सामाने ते आप किस जगे पाई जाती है
32:27जो समुदरी आहार स्रंखला की दूरी है और जिस पर दूसरे जानवरों का आहार निर्भर है
32:33यानि कि दूसरे जानवर इसको खा करके अपना पेट भड़ते हैं और मैंने क्या कहा कि आहार स्रंखला तूठनी नहीं चाहिए
32:41कि यह जितने भी जीव जन्तु है वो सब एक दूसरे का भक्षन करके ही जिवित हैं मैंना आपको क्या कहा था किस धर्ती पर रहने वाले मनुष्यों में से लगबग 70-80% के आसपास नॉन वजिटेरियन होंगे
32:56कि 10-20% अश्राइब जो शाकाहरी होंगे और उसमें भी इंदुस्तान में सबसे जाएं बाकी दुनिया कि जितने भी देश हैं वहां मासाहार बहुत जयादा है और मनुष्य ज्यादा तर जो है वो इसलिए मासाहार पर जीवन निफर करता उसका क्योंकि जो उसका पूरान
33:26कुछ ऐसे हैं जिनको कही न कहीं किसी ने किसी अन्य जीव पर नर्भर रहना पड़ता है तो यहां पर आप देखेंगे कि जो क्रिल मचली है वह आहट संक्ला का एक हिस्सा है उसका जीवित रहना बहुत जरूरी है इस चेन को बनाया रखने के लिए अल्टाक्तिका प्रदे�
33:56ल्टाक्तार पातार है यहां कि रुषीन हैं सोंचना स्पर फ्रोठ है कि एस से लाखों बरस पहले के वैयू मंद्र पाथा कि आनोए पंचा नहीं एक टो वहां चाना फूठ्स आ में 모든 जो पुराने तो पर पार भ्संтя आ जो को सृता है紹ाइस
34:26पर तो यह एके सकते हैं कि सब कुछ वण मदलने का मतलब यह है कि
34:32उन्होंने नएने संसादन इजाब कर लिये हैं, धर्ती को सीर फाड़ करके कहें चाहिए, धर्ती के अंदर जितने खनिश संसादन है, उन खनिश संसादन को ढूंग लिया है, समुदर की गहराई तक चला गया है, तो वनलब इंसान जहां पहुंचा है, वहां वो विनास को न
35:02जलबई तक का पता चल सकता है इस पर भी रिसर्च की जा रहे ही है विश्व के सबसे सुदूर थंडे और जहाजावाती महादेश अंताव ठिका पर किसका स्वामिन का है ये भी एक सवाल रुपता है कि ये वोक्षित्र है जो कि सुदूर इंसान की पहुत से बहुत दूर है
35:32अर्जेंटिना, चिले, नॉर्वे, फ्रांस, औस्ट्रेलिया, न्यूजलेंट ये अंतार्क्टिका पर अपना अधिकार जाताने वाले हैं जो ये कहते हैं कि अंतार्क्टिका पर हमारा अधिकार है अन्य अधिकांस देशों ने इससे उल्टा रुक अपनाएं कि अंतार्क
36:02अंताल्बिका के परियावरंड और पाणितीकी तन्त्र की कि सुरक्षा के नियम बने और अपनाए गये हैं यह नियम कल्पनाशील ौर
36:09दुर्गामी प्रत्रभाव बीचें को कहते हैं पहली बात दूसरा दुर्गामी प्रत्रतर लिखा गया यहां पर
36:17इसको समाजना जरूरी है तो पहले तो यह समझनी जिए किस अमत्वेट के रहते हैं मत्वेट कौन सा कुछ देश इस पर अधिकार जमाते हैं और कुछ बेस्ट कहते हैं यह साजी जमपदा है अन्टार्टी करके परियावरन और पारिस्टिती की तंत्र की सुरक्षा कि यह स�
36:47कि नियम बनाना ओर नियम का पालन कड़ना गया अलग बाता नियी मित
36:55क्यों कि नियम बनाने में मेह्त्वपन भूमी और त्रोडने मैं तोपन भूमी का भी मिख्षित देश्यों
37:01विकाषिन देश then ड़ी देश कुछ विक्सित देश पर बहुत ज्यादा निर्भर करते
37:06हैं उनको कैसे रोकिन को कि आज जिन देशों को अपने आपको परमानुसेती
37:13संपन गूसित कर दिया और बाकी देशों को परमानुसेती प्राप्द्र करणने से रोकने के
37:17इसके लिए कुछ संधियां भी की जैसा कि NPT इसका एक एक एग्जामपल 1968 की तो सोचिए दुनिया के सभी देशों को तो NPT में बांग दिया और कुछ प्रवाड़ो सकती संपन बन बैठे जब मौका मिलता है इन छोटे-छोटे देशों को डराने दंगाने का और काम करते हैं
37:47जिस पर किसी का अधिकार नहीं है इस समंदन नियम तो बना दिये गए कि इसका जब आप दोहन करें तो नियमों का पालन करेंगे बट क्या वास्ता में नियमों का पालन हो पा रहा है ये कलपनाशी है और इसके गुर्गामी प्रभाव ये है कि आज भी पता चल रहा है ब�
38:17अधियाबरन सुरक्षा के विसेस क्षेत्रय नियमों के अल्दरगत आते हैं
38:23कि 1969 के बाद इस इलाके में गतिविदिया वेज्ञानिक अनुसंदा मत्सिया आखेट परेटन तक सीमित नहीं रही है देखे जो नियम बनाएगे उन नियमों में यताए किया गया
38:351959 के बाद यह आप देख रहे हैं कि यहां गतिविदिया बड़ी है वेज्ञानिक अनुसंदान तो पर सुरू से आपको बताई रहा हूं दुनिया के देशों ने वहां पर अपने
38:44फिस्टेशन इस्थापित कर लिए भारत के भी स्टेशन है वहाँ पर इस्टेशन का मतलब है वो क्शेत्र जहां बैठकर वेज्ञानिक प्रयोग करते हैं
38:54तो वैज्यानिक तो वहाँ ओलेडी जा चुके हैं मत्स्य आखेट का भी एक इस्थान है जहां मचली का सिकार किया जाता है यहां परेटन यानिकी लोग घुमने के लिभी आते हैं देखने के लिए भी है कैसा इनेजन शेत्र यह सब कुस्त है बढ़ यहां तक अब यह सिमित
39:24अउस्ष्ट पदार जो हमें अब किसी काम का नहीं लगता जैसे कि तेल एक जहाद जिससे चलता है और अचनक वहां से अगर उसका रिसाव शुरू हो तो वह जाकर के वहां पर्यावरण में मिल जाता है तो ऐसी सीज़े देरे देरे वहां की जो गुनवत्ता उसको कम कर र
39:54जो वर्तमान समय में विश्व की साजी संपदा है या नहीं है इस पर एक पर से प्रस्न चिन लगा हुआ है जहां कुछ देश इस पर अपना अधिकार थौपते हैं या कुछ देश इस पर अपना अधिकार मानते हैं वहीं कुछ देश जो हैं वह कहते हैं कि ये विश्व की
40:24के लिए समय समय पर किये गए हैं इन आप सबसे पहले 1959 की अंटार्क्टिका संदी देखेंगे अभी थोड़ दर पहले हमने देखा था कि 1959 के बाद मां गतिविदियां बड़ी है जबकि संदी हुई
40:36इस संदी के मांदियम से कुछ नियम बनाएगे कि जो अंटार्क्टिका पर आएंगे वो इन नियमों का पालन करेगे लेकिन क्या वास्तों में नियमों का पालन हो रहा है दूसरा है मौंट्रियल नियायाचार प्रोटोकल
40:541887 यह दूसरी संदी है और तीसरी संदी ए अन्टाप्तिक का प्रायवर्ण किया होता है
41:02न्याय चार का मतलब होता है न्याय पून आचरण, न्याय अचार, आचार का मतलब आचरण होता है, न्याय पून आचरण, न्याय पून आचरण, यानि कि आप जब आचरण करें, महां जाएं, तो ध्यान रखें, कि आप अन्याय तो नहीं कर रहे हैं, आप न्याय संगत काम
41:32तो उम्मिद यह की जाती है, एक न्यायकून आजन हमारा यह होना चाहिए, कि वो ट्रेन हमारी संपदा है, हमारी संपती है, हमें उसको साथ सुत्रा रखना है, हमें उसको नुक्सान नहीं पहुचाना है, अब वहां जाकर आप उसको अगर नुक्सान पहुचाएं, तो आप
42:02फ़ष्वार या अपने अपने गौड जिनको भी हो मानते हैं वह जब जाते हैं
42:32क्योंकि दर है उसके अंदर इश्वर का लेकिन प्रेम के अंदर बैठे भी बहला कॉन देख रहा है चोड़ी चुपए कोशिस करता है कहां ये नुक्सान पॉंचा दू तो इसको कहते हैं अन्याय पून आज़ा न्याय चार का उलंगा और अंटार्क्टिका पर भी यही बात
43:02को बहुत भारी नुक्षान पहुचाता है और उसी का प्रभाव हम बत्मा समय में देख रहे हैं
43:08कि 1980 के दशक के मध्य में अंटार्क्टिका के उपर उजोन परत में छेद की एक घटना ने दुनिया की आँख होती है
43:16कि यहां पर भी प्रश्ण बनता है 1980 के दशक के मध्य में अंटार्क्टिका के उपर उजोन परत में छेद इसका पता चला इससे पूर्व हमें नहीं पता था कि अंटार्क्टिका में अंटार्क्टिका के उपर जो है वो जोन परत पर छेद है क्यों है बाकी जगों पर तो
43:46वो इसलिए कि हम जहां रहते हैं वहां इतनी भेंकर जहरीली गैशों का रिशाव नहीं करते हैं
43:51खत्रा है ना हम सबको लेकिन हम उस अंटार्टिका को चुन चुके हैं
43:57जहां जाकर कि ऐसे प्रियोग कर रहे हैं जहां से बहुत जहरीली गैशों का रिशाव होता है
44:01चुकि वो जनता जहां रहती है, जहां लोग रहते हैं, वहाँ पर ऐसे प्रयोग हम कर नहीं सकते हैं, क्योंकि लोगों को नुक्सान पहुचेगा, तो हमने निर्जन शेतर को डूर लिया, दुनिया के विक्सित देश वहाँ जाकर के ऐसे ऐसे प्रयोग करते हैं, और वहाँ
44:31कि वृण जो है उसकी जो मोटाई है वो दिर दिरे घट रही है कि वह कमजोर हो रही है और जैसे जैसे गट रही है वेशे द्वाश से सूरी डिल्ट की अल्टरावाइल
44:55आएगा कि बर्फ अगर जो ग्लेशियास हैं वर्फ के बड़े-बड़े पहाड़ हैं वो अगर पिगलते रहे और समुद्र का जलिस्तर बढ़ता रहा तो फिर सब कुछ खतर नहीं कि आप देखिए टोटल जो हमारा पीने योग्ये पानी जो स्वच चल उसका कितना बड़ा
45:25अंटार्क्टिका पर उजोन परत में जिदर की खोज कौन से दसक में हुई तो निस्सों असी के दसक में कि इसी तरह वैस्विक संपता के रूप में बाहरी अंत्रिक्स के इत्यास से भी पता चलता है कि इस सेत्र में प्रबंधन पर उत्री और दक्षिनी गुलार्द के द
45:55लेकिन हम अंटार्क्टिका से उपर जाकर कि अंत्रिक्स की बात कर रहे हैं अंत्रिक्ष जहां पर भी विग्यानिक पहुंच चुके हैं इस स्टेशन इस्तापित हो चुके हैं बहुत सारे प्रयोग चल रहे हैं आप सदी जानते हैं कि मंगल ग्रह पर तो किस प्रकार से इ
46:25बना रहा है वो एक प्रियोग प्रियोग को अग्यानिक कि प्रियोग हो रहे हैं वह व्योग से पीकृशन सोचने की कोशिस कर रहे सुझा है
46:46धर्ति के वायूमंडल और समूद्री सतह के समान यहां भी महत्वपूर मामला प्राध्योगी की और और विकास का है
46:56यह एक जरूरी बात है क्योंकि बाहरी अंत्रिक्स में जो दोहन कारी हो रहा है
47:02उनके फाइदे ना तो मौझूदा प्रीडी में सब के लिए बराबर है और ना ही आगे की प्रीडियों के लिए
47:08फ्रीडी आज जो अंत्रिक्स के अंदर प्रयोग की जा रहे हैं और वो प्रयोग किसको फाइदा पहुचे निशिक रूप से जो प्र्योग विज्यानिक कर रहे हो किसी ने किसी एक देश से है
47:22वहां दुनिया के जो बिक्सित देश हैं उनके दीच में ओड़ मची भी है वर्तमान समय हम कह सकते हैं USA
47:30पूरुस१ होल ten चीए इन दैश्वों के बीच में होड बमच्छी है कि आय Finnish किसका अजा क्या चीन कषह आक हम जो प्रियोग कर रहे
47:43हैं और यहां तक कि रूस और यूएस से तो एक साथ मिलकर वहाँ पर काम कर रहे थे अभी रूस यूक्रेयन युद्त पूर्व्तक वे युद्ध हुआ और अमेरिका जोस के बीच में तनातनी स्टाइट हुई तो दौम ने खैसला कि हम अंत्रिक्स कंदर एक दूसरे के साथ
48:13जो नुकसान होगा अंत्रिक्ष में आप भी सूचने होगे भला यह नुकसान कैसा है
48:18कई बार सुना होगा आपने कि अंत्रिक्ष के अंदर इस्पेस स्टेशन जो होते हैं काम कर रहे होते हैं उनसे लिंक हमारा टूट जाता है धर्ती पर बैठे विवेग्यानिकों का वो अपना संतुलंग हो बैढ़ते हैं और फिर वो डिस्ट्रॉई होते हैं वो जब डिस्ट
48:48मिनिट के लिए ऐसे ही स्पेस स्टेशन वगरा यह जो हमारे अंत्रिक्ष यान है वो कहीं न कहीं डिस्ट्रॉई हो वो धर्ती के वायूबंडल के संपर्क में और आकर हमारे धर्ती पर कहीं गिरे एक परमणुबम जैसा दहमाका हो सकता है और वो किसी भी द्रिश्ट्रिक
49:18आगे की पीडी को हो सकता अलाब हो जाए कि आगे की पीडी को कोई लाब है कई ऐसा तो भी आप आज के लाब के चक्कर में आने वाली पीडियों के लिए तो आप बहुत बड़ी समस्य करके जाना चाहते हैं आज हम जिस परदुशन की बात कर रहे हैं जिस हम परियाबन सं
49:48पढ़ने पढ़ेंगे वह पेड़ पोदे जो हमें ऑपसीजन दे सके हम जिस तरह से पेड़ों की अंदर दूंद कटाई में लगे हुए हैं
49:54हम जिस तरह से जंगल लगातार काटने में लगे हुए हैं
49:58और जंगल में रहने वाले जो वहां के जीव जन्तु हैं
50:02वो अपने अस्तित्यों को बचाने के लिए दरदर भाग रहे हैं, उनमें से बहुत सारे विलुप्त होते जा रहे हैं, तो हम आने वाली पीडी के लिए इस धर्ती को जो है, वो एक तरह से बहुत भारी लुक्षान पहुचा करके जा रहे हैं, सोचिए हम अपनी आने वाली �
50:32कैसा संसाम देखर के जा रहे हैं यही तो एक शिंता का विशय है तो इस्टुडेंस आज तो हम चल्चा को यहीं तक रखेंगे और कुछ प्रश्णों पर चल्चा करेंगे बाकी हमारी चल्चा जो है वो अगली क्लास में होगी तो हम कुछ
50:46प्रश्ण ले लेते हैं देखिए एक प्रश्ण आपके सामने है और वह है निम्लकित मैंसे गलत कथन का चुनाव करें यह आपके सामने चार ओप्शन मुझूद है पहला ऑप्शन है समुद्र का तट्य शेत्र अधिक प्रदूशित है दूसरा ऑप्शन है पूरी दुनिया म
51:16तो पहला गलत कथन का चुनाव करना चाहते हैं तो सही कथन देख लीजिए कौन सा है समुद्र का तट्य शेत्र अधिक प्रदूशित है बिल्कुल निष्चित रूप से क्यों प्रदूशित है क्यों कि आप देख रहे हैं पूरी दुनिया में समुद्र तट्य इलाकों मे
51:46को बताया था कि यह अगर एक समुद्र है और इस समुद्र में बिन-बिन प्रकार की नदियां आकर की मिलती है तो यह जो नदियां है यह अपने साथ में क्या लेकर आती है यह लेकर आती है अपने साथ में बहुत सारी गंदगी जो कि समुद्र के अंदर डाल देती है क्योंक
52:16उसके तट को नुक्सान पहुचा रही है, अभ लास्ट बचा डी ओप्शन,
52:20वो है, समुधर का मध्यम वरति भाग अधिक प्रदूशित है,
52:23बस यही सही उत्तर है क्योंकि यह अधिक प्रदूशित नहीं है,
52:27बल्कि हम कहेंगे अपेकशक्रत कम प्रदूशित है,
52:30या अपेक्षक्रत कम प्रदूशित है
52:33क्यों है अपेक्षक्रत कम प्रदूशित
52:37क्योंकि तट्य एलाका ज्यादा प्रदूशित है
52:40जहां इंसान की सघन बसावट है
52:42और जहां इंसान की बसावट नहीं है
52:45वो मध्यमबर्ती शेत्र है समुद्र का
52:47और वो कम प्रदूशित है चलिए अगला प्रश्ण लेते हैं प्रश्ण है गलत मिलान का चुनाव करेंगे ए क्लब आफ रोग आपके सामने एरो करके जो निशान है वो है लिमिट्स तू ग्रोग प्रत्वी सम्मेलन 1992 अवर कमन फ्यूचर 1987 और टिकाव विकास एजेंडा 20 हम
53:17बल्कि क्या है यहां पर यह है एजेंडा 21 और एजेंडा 21 किस से जुड़ा है टिकाव विकास को मतलब क्या है टिकाव विकास का मतलब है ऐसा विकास
53:33जो परियावरन को कम नुक्सान पहुंचा है उसको हम टिकाव विकास कहते हैं
53:55और एजिन्ड 21 के अंदर वही नियम है जिनका पालन करना है और इसका सम्मन्द जो टिकाव विकास का एजिन्ड 21 से है
54:02यह प्रस्भीचान के दौराण 1992 में yeah this अंदर 21 धिस्त जिया घया था तो प्रसी सम्मिलन कंभ जिट किया गया GP
54:10कहां आँड जित किया गया था ब्राजीन किशे कौनत्रेक डेश में तो ब््राजीन देश हो गया लेकिन कूछे ब्राजीन देश कि किस आपके दिया में
54:21रियो डी जैनेरियो रियो डी जैनेरियो कि सम्मिलन को रियो सम्मिलन भी कहकर पुकारते हैं
54:31क्या कहते हैं रियो सम्मिलन कितने देशों ने भाग लिया 170 देशों ने भाग लिया
54:38इसके अलावा यहां पर बहुत सारे बहुराश्ट्रीय निगम थे और बहुत सारे समयम से भी संगठन भी यहां पर सामिल थे
54:46अबर कमन फ्यूचर बर्टलेंड रिपोर्ट शीर्शक से 1987 में प्रकासित की गई थी और इसमें जो है वो तिकाव विकास की बाद ते गई थी
55:08क्लब ओफ रोम के द्वारा लिमिट्स टू ग्रोध पुस्तक 1972 में प्रकासित करवाई गई थी और इस पुस्तक में यह बताया गया कि जनसंख्या व्रद्धी कि इस प्रकार से आने वाले समय में प्राकर्तिक संसाधनों पर भारी पढ़ने वाली है क्योंकि प्राकर्तिक स
55:38बी उनिस सो सित्यासी में आवर कामन फ्यूचर रिपोर्ट टिकाओ विकास जैसे संबंदित है उसका सी एजेंडा 21 का संबंद पर्यावरन संद्रक्षन से है और डी है अंटार्टिका पर अंटार्टिका का शेत्रफल एक करोड़ बीस लाख वर्ग किलोमेटर है तो देख
56:08कोड़ रिपोड टिकाओ विकास जिसमें यह कहा गया था 1987 में जो कि आघुशे मोर्ट प्रकासी वर्टलें डिपोड जिसे कहाजाता है जिसमें ऑका गया था कि टिकाओ विकास ज़रूरी है क्या क्या विसको बचले can unicorn सब्यासर नहीं है कॉत
56:37कि हमारे लिए खत्रेगी का गुंटी हमें तिकाओं को बड़ना पड़ेगा एजनडा 21 का संबन
56:44संद
57:00लाक
57:03बलकि एक करोड चालीस लाख नो एक करोड़ चालीस लाख वर्ब किलो मिटर है तो बस यही ऑप्शन आपका गलत था अंटार्क्टिका का शेट्रवाल एक करोड़
57:2040,00,00,00,00,00.
57:23प्रश्न है साजी विराशत का उधारण है
57:25विकल्भ है आपके सामने
57:27गैस पाईपलाइन
57:28विशाल तेल रिफाइंड रिया
57:30सी है महासागर्तल
57:32और डी है होटलों की सरंकला
57:34सही उत्तर डूलिए
57:36साजी विराशत का उधारण है
57:38के गेस गेस पाइपलाइन के विशाल टेल रिफाइंड arts मौहा सागरतल फूट-लॉंग इस रंखला है तो वह भी किसी ने किसी एक देस की है तो यह कि ने किसी देश के हैं
58:04किसे ने किसी देश के संप्रबु शित्रादिकार में आते हैं संप्रबु शित्रादिकार किसी एक देश का अधिकार है लेकिन जहां बात आती है महासागर तल यह क्या है यह संप्रबु शित्रादिकार से बाहर है यह संप्रबु शित्रादिकार से बाहर है क्योंकि इस पर क
58:34अब तो करेंगे अगली चर्चा अभी भी इस चैप्टर पर बहुत सी अहम बातें बाकी है उन पर होगी तो मुलाकात एक बार फिर इसी चैप्टर में हमारी
58:42next class में होगी तब तक के लिए आप सभी स्वस्त रहें मस्त रहें जैए

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