Justice Yashwant Varma Case: जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) और जस्टिस शेखर यादव के मामले में गृहमंत्री अमित शाह का बयान सामने आया है। जिसमें उन्होंने दोनो मामलों को अलग-अलग बताया है। दिल्ली स्थित सरकारी आवास (Yashwant Verma House) में आग लगने की घटना हुई थी. उस वक्त जांच के दौरान स्टोर रूम से भारी मात्रा में 500 के जले-अधजले नोट मिलने का खुलासा हुआ था. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की जांच कमेटी ने गंभीरता से इस केस की जांच की थी. जबकि जस्टिस शेखर यादव (Justice Shekhar Yadav) ने लखनऊ में एक बयान दिया था। जिसपर उन्हें हटाने की मांग उठी थी।
00:00एक तरव जहाद सुप्रीम कोट जस्टिस यश्वंत वर्मा को लेकर कि ये कह चुका है कि वो पद में बदने रहने लायक नहीं है
00:12वहीं दूसरी तरफ केंद सरकार उनके खिलाफ महाव्योग लाने की तैयारी में हैं और मानसुन सत्र में ये हो सकता
00:19वहीं दूसरी तरफ एक और जज़ हैं जिनका नाम है शेखर यादोग इलहाबाद हाई कोट के ज़ज हैं जिनोंने बीते महीनों में एक बयान दिया था
00:30विश्व हिंदु परशत की तरफ से एक बुलाई गए खारिकर में उन्होंने कहा था कि ये देश बहुत संखिकों के हिसाब से चलेगा
00:36इन दोनों जज़ों को लेकर के विपक्ष लगातार इनके खिलाब कारवाई की मांग कर रहा था एक तरफ जहां ये श्वन्त वर्मा के उपर रिश्वत लेने के आरोफ हैं और उनके घर में बड़ा कैश बरामद हुआ था क्योंकि उनके घर में आगल गी थी और एक स्टो
01:06कि जब दो जज़ों का एक जैसा समान अपराध है तो दोनों को लेकर के किन सरकार के दो पैमाने कैसे हो सकते हैं दरसल अमिशाह ने एक इंटरव्यू के दवरान कहा है कि जस्टिस यश्वन्त वर्मा को लेकर कि जब उनसे सवाल पूछा गया है कि जस्टिस यश्वन्त व
01:36जब दिया है कि यश्वन्त वर्मा का मामला भरष्टा-चार से जुड़ा है जबकि
01:40शेकर यादों का मामला जज के आचरंड यानी कंडफ तौफ जजड इस मामले
01:46से जुड़ा हुआ है दोनों मैं अंतर है एक मामला भरष्टा-चार का है तो
01:49दूसरा अनुचित आचरण का है, ऐसे में दोनों मामले बिल्कुल अलग है, जज के अनुचित आचरण के मामले को लेकर के सुप्रीम कोट का फैसला करना होता है, इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होती, जबकि तर्क ये दिया जा रहा है कि व्रौस्था चाहे जैसी भी ह
02:19124 बटे 4 में जजों को पत से हठानी के व्यूस्ता दी गई है, जिसमें कहा गया है कि जजों को सिद्ध, कदाचार या फिर अच्छमता के अधार पर पत से हठाये जा सकता है, दोनों स्थितियों में एक ही प्रक्रिया निर्धारित है, प्रस्ताव संसत के किसी भी सदन में
02:49लाने का आदेश चारी करते हैं, इसी बीच में और एक प्रक्रिया अपनाई जाती है, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चाहें, तो पहले इन हाउस इंक्वारी कराकर के आरोब चांच सकते हैं, उन्हें आरोब सही लगते हैं, तो सरकार को लिखते हैं कि आरोबी जज�
03:19सुप्रीम कोर्ट ने अब तक कोई जाच नहीं की है, क्योंकि जब CGI इस मामले की जाच करनी की सोच रहे थे और इन हाउस कमिटी का गठन करने वाले थे, तभी राजसभा सची वाले से एक सुप्रीम कोर्ट को चिथी लिखी गई, जिसमें संदेश था कि इस मामले की जा�
03:49सुदों ने हंस्ता च्छर करके सभापती को भेज दिया था, इसलिए संसद और राष्ट पती ही इस पर इनने लेंगे, इस पत्र के बाद CGI चुप हो गए, उन्होंने जाच की जो योजना उन्होंने बनाई थी, वो वहीं पर रोग दिया और मामला खत्म हो गया, जज, य
04:19हो, इस खबर में फिलाल इतना ही अपडेट्स के लिए बने रही, One India Hindi के साथ, नमस्कार.