वाराणसी, उत्तर प्रदेश, 17 जून 2025: ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अवि मुक्तेश्वरानंद ने कहा कि भारत की विदेश नीति बिल्कुल असफल है। भारत के साथ कोई भी देश इस समय खड़ा नहीं है। यह बताता है कि आपकी विदेश नीति या और लोगों से संबंध ठीक नहीं थे।
00:04चार लोगों को खोज नहीं पाता है कि वो कौन थे और किस दिशा में गए
00:07लोग क्या समझेंगे इसकी ताकत को
00:11तो जब इसकी कोई शक्ती ही नहीं रह गई
00:13का सचाई यह है कि विदेश निती में बहुत बड़ी कमजोरी आ चुकी है
00:18सिंदूर जो है न यह शब्द रो रहा है
00:21बताईए भारत जैसा देश आज हालत क्या है
00:25कि चार पांच लोग पता नहीं कहां से आते हैं पैदल चलके
00:29किसी बायुयान से नहीं आते हैं
00:33पैदल चलके आते हैं और बड़े आराम से जहां हजार दो हजार की भीड़ है उसमें गुस्ते हैं और वहाँ पे नाम पोच करके दरम पोच करके मारते हैं
00:45और मार करके बड़े आराम से गायब हो जाते हैं बताईए ऐसा हो सकता है
00:50भारत जैसा देश
00:51महिना दो महिना का समय बीथ गया
00:54चार लोगों को खोज नहीं पाता है
00:56कि वो कौन थे और किस दिशा में गए
00:58घटना करने आते समय ही पकड़ लेना चाहिए
01:01लेकिन घटना करके चले जाने के बाद भी महिनों तक
01:04भारत पकड़ ही नहीं पा रहा है
01:06अब भारत क्या करेगा इसकी बकत क्या है
01:08लोग क्या समझेंगे इसकी ताकत को
01:11तो जब इसकी कोई शक्ती ही नहीं रह गई
01:13लोग जो है पहले ही रोक देते हैं घटनाओं को
01:18आप पहले नहीं रोक पाए घटना घट गई
01:20उसके बाद तो आपकी ताकत दिखने शाहिए, वो क्या दिखी आपकी ताकत?
01:24कि जो हम संबंध बनाते हैं, उन संबंधों की परीक्षा ऐसे समय में होती है,
01:30तो हमने जिन से संबंध बनाए, परीक्षा का समय था,
01:35हमारे साथ कड़े लोग दिखाई देना चाहिए थे
01:37वो नहीं दिखाई थी
01:39आप देखिए मोदी जी इन्हें इस बारे में
01:41लोगों को बड़ी आशा रखाई थी
01:44इसलिए रखाई थी कि जब वो
01:46प्रदान मंत्री पहली बार बने थे
01:47तो उन्होंने जो भारत के
01:49चारों तरफ पड़ोसी देश हैं
01:51उन सब को बड़े आदर से समान से
01:53बुलाया था एक एक विक्ति को
01:55बुला करके सब के साथ बैठा की थी
01:57ऐसा लगा था कि भारत अब
01:59अपने पड़ोसीयों के साथ
02:01एक बहुत बड़ी शक्ति बन जाएगा
02:03लेकिन ग्यारह साल के बाद
02:05जाके वही तीन पाद हम जहां
02:07अकेले खड़े थे वहीं अकेले खड़े
02:08मालदीव जैसा देश
02:10जो की
02:12अलग देश के बल नाम के लिए था
02:15भारत के साथ सदा से
02:17उसका ऐसा विवहार था कि लगता था
02:19कि यह कई देश है
02:20अब मालदीव हमको आखे दिखाने लग गया है
02:22इससे जाद आप क्या कहा जा
02:23तो आपरेशन सिंदू कि सफ़ता का पुरा दंका
02:26पुरी तो बचा दिया है
02:27तीके दंका जो है खुद नहीं बजाया जाता
02:30दंका का नियम यह है
02:33कि वो दूसरे बजाते है
02:34अगर हम अपने बारे में खुद कहें
02:37कि मैं पराकर्मी हूँ
02:38मैं प्रतापी हूँ
02:40मैं वीर हूँ
02:41मैं बलवान हूँ
02:42मैं विद्वान हूँ
02:42मैं तोप हूँ
02:44अगर हम खुद कहते हैं
02:47तो इसका मतलब बहुत हंसी की बात हो जाती
03:03पुरा विपक्ष तो पेड़िया विपक्ष जाए, कोई क्या करेगा, देश का जो भी नागरीख है, जब विदेश में जाएगा तो डगनाई मूद ना चाहेगा, तो ठीक किया, उसमें कोई खराबी नहीं है, हम भी खड़े होंगे, अभी आपसी बातचीत कर रहा है, करेल�
03:33वो चाहे विपक्ष हो, विदेश में जाने के बाद तो हम परायापन नहीं दिखाएंगे ना अपनी शरकार से, लेकिन जो सचाई है वो क्या है, वो तो हमको देखना पड़ेगा, सचाई ये है कि विदेश निती में बहुत बड़ी कमजूरी आ चुकी है,
03:48सिंदूर जो है ना ये शब्द रो रहा है, हैसे ना बहुत बड़ा हारत कहती थी, भारत में सिंदूर मतलब बहुत बड़ी चीज़ होती है, एक चिट्की बर सिंदूर, उसका बढ़ा महात में था, आज आज क्या हालत है?
04:13सिंदूर की बात करने माले
04:15सिंदूर का मान रखे हुए हैं
04:17बताओ आप
04:17आप सिंदूर की बात करते हो
04:22आपने सिंदूर जिसकी मांग में भरा
04:24उसके साथ क्या बेवार किया है
04:26बताइए आप
04:26क्या आपका दाई तो नहीं है
04:29जब आप अपने चुनाव गोशना पत्र में लिखते हैं कि यह मेरी पत्नी है तो पत्नी का उसका रुत्बा कैसे उससे चीन सकते हैं
04:37क्यों वो प्रधान मंत्री जी के भौन में नहीं है जबकि उसका हक है तो आपने उसका हक क्यों मार रखा है
04:43उसका हक था कि वो प्रधान मंत्री बावास में रहती आप बात ना करते आपकी नहीं पट रही थी लेकिन आपकी विधिक रूप से पत्नी तो है तो प्रधान मंत्री की पत्नी होने का जो भी उपलब्धी है जो भी उसका बनता है वो उससे क्यों मंचीत रह गई आप उसको �
05:13कम से कम दस दिन रुख जाते सिंदूर का मान रख लेते तो जो लोग सिंदूर का मान नहीं रख पा रहे हैं वही सिंदूर की बात कर रहे हैं जिसके कारण सिंदूर शब्द जिसे मैं विचारा धराशाई है और तडप रहा है कि ये मेरे साथ क्या हो रहा है