भारत के 'मैंगो मैन' से मिलिए वो मानते हैं कि आम भी इंसान की तरह होते हैं शांति और प्रेम के माहौल में फलते-फूलते हैं. आम किसे पसंद नहीं है. खास तौर से भारत में ऐसा कोई व्यक्ति मिलना मुश्किल है जिसे आम भाता न हो. उत्तर प्रदेश के मलिहाबाद में रहने वाले हाजी कलीम उल्लाह खान का आम से प्यार और उससे लगाव कुछ अलग किस्म का है. अस्सी साल से ज्यादा उम्र के हो चुके हाजी कलीम उल्लाह ने अपनी पूरी जिंदगी इस खास फल के इर्द-गिर्द बिताई है. आम से इस खास रिश्ते की वजह से उन्हें 2008 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया. आमों से जुड़ी शायद ही कोई ऐसी बात होगी जो उन्हें न पता हो. तभी तो लोग उन्हें आमों पर चलता-फिरता एनसाइक्लोपीडिया कहते हैं. हाजी कलीम उल्लाह खान ने कई सालों तक आम की उन किस्मों को संरक्षित किया है जो विलुप्त होने के कगार पर थी. लेकिन सिर्फ इतना ही नहीं है. लखनऊ के पास मलिहाबाद में उनके चार एकड़ के बगीचे में एक आम का पेड़ है जिस पर उन्होंने 300 से अधिक अलग-अलग किस्म के आम उगाए हैं.
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00:00This is a good quality of people.
00:03The world is not the only person in this world.
00:06This is the power of your own.
00:09One is your own.
00:11One is your own variety of people.
00:15One is your own.
00:17One is your own.
00:19One is your own.
00:21One is your own.
00:23The whole, the whole, the whole, the whole, the whole, the whole way.
00:26आम किसे पसंद नहीं है.
00:28खासतोर से भारत में ऐसा कोई व्यक्ति मिलना मुश्किल है जिसे आम भाता ना हो.
00:33उत्तर प्रदेश के मलीहबाद में रहने वाले हाजी कलीम उल्ला खान का आम से प्यार और उससे लगाव कुछ अलग किस्म का है.
00:41असी साल से ज्यादा उम्र के हो चुके हाजी कलीम उल्ला ने अपने पूरी जिंदगी इस खास फल के इर्दगिर्द बिताई है.
00:48आम से इस खास रिष्टे की वजह से उन्हें 2008 में पदमिश्री से सब्मानित किया गया.
00:53खान को भारत के मेंगो मैन के नाम से जाना जाता है. इसकी वजह कई हैं. आमों से जुड़ी शायद ही कोई ऐसी बात हो जो उन्हें ना पता हो. तब ही तो लोग उन्हें आमों पर चलता फिरता एंसाइक्लोपीडिया कहते हैं.
01:23अब धीरे धीरे कट गाए. अब मुश्किल से 600 विराइटी है. तो अब हम इस फिक्र में हैं कि ये विराइटी ज्यादा ज्यादा हम इस पेल पर जोल दें. तीन सो से ज्यादा इस पर जोली है और इस काम को हमने नाबाली गुमोर में सात्वी जमात तक पढ़े और उस हमन
01:53के बगीचे में एक आम का पेड़ है. जिस पर उन्होंने तीन सो से ज्यादा अलग-अलग किस्म के आम उगाए हैं. वे इस पेड़ को असले मुकरर कहते हैं. जिसका मोटे तोर पर मतलब होता है. वो मूल जो खुद को दोहराता है.
02:23जिस पेड़ लगवाए, फिर कुआ खुद वाया, फिर पूर बरिया, उससे पानी बड़ी महनत की. यह जो पेड़ है, यह इस पेल का नाम असले मुकरर है. और इस पेल में इतनी खुबी है कि वर्ड बैंक के चेर मैन आय थे तो इसमें इतनी खुजबू है साम में इसके �
02:53और हम जो नई बना रहे हैं, वो सब जोलते रहते हैं इसी में, क्योंकि हम चाहते हैं जब हम दुनिया से जाएं, तो यह अच्छी अच्छी वर्याइटियां जो हैं यह लोगों खाने को मिलें।
03:23कि उन्होंने इसका नाम उस महिला के नाम पर रखा, जिसे वे दुनिया की सबसे खुबसूरत महिला मानते हैं।
03:53तो एकदम देहन में यह आया कि यह दुनिया की सबसे खुबसूरत तलकी है, तो यह खुबसूरती काईब रहना चाहिए।
04:01तो बस वही पर हमने उस अमरूद का नाम एश्वरिया रखा, फिर एक आम बनाया, उसका नाम एश्वरिया रखा, वो भी खाने में लाजवाब आम है, लाजवाब अमरूद है।
04:11हाजे साहब ने अपने आमों का नाम कई मशूर हस्तियों और राजनेताओं के नाम पर रखा है, जिन में सबसे ताजा नाम रक्षा मंतरी राजनात सिंग का है।
04:41हुई दिल में पाया इनकी बाचेत में, कि ये अमन भी चाहते हैं, लडाई नहीं चाहते हैं।
04:46इसी की ज़ूरत है कि लडाई जो है वो हल नहीं है।
04:50अम से प्यार से मेज पर बैट के जो मसले तै होंगे, वो नफे बक्ष होंगे।
04:56हाँ फून पर हमारी बात हुई, बहुत खुश हुए और बेलके उन्हें ने तारीफ की कि आपने बहुत मेहनत किए।
05:06तो हमें अच्छा लगा। जब ऐसे लोग आते हैं तो हमारे जिसमें जिसे टाकत आ जाती है।
05:14हाजी कलीम उल्ला खान कहते हैं कि आम इनसानों की तरह होते हैं, उनके मताबिक कोई भी दो इनसान एक जैसे नहीं होते और जिस तरह हर इनसान अलग होता है, उसी तरह हर आम भी अलग होता है।
05:30वे कहते हैं कि जिस तरह लोग शान्ती और प्रेम के महौल में फलते फूलते हैं, उसी तरह आम भी। इसलिए उनके लिए आम इस बात का आदर्श उधारन हैं कि इनसानों को एक दूसरे के साथ कैसे मिलजूल कर रहना चाहिए।