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  • 2/10/2022
भोपाल. जीवन में फैसला लेना बेहद जरूरी है। यदि आप समय पर फैसला नहीं लेते है तो इसके दो नुकसान हैं। पहला दिमाग में द्वंद चलता रहता है और दूसरा उलझे रहने के कारण फायदा विरोधी उठाते हैं। ये तो हुई जीवन की बात लेकिन सरकार के लिए भी फैसला लेना जरूरी होता है। यदि वो ऐसा नहीं करती है तो इसके लिए एक शब्द का इस्तेमाल होता है पॉलिसी पैरालिसिस। मध्यप्रदेश में सरकारी विभागों में प्रमोशन में आरक्षण का मसला इसी पॉलिसी पैरालिसिस का शिकार है। इसी के चलते 67 महीने यानी पांच साल 7 महीने से कर्मचारी और अधिकारियों को प्रमोशन में आरक्षण नहीं मिला है और इसके लिए गठित किए गए मंत्री समूह ने ये जिम्मेदारी कर्मचारी संगठनों पर ही डाल दी है। अब सवाल उठ रहा है कि जब यही करना था तो पांच साल पहले ही क्यों नहीं कर दिया गया। आइए आपको बताते हैं आखिर एमपी में प्रमोशन में आरक्षण का मसला क्या है और आखिरकार क्यों सरकार इस पर फैसला नहीं ले पा रही है।

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