केवल हाथ की मुद्राएं बदलने से आपकी सेहत में गजब का सुधार या प्रभाव हो सकता है। हाथ की बनी अलग-अलग मुद्राएं आपके शरीर की शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक शक्तियों को प्रभावित करती हैं। हिंदू और बौद्ध धर्म में ये मुद्राएं काफी प्रचलित हैं। यहां हम कुबेर और श्वसनी मुद्रा पर बात करेंगे।
कुबेर मुद्रा ऐसे करें: मध्यमा, तर्जनी उंगली और अंगूठे के शीर्ष को मिलाएं। अनामिका और कनिष्ठा को मोड़कर हथेली से लगा लें। कितनी देर: आधा-आधा घंटा, 2 बार।
फायदे तनाव की समस्या अब आम है। तनाव आत्मविश्वास को कम करता है। किसी भी प्रकार के तनाव अथवा आत्मविश्वास की कमी पृथ्वी और जल तत्वों की अधिकता तथा आकाश, अग्नि और वायु तत्वों के असंतुलन का परिणाम होता है।
कुबेर मुद्रा इन तत्वों का संतुलन स्थापित करती है और व्यक्ति को तनावमुक्त कर उसमें सकारात्मक सोच भरती है। इस मुद्रा के प्रयोग से साइनस में जमा श्लेष्मा दूर होती है और नाक-कान बंद रहने की समस्या समाप्त हो जाती है। अगर बार-बार गहरी सांस के साथ इसे किया जाए तो साइनस संक्रमण के कारण होने वाला सिरदर्द और सिर का भारीपन समाप्त हो जाता है। पृथ्वी और जल तत्व की अधिकता को ही कफ का कारण माना गया है, ये दोनों तत्व कुबेर मुद्रा से कम हो जाते हैं, जिससे कफ की समस्या दूर हो जाती है।
Be the first to comment