दिल्ली की साम्प्रदायिक हिंसा ने गहरे जख्म दिए हैं। देशवासियों को एक दूसरे का खून का प्यासा देख आजादी की लड़ाई देखने वाले जग्गेरीलाल की आंखों से आंसू बह निकले। भरे गले से उन्होंने कहा कि आज नेता और दोनों समुदाय के लोग अपनी तरक्की की बात छोड़ कर आपस में लड़ रहे हैं।
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