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  • 5 years ago
कोरोना संकटकाल में सोशल डिस्टेसिंग को लेकर पशु-पक्षियों से सीख लेने के कई मैसेज वायरल हुए हैं। आम लोगों के साथ वैज्ञानिकों ने भी इस बात को देखा-समझा कि वाकई झुंड में रहने वाले जानवर एक-दूसरे से दूरी बनाकर रखते हैं। अब इसी बात को शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च से प्रमाणित भी कर दिया है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने जानवरों में कुछ सूक्ष्म जीवाणुओं के प्रसार को कम करने के लिए जरूरी सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में सबूत पा लिए हैं। इससे यह समझ आता है कि जानवर अपने शरीर को लेकर बेहद संवेदनशील होते हैं और इसी कारण वे समूह में रहकर दूसरे समूह से सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर रखते हैं।
सूक्ष्म जीवों और बंदरों के कनेक्शनस्टडी
जर्नल एनिमल बिहेवियर में प्रकाशित यह रिसर्च स्टडी घाना में बोआबेंग और फ़िएमा गांवों के पास एक छोटे से जंगल में 45 मादा कोलोबस बंदरों पर की गई। इसमें उनकी आंतों में मौजूद पाचन क्रिया में मदद करने वाले सूक्ष्मजीवों की मौजूदगी को वैज्ञानिकों ने उनकी आनुवांशिकी, आहार,सोशल ग्रुपिंग और सोशल नेटवर्क में डिस्टेंसिंग जैसे मापदंडों पर परखा है।
आंत के सूक्ष्मजीवों की मदद ली गई
स्टडी में यह समझा गया कि आंत के अंदर पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों कीभूमिका क्या होती है और ये कैसे एक बंदर से दूसरे में फैलतेहैं।इस स्टडी को करने वाली अमेरिका की टेक्सास यूनिवर्सिटी की असिस्टेंटप्रोफेसरईवा विकबर्ग ने बताया कि, बंदरों के बीच सोशल माइक्रोबियल ट्रांसमिशन हमें बता सकता है कि इंसानों में भीबीमारियां कैसे फैलती हैं और सोशल डिस्टेंसिंग से उन्हें दूर रखना कितना फायदेमंद है।

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