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  • 6 years ago
बिलग्राम नगर के मोहल्ला रफैयतगंज मे हरि ओम प्रजापति के मकान के पास देवी मंदिर पर चल रही श्रीमद् भावगत कथा के चतुर्थ दिवस की कथा में कथा वाचक श्रीमती मीरा पूर्व रुचि शास्त्री ने गंगा अवतरण, रामजन्म, राम वनवास, रामविवाह की कथा प्रसंग सुनाया गया। इस दौरान भगवान राम सीता का सजीव झांकी सजाई गई तथा संगीतमय भजनों पर महिला श्रद्धालु मंत्र मुग्ध होकर जमकर झूमी। कथा वाचक रुचि शास्त्री ने कहा कि, प्रभु की कृपा के लिए भक्ति की आवश्यकता है। भगवान श्रीराम ने शिव धनुष तोड़ा। धनुष टूटते ही भगवान परशुराम क्रोधित हो उठे और भरे स्वयंवर में श्रीराम पर भड़क उठे क्योंकि इस सीता स्वयंवर में प्रतीज्ञा की थी कि जो इस धनुष को तोड़ देगा उसकी शादी सीता से होगी। परशुराम इतने आक्रोश में थे कि उन्होंने जैसे ही श्रीराम पर वार करने के लिए फरसा उठाया। इसी बीच लक्ष्मण अपने बड़े भाई श्रीराम के बचाव में उतर आए और काफी समय तक परशुराम लक्ष्मण संवाद हुआ। श्रीराम ने गुरू वर परशुराम से क्षमा याचना करते हुए उन्हें शांत करने का प्रयास किया और उन्हें बताया कि उनके सामने धनुष को तोड़ना एक चुनौती थी। परशुराम ने कहा कि जो धनुष तुमने तोड़ा है वह धनुष भगवान शिव का है। धनुष तोड़ने के बाद भरी सभा में भगवान राम ने माता सीमा को वर माला पहनाकर विवाह रचाया। मंच पर जैसे ही भगवान श्रीराम ने वर माला डाली पूरा पांडाल जयश्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। मंत्रोचार के बीच भगवान का विवाह का कार्य संपन्न हुआ। श्रद्धालुओं की भीड़ ने पुष्प वर्षा की। पांडाल में सारा जनमानस भाव विहोर होकर झूम उठा। इसके कथा वाचक ने भगवान राम के जन्म से लेकर पिता का अज्ञा मानकर 14 वर्ष के वनवास का प्रसंग सुनाया।

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