कबीर माया पापिनी, लोभ भुलाया लोग। पुरी किनहूं न भोगिया, इसका यही बिजोग।।
~ गुरु कबीर
प्रसंग: मै अपने वादे पर कभी खड़ा क्यों नहीं उतर पता हूँ ? ये वादे कभी पूरे क्यों नहीं होते ? "पुरी किनहूं न भोगिया, इसका यही बिजोग" कबीर यहाँ क्या बताना चाह रहे है ?
जानें गुरु कबीर जी के इस दोहे का अर्थ, आचार्य प्रशांत जी द्वारा इस शब्दयोग सत्संग के माध्यम से-