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  • 7 weeks ago

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00:00अच़ारे जी सही गुरु की पहचान कैसे करें ?
00:04क्योंकि सारे रास्तो मनी दिखाता है
00:06ये हमेशा से जटल प्रशन रहा है
00:13देखो
00:16बात ये नहीं है कि सही गुरु की पहचान कैसे करें
00:22थोड़ा प्रशन को अगर आप बदलेंगे
00:25तो आपको ठीक रहेगा
00:27हम वो कैसे बने
00:30जिसके सामने
00:32अगर सही गुरू आए तो मू न चुराए
00:34आपने सवाल
00:38पूछा है देखिए आप क्या पूछ रहे हैं
00:40आप पूछ रहे हम जैसे हैं
00:43हम तो है ही ऐसे जैसे भी है
00:45हम जैसे ऐसे हैं ठीक है
00:47अब एक तरीका बताईए
00:50हम एसा रहते हुए भी
00:54सही गुरू की पहचान हो गएरा
00:56कर ले
00:58होने से रहाख
01:00आप जैसे हैं
01:02वैसे रहते रहते आपने
01:04किसी भी सही चीज की सही पहचान करी
01:06आज तक
01:07अपने लिए सही घर ढूंडा है
01:10सही नौकरी ढूंडी है
01:11सही जूते भी ढूंडे हैं
01:13आपने सही जूते ढूंडे होते तो ऐसा क्यों होता कि आप जूते खरीद के लाते हैं
01:18पड़ोसी बताता है अरे इससे बहतर हो जूते तो फलानी दुकान में मिल रहे हैं
01:23वहाँ 20% छूट भी चल रही है और आप कहते हैं अरे एक गलती हो गई
01:27जब कुछ सही आपको मिलता है तो उसके बाद कोई कुछ भी कहे कभी संशय उठ सकता है
01:33पर हमें तो संशय उठ जाता ना अपनी हर चीज पर
01:36आपने जीवा में कोई भी निर्णे लिया वो निर्णे भी जो आपको ठीक लगते हों
01:41अभी कोई आये तो अपनी बातों से आपको विवश कर सकता है अपने पक्के से पक्के निर्णे को भी दोश्पून देखने के लिए
01:54पहले ही थोड़ी देर के लिए थोड़ी देर के लिए लेकिन आप को संशय हो जाएगा और अफसोस भी ओजाएगा ये क्या चुन लिया क्यों कर लिया कुछ और कर लेते तो बहता है
02:04तो हम जैसे हैं, हमारे लिए कुछ भी सही कर पाना मुश्किल है, क्योंकि हम ही सही नहीं हैं, जब कुछ भी सही नहीं हो सकता तो, सही गुरू भी कहां से हो जाएगा?
02:20जिने हम गलत गुरू कहते हैं, वो गलत गुरू हमें इसलिए नहीं मिल गए कि उन गुरू ने कोई शरयंतर करा था हम पर छा जाने का, उन्होंने चलो करा होगा अपनी और से, हम पर वो इसलिए छा गए हैं, क्योंकि हम गलत ही हैं, हम गलत हैं, तो हमें गलत गुरू मिल जा
02:50हम गलत होते हैं तो मैं गलत गुरू मिल जाता है
02:52आश्यस पश्ट होगा
02:54सही गुरू कम मिलेगा
02:56आपके भीतर सही प्यास उठेगी
02:59तो सही गुरू मिल जाएगा भाई
03:01किस रूप में मिलेगा, कहां मिलेगा
03:03निकट मिलेगा, दूर मिलेगा
03:05हमें क्या पता
03:07आदमी रूप में मिलेगा
03:09ग्रंथ रूप में मिलेगा
03:11पेड़ रूप में मिलेगा
03:13नदी रूप में मिलेगा
03:14जीवन रूप में मिलेगा
03:15ओनलाइन मिलेगा
03:16अफलाइन मिलेगा
03:17हमें क्या पता
03:18कैसे में मिल सकता है
03:19हो सकता है लगादार
03:25मिलता ही रहता हो
03:25पर हम गलत हैं इसलिए उसे फैचान नहीं पाते
03:31कभी हो सकता है आप अगर
03:3340 वरश के हैं तो आपके 40 वरश के
03:35जीवन में वो आपको 4000 बार
03:37मिला हो
03:37हो सकता है वो अनंत बार मिला हो
03:40हो सकता है वो
03:43हर समय आपकी साथ हो
03:44आप उसे स्विकार कैसे करोगे जब आप ही गलत हो तो
03:48आप तो स्विकार करें बैठें हो इधर उधर पांच साथ चम्पू लोगों को
03:52सही को स्विकार करने के लिए
03:56सही की पात्रता होनी चाहिए न
04:00आप सही होई है
04:03सही गुरु दूर नहीं है
04:05मिल जाएगा
04:06आपके सही होने से मेरा आशे क्या है
04:10आपके सही होने का मतलब यह होता है
04:12कि आप देख लें कि आप गलत हो
04:14जो यह देख लेता है कि वो गलत है
04:18वो सही हो जाता है
04:19जो यह देख लेता है वो गलत है
04:22उसको सही गुरु मिल जाता है
04:23आप जब तक अपनी नजरों में सही हो आप बहुत गलत हो
04:28आप उस दिन सही हो जाओगे जिस दिन आपको दिख जाएगा कि आप गलत हो
04:34ये बात हंकार को चोट देती है
04:37कैसे मान ले हम गलत हैं बड़ी मैनत करी है
04:41इतनी शिक्षाफ आई है दो चार डिगरी आए गठा गरी है
04:44इतना पैसा लगाया यहां वहां दंदा बढ़ाया
04:47आज वह आपार करोडों का आए हम गलत कैसे हो सकते हैं
04:49समाज में हमारा नाम है सम्मान है
04:52हम गलत कैसे हो सकते हैं
04:54ऐसे कुछ भी बोल देते हैं, तो पहले मानो गलत हो, क्यों गलत हैं, भारत के राष्टपती ने एक बार में सम्मानित किया, तो हम गलत होते हैं, तो सम्मान मिलता हमको, तुम मत मानू, मत मानू, माया है, किसी का क्या भी गड़ता है, केल है, तुम कुछ मानो, तुम नहीं मा
05:24सच्चाई उन्हें मिलती है, जिन्हें जूट देख जाता है, हमको सच का बड़ा अग्रह रहता है, जूट ठोकराए बिना,
05:37कोई और विकल्प नहीं होता, तो देखिये, मैं आपको बता देता, हम कोई आसान, मीठा विकल्प चाहते हैं, होता नहीं है, ठोकराना पड़ेगा,
05:50असल में जूट को देखना भी आसान हो जाता, अगर आपको ये सोईदा होती है, कि देख लो, त्यागों मत, धिकल्प ता हो जाती है, जब का जाता है, कि अगर जूट दिख गया, तो त्यागना भी पड़ेगा,
06:11वहाँ फिर हम बिलको लगदम तिल में आने लगते हैं, कि अरे, ये क्या शर्त रख दी,
06:18आत्मा प्रथम गुरु है, आपके भीतर तयारी हो, तो वही जो निराकार,
06:40आत्मा है, वह साकार रूप में भी सिखाने वाले को प्रस्तुत कर देती है,
06:51कोई नाटकी धरणा मत बनाई है, कि गुरु कोई ऐसा वेक्ति होता है, ऐसा ऐसा घूम रहा होता है,
06:57ऐसे ऐसे करके, वह मुझे मिलेगा कहाँ, किसी कंदरा में बैठा है, किसी पेड़ पे चड़ा हुआ है, किसी आश्रम में है, कहाँ है वो, कहाँ समाधी मार के बैठा है गुरु कुछ नहीं,
07:07आपके भीतर वो प्यास तो पैदा हो, वो तडब पैदा हो, कि जिन्दगी जूट में भीत रही है, सच चाहिए, फिर सच्चा गुरु भी मिल जाएगा, फिर कोई जूटा गुरु आपको बयोकूफ बनानी पाएगा, बताईए क्यों, क्योंकि आप इतने पैने हो चुके
07:37तो चुटकी बजा के देख लेगा, अपने जूट को लेकर के, अगर आप इमानदार हो गए, तो बाहर के जूटों को तो आप ऐसे पकड़ने के तुरंद ये जूटा है, बाहर के जूटे आकर के हमें मूर्ख बना लेते हैं, तो उसकी वज़ा यही है कि हम भीतर से जू�
08:07तो उसके लिए मुश्किल ही नहीं फिर हमें फसा लेना, आप अंतरिक तोर पे सच्चे हो जाईए, आप बिलकुल कड़े हो जाईए अपने साथ, कि अंदर के किसी जूट को मैं बरदाश्ट करूँगा नहीं, फिर बाहर भी कोई जूट बोलकर आपको फसा नहीं पाएग
08:37झाल
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