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  • 7 weeks ago

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00:00उत्तरकाशी याद ने तो क्लाउड बर्स्ट बादल फटना जिसको बहुत ज्यादा बारिश बहुत कम समय में
00:06और रुकता जाता है पानी रुकता है ता उपर से तो आई राय बर्फ पिखल रही है
00:10रुके रुकेगा फिर क्या करेगा फिर तोड़ फोड मचाएगा जब गोल देगा तो क्या होगा
00:15सब कुछ नीचे आजाएगा वो जो क्षेत्र है वो तैयार नहीं है वो इक्विप्ट नहीं है कि उतनी बारिश को जेल पाएगा
00:23सडक का चोडी करण, रेल मारक का निर्मान, जिसके लिए सुरंगे तोड़ी जा रही है, होटल बन रहे हैं, इसके लिए तोड़ फोड और निर्मान, वो इस तरह से निर्मित हैं कि सामान मौसम कोई जिल सकते हैं, और थोड़ा बहुत उपर नीचे हो जाए, तो चलो वो बर
00:53के नए परवतों में से हैं, और नए मतलब यह नहीं कि 20, 40, 100, 200 साल पुराने हैं, आम तोर पर परवत श्रिंखलाओं की जितनी उम्र होती हैं, उसकी तुलना में यह नए पहाड़ हैं, जैसे आप विंध परवत श्रिंखला को ले ले ले, आरावली को ले ले, तो उनकी अ
01:23कास अभी भी चल रहा है, जैसे बच्चों का चलता है न, छोटे बच्चे होते हैं, तो बड़े होते रहते हैं, हिमाले भी बड़े हो रहे हैं, मोटे मोटे तौर पर यह समझ लीजिए कि अफ्रीका से तूट करके, जो भूखंड आया था और एशिया से टकराया था, जिस
01:53देखो ऐसे समझो, जैसे यह है, यह इधर से आगे को बढ़ता रहते हैं, बीच में क्या होता रहेगा, यह हिमाले हैं, और यह जो तुम्हारा पूरा भूखंड है, यही जम्बू दीप कहलाता है, जिसको बोलते थे न, तो यह वो है, जो ऐसे बहते बहते आया है और एश
02:23और यह एशिया से जुड़ा हुआ है, यहां हिमाले की सीमा के माध्यम से, तो इसी लिए हिमाले के दक्षिन में जो मामला है, और हिमाले के उत्तर में जो मामला है, वो इतना अलग है, हर तरीके से, जलवायू की दृष्टी से, मिट्टी की दृष्टी से, सब मौसम, सब �
02:53तो वो बड़े अंस्टेबल है अभी, इसी लिए इतना भूस खलन पाते हो आप, खासता हो बरसातों में, जा रहे हो जा रहे हो इतना बड़ा पत्थर गिर पड़ेगा, गाड़ी पे रेत चूरा गिर पड़ता है, कुछ है उपर से, ये इसी लिए होता है, उपर से क्या हु
03:23मौसम हुआ करता था, वो बिलकुल बदल गया है, सिर्फ पिछले पिछले साल में, हजारों, हजारों कह रहा हूं, ऐसी घटनाएं हुई हैं, जो असामान्य हैं मौसम की दृष्टे से, अब जो मिट्टी है, जो पत्थर है, जो आपस में गुथे हुए हैं, वो इस तरह से
03:53चलो वो बरदाश्ट कर लेंगे, पर जब हजारों, अबनॉर्मल इवेंट्स होते हैं, तो नहीं जहिल पाते हैं, अबनॉर्मल इवेंट्स कैसे होते हैं, हिमाले पर जाधा तर यही होता है, कि बारिश जादा हो गई, बारिश जादा हो गई, जहां नहीं होनी चाहिए थ
04:23में में और वो जो क्षेत्र है वो तयार नहीं है वो इक्विब्ड नहीं है कि उतनी बारिश को जहल पाएगा तो पत्थर मिट्टी वो सब टूटाट के अलग हो जाते हैं और कुछ और ही वहाँ पर बन जाता है और हिमाले जैसे हमने कहा कि अभी बहुत गुथा हुआ परव
04:53से इनसान ने वहाँ डैनामाइटिंग शुरू कर दी इनसान की करतूत है क्लाइमेट चेंज इस वक्त उत्राखंड में दोसों से ज्यादा बांधों का डैम्स का निर्मान चली रहा है और उसके लावा सैकडों अन्यकिस्म की तथा कथित विकास परियोजनाएं और ये सब
05:23एकदम पहाड की छाती तक हमें रेल पहुचा देनी है और वो जा रही है सुरंगों के माध्यम से टनल्स ठीक ठीक आखड़ा मुझे जयात नहीं है लेकिन मिखाल से 30 या 50 किलो मीटर की सुरंग हो दी जा रही है कुछ ऐसा ही है अब आप देखिए क्या-क्या है सडक का चो
05:53बांध अन्य किस्म की विकास परियोजनाए और प्राइवेट सेक्टर द्वारा हाउसिंग और हॉस्पिटैलिटी इसके लिए तोडफोड और निर्माण होटल बन रहे हैं अपार्टमेंट्स बन रहे हैं और घर और गया रातों बनते ही रहते हैं इसके अलावा इन सब के
06:23कारक गिना दिये 5 यशे इन विश्वेट पर मैं कोई विशिशग्य नहीं हूं मैं जिएलोजिस्ट नहीं हूं मैं वेड्लियानिक नहीं हूँ जो मैं बिलकुल प्रामानिक तौर पर इस पर कहपाऊं कि अईसा ही हुआ है मैं भी आप से वही कहा रहा हूं जितना मैंने रि
06:53पत्थर पानी में बढ़ती ही जा रही है बढ़ती ही जा रही है एक बहुत materialist किस्म की धार्मिक्ता जड़ पकड़ती जा रही है और उसी का प्रचार हो रहा है और उसी को धर्म समझा जा रहा है
07:10मैं रिशिकेश में काफी समय गुजारता रहा हूं और वहां की हालत को लेकर के भी मैंने बहुत बार बोला है
07:24आप परेटन बढ़ा रहे हो आप बोलते हो विकास करना है और उस शहर में पिछले दस साल में ही कितनी तबदीलियां आ गई है
07:34यह जो किताब है हमारी आखरी जो आई अंग्रेजी में माया
07:45तो माया की मैनूस्क्रिप्ट वहीं रिशिकेश से थोड़ा आगे बढ़के शिवपूरी की और एक जगह पर बैठ करके मैंने फाइनल करी थी
07:58अंगा किनारे बैठ करके
08:01लगभग डेड़ महीने लगा करके वहीं जाता था और उसको वहीं पर एडिट करा था
08:08और उसमें मुझे बीच बीच में बड़ी तकलीफ आती थी क्योंकि मैं वहां बैठा हुआ हूँ
08:13और मैं एक एक अक्षर पढ़ना चाहता हूँ जहां कुछ बदलना है उसको देखना चाहता हूँ और वहां से वह
08:20सब ये राफ्टिंग वाले निकलते थे और नीले नीले अंबर पर चान जब चाहे प्यास भड़काए हमको तरसाए ऐसा कोई साथी हो और आप यहां बैठे वह ठीक सामने से निकल रहे हैं
08:38और नारे बाजी कर रहे हैं और चिल्ला रहे हैं नारे बाजी उनकी कई बार ये भी होती थी जैगंगा मई या जैगंगा मई पर ये क्या कर रहे हैं ये युद्ध घोश है क्या है यलगार है किसी को मारने की तैयरी कर रहे हो चिल्ला क्यों रहे हो इतना
08:52तो या तो वो फूहड गाने का रहे होते थे
08:59या फूहड नारेबाजी कर रहे होते थे
09:01बीच बीच में ऐसा लगता था कोई धार्मिक बात भी बोल रहे हैं
09:06पर जो धार्मिक बात भी बोल रहे होते थे
09:08वो बड़ी विक्रत लगती थी
09:10जिस तरह से वो बोल रहे होते थे
09:12ये काम
09:17पहाडों के साथ लगातार होता ही जा रहा है
09:19पेडों का कटना
09:26एक के बाद एक वहाँ पर और
09:31रिजॉर्ट्स का बनना ये करना वो करना
09:35कुल मिला करके ये है
09:40कि जीवन का उद्देश मुक्ति नहीं है
09:43जीवन का उद्देश है पैसा कमाना
09:45और पैसा कमाने के लिए अगर धर्म को भी बेच दो
09:50तो छोटी बात है
09:52जो मूल बात ये थी
09:56कि धर्म के लिए
09:59भौतिकता को पीछे रख दो
10:03या भौतिकता का अधिक सथिक प्रयोग कर लो
10:08धर्म को आगे बढ़ाने के लिए
10:09ठीक
10:10अभी जो नई बात चल रही है वो ये है कि
10:13भौतिकता के लिए
10:15धर्म का प्रयोग कर लो
10:17समझिएगा
10:19भौतिकता के लिए
10:21धर्म का इस्तेमाल कर लो
10:22तो तीर-ते आत्रा के लिए हेलिकॉप्टर ओर पूरे रोपवे बना दिये गए हैं
10:31हम लोग जो अभी किदारनात के यह ते तब वह नहीं था ना रोपवे अब बन गया है
10:39तब बनने के शुरूआ थी अभी कहां से नहीं तक का बना वह था
10:43बनने की शुरुवात ही हो, तो कहां से कहां तक जाएगा, गौरिकुंट से पूरा उपर तक, तो जाही क्यों रहे हो वहाँ, उड़न खटोले पर बैठ करके वहाँ जाओगे, महादेव के पास, उनके सर के उपर से उड़के आओगे,
11:00तीर तो वहाँ स्थापित किया गया था, किसी वजह से स्थापित किया गया था ना, कि जा सकते हो अगर, तो पैरों पर चल के जाओ,
11:13तो पहली हमने बेमानी ये करी कि घोड़े और खचर लगा दिये, उसके बारे मैंने बुला है, कि भाई घोड़ों को क्यों तीर त्यातरा करा रहे हो, उनकी जान काई लिए ले रहे हो, उन्होंने कब का है, वो तो पशुपती के वैसे ही प्री हैं सारे पशु, उन्हें य
11:43फिर ये हो गया कि हेलिकॉप्टर हेलिकॉप्टर आएगा वहाँ पर, तो हेलिकॉप्टर से चल रहा है, और अब ये उड़न खटोला जाया करेगा वहाँ पर, हम कहरें विकास हो रहा है, देखिए था आप, हम कोई छोटे लोग नहीं है, हमारे तीर्थ भी किसी से कम नही
12:13भावना बैठी हुई है
12:14एक प्रतिसपर्धा की भावना
12:18बैठी हुई ये वो भी पूरी तरह भौतिक
12:19उस भावना में शद्धा कहीं नहीं है
12:21उस भावना में जो पूज्य है
12:25जो आराध्य है उसके प्रतिप्रेम
12:27कहीं नहीं है
12:28बस एक ठोस
12:31गंधाता सा अहंकार है
12:35मुझे किसी से पीछे नहीं रहना है
12:39और तुम अगर यह सब बाते हमें बता रहे हो
12:43तो औरों को क्यों नहीं बताते हैं
12:44मुसल्मानों को बताओ, इसाईयों को बताओ
12:46उनको भी यह सब बाते बताओ
12:47दूसरे अगर कुछ गलत कर रहे हैं
12:49तो हम भी बराबरी का गलत करेंगे
12:50दूसरे अगर गिरे हुए हैं
12:53तो हम उनसे ज्यादा गिर कर दिखाएंगे
12:54दूसरे अगर हिंसा करते हैं
12:57तो हम और ज्यादा हिंसक पशु ही बन जाएंगे
13:00जो कहीं लिखा भी नहीं हुआ है
13:06हम उसकी अफ़ा उड़ाएंगे
13:19यह चल रहा है
13:21तो यह है जो उपरी बात है
13:26मूल बात है
13:28वो जिस चीज को ले करके बहुत उचलता है
13:34वो उसी चीज को खा जाता है
13:36अहंकार अगर धर्म को ले के बहुत उचलेगा ना
13:41तो धर्म को भी खा ही जाएगा
13:42अवह ही हो रहा है
13:44धर्म धर्म धर्म जितना नारा भारत में पिछले 20-30 साल में लगा है इतना पहले नहीं लगता था और पिछले 20-30 साल में भारत में सनातन धर्म का जितना नाश हुआ है उतना भी कभी नहीं हुआ
13:57हमको कौन सा धर्म चाहिए मैं बताता हूँ
14:12हमको एनराईज वाला धर्म चाहिए
14:14हमको सूरज बढ़ जात्या की फिल्मों वाला धर्म चाहिए
14:18यह राज़ती प्रोडक्शन वाला धर्म
14:19जहां बहुत सारा पैसा है सबसे पहले
14:24जैसे एनराईज के होता है
14:25बहुत सारा पैसा है बहुत सारा और साथ में घर में एक पूजा स्थल है जहाँ पर सांस्कृतिक पिताजी अपनी दो सांस्कृतिक बेटियों और दो सांस्कृतिक पुत्रों और एक अतिस सांस्कृतिक पत्नी के साथ खड़े हो करके रोज सुबह कोई कर्मकांडी प्रार्�
14:55नाचते हैं, जबरदस्तिन किसम की शादियां होती है, आधी पिक्चर सिर्फ शादी पर आधारित होती है, और उसमें पूरा सांस्क्रितिक परिवार नाचता है, ये हमारा आज का आधर्श बन चुका है,
15:06दाइडियल हिंदू ड्रीम ये है, वहां किसी से पूछ दो गीता के दो शब्द पता हैं ये नहीं किसी को पता होंगे,
15:21लेकिन कोई उथले किसम का भजन समने रठ रखा होगा, वही राजा आइंदर ने बाल्टी मंगाई,
15:31वो समने रख रखा होगा,
15:36वहां किसी से पूछ दो,
15:44कि अद्वयत या सांख,
15:48या बॉद्ध,
15:52किसी दर्शन के बारे में तुलनात्मक कुछ टिपणी कर दो,
15:58वो तुम्हारा मूँ ताकेंगे,
16:01लेकिन उसे पूछ दो, तुम लोग तो बहुत धार्मिकों न, बोले हाँ हमाई धार्मिक,
16:04लोग लड़ू खाओ,
16:06शुद्ध देसी गाए के घी से बने है,
16:09हमारा धर्म क्या है, देसी गाए का घी,
16:17वही एनराई स्वर्ग हमको उतराखंड में बनाना है,
16:21और वहां तो और अच्छा है,
16:23जलवाई उस्विट्जरलेंड जैसी है वहाँ पर,
16:25तो लगता है कि हाँ भई मामला एनराई है बिल्कुल,
16:30है न,
16:32बढ़ियां,
16:33मलेप वन बह रही है,
16:35मंद मंद शीतल शीतल,
16:37वहाँ बढ़ियां आलिशान,
16:40कुछ खड़ा कर दू,
16:40उसके सामने यू देखो उसको ये देखो,
16:42हिंदू हृदय सम्राट,
16:45रिशिकेश के आम रेस्टरों में भी मास बिकना शुरू हो गया है,
17:15जो नहीं होता था,
17:22और मैंने इस मामले पर पहल भी करी है,
17:26जवाब ये मिलता है,
17:28जो आ रहे हैं वहाँ वो यही मांग रहे हैं,
17:30मास चाहिए,
17:322016 में पहला वहाँ पर मिथ डिमॉलिशन टूर करा था,
17:37वहाँ बहुत आसान होता था वीगन खाना मिलना,
17:39क्यों असान होता था,
17:41क्योंकि तब वहाँ विदेशी भहुत आते थे,
17:44और वहाँ जो विदेशी आते थे,
17:47वो कहते थे टोफू दो,
17:49वो चाय कहते थे,
17:50बादाम की दूद की दे दो,
17:51नारियल की दूद की दे दो,
17:54सौई की दे दो,
17:55लेकिन जानवर पर कुरूरता करके जो तुम दूस और निकालते हो यह नहीं चाहिए
18:002016 में वहाँ अच्छा खासा वीगन महौल था
18:03फिर बीच में आ गया कोविड, विदेशियों ने आना कर दिया बंद
18:06विदेशियों ने आना बंद कर दिया और भारत में धार्मिकता और चड़ गई
18:11इतना गंदा कर डाला इन्होंने रिशिकेश को
18:17भीतरी तोर पर भी बाहरी तोर पर भी वहाँ जो सफाई कास्तर है इन्होंने वो भी बहुत गिरा दिया
18:25और बहुत उम्मीद कर रहा हूं कि अब बहतर हो जाएगा कुछ
18:28क्योंकि अब फिर से विदेशियों ने आना शुरू कर दिया है
18:34वो जब आते हैं तो भारतिये भी क्याते हैं साफ करो साफ करो
18:37foreigners आ रहे हैं
18:38तो हाँ पर
18:45लोग जानते हैं मुझको उनसे बात करता हूँ
18:50तो जो सच्चाई ये बोली देते हैं बोलते हैं
18:54विदेशी अभी भी यहां जितने हैं
18:56वो मास बिलकुल नहीं मांगते
18:58यह जो देशी आते हैं ना
19:00इन्हें मास चाहिए हैं कहते हैं
19:02और हम ठंडी जगे पर आये किस लिए हैं
19:04बियर और चिकन के बिना
19:08हिल्स का मज़ा ही नहीं आता
19:09बियर चिकन सेक्स
19:23वो
19:24कौन सी बीचे इस पर
19:25बहुत जाता हूँ मैं और
19:27वहला वीडियो भी बनाया था हूँ
19:29पर एक रिकॉर्डिंग करी थी
19:30जिसमें दो लड़कियां आ गई थी
19:32जहां पर शम्शान घाट भी है
19:35फूल चटी
19:37फूल चटी पर हमने अपने आरंभिक
19:41शिविर करे थे 2011-2012 के
19:44और बहुत सारे लोगों की जिंदगियां बदली है
19:49फूल चटी पर
19:50इतनी शांत जगह होती थी
19:53वहां पर कहीं पर रोशनी भी निदिखाई देती थी
19:55राद भार बैठे रहे पढ़े जा रहे हैं
19:57परोक्षन भूती खुली हुई है
19:59लाल्टेन की रोशनी है पढ़ रहे हैं
20:00वहीं पर सो गए हैं
20:02सुबह उठ रहे हैं तो देख रहे हैं
20:04पानी बढ़ाया है बिलकुल पाउ तक पानी बढ़ाया है
20:06वहां रेद पर ही सो रहे थे
20:07और बड़े वहां पर
20:10अदुभध अनुभव रहे हैं बहुत जाना है
20:12बहुत सीखा है
20:12अभी हालत यह है कि आप
20:15फूल चट्टी पर नंगे पहुंच चलेंगे तो लहलुहान हो जाएंगे बताइए क्यों
20:19बियर की टूटली हुई बोतले
20:21यह हमारा विकास चल रहा है
20:25और हम बहुत प्रसंद हैं
20:28हाँ इस पूरी चीज में रिशिकेश की एकोनॉमी जरूर आगे बढ़ी होगी
20:32क्योंकि होटलों की संख्या बढ़ गई है
20:34राफ्टिंग जब बरदस्त रूप से हो रही है
20:38एडवेंचर स्पोर्ट्स चल रहे हैं
20:40और मटन वगेरा साधारन आलू मेथी से तो महंगा ही आता है
20:45तो उससे जीडिपी बढ़ता है
20:47रिस्टेंशियल भी बढ़ा होगा, महंगा हो गया होगा
21:00इसी दिसंबर में रिशिकेश में प्रस्तावित था
21:11कि जाएंगे करेंगे
21:12उन नहीं करा
21:14कुछ तो बात ये थी कि
21:17सुरक्षा की दृष्टे से इधर उदर से कुछ इंपूट्स आए थे
21:21कि ठीक नहीं अभी मत जाईए वहाँ पर सेक्यूरिटी का आपके लिए
21:24लेकिन सेक्यूरिटी आ रहा कि बहुत परवा
21:26करी नहीं है अतीत में
21:28रहा भी है कि दिक्कत हो सकती है तो भी चले गई है
21:31मन सा उचट रहा है
21:34जिस जगह से मुझे इतना प्रेम रहा है और जिस जगह से मुझे बहुत प्रेम मिला भी है
21:42जिस गंगा के तट पर मैंने इतना कुछ सीखा है
21:45इन्होंने ऐसा कर दिया उसको कि उससे मेरा मन उचटने लग गया है
21:49और मैं सचमुच मना रहा हूँ कि वहाँ पर विदेशी आना और बहुत सारे विदेशी आना शुरू करें
22:04शायद कुछ सुधरेगा महौल
22:06क्योंकि वो यहाँ पर होटलों के लिए नहीं आते होटल उनके पास अपने यहाँ बहुत अच्छे अच्छे है
22:11वो यहाँ विकास देखने नहीं आते उनका अपना विकास ठीक ठाक है
22:15वो यहां जिस चीज़ के लिए आते हैं वो दूसरी है और जिस चीज़ के लिए आते हैं उस चीज़ को हम खा गए
22:45मेरे पास कोई एक्सेस नहीं है कि मैं जान पाऊं कि पूरी जो प्रोजेक्ट फिसिबिलिटी रिपोर्ट है यह चार धाम की वो क्या बोलती है
22:52लेकिन पेड़ों का कटना वो तो मैंने अपनी आखों से देखा है न हर 200 मीटर पर अर्थमूवर्स खड़े हुए है और पहाड काट रहे है
23:04आप में से कोई गया है उस रास्ते पर पिछले दो साल में वो अभी भी चली रहा है वहाँ पर काम
23:13और पहाड सिर्फ पहाड नहीं होते हैं पहाड मैदानों की जान होते हैं भाई
23:26दोनों अर्थों में स्थूल अर्थ में भी सूक्षम अर्थ में भी इसलिए समझदार लोगों ने इतने तीर्थों की स्थापना परवतों पर करी थी कि परवतों को पूज्य मानना
23:37आंतरिक द्रिष्टी से भी मैदानों का प्राण होते हैं पहाड और भौतिक द्रिष्टी से भी
23:55उत्तरांचल को बरबाद करके उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल बच लेंगे क्या?
24:04क्यों नहीं बचेंगे? एक छोटा सा नाम है, गंगा
24:11बाड सूखा कुछ भी, आपने गंगोत्री का जो हाल कर दिया है, उसके बाद यह आवश्यक नहीं है कि बाड ही आए
24:20जब ग्लेशियर नहीं रहेगा तो गंगा जी कहां से रहेंगी?
24:24और वो बन गया है परेटन स्थल और परेटन का मतलब ही होता है भोगना
24:31वहाँ जा किसलिए रहा हूँ, पैसा वसूलने के लिए
24:37काई कि जाना महंगा होता है भाई, तो वहाँ जाएंगे तो पूरा वसूल के आएंगे
24:42और वसूलने का मतलब ही होता है कि परुवत का बलातकार करके आएंगे पूरा
24:46गवार किस्म का टूरिज्म
24:51चिप्स के पैकेट, बिसलरी की बोतले, कितने ही जहरने वाँ तो हर 200 मीटर पर कोई जहरना होता है, खास तौर पर बरसाती जहरना, वैसे सूख जाता है, बरसाती बहता है, आप देखिएगा गौर से वो कितने ही जहरने हैं, जो सिर्फ प्लास्टिक के कारण अवरुद्ध ह
25:21वो रुकेगा, रुकेगा, फिर क्या करेगा, फिर तोडफोड मचाएगा, या फिर जहां रुकरा है, वहां की चटान को वो घोल देगा, जब घोल देगा तो क्या होगा, सब कुछ नीचे आ जाएगा,
25:36सब कुछ इसलिए है, क्योंकि हमें अध्यात्म से कोई मतलब नहीं, हमारे लिए धर्म का मतलब है, एक प्रकार की संस्कृति, धर्म के नाम पर हम एक भोगवादी संस्कृति को बढ़ा रहे हैं, बस, बस, बस,
25:58कल्चर, यह हमारा कल्चर है, धर्म का मतलब कल्चर कब से हो गया, यह मुझे नहीं समझ में आ रहा है, लेकिन हर आदमी संस्कृति की बात कर रहा है, संस्कृति माने क्या, वही तुम्हारी सड़ी गली पिछले 100-200 साल की, गरीबी की, गुलामी की, अशिक्षा की, अज्या
26:28तब की संस्कृति क्यों नहीं लाते, तुम्हें पिछले 100-200 साल की संस्कृति से ही क्या मतलब है, तुम कहरें नहीं, बस जो 1500 साल पहले चलता था, संस्कृति के, संस्कृति मतलब खान, पान, व्यवहार, यही सब संस्कृति होता है, खान, पान, व्यवहार, तीजते वहार
26:58शिक्षा की जो संस्कृति है वो आज भी चला के रखनी है
27:01अगर अपनी मूल संस्कृति ही चलानी है
27:05तो हम चलते हैं न पीछे चलते हैं
27:07उपनिशदों के रिशियों से पूछते हैं
27:09बचाओ तुम्हारी संस्कृति कैसी है वो चलाते हैं
27:11पर उनकी संस्कृति देख करके, इनके होश उड़ जाएंगे संस्कृति वादियों के,
27:16क्योंकि रिशियों की जैसी संस्कृति है, तुम्हारी वैसी बिलकुल भी नहीं है,
27:20तुम जेल नहीं पाओगे रिशियों की संस्कृति को,
27:22रिशियों की संस्क्रीत तो बहुत उदार है, बहुत खुली है, उन्मुक्त चिंतान है वहाँ पर, शुद्र सीमाये नहीं है, वर्जनाये नहीं है, संकुचन नहीं है, संकीर्ण वृत्ति नहीं है वहाँ पर, ये सब संकीर्णताये, शुद्रताये, सीमाये, ये तो अभी की
27:52और ये हमारे अतिहास के सबसे रुगणकाल का प्रतीख है
27:57हम अपनी रुगणता को ही ढोते रहना चाहते हैं
28:01एक है के हमारी महान संस्कृती है
28:02और वास्तों में जो कुछ आपके पास महान है अतीत का
28:07उससे आप बहुत डरते हो
28:09अपनी महानता से आप पीछा छोडाते हो
28:12और अपनी बीमारी को आप ढोते रहना चाहते हो
28:14ये कहां की समझदारी है
28:16कि है
28:19संतों ने इतना समझाया
28:24इतना समझाया
28:27कि असली तीर थै आत्मस्नान
28:32और आत्मस्नान अगर नहीं हो रहा है
28:34तो तुम गंड़े रहा जाओगे
28:36नीन सदा जल में रहे
28:40धोवे बासन अजाए
28:45तुम कितना गंगा असनान कर लो
28:48भीतरी गंड़ेगी नहीं हट रही तो नहीं हट रही
28:52ये भी हमारी हालत यह कि भीतरी गंड़ेगी
28:54हम और बढ़ा रहे हैं धर्म के नाम पर
28:55और
29:04अबने गंगा को गंदा कर दिया और समझाने वाले कहा गए क्यों पानी में मलमल नहाए मन की मैल छुटारे प्राणी गंगा गयों ते मुगदी नहीं सौसोगों ते खाईये
29:26लेकिन जब मन की मैल बचा गए रखनी होती है तो फिर हम गंगा को भी मैला कर देते हैं
29:49और जब भीतर जानवर बैठा होता है न तो हम पहाडों के जंगलों के सारे जानवर काट डालते हैं
29:56जब हम भीतर के पशु से मुक्त नहीं होते तो हम बाहर वाले जितने पशु होते उनके साथ बड़ा अत्याचार करते हैं
30:07अगर मैं पुराणों की भाषा में बोलूं तो जोशी मठ का धसना एक दैवी ये चेतावनी हैं
30:26सुधर जाओ अभी भी रुक जाओ तुम धर्म का जो रूप चला रहे हो उसमें बहुत पाप है रुक जाओ ये जो तुम कर रहे हैं धर्म नहीं है ये पाप है
30:42और अक्सर पाप धर्म का नाम लेकर ही किया जाता है
30:59कोई भी विधर्मी ये थोड़ी बोलता है मैं पापी हूँ अधर्मी हूँ बोलता है क्या वो भी अपने आपको धर्मी ही बताता है
31:05और हिमालय का जो ये पुरा अक्षेत्र है
31:28ये अर्थक्वेक प्रोन भी है
31:36और एक बड़ा भूकम्प आना बाकी है
31:43और भूकम्प आने की संभावना हम बहुत बहुत बढ़ा देते हैं जब हम परवतों के साथ दुर्वेवार करते हैं
31:50और जब पहाड़ों पर भूकम्प आएगा ना तो दिल्ली बच नहीं जाएगी
32:07फिर दिल्ली अपना विकास अपनी जेब में रख ले क्योंकि हिमाला इसे दिल्ली की सीधी सीधी दूरी बहुत ज्यादा नहीं है
32:19मुश्किल से 1.500-200 किलो मीटर
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