शब्दयोग सत्संग, अनुबोध शिविर(anubodh.org.in) १७ सितम्बर २०१७ नैनीताल
प्रसंग: क्या सुख की तलाश ही दुःख है? क्या सुख और दुःख जीवन में साथ चलते हैं? क्या सुख और दुख एक ही अनुभव के नाम? सुखी कौन है? "मै यह नहीं हूँ" यह बात मुझे मन के तल पर तो समझ में आ गयी हैं लेकिन यह मेरे जीवन में कैसे उतरे? मै के भाव को किस प्रकार समझें? साकरात्मक भाव रखें या नाकारात्मक
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