दोहा: पिय का मारग कठिन है, जैसे खांडा सोय | नाचन निकसी बापुरी, घूंघट कैसा होय ||
प्रसंग: प्रेम क्या है? प्रेम में नाकामी का यही पुराना बहाना है,खुदा को तो पाना है खुद को भी बचाना है "नाचन निकसी बापुरी, घूंघट कैसा होय" इस दोहे के माध्यम से कबीर क्या बताना चाह रहे है?
Be the first to comment