शब्दयोग सत्संग ३० सितम्बर २०१४ एम.आई.टी , मुरादाबाद
प्रसंग: सत्य क्या हैं? भगवान हैं इसका क्या आशय हैं? क्या सत्य को जाना जा सकता है? सत्य को कैसे समझें? क्या ईश्वर को समझना संभव है? सत्य समझ में क्यों नहीं आता? सत्य क्या है? क्या सत्य के सम्बन्ध में विचार किया जा सकता है? सत्य को समझने की क्या विधि है?
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