दोहे: १) सतगुरु मिला जो जानिये, ज्ञान उजाला होय। भरम का भांडा तोड़कर, रहे निराला होय।। संत कबीर
२) गुरु मिला तब जानिये, मिटै मोह तन ताप। हरष शोक व्यापे नहीं, तब गुरु आपे आप॥ संत कबीर
प्रसंग: भ्रम से मुक्ति कैसे? भ्रम किस कारण उठती है? गुरु कौन है? सच्चे गुरु को कैसे जाने? गुरु क्या देता है? गुरु के करीब कैसे जाए? "सतगुरु मिला जो जानिये, ज्ञान उजाला होय"I ज्ञान उजाला से क्या आशय है?