प्रसंग: ईश्वर का भय क्यों ज़रूरी है? राम से भय के पीछे होने का क्या आशय है? क्या भय भी प्रेम का ही रूप है? संतजन ऐसा क्यों कहते हैं कि 'भय बिनु प्रीत न होई? राम नाम का क्या महत्त्व है? भवसागर से पार कैसे हों? संतों ने राम के नाम को राम से बड़ा क्यों बतलाया है? संत तुलसीदास जी के दोहों का अर्थ कैसे समझें? राम नाम सुमिरने का क्या अर्थ है? रामचरितमानस को कैसे समझें?
जानें इन महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर, आचार्य प्रशांत जी द्वारा इस शब्दयोग सत्संग के माध्यम से- _________________________________________________
आचार्य प्रशांत शब्दयोग सत्संग ९ जून २०१७ अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
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